प्रेरक प्रसंग: Pt Jawaharlal Nehru Ke Prerak Prasang in Hindi

Jawaharlal Nehru Ke Prerak Prasang In Hindi – दोस्तों ! आजकल के ज़माने में जहाँ आगे बढ़ने के लिए बच्चों को कंप्यूटर, इंटरनेट का ज्ञान होना जरूरी है, वहीं नैतिक और व्यवहारिक जीवन की महत्वपूर्ण बातों को जानना व समझना भी बहुत जरूरी है, तभी उनका सर्वांगीण विकास संभव है।
चुंकि बच्चे छोटे होते हैं अत: सिद्धांतों के उपदेश दे कर उन्हें कोई चीज नहीं सिखाई जा सकती। इसीलिए यहां हम बच्चों को सही जीवन सीख तथा सही मार्ग दिखाने वाले नेहरू जी के बेहद उम्दा 5 छोटे प्रेरक प्रसंग कहानियों को आप तक पहुंचा रही हूँ।
पंडित जवाहरलाल नेहरू भारत के पहले लोकप्रिय प्रधानमंत्री होने के साथ-साथ बच्चों के प्रिय चाचा के रूप में पूरी दुनिया में विख्यात रहे हैं। चाचा नेहरू जहां भी जाते; कोई अगवानी करने के लिए होता न होता लेकिन बड़ी संख्या में बच्चे जरूर होते थे। चाचा नेहरू भी उनसे हमेशा एक दोस्त की तरह ही मिला करते थे। नेहरू जी बच्चों को देखते ही रास्ते भर की सारी थकावट भूल जाते, और रम जाते उनकी प्यारी-प्यारी बातों और हरकतों में। बच्चे भी उन्हें बहुत चाहते थे।
यद्यपि आज बच्चों के प्यारे चाचा जी हमारे बीच नहीं हैं लेकिन उनके बच्चों से जुड़े कुछ प्रेरक प्रसंग का जिक्र कर रहे हैं, जो ये संदेश देते हैं कि मिठास के बदले मिठास ही मिलती है। और बच्चों को दो मीठे बोल के अलावा और क्या चाहिए…
बगीचे का फूल
एक बार की बात है पंडित जवाहरलाल नेहरू अपने निवास स्थान त्रिमूर्ति भवन के बगीचे में पेड़ पौधों के बीच से गुजरते घुमावदार रास्ते पर टहल रहे थे। प्रधानमंत्री के रूप में यह भवन उनका सरकारी आवास था। चारों ओर पेड़-पौधों की हरियाली और शीतल हवा में वे खोए हुए थे कि तभी उन्हें एक नन्हे बच्चे के रोने की आवाज सुनाई दी। चाचा ने आस-पास देखा तो उन्हें बेलों और पेड़ों की झुरमुट में एक गोलमोल सा बच्चा दिखा, जो पूरे जोर से रो रहा था।
चाचा ने सोचा कि इसकी मां कहां होगी? शायद माली के साथ में बगीचे में ही कहीं काम कर रही होगी या फिर बच्चों को छांव में सुला कर वह कहीं दूर काम पर निकल गई होगी। चाचा काफी देर तक शायद यह सोचते रहते लेकिन बच्चे की रुलाई उनका ध्यान अपनी ओर खींचे जा रही थी, चाचा उसकी रोने से विचलित हो गए। उन्होंने तय कर लिया कि जो भी हो बच्चों को मां का प्यार चाहिए। उन्होंने मां की भूमिका निभाने की मन में ठान ली।
बड़े प्यार से नेहरू जी ने बच्चों को झुक कर उठा लिया। और उसे कंधे पर सुलाकर धीरे-धीरे थपकियां देने लगे। इससे थोड़ी ही देर में बच्चा शांत हो गया और उसके पोपले मुंह में मुस्कान खिल गई। उसे खुश देखकर चाचा भी खुश हो गए। थोड़ी ही देर में धूल, पसीने से लथपथ बच्चे की मां भी वहां आ पहुंची, उसने जब अपना बच्चा प्रधानमंत्री की गोद में देखा तो अपनी आंखों पर विश्वास ही नहीं हुआ। उस गरीब महिला की आंखों का तारा प्रधानमंत्री की गोद में था, इतना ही नहीं वे एक मां की तरह उसे प्यार दे रहे थे और बच्चा बड़ी सहजता से टुकुर-टुकुर उनके मुंह की ओर देखकर मंद-मंद मुस्कुरा रहा था।
प्रेरक प्रसंग 1 (गुब्बारे वाले चाचा)
एक बार जब चाचा नेहरू दक्षिण भारत में तमिलनाडु की यात्रा पर गए थे। जिस सड़क से उनकी सवारी गुजर रही थी, उसके दोनों ओर उनके देखने वालों की भीड़ खड़ी थी और जो अपने प्यारे प्रधानमंत्री का स्वागत करने के लिए आतुर थे। इनके अलावा कुछ दीवारों पर, कुछ छज्जों पर और कुछ भीड़ के पीछे से भी उचक-उचक कर चाचा के लवाजमें को देखना चाह रहे थे। यहां तक की इमारत की बालकानियों पर भी बहुत से लोग जमा थे। बच्चों का तो कहना ही क्या, वे तो पेड़ों की टहनियों और तनों पर लूम रहे थे। इस भीड़ के पीछे एक गुब्बारे वाला खड़ा था, जो तरह-तरह के रंगों और डिजाइनों के गुब्बारे लिए पंजों के बल खड़ा चाचा को देखने का प्रयास कर रहा था।
रंगीन गुब्बारे भी इधर-उधर डोल रहे थे, जैसे वे भी चाचा को देखने के लिए उतावले हों। जब चाचा की गाड़ी वहां से गुजरी, तो उनकी नजर गुब्बारे वाले पर पड़ी। अचानक उन्होंने अपनी गाड़ी रूकवाई और उतर कर चल दिए गुब्बारे वाले की ओर। अपनी ओर प्रधानमंत्री को आता देख गुब्बारा वाला तो घबरा गया कि क्या गलती हो गई? लेकिन चाचा के पास आने पर उसने झटपट सलाम करके चाचा की ओर एक गुब्बारा भेंट स्वरुप बढ़ा दिया। इस पर चाचा बोले कि मुझे एक नहीं बल्कि सारे गुब्बारे चाहिए।
इसके बाद उन्होंने अपने तमिल जानने वाले साथी से कहा कि सारे गुब्बारे खरीद लो और बच्चों में बांट दो। बच्चों की तो मौज हो गई। गुब्बारे वाला दौड़-दौड़ कर खुद ही बच्चों को गुब्बारे थमाने लगा। चाचा नेहरू ओठों पर संतुष्ट की मुस्कान लिए खड़े थे। जब तक वह पूरे गुब्बारे बांटता, तब तक चाचा अपनी गाड़ी में सवार होकर चल पड़े थे, उनके पीछे चाचा नेहरु जिंदाबाद, चाचा नेहरु जिंदाबाद के नारे गुंज रहे थे।
प्रेरक प्रसंग 2 (धब्बे वाली अचकन)
यह घटना अंकलेश्वर की है, जब वहां तेल के एक कुएँ में से तेल की धार फूट पड़ी थी। चारों ओर खुशी की लहर दौड़ पड़ी थी। पंडित जवाहरलाल नेहरू वहां पर तेल के कुएं देखने पहुंचे। कुएं का मुवावना करते समय कुछ तेल के छींटें प्रधानमंत्री की अचकन पड़ गए। अधिकारियों को चिंता हुई तो उन्होंने सलाह दी कि नेहरू जी की अचकन ही बदलवा दी जाए। लेकिन इसके उलट नेहरू जी ने बड़े गर्व से कहा, मैं तो तेल की धार वाली यही अचकन पहन कर संसद जाऊंगा, और वहां बतलाऊंगा की यह धब्बे हमारे अपने देश से निकले तेल के हैं। असल यह तेल की धार भविष्य की संपन्नता की सूचक थी।
प्रेरक प्रसंग 3 (राष्ट्रीय ध्वज से प्रेम)
नेहरू जी में अपने देश के प्रति राष्ट्रीयता की भावना कूट-कूट कर भरी थी। इसके साथ ही उनमें राष्ट्रगान और राष्ट्रध्वज के प्रति भी आगाध श्रद्धा थी। किसी भी स्थिति में इन प्रतीकों का अपमान सहन नहीं कर सकते थे। एक बार किसी छोटे कस्बे में उन्हें एक समारोह में राष्ट्रीय ध्वज फहराने था, लेकिन एक मौके पर ध्वज की घिर्री में कुछ खराबी आ गई और वह खुल ही नहीं रही थी जिससे ध्वज खुलकर हवा में लहरा नहीं रहा था। कड़ी धूप थी। सभी परेशान थे। तभी कुछ स्थानीय पदाधिकारी ने नेहरू जी से कहा, ‘यह घिर्री ठीक हो जाएगी, तब तक आप क्यों धूप में खड़े रहते हैं, आप वहां छाया में विश्राम कीजिए।’ पर नेहरू नहीं माने, और वे तब तक वहां पर डटे रहे, जब तक की घिर्री दुरुस्त न कर ली गई। इसके बाद ध्वज फहराने और उसे सलामी देने के बाद ही वे वहां से हटे।
प्रेरक प्रसंग 4 (बर्थडे आइसक्रीम)
नेहरू जी देश और विदेश की समस्याओं को निपटाने में बड़े व्यस्त रहते थे। यहां तक कि उनकी निजी कई काम और दिन भी उन्हें कई बार तो याद भी नहीं रहते थे। एक बार जब उनका जन्मदिन था तो वह देश से बाहर थे। जब देश में उनका विमान आया तो एयरपोर्ट पर सभी मंत्री, अधिकारी और मित्रगण उन्हें लेने और बधाई देने के लिए पहुंचे। इनके अलावा पोर्ट के बाहर से भी कई लोग उनके दर्शन करने के लिए खड़े थे।
नेहरू जी सभी से ढेरों बधाईयाँ एवं पुष्पगुच्छ स्वीकार कर रहे थे कि तभी उन्होंने देखा कि एक वृद्ध महिला भीड़ के पीछे से जैसे-तैसे उनको देखने और मिलने के लिए आतुर सी दिखाई दे रही थी, और जिसके हाथ में एक आइसक्रीम भी थी।
संभवतः वह पंडित जी के जन्म दिवस पर भेंट करने के लिए लाई थी लेकिन तमाम कोशिशों के बावजूद वह किसी भी तरह से नेहरू जी तक नहीं पहुंच पा रही थी। उसे सिक्योरिटी वाले भी धकिया कर वापस पीछे की ओर कर दे रहे थे। पर अचानक नेहरू जी की नजर उसे पर पड़ी तो उन्होंने एकदम से भीड़ से किनारा किया और पहुंच गए उस बूढ़ी माँ के पास। जब तक वो कुछ समझ पाती तब तक वे बूढ़ी माँ के हाथ से आइसक्रीम लेकर खाने लगे। नेहरू जी के इस तरह प्रेम से आइसक्रीम खाने से वहां उपस्थित लोगों को तो आश्चर्य हुआ, वह वृद्धि महिला खुशी से गदगद हो गई।
प्रेरक प्रसंग 5 (एकता का महत्व)
एक बार पंडित जी किसी सभा को संबोधित करने वाले थे। जब वे वहां पहुंचे तो देखा कि मौसम बारिश का सा हो रहा था। एक बार तो सभी लोग चिंतित हो गए कि नेहरू जी ऐसे मौसम में भाषण भी देंगे या नहीं? लेकिन सही समय पर नेहरू जी ने अपना भाषण आरंभ किया। इतने में बारिश भी होने लगी। आश्चर्य की बात यह थी कि लोग जमे हुए थे और भाषण भी निर्बाध रूप से चल रहा था।
तेज बारिश के कारण वहां उपस्थित कुछ व्यक्तियों ने अपने छाते खोल लिए, जिससे सभा में कुछ अव्यवस्था फैलने लगी। कुछ लोग छाता लेकर नेहरू जी की ओर भी आए। नेहरू जी ने अपने लिए छाता अस्वीकार करते हुए कहा, ‘एकता का महत्व बहुत बड़ा होता है। कुछ लोग छाता लगा कर रहे और बाकी बिना छाते के रहें। यह उचित नहीं है।’ नेहरू जी की यह बात सुनकर लोगों ने तुरंत ही अपने खुले छाते बंद कर लिए और चुपचाप भाषण सुनने लगे।
जाको राखे साइयां मार सके न कोय Click Here
जो गरजते हैं, वे बरसते नहीं Click Here
घर का भेदी लंका ढाए Click Here
दोस्तों! उम्मीद है उपर्युक्त चाचा नेहरू की प्रेरक प्रसंग कहानियाँ (Jawaharlal Nehru Ke Prerak Prasang In Hindi) छोटे और बड़े सभी लोगों के लिए उपयोगी साबित होगा। गर आपको हमारा यह पोस्ट अच्छा लगा हो तो इसमें निरंतरता बनाये रखने में आप का सहयोग एवं उत्साहवर्धन अत्यंत आवश्यक है। आशा है कि आप हमारे इस प्रयास में सहयोगी होंगे साथ ही अपनी प्रतिक्रियाओं और सुझाओं से हमें अवगत अवश्य करायेंगे ताकि आपके बहुमूल्य सुझाओं के आधार पर इस कहानी को और अधिक सारगर्भित और उपयोगी बनाया जा सके।
और गर आपको इस कहानी या लेख में कोई त्रुटी नजर आयी हो या इससे संबंधित कोई सुझाव हो तो वो भी आमंत्रित हैं। आप अपने सुझाव को इस लिंक Facebook Page के जरिये भी हमसे साझा कर सकते है। और हाँ हमारा free email subscription जरुर ले ताकि मैं अपने future posts सीधे आपके inbox में भेज सकूं। धन्यवाद!
|