हरतालिका तीज व्रत की कथा, पूजा विधि एवं महत्ता

Hartalika Teej Vrat Pooja Vidhi In Hindi- सनातन धर्म में भाद्र मास शुक्ल पक्ष तृतीया तिथि के दिन देश भर में महिलाएं हरियाली तीज (Hartalika teej) का पर्व मनाती हैं। इस त्यौहार को सुहागन स्त्रियों के साथ-साथ कुंवारी लड़कियां भी रखती हैं। शादीशुदा महिलाएं जहां सुहाग की लंबी आयु की कामना के लिए यह व्रत करती हैं। वहीं कुवारी लड़कियाँ अच्छे वर की कामना के लिए यह व्रत रखती है।
इस वर्ष 18 सितंबर 2023, सोमवार को यह हरतालिका तीज मनाया जा रहा है। हालांकि तीज पर्व को लेकर हफ़्तों पहले से ही बाजारों में मेहंदी- चूड़ी, श्रृंगार की वस्तुएं, विशेष वस्त्र आदि की बिक्री शुरू हो गई है। इन दिनों बाजार में मेहंदी, आलता, फूलों के गजरे व पूरे सिर के लिए बेल की कलियों का जाल मिलता है। दिल्ली, बनारस, लखनऊ आदि शहरों में नवविवाहिताआओं के लिए पूरा सिंगार ही बेल की कलियों से बने गहनों से किया जाता है। फूलों से बने गहनों के लिए पहले से बाजार में ऑर्डर देना पड़ता है।
उत्तर भारत में विशेष कर उत्तर प्रदेश में हरियाली तीज पर सिंधारा देने का बहुत चलन है। कुंवारी महिलाओं का सिंधारा तीज से 1 दिन पहले होता है। उनके लिए सिंधारे में खीर, पूरी, फेनी आदि होते हैं। विवाहित महिलाओं का सिंधरा तीज के दिन होता है। इस सिंधारे में श्रृंगार का सामान मेहंदी, चूड़ी, सिंदूर, महावर, वस्त्र और मिठाई होती है। मिठाई में भी गुजिया देने की प्रथा होती है।
आजकल गुजिया का चलन कुछ कम हो गया है। अब तरह-तरह की चॉकलेट्स के हैम्पर्स, फलों की टोकरी दिए जाते हैं। इसलिए बाजारों में हफ्तों पहले से ही गिफ्ट हैम्पर्स, फलों की टोकरी, श्रृंगार की वस्तुएं, विशेष वस्त्र आदि की बिक्री शुरू हो जाती है। फूलों से बने गहनों के लिए तो पहले से बाजार में ऑर्डर देना पड़ता है।
हरियाली तीज का बायना –
हरियाली तीज में बायना देने का भी रिवाज है। यह बायना मनस कर घर की किसी बुजुर्ग महिला को दिया जाता है। यह बुजुर्ग महिला सास, जेठानी या नंद में से कोई भी महिला हो सकती है।
हरितालिका तीज व्रत की महत्ता
कहते हैं भाद्रपद शुक्ला तीज हस्त नक्षत्र युक्त होती है। इस दिन व्रत करने से संपूर्ण फलों की प्राप्ति हो जाती है। यह व्रत सौभाग्य चाहने वाली स्त्री को ही करना चाहिए। इस दिन शिव पार्वती का पूजन किया जाता है। ऐसी मान्यता है कि 100 वर्षों की तपस्या के बाद मां पार्वती का मिलन शिवजी से इसी दिन हुआ था।
हरितालिका तीज व्रत एवं पूजा विधि
सर्वप्रथम घर को लीप पोत कर स्वच्छ कर लेना चाहिए फिर सुगंधित छिड़कनी चाहिए। तत्पश्चात केले के पेड़, पत्रादि तथा तोरण पताकाओं से मंडप को सजाना चाहिए। मंडप की छत में सुंदर वस्त्र लगाने चाहिए। शंख बजा कर मंगल गीत गाने चाहिए। फिर उस मंडप में पार्वती सहित रेत का शिवलिंग स्थापित करना चाहिए। फिर उसका षोडशोपचार से पूजन करना चाहिए। इसके बाद चंदन, अक्षत, धूप, दीप से पूजन करके मौसम के अनुसार फल, फूल का नैवेद्य अर्पण करना चाहिए। रात्रि भर जागरण करना चाहिए।
पूजा करके और कथा सुनकर यथाशक्ति ब्राह्मणों को दान देना चाहिए। इसके बाद ब्राह्मणों को भोजन कराकर स्वयं करना चाहिए।
हरितालिका तीज व्रत की पौराणिक कथा –
यह कथा भविष्योत्तर पुराण से ली गई है। एक बार राजा हिमालय की सुपुत्री पार्वती ने अपने मन में भगवान शिव को ही पति रूप में वरण करने की इच्छा से वन में रहकर कठोर व्रत करने लग गई। इस अनुष्ठान को देखकर उनके पिता हिमालय अत्यंत चिंतित हो उठे। तभी देव योग से नारद जी राजा हिमालय से मिलने के लिए आए। उन्होंने पुत्री के अनुष्ठान के विषय में नारद जी से चर्चा की तो महर्षि नारद बोले, “राजन! तुम्हारी कन्या के लिए तो विष्णु ही उपयुक्त वर हैं।”
रजा हिमालय नारद जी की बात सुनकर अति प्रसन्न हुए पर पार्वती के मन को बहुत ठेस पहुंची। उन्होंने अपनी प्रिय सखी से कहा, “अरी सखी! विश्व में संपन्न, सुंदर और स्वस्थ पति की याचना तो सभी लड़कियां करती हैं, पर मैंने तो अकुल, आगेह, दिगंबर और दीनपति को वर्णन किया है। चाहे मेरी देह भले ही छूट जाए किंतु शिव को पति रूप में पाने का मेरा संकल्प नहीं छूट सकता।”
पार्वती जी की बात सुनकर सखी ने कहा, “तो चलो, कहीं ऐसी जगह चल कर रहा जाए जहां का महाराज को पता ना लगे।” फिर पार्वती ने सखी की बात मानकर वैसा ही किया और एक कंदरा में रहते हुए पुनः घोर तप में लीन हो गईं। वहां उन्होंने बालू का शिवलिंग बनाकर श्रद्धा पूर्वक शिव का आवाहन किया।
शीव जी सती पार्वती के सामने प्रकट हुए और वरदान मांगने के लिए कहा। इस पर सती ने विनम्र स्वर में कहा, “देव ! यदि आप मेरी भक्ति पर प्रश्न है तो मुझे अर्धांगिनी बनाने की स्वीकृति प्रदान करें।” शिव एवमस्तु कह कर अंतर्ध्यान हो गए।
कुछ समय बाद महाराज कन्या को खोजते हुए वहां पर पहुंचे और पार्वती जी के तपस्वी जीवन की प्रशंसा करके उन्हें साथ ले। घर पहुंचकर सती ने शिवजी के वरदान की बात पिता से कह दी, पिता ने उसे सुनकर सटी पार्वती का विवाह शिव जी के साथ कर दिया।
गुरुवार (बृहस्पतिवार) व्रत पूजा विधि एवं व्रत कथा
शनि देव को प्रसन्न करने के अचूक उपाय
आप हमें अपना सुझाव और अनुभव बताते हैं तो हमारी टीम को बेहद ख़ुशी होती है। क्योंकि इस ब्लॉग के आधार आप हैं। आशा है कि यहाँ दी गई Hartalika Teej Vrat Pooja Vidhi In Hindi आपको पसंद आई होगी, लेकिन ये हमें तभी मालूम होगा जब हमें आप कमेंट्स कर बताएंगें। आप अपने सुझाव को इस लिंक Facebook Page के जरिये भी हमसे साझा कर सकते है। और हाँ हमारा free email subscription जरुर ले ताकि मैं अपने future posts सीधे आपके inbox में भेज सकूं। धन्यवाद!
|