Best 3 Rakhi Poem in Hindi…

Poem on Raksha Bandhan in Hindi – राखी पर्व की पावन बेला आ पहुँची है। 31st अगस्त के दिन इसके आगमन की आहट सुनकर ही भाई-बहनों के मन-मयूर नाच उठे हैं। विशेष रूप से बहनें तो अभी से ही इसके आगमन की ख़ुशी में भाँति-भाँति के मिष्ठान बना रही हैं। इतना ही नहीं घर को भी तरह-तरह के फूलों से सजा रही हैं। अब जब हमारी बहनें इतनी सारी मेहतन कर रही तो हमारा भी तो फर्ज बनता है कि आपके इस दिन को और भी खास बनाने में आपकी मदद करें। यूं तो एक कच्चा धागा ही बहुत है इस रिश्ते की डोर को बांधे रखने के लिए… लेकिन हर बहन और भाई की ये भी दिली ख्वाहिस होती है कि काश ऐसा कोई उपहार मिल जाए जिससे की वे एक-दूसरे से अपने प्यार और परवाह को अभिव्यक्त कर सके।
यद्यपि उपहार एक ऐसा माध्यम है जो एक-दूसरे को भावनात्मक रूप से करीब लाता है। वहीं अगर बात भाई-बहनों को रक्षा बंधन पर उपहार देने की हो, तो उनके सम्मान में कहीं कुछ लाइन्स उसके नर्म और कोमल दिल को जीतने के लिए काफी होती हैं । आप भाई-बहनों की जिंदगी में इस दिन की अहमियतता को हम अच्छी तरह से समझते हैं। और आपके बीच के प्यार को भी। तभी तो आपके रक्षाबंधन को सुपर से भी ऊपर बनाने के लिए इस आर्टिकल में आशीर्वाद के कवच से मंडित रक्षाबंधन पर कविता खास आप के लिए चुनके ले आई हूँ। इन कविताओं की मदद से भाई-बहन न सिर्फ अपने प्रेम और भक्ति को अभिव्यक्त कर सकते है बल्कि उन्हें अपनी इमानदारी से प्रसंशा भी दिखा सकते है । तो आइए फटाफट से शुरू करते हैं..
कविता 1 : लो फिर आया रक्षा बंधन
लो फिर आया रक्षा बंधन
भाई बहन के अमित प्यार का
बड़ा अनोखा बंधन
एक दूजे की गलबहियो में
बिछे रेत की पगडंडीयों में
बचपन बीता, आई जवानी
रिश्तो ने ली फिर अंगड़ाई
भौतिकता की भागदौड़ ने
स्वार्थपरता की आंधी ने
रिश्तो की गरिमा को छेड़ा तो
भरमाय है
समय ने डाली है इन पर धूल
है तो फिर एक डाली के फूल
कच्चे धागों के यह घेरे
नाजुक है पर नेह घनेरे
देखें कहीं उलझन जाए
उलझ कर कहीं टूट न जाए
बस्ती रहे प्रेम सरगम
लो फिर आया रक्षाबंधन
भाई बहन के अमिट प्यार का
बड़ा अनोखा बंधन
– उषा टंडन
कविता 2 : भाई बहन का प्यार
है भाई बहन का प्यार,
ये रक्षाबंधन का त्यौहार!
सावन की पूर्णमासी में बहना,
करती है इंतजार
आएंगे भैया लेकर प्रेम का उपहार,
रक्षाबंधन का त्यौहार।
राखी बांधकर भाई को बहना
खिला रही मिठाई!
रब से दुआ मानती,
जुग जुग जिए मेरा भाई।
सुख में रहे हमेशा मेरे
भाई का परिवार,
रक्षाबंधन का त्यौहार!
कविता 3 : आज बहन ने बड़े प्रेम से
आज बहन ने बड़े प्रेम से
रंग बिरंगा चोंक बनाया
इसके बाद चोंक के उपर
अपने भैया को बैठाया
रंग बिरंगी राखी बाँधी
फिर सुंदर सा तिलक लगाया
गोल-गोल रसगुल्ला खाकर
भैया मन ही मन मुस्काया
थाल सजाकर दीप जलाकर
भैया की आरती उतारी
मन ही मन में कहती बहना
भैया रखना लाज हमारी
करना सदा बहन की रक्षा
भैया तुमको समझाता है
कच्चे धागों का ये बंधन
रक्षा बंधन कहलाता है…
कविता 4 : कब से राखी की थाली सजाई
कब से राखी की थाली सजाई,
अब आ जाओ मेरे भाई!
मैं तो दिल की धड़कन तुम्हारी,
तुमको सबसे प्यारी!
आज रात मिलन की आई,
अब आ जाओ मेरे भाई!!
मैं हूं राखी की थाली सजाई,
अब आ जाओ मेरे भाई!
साथ बिता है बचपन हमारा,
भाई तू मेरी आंखों का तारा!
तुझे देख के नएना जुडा़ई,
अब आ जाओ मेरे भाई!
कब से राखी की थाल सजाई,
अब आ जाओ मेरे भाई!!
– सरोज कुमारी
कविता 5 : बहन भाई का करें इंतजार
बहन भाई का करें इंतजार,
रक्षाबंधन में!
देखो भाई बहन का प्यार,
रक्षाबंधन में!
राखी की सुंदर थाल सजाई,
मगन है आज बहन और भाई है!
है पावन बहुत त्यौहार,
रक्षाबंधन में!!
बांध रही राखी बहना,
भाई की कलाई!
आरती करके मिठाई खिलाई!
भाई बहनों को देती उपहार,
रक्षाबंधन में!!
ले उपहार मुदित मन बहना,
देती दुआएं हजार,
रक्षाबंधन में!!
स्वामी विवेकानंद जी पर कविता Click Here
शिक्षक दिवस पर कविता Click Here
महात्मा गाँधी जी पर कविता Click Here
दिवाली पर कविता Click Here
आशा करती हूँ कि ये कविता छोटे और बड़े सभी लोगों के लिए उपयोगी सिद्ध होगी। अगर आपके पास इससे संबंधित कोई सुझाव हो तो वो भी आमंत्रित हैं। आप अपने सुझाव को इस लिंक Facebook Page के जरिये भी हमसे साझा कर सकते है. और हाँ हमारा free email subscription जरुर ले ताकि मैं अपने future posts सीधे आपके inbox में भेज सकूं.
|