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स्वतंत्रता दिवस पर 10 वाक्य – 10 lines on Independence Day for Children In Hindi

स्वतंत्रता दिवस पर 10 लाइने ( 10 Lines on Independence Day In Hindi)

10 lines on Independence Day In Hindi - Essay
10 lines on Independence Day In Hindi – Essay

10 lines on Independence Day In Hindi – नमस्कार ! दोस्तों विगत स्वतंत्रता दिवस यानि 15 अगस्त 2022 को देश की स्वतंत्रता को 76 वर्ष पूरे हुए हैं और इस साल हम 77वां स्वतंत्रता दिवस मनाने जा रहे हैं। इसी उपलक्ष्य में; हमने यहाँ स्वतंत्रता दिवस पर दस लाइन ‘वाक्य’ तैयार किया है। यह एक निबंध है। और ये छोटे बच्चों के लिए विशेष रूप से कक्षा 2, 3, 4 और 5 के बच्चों के लिए बहुत उपयोगी है।

10 lines on Independence Day for Class 2 & 3

1- स्वतंत्रता दिवस हमारा प्रथम राष्ट्रीय पर्व है।

2- यह पर्व पूरे भारत में 15 अगस्त को बड़े हर्ष और उल्लास के साथ मनाया जाता है।

3- 15 अगस्त, 1947 को भारत स्वतंत्र हुआ था। सन 1947 से पहले भारत अंग्रेंजों के अधीन था।

4- इसी दिन भारत ने ब्रिटिश राज्य की गुलामी की जंजीरों को तोड़कर आजादी के वातावरण में साँस ली थी।

5- यद्यपि बहुत-से भारतीय देशभक्तों को इस संघर्ष में अपने प्राण भी गवाने पड़े। इसमें उल्लेखनीय हैं शहीद-ए-आजम, सरदार भगत सिंह, राजगुरु, सुखदेव और शहीद उधम सिंह सरीखे अनेक देशभक्त, जो फांसी के फंदे पर झूल गये, लेकिन झुके नहीं।

6 – इसीलिए इस दिन स्वतंत्रता आंदोलन के अनेक देशभक्तों को याद किया जाता है और उन्हें सच्ची श्रद्धांजलि अर्पित की जाती है।

7- स्वतंत्रता दिवस का मुख्य समारोह भारत की राजधानी दिल्ली में स्थित लालकिले पर मनाया जाता है। इस दिन यहां देश के प्रधानमंत्री लालकिले की प्राचीर पर राष्ट्रध्वज फहराते है और देश के नाम सन्देश देते है।

8- विद्यालयों में इस अवसर पर तिरंगा फहराया जाता है तथा आजादी के गीत गाए जाते है। बच्चों में पुरस्कार तथा मिठाइयां बाटी जाती है।

9- इस दिन देश भर के सरकारी तथा गैर सरकारी संस्थानों में छुट्टी होती है।

10- इस प्रकार भारतीय स्वतंत्रता दिवस उन सभी महत्वपूर्ण हस्तियों के प्रति सम्मान समर्पित करने के लिए मनाया जाता है जिन्होंने भारत के लिए अपने जीवन, आत्मा और मन का बलिदान दिया। 

10 lines on Independence Day for Class 4 & 5

1- सर्वविदित है कि हिंदुस्तान कई सदियों तक विदेशी शक्तियों के अधीन था। बहुत लंबे समय तक चले स्वतंत्रता संग्राम के बाद अंततः 15 अगस्त 1947 को हमारा प्रिय भारत देश अंग्रेजी दासता से मुक्त हो सका था।

2- भारतीय-स्वाधीनता-संग्राम के इतिहास को जिन मृत्युंजय देशभक्तों ने अपने महान बलिदानों से गौरवान्वित किया है उनमें अमर शहीद चंद्रशेखर आज़ाद, महात्मा गाँधी, नेताजी सुभाष चन्द्र बोस, नेहरूजी, शहीद भगत सिंह आदि का स्थान शीर्ष पर है।

3- हालांकि अंग्रेजों को खदेड़ने के लिए प्रथम स्वतंत्रता संग्राम की चिंगारी साल 1857 में सबसे पहले मेरठ के सदर बाजार में भड़की, जो 90 वर्षों तक सुलगती रही और अंतत: भारत छोड़ों आंदोलन से पूरे देश में फैल गई।

4- देश भर में धधक रहें विशाल स्वतंत्रता संग्राम को देख कर अंग्रेज हिल गए, और उन्होंने 15 अगस्त, 1947 को भारत को स्वतंत्र कर दिया।

5- कहते हैं कि “पराधीन सपनेहुं सुख नहीं” बन्धन से मुक्त स्वतंत्रता एक वरदान है। उस समय जो हालत थे उसमें भारतीयों के लिए इससे बड़ा कोई वरदान नहीं हो सकता था।

6- इसी कारण प्रतिवर्ष पूरे भारत में 15 अगस्त का दिन स्वतंत्रता दिवस के रूप में अत्यधिक खुशी और गर्व के साथ मनाया जाता है।

7- यह दिन पूरे भारत में परेड, सांस्कृतिक कार्यक्रमों और ध्वजारोहण समारोहों के साथ मनाया जाता है।

8- हर वर्ष दिल्ली स्थित लाल किले की प्राचीर पर देश के प्रधानमंत्री राष्ट्रीय ध्वज फहराते हैं। और देशवासियों को संबोधित करते हैं।

9- इस दिन पूरे भारत में राष्ट्रीय अवकाश होता है। सभी सरकारी गैर सरकारी संस्थाओं, पब्लिक व निजी शिक्षण संस्थाओं में यह राष्ट्रीय पर्व मनाया जाता है।

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 10- सचमुच यह पावन पर्व हमें अपने स्वतंत्रता सैनानियों और अमर बलिदानियों के उद्यम और पुरूषार्थ का स्मरण कराकर अपने देश के प्रति समर्पित भाव से जीने के लिए प्रेरित करता है।

इतिहास साक्षी है कि किसी राष्ट्र का गौरव तभी जागृत रहता है जब वो अपने स्वाभिमान और बलिदान की परंपराओं को अगली पीढ़ी को भी सिखाता है, संस्कारित करता है, उन्हें इसके लिए निरंतर प्रेरित करता है। किसी राष्ट्र का भविष्य तभी उज्जवल होता है जब वो अपने अतीत के अनुभवों और विरासत के गर्व से पल-पल जुड़ा रहता है। फिर भारत के पास तो गर्व करने के लिए अथाह भंडार है, समृद्ध इतिहास है, चेतना में सांस्कृतिक विरासत है। इसलिए स्वतंत्रता दिवस के 76 साल का ये अवसर अमृत की तरह वर्तमान पीढ़ी को प्राप्त होगा। यह ऐसा अमृत होगा जो हमें प्रतिपल देश के लिए जीने, देश के लिए कुछ करने के लिए प्रेरित करेगा।

हमारे वेदों का वाक्य है- मृत्यो: र्मुक्षीय मामृतात्। अर्थात, हम दुःख, कष्ट, क्लेश और विनाश से निकलकर अमृत की तरफ बढ़े, अमरता की ओर बढ़े। यही संकल्प आजादी के इस अमृत महोत्सव का भी है और इसीलिए, ये महोत्सव राष्ट्र के जागरण का महोत्सव है। ये महोत्सव, वैश्विक शांति का, विकास का महोत्सव है।

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आशा करती हूँ कि ये निबंध छोटे और बड़े सभी स्टूडेंट्स के लिए उपयोगी सिद्ध होगी। अगर आपके पास इससे संबंधित कोई सुझाव हो तो वो भी आमंत्रित हैं। आप अपने सुझाव को इस लिंक Facebook Page के जरिये भी हमसे साझा कर सकते है. और हाँ हमारा free email subscription जरुर ले ताकि मैं अपने future posts सीधे आपके inbox में भेज सकूं.

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Babita Singh
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