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यातायात के नियम / सड़क सुरक्षा एवं पर निबंध – Road Safety Essay in Hindi

यातायात के नियम / सड़क सुरक्षा एवं पर निबंध – Road Safety Essay in Hindi

Road Safety Essay in Hindi – दोस्तों! शायद ही कोई ऐसा दिन होता है, जब अख़बार में सड़क दुर्घटनाओं की खबरें न छपती हों। अनुमान है कि हर साल भारत में लगभग 5 लाख सड़क दुर्घटनाएँ होती है जिसमें से 1.5 लाख लोग अपनी जान गंवा देते हैं। यह संख्या दर्शाती है कि भारत में प्रत्येक मिनट पर एक सड़क दुर्घटना होती है और प्रत्येक 4 मिनट पर सड़क दुर्घटना में एक व्यक्ति की मृत्यु होती है।

यद्यपि सड़क का कोई भी प्रयोगकर्ता नहीं चाहता है कि उसके साथ कभी भी कोई सड़क दुर्घटना हो, फिर भी कई बार दुर्घटनाएं हो जाती है। सबसे दुर्भाग्यपूर्ण बात यह है कि हम सड़क पर अपनी गलतियों से सबक नहीं सीखते। जबकि अधिकतर सड़क प्रयोगकर्ता सड़क के इस्तेमाल के सामान्य नियमों और सुरक्षा उपायों से अच्छी तरह परिचित होते हैं, लेकिन उनकी असावधानी के कारण दुर्घटनाएं एवं टक्कर होती है। वहीं अगर हम अपनी और दूसरों की सुरक्षा के लिहाज से ड्राइविंग के समय सड़क सुरक्षा के बस कुछ अहम बातों पर ध्यान दें तो हादसे निश्चित रूप से कुछ कम हो सकते हैं।

असल में अधिकांश दुर्घटनाओं और टक्कर का प्रमुख कारण माननीय भूले ही होती हैं। हम मनुष्य के कुछ सामान्य चरणों के बारे में प्रकाश डाल रहे हैं, जिनसे दुर्घटनाएं होती है यह है:

बहुत तेज गति से वाहन चलाना –

सभी को पीछे छोड़ देना एक मानव प्रवृत्ति है किंतु अधिकतर घातक दुर्घटनाएं बहुत तेज गति के कारण होती है। गति में तीव्रता से वृद्धि, दुर्घटना का जोखिम और दुर्घटना के दौरान चोट की गंभीरता बढ़ाती है। कम गति से चलने वाले वाहनों की तुलना में तेज गति की वाहनों की दुर्घटना की संभावना अधिक रहती है और तेज गति के वाहनों के मामले में दुर्घटना की गंभीरता भी अत्यधिक होगी। गति जितनी अधिक होगी, उतना ही अधिक जोखिम होगा। बहुत तेज गति की स्थिति में वाहन रोकने के लिए अधिक दूरी यानी ब्रेकिंग डिस्टेंस की जरूरत पड़ती है। कम गति वाले वाहन कम दूरी पर ही रुक जाते हैं, जबकि तेज गति वाले वाहन लंबी दूरी के बाद ही रोके जा सकती हैं और फिसलते भी है। तेज गति से चलने वाले वाहन की टक्कर के दौरान गहरा प्रभाव होगा, इसलिए अधिक चोट लगेगी। तेज गति से गाड़ी चलाने पर आगामी घटना के बारे में फैसला लेने की क्षमता कम हो जाती है, जिसके चलते फैसले में भूल होती है और अंतत: टक्कर हो सकती है। रिहायशी इलाकों से गुजरते हुए, ड्राइव वे में या व्यस्त सड़कों पर भी अपनी स्पीड को ध्यान में रखना चाहिए।

नशे की हालत में गाड़ी चलाना –

खुशी का कोई मौका मनाने के लिए शराब का सेवन आम बात हो गई है। लेकिन, जब ड्राइविंग के साथ इसे मिलाया जाए तो यह खुशी बदकिस्मती में बदल सकती है। शराब के सेवन से ध्यान केंद्रित करने में कमी आती है। इससे मानव शरीर तत्काल प्रतिक्रिया नहीं कर पाता। मस्तिष्क के निर्देश पर अमल में शारीरिक अंग अधिक समय लेते हैं। सिर चकराने से यह दृष्टि को कमजोर बनाता है। शराब डर कम करती है और जोखिम लेने को उकसाती है। इन सभी वजहों से दुर्घटनाएं होती हैं और कई बार यह घातक साबित होती हैं। ब्लड अल्कोहल कंसंट्रेशन में 0.0 5%  (बी ए सी)  की प्रत्येक वृद्धि से दुर्घटना का जोखिम दोगुना हो जाता है। अल्कोहल के अलावा, कई नशीले पदार्थ एवं औषधियां भी ड्राइविंग संबंधी निपुणताओं और ध्यान केंद्रित करने पर प्रतिकूल असर डालती है।

ध्यान बंटना –

गाड़ी चलाते समय थोड़ा सा भी ध्यान बटने से बड़ी दुर्घटनाएं हो सकती हैं। पूरा ध्यान बंटाने वाले कारण वाहन के बाहर या भीतर हो सकती हैं। आजकल ध्यान बंटाने वाली एक चीज; वाहन चलाते समय मोबाइल फोन पर बातचीत करना है। फोन पर बातचीत मस्तिष्क का एक बड़ा हिस्सा घेरती है और एक छोटा हिस्सा ड्राइविंग निपुणता में कार्यशील होता है। मस्तिष्क का विभाजन प्रतिक्रिया समय और फैसले की क्षमता में बाधा पहुंचाता है और कभी भी टक्कर का कारण न बने होता है। अत: ड्राइविंग के दौरान टेलीफोन न करें और न ही सुने यदि अत्यावश्यक हो तो सड़क के किनारे गाड़ी खड़ी कर बातचीत करें।  

सड़क पर ध्यान बंटाने वाली कुछ अन्य बातें और है जैसे – ड्राइविंग करते समय शीशे समायोजित करना, वाहन से स्टीरियो/रेडियो को चलाना, सड़क पर जानवर या विज्ञापन या सूचना पट्ट इत्यादि। इन चीजों से भी ड्राइवर को अपना ध्यान भंग नहीं करना चाहिए और मार्ग परिवर्तन (डायवर्जन) एवं ध्यान बंटाने वाली बाहरी चीजों के दौरान सुरक्षित रहने के लिए गति धीमी रखनी चाहिए।

उद्दंडतापूर्वक ड्राइविंग –

मदिरापान कर अंधाधुंध ड्राइविंग करना, लाल बत्ती की परवाह किए बगैर सड़क पार करना यह आजकल की बहुत आम बात हो गयी है। हो सकता है लाल बत्ती लाघंने के पीछे मुख्य मकसद समय बचाना हो। हमनें कई लोगों को ये कहते सुना है कि लाल बत्ती पर रुकना यानि समय और ईंधन की बर्बादी। जबकि अध्ययन दर्शाते हैं कि यातायात संकेतों का पालन करने पर ड्राइवरों के समय की बचत होती है और यात्री सुरक्षित एवं समय से गंतव्य पर पहुंचते हैं। लाल बत्ती लाघंने वाला व्यक्ति न सिर्फ अपना स्वयं का जीवन जोखिम में डालता है बल्कि सड़क के अन्य प्रयोगकर्ताओं की सुरक्षा के लिए भी खतरा पैदा करता है।

क्या हैं यातायत के नियम –  

एक आनन्दमयी यात्रा के लिए गाड़ी चलाने के मुद्दे को लेकर यातायात के नियमों की जानकारी और हमेशा सतर्कता जरूरी है। क्योंकि कई बार ड्राइविंग करते समय एक छोटी सी गलती से भी बड़ी दुर्घटना हो जाती है। पब्लिलियस साइरस कहते हैं कि “खतरों से सबसे ज्यादा मुक्त वही है, जो सुरक्षित होने पर भी अपनी सुरक्षा के सारे उपाय करके रखता है। इसलिए हमारे ही जीवन के लिए अच्छा होगा कि निम्नलिखित यातायात के नियमों को ध्यान में रखें:

सीट बेल्ट और हेलमेट का उपयोग अनिवार्य रूप से करें – सफर दूर का हो या पास का आपको सीट बेल्ट का इस्तेमाल जरूर करना चाहिए। चार पहियों के वाहन में सीट बेल्ट अब अनिवार्य है और इसे न बांधने पर दंडित भी किया जाता है। यही बात दुपहिया वाहनों में हेलमेट न लगाने पर लागू होती है।

अध्ययनों में यह साबित होने पर कानून बनाया गया कि दुर्घटनाओं के दौरान यह दोनों सुरक्षा उपाय चोट की गंभीरता कम करती है। क्योंकि जहां गंभीर दुर्घटना में सीट बेल्ट से जीवन बचने की संभावना होती है। वहीं दुर्घटनाओं के दौरान सुरक्षा उपाय आपको सही और सुरक्षित रखते हैं। हेलमेट को अनिवार्य किए जाने के बाद दुपहिया वाहन सवारों की मौत में भी भारी कमी आई है। हमें चाहिए कि निर्धारित मानकों विशेष रूप से आई एस आई मार्क के सुरक्षा साधनों का इस्तेमाल करें और अभीष्ट सुरक्षा के लिए उन्हें समुचित ढंग से लगाए।

शराब पीकर ड्राइविंग न करें – सर्वप्रथम, हम यही सलाह देंगे कि अल्कोहल का सेवन ना करें। फिर भी, यदि आप अल्कोहल के बिना खुशी मनाना अधूरा महसूस करते हैं तो उसका सेवन करने पर वाहन न चलाएं। शराब न पीने वाले किसी मित्र से आप उसे अपने घर छोड़ने को कहें।

गाड़ी के रखरखाव पर ध्यान रखें – वाहनों का रखरखाव ऐसा तथ्य है जिसकी हम सभी अनदेखी करते है। जब तक कि हमारा वाहन ख़राब नहीं हो जाता। तब तक हम सोचते है कि वाहन में क्या खराबी आ गई है। अनुरक्षण वाहन का सर्वाधिक महत्वपूर्ण पहलू है। यह वाहन की लम्बी आयु, उसका कुशल निष्पादन तथा विश्वसनीयता का निर्धारण करती है। हालाँकि अधिकांश लोग देखरेख से मतलब वाहन की साफ-सफाई और रंगरोधन से लेते है पर वाहन के अनुरक्षण से तात्पर्य वाहन के बाहरी पेंट की देखरेख तथा उसे साफ सुधरा रखने से कहीं अधिक है।

वास्तविक अर्थ में अनुरक्षण से तात्पर्य वाहन के सभी कल-पुर्जों की देखरेख है। सही ढंग से देखरेख न सिर्फ ईधन व धन की बचत करता है अपितु दीर्घकालीन अनुरक्षण लागतों को कम करता है। हानिकारक रेचन उत्सर्जनों को न्यूनतम बनाता है। एक सुअनुरक्षित वाहन उस समय भी अधिक विश्वसनीय व मूल्यवान होता है जब आप इसे बेचने जाते है।

यद्यपि सर्विस स्टेशन ही वह स्थान है जहाँ पर वाहन का अवलोकन किया जाता है। मगर ध्यान रहे कि अपने वाहन की सर्विसिंग एक प्रशिक्षित वाहन विशेषज्ञ से ही कराना लाभदायक होता है। लोकल कंपनी के पुर्जों के इस्तेमाल से बचें। कई लोग यूज्ड टायर लगवा लेते हैं। यह सस्ते पड़ते हैं लेकिन कितने सुरक्षित रहेंगे इसका अंदाजा लगाना बहुत मुश्किल है।

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इसके अतिरिक्त बैटरी की जाँच करना, तेल की निरंतर जाँच, तेल को बदलना, विधुतीय प्रणाली की जाँच कुछ ऐसे अपरिहार्य कारक है कि वाहन को अच्छी स्थिति में रखने के लिए जिनकी अनदेखी नहीं की जानी चाहिए। याद रखिये बीच रास्ते में किसी तकनीकी खराबी के कारण हो जाने वाली दुर्घटना को बड़ी आसानी से कार के रखरखाव के माध्यम से ही डाला जा सकता है।

विंडो स्क्रीन व मिरर का ध्यान – अक्सर लोग गाड़ी के पीछे की विंडो स्क्रीन के पास काफी अधिक सामान रख देते हैं, जिस वजह से रियर व्यू मिरर में पीछे से आती गाड़ी दिखाई नहीं देती है। जबकि पीछे से आती हर गाड़ी पर निगाह बनाए रखना सुरक्षित ड्राइविंग के लिए जरूरी है।

साइड मिरर सही से सेट ना हो, तो भी पीछे से आते वाहनों की गति और दूरी का अंदाजा गलत लगता है। बायीं तरफ के साइड मिरर को खासकर सही तरह से सेट करें। पीछे और आसपास के वाहनों पर नजर बनाए रखने के लिए साइड मिरर और रियर व्यू मिरर का पूरा उपयोग करें। वहीं अगर मुड़ना है लेन बदलनी है तो इंडिकेटर की उपेक्षा ना करें।

अनावश्यक चीजों के इस्तेमाल से बचें – बच्चे को गोद में बैठाना, मोबाइल फोन या ऐसी कोई अन्य चीज, जो बार-बार हाथों में उलझे,  उसे ना रखें। साथ ही ड्राइव करते हुए बार-बार कुछ खाना या बोतल से पानी पीने जैसी गलती नहीं करनी चाहिए। आसपास से गुजर रही हर गाड़ी पर ड्राइवर की नजर रहनी चाहिए। गाड़ी बैक करते समय भी पीछे की जगह पर एक बार नजर दौड़ना जरूरी है। ऐसे में आप अचानक ब्रेक लगने की दशा में दूसरे वाहनों से टकराने से बचेंगे। रियल कैमरा लगवाना भी काम आसान करेगा।

ड्राइविंग करते समय निम्न सामान्य बातों का भी विशेष ध्यान रखें –

  • शांत बने रहे और ड्राइविंग पर पूरी तरह ध्यान केंद्रित करें।
  • अनिद्रा अवस्था में ड्राइविंग न करें
  • समय-समय पर या आवश्यकतानुसार रुके /विश्राम करें
  • सुनिश्चित करें कि लंबे सफर से पहले पर्याप्त विश्राम ले।
  • ड्राइविंग करते समय सेल फोन के इस्तेमाल से बचें।
  • यात्रा शुरू करने से पहले यात्रा-योजना बनाएं और उसका अध्ययन करें।
  • वर्षा के दौरान गति कम करें।
  • वाहनों के बीच उचित दूरी बनाकर रखें
  • कम दिखाई देने पर परिस्थिति के अनुसार ध्यानपूर्वक गाड़ी चलाएं।
  • यात्रा के लिए अपने आप को पर्याप्त समय दे।
  • शांत बने रहें और सुरक्षित रूप से गाड़ी चलाएं।
  • रक्षात्मक तरीके से गाड़ी चलाएं।
  • अचानक होने वाली घटना के लिए सुरक्षा उपाय अपनाएं।
  • अपने इरादे जताएं, मोड़ पर सिग्नल आदि का इस्तेमाल करें।
  • यातायात चिन्ह का पालन करें।
  • याद रखें कि आदर्श स्थितियों में गति सीमा एक निर्धारित कानूनी सीमा होती है, परिवर्तनों के लिए स्थान रखें।
  • सिग्नल दें, शीशे देखते हुए सरसरी निगाह डालें।
  • धीरे-धीरे लेन बदले।
  • दुखी अवस्था में गाड़ी चलाने से बचें। क्योंकि यह नशे की अवस्था में गाड़ी चलाने के समान है।
  • प्रत्येक सप्ताह वाहन के रखरखाव की जांच करें।
  • प्रत्येक 15,000 किलोमीटर पर ब्रेक पैड्स बदले।

सड़क सुरक्षा के बारे में पद यात्रियों के लिए सुझाव –

पदयात्री यातायात के सबसे महत्वपूर्ण अंग है लेकिन सड़क पर उनके लिए अधिक जोखिम होता है। सड़क पर सुरक्षित रहने के लिए उन्हें चाहिए कि वह सड़क की संरचनात्मक ढांचागत सुविधाओं का पूरा उपयोग करें। सड़क पार करने के लिए सब-वे, जेब्रा क्रॉसिंग, फुट ओवर ब्रिज का उपयोग करना चाहिए। सड़क पार करने के लिए शॉर्टकट या आसान विकल्प खतरनाक हो सकते हैं और उनका सहारा नहीं लेना चाहिए।

सड़क पर निम्नलिखित सामान्य तरीके आप को सुरक्षित रखेंगे-

  • ध्यान पूर्वक चले। सामने से आ रहे यातायात को देखें। जब आप सड़क पार कर रहे हों तो कभी यह मानकर नहीं चले कि ड्राइवर ने आपको देख लिया है। अपने जीवन की रक्षा आपकी अपनी जिम्मेदारी है।
  • जहां ड्राइवर नहीं देख पाए वहां सड़क पार करने से बचें। सड़क पार करने से पहले यातायात और आपके बीच उपयुक्त फैसला होने का इंतजार करें।
  • डिवाइडर रेलिग्स के ऊपर से कभी भी ना कूदें। आप लडखडाकर वाहनों पर गिर सकते हैं।
  • बच्चों के साथ सड़क पार करते समय उनका हाथ थाम कर रखें। सुबह पैदल सैर और दौड़ने के लिए सड़क के इस्तेमाल से बचें।
  • चढ़ाई या टेढ़ा रास्ता पार करते समय अतिरिक्त सावधानी बरतें। पार्क की गई या खड़ी कारों के बीच से रास्ता पार न करें।
  • सबसे छोटा और सबसे सीधा मार्ग पार करने से सड़क पर आपके समय की बचत होती है।
  • सड़क के खतरों से बच्चे ज्यादा प्रभावित होते हैं। सिर्फ वाहन के ड्राइवर के कारण ही दुर्घटनाएं नहीं होती हैं बल्कि बच्चों की लापरवाही और जागरूकता की कमी से भी सड़क दुर्घटना की संभावना बढ़ जाती है।
  • अत: अपने बच्चे को फुटपाथ पर चलना सिखाएं। उन्हें सबवे, जेब्रा क्रॉसिंग आदि के उपयोग के लिए प्रेरित करें। यदि आप स्वयं सड़क पर सही ढंग से चलते हैं तो आपका बच्चा भी आपका अनुसरण करेगा और यातायात में सुरक्षित रहेगा।

सड़क सुरक्षा संकेतों के नाम एवं प्रकार

सड़क मार्किंग रेखाओं का समूह तथा सड़क की सतह पर प्रिंट किया गया या स्थापित डिजाइन है, जो सड़क यातायात को सुगम बनाता है। या वाहनों की पार्किंग न किए जाने वाले संस्थानों को चिन्हित करने तथा अनेक अन्य महत्वपूर्ण सूचनाएं उपलब्ध कराने में सहायक होता है। सड़कों के ऊपर बनाए गए यह चिन्ह वाहन चालको तथा पैदल चलने वालों को दिशानिर्देश तथा महत्वपूर्ण जानकारी उपलब्ध कराते हैं।

सड़क चिन्हो के लिए सामान्यतः यातायात पेंटों का प्रयोग किया जाता है। इसके अतिरिक्त सड़क पार्किंग के लिए सड़क सट्डस, कोट आई तथा थर्मोप्लास्टिक पट्टियों जैसी अन्य सामग्री का भी प्रयोग किया जाता है। यह चिन्ह सड़क सुरक्षा को संवर्धित करते हैं और यातायात के सुगम प्रवाह को सुनिश्चित करते हैं। तो चलिए जानतें हैं कि भारत में सड़क सुरक्षा के चिन्ह (संकेत) क्या हैं?

सड़क सुरक्षा के चिन्ह (यातायात के संकेत चिन्ह)

भारत में सड़कों को चिन्हित करने के लिए सफेद तथा पीले रंग का प्रयोग व्यापक रूप से किया जाता है। सफेद रंग का प्रयोग सामान्य कैरीजवे (सड़क) चिन्हो के लिए किया जाता है। प्रतिबंधों को दर्शाने के लिए पीले चिन्हो का प्रयोग किया जाता है। सफेद या पीले रंग के साथ काले रंग का प्रयोग किनारों तथा वस्तु को चिन्हित करने के लिए किया जाता है।

मध्य रेखाएं: दो लेन वाली सड़कों के लिए

दो मार्गीय सड़क जिसे किसी प्रकार की रेलिंग संस्थापना द्वारा विभाजित नहीं किया गया है को मध्य रेखा ही विपरीत दिशा से आने वाले यातायात के प्रवाह को अलग करती है और यातायात के संचालन को सुलभ बनाती है। मध्य रेखा निम्नानुसार हो सकती हैः

  • यह एकल खंडित रेखा हो सकती है।
  • एकल निरंतर स्थूल रेखा (बैरियर रेखा) हो सकती है।
  • एक दोहरी स्थूल रेखा या स्थूल रेखा व खंडित रेखा का संयोजन हो सकता है।

एकल तथा दोहरी स्थूल रेखाओं, चाहे वह सफेद हो या पीली हो, क्रॉस नहीं किया जाना चाहिए। और ना ही उसके ऊपर चलना चाहिए। दो मध्य रेखाओं वाली सड़क, जिसमें से एक रेखा स्थूल है और दूसरी विखंडित, पर स्थूल रेखा का महत्व तभी है जब वह संयोजन के बाई ओर है, जिसे कि चालक के द्वारा देखा जा सकता है। ऐसे मामले में, वाहन चालक को सावधान रहना चाहिए कि वह मध्य रेखा को क्रॉस न करें या उसके ऊपर से ना गुजरे।

दोहरी सफेद /पीली रेखाएं

दोहरी निरंतर रेखाओं का प्रयोग वहां किया जाता है जहां दोनों दिशाओं में दृश्यता साफ ना हो। यहां किसी भी दिशा में आने वाले यातायात को मध्य रेखा से क्रॉस करने की अनुमति नहीं होती है।

स्थूल तथा विखंडित रेखाओं का संयोजन

यदि विखंडित रेखा आपकी ओर है तो आप उसे पार कर सकते हैं या उसके ऊपर से निकल सकते हैं या ओवरटेक कर सकते हैं, किंतु ऐसा तभी करना चाहिए जब ऐसा करना पूर्णतः सुरक्षित हो। यदि निरंतर रेखा आपकी ओर है तो आप उसे क्रास या ओवरलैप नहीं कर सकते हैं ।

एकल पीली रेखाः

आप इस रेखा को दाईं ओर मुड़ने या यू टर्न लेने के अतिरिक्त किसी और स्थिति में क्रास नहीं कर सकते हैं।

स्टॉप लाइन

स्टॉप लाइन एक स्थूल रेखा है, जो सड़क पर ज़ेबरा क्रॉसिंग तथा इंटरसेक्शनों से पूर्व आरपार बनी होती है। यह रेखा दर्शाती है कि लाल सिग्नल होने पर या यातायात पुलिसकर्मी द्वारा निर्देश दिए जाने पर सभी वाहनों को इस रेखा से पीछे रुकना है। इस रेखा का उल्लंघन करने से पैदल चलने वालों के संचलन में बाधा उत्पन्न होती है और यातायात प्रबंधन भी अव्यवस्थित हो जाता है।

गिव-वे-

गिव-वे रेखा सामान्यतः दोहरी बिंदुओं से चयनित रेखा है जो जक्शनों पर तिरछी चिन्हित होती है। सामान्यतः सड़क की सतह पर बिंदुयुक्त रेखाओं से पूर्व या मार्किंग के साथ में एक सड़क चिन्ह अंकन द्वारा इन रेखाओं के साथ गिव-वे का उल्टा तिकोन का चिन्ह बना होता है। इसका अर्थ है कि मुख्य पहुंच सड़क पर यातायात को रास्ता दे।

चौडी़ छोर रेखाएं

यह सड़क के छोर पर निरंतर चलने वाली रेखाएं हैं और यह मुख्य कैरिज-वे की सीमा को चिन्हित करती है जहां तक वाहन को चलाना सुरक्षित है।

पार्किंग प्रतिबंधित रेखाएं

“नो पार्किंग” साइन सहित एक स्थूल निरंतर पीली रेखा नो पार्किंग क्षेत्र की सीमा को दर्शाती है।

पैदलपथ क्रॉसिंग

ये वैकल्पिक रूप से काली व सफेद पट्टियां है जो सड़क पर समानांतर रूप में पेंट की जाती है तथा सामान्य रूप से इन्हें ज़ेब्रा क्रॉसिंग कहते हैं। पैदल चलने वालों को केवल इसी बिंदु से सड़क पार करनी चाहिए जब बत्ती ऐसा करने का संकेत दे।

आपको जेब्रा क्रॉसिंग पर अपना वाहन रोककर पैदल चलने वालों को रास्ता देना चाहिए। पैदलपथ क्रॉसिंग का निर्माण पैदल चलने वालों को सड़क पार करने की सुविधा व अधिकार प्रदान करने के लिए किया जाता है।

सड़क सुरक्षा अत्यंत गंभीर चिंता का विषय है। इसलिए भारत सरकार ने सड़क प्रयोक्ताओं के लिए के लिए सड़क सुरक्षा में सुधार करने हेतु अनेक कदम उठाए हैं जिनका विवरण निम्नानुसार है-

  • यह सुनिश्चित किया गया है कि नियोजन स्तर पर ही सड़क सुरक्षा को सड़क अभिकल्प के अभिन्न अंग के रूप में लिया जाए।
  • भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण ने सड़क सुरक्षा में सुधार करने के लिए विभिन्न कदम उठाए हैं जैसे सड़क फर्नीचर, सड़क पार्किंग, सड़क चिन्ह, उन्नत परिवहन प्रणाली का प्रयोग करते हुए राजमार्ग यातायात प्रबंधन प्रणाली आरंभ करना। निर्माण कार्य के दौरान ठेकेदारों में अनुशासन को बनाए रखना। चुनिंदा क्षेत्रों पर सड़क सुरक्षा ऑडिट आदि।
  • असंगठित क्षेत्रों में भारी मोटर वाहन चालकों के लिए पुनश्चर्यो प्रशिक्षण कार्यक्रम चलाया जा रहा है।
  • राज्यों में ड्राइविंग प्रशिक्षण स्कूलों की स्थापना।
  • श्रव्य-दृश्य तथा प्रिंट माध्यमों के द्वारा सड़क सुरक्षा जागरूकता पर प्रचार अभियान।
  • सड़क सुरक्षा के क्षेत्र में उत्कृष्ट कार्य के लिए स्वैच्छिक संगठनों /व्यक्तियों के लिए राष्ट्रीय पुरस्कार की प्रणाली आरंभ करना।
  • वाहनों में सुरक्षा मानकों को और अधिक कड़े बनाना जैसे सीट बेल्ट, पावर स्टीयरिंग, रिवर व्यू मिरर आदि।
  • राष्ट्रीय राजमार्ग दुर्घटना सहायता सेवा योजना के अंतर्गत विभिन्न राज्य सरकारों/गैर सरकारी संगठनों को क्रेने तथा एंबुलेंस उपलब्ध कराना।
  • भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण भी अपने प्रचालन तथा अनुरक्षण संविदाओं के अंतर्गत राष्ट्रीय राजमार्गों पर पूरे किए गए प्रत्येक खंड के लिए 50 किलोमीटर की दूरी पर एंबुलेंस उपलब्ध करा रही है।
  • राष्ट्रीय राजमार्गों को दो लेन से चार लेन से छः करके उन्हें चौड़ा करना व सुदृढ़ बनाना आदि।
  • सड़क सुरक्षा को सामाजिक अभियान बनाने के लिए युवाओं में जागरूकता का प्रचार।

दोस्तों! सड़क सुरक्षा की जरूरत सभी को है चाहे शहर के रहने वाले पढ़े-लिखे अमीर हो या गाँव के गरीब अनपढ़। सड़क सुरक्षा के नियमों की जानकारी और उसका पालन करना न सिर्फ हम सब का कर्तव्य है बल्कि भी धर्म है।

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दोस्तों ! उम्मीद है उपर्युक्त ”सड़क सुरक्षा एवं यातायात के नियम पर निबंध” (Short and Long Essay on Road Safety in Hindi)  छोटे और बड़े सभी लोगों के लिए उपयोगी साबित होगा। गर आपको हमारा यह पोस्ट अच्छा लगा हो तो इसमें निरंतरता बनाये रखने में आप का सहयोग एवं उत्साहवर्धन अत्यंत आवश्यक है। आशा है कि आप हमारे इस प्रयास में सहयोगी होंगे साथ ही अपनी प्रतिक्रियाओं और सुझाओं से हमें अवगत अवश्य करायेंगे ताकि आपके बहुमूल्य सुझाओं के आधार पर इस निबंध को और अधिक सारगर्भित और उपयोगी बनाया जा सके।

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Babita Singh
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