Exam me Likhne Ka Tarika | पेपर में लिखने का तरीका | Likhne ka Sahi Tarika | परीक्षा में प्रश्न उत्तर कैसे लिखें?

Exam me Likhne Ka Tarika – कमल ने साल भर दिन रात मेहनत की, सब कुछ याद किया और उसके पेपर भी अच्छे हुए, लेकिन जब परीक्षा परिणाम आया तो जितनी उसे उम्मीद थी, उतने अच्छे अंक नहीं आए। ऐसे में उसका दुखी होना स्वाभाविक था। कमल की तरह बहुत से छात्र छात्राओं ने परीक्षा में सभी निर्धारित प्रश्न सही हल किए होते हैं, लेकिन फिर भी उन्हें कम नंबर मिलते हैं।
तो विद्यार्थियों होता ये है कि परीक्षा में लिखावट का बहुत अधिक महत्व है। सुंदर, सुघड़ और मोती जैसे अक्षर आपकी लिखावट में चार चांद लगा देते हैं और परीक्षक का दिल जीत लेते हैं। यदि कापी खोलते ही परीक्षक को सुंदर लिखावट के दर्शन होते हैं, तो वह दिल खोलकर नंबर देता है। इसके विपरीत गंदी, भद्दी, स्पष्ट लिखावट देखकर उसका माथा ठनकता है और वह बिना पढ़े ही ‘पासिंग मार्क्स’ भर दे देता है।
अब फैसला आपके हाथ में है कि आप क्या चाहते हैं, मेरिट में आना या सिर्फ पासिंग मार्क्स पाना। यदि मेरिट में आने हेतु तैयारी कर रहे हैं तो पूर्ण पाठ्यक्रम को तैयार करने के साथ-साथ परीक्षा में लिखने के तरीके को भी महत्वपूर्ण समझ कर तैयारी करें, यही आप के लिए हितकर रहेगा।
लिखावट को सुधारना अथवा बिगाड़ना व्यक्ति पर निर्भर है। लिखावट को सुंदर बनाने के लिए कोई जादू की छड़ी नहीं आती है। यह तो लगातार अभ्यास करने से ही निखरती है। लेकिन कुछ गलत आदतें जो अक्सर छात्र ध्यान में नहीं रखते है; फलस्वरूप वे परीक्षा में अच्छे मार्क्स लाने से चूक जाते हैं यथा –
आड़ी तिरछी लिखावट – बहुत से विद्यार्थी आड़ा तिरछा लिखते हैं। यद्यपि उत्तर पुस्तिकाओं में लाइनें खींची होती हैं। फिर भी उनकी लिखावट आड़ी तिरछी हो जाती है। कुछ तो हिंदी लिपि को भी अंग्रेजी लिपि की तरह लाइन के ऊपर लिखते हैं। कुछ शब्दों पर शिरोरेखा खींचते हैं, तो कुछ नहीं।
बहुत छोटे या बारीक शब्द लिखना – इसी तरह कुछ बहुत ही छोटे या बारीक शब्द लिखते हैं, तो कुछ बहुत ही बड़े। कुछ छात्र-छात्राएं शब्दों में मात्राएं इस तरह से लगाते हैं कि पता ही नहीं चलता कि मात्रा किस अक्षर पर लगी है। इसी तरह कुछ व्याकरण की दृष्टि से शब्द या मात्रा को सही नहीं लिखते, जिससे अर्थ का अनर्थ हो जाता है।
जैसे ‘मुद्रा’ को ‘मुर्दा’ लिखना। अब यदि ‘मुद्रा का अर्थशास्त्र’ लिखना हो तो वह ‘मुर्दा (शव) का अर्थशास्त्र’ बन जाता है। कई बार छोटी या बड़ी इ की मात्रा से शब्द का अर्थ बदल जाता है। जैसे, दिन और दीन। इसमें पहले शब्द का अर्थ समय से है और दूसरे का गरीब से।
अनावश्यक काटा पीटी – बहुत से छात्र-छात्राएं लिखते समय सफाई का कतई ध्यान नहीं रखते। उनकी लिखावट में अनावश्यक काटा पीटी अथवा ओवर राइटिंग होती है जो सारा प्रभाव शून्य कर देती है। ज्यादातर विद्यार्थी वस्तुनिष्ठ प्रश्न यानी ऑब्जेक्टिव टाइप के प्रश्नों के उत्तरों में काटा पीटी ज्यादा करते हैं। संभवतः इसका कारण उनके आत्मविश्वास की कमी होती है। कई बार सही होते हैं, लेकिन दूसरों की नकल करने के चक्कर में उसे काटकर गलत उत्तर लिख देते हैं।
विराम या पैराग्राफ की अनदेखी – उन परीक्षार्थियों की भी कोई कमी नहीं है, जो उत्तर पुस्तिका के पहले पृष्ठ की पहली पंक्ति से जो लिखना शुरू करते हैं, तो बिना विराम या पैराग्राफ बनाए सारे प्रश्नों के उत्तर लिख देते हैं। उनका कहां पहला प्रश्न खत्म हो गया, पता ही नहीं चलता। ना तो भी बीच में कोई लाइन खींचते हैं और ना ही नया प्रश्न अगले प्रश्न से शुरू करते हैं। उनकी इस आदत से कई बार प्रश्न परीक्षक की नजर से छूट जाते हैं, इसमें नुकसान छात्र का ही होता है।
स्वच्छता का ध्यान – कुछ विषयों के प्रश्न पत्र में रेखा चित्र बनाने होते हैं। रेखागणित, अर्थशास्त्र और विज्ञान विषयों में तो रेखाचित्रों, जीव-जंतुओं और पेड़ पौधों के चित्र बनाने होते हैं। बहुत से परीक्षार्थी इन्हें बनाते समय स्वच्छता का ध्यान नहीं रखते। बार-बार रबर से मिटा कर उस स्थान को काला पीला कर देते हैं, ऐसे में कम नंबर मिलते हैं।
एक-एक लाइन छोड़कर लिखना – बहुत से विद्यार्थी एक लाइन में दो या तीन शब्दों से ज्यादा नहीं लिखते। इससे भी एक कदम आगे विद्यार्थी होते हैं, जो एक-एक लाइन छोड़कर लिखते हैं। इससे उनके पृष्ठ भले ही ज्यादा भर जाते हों, लेकिन पढ़ने में बड़ा अटपटा लगता है और परीक्षा किस बात को ताड़ जाता है कि जानबूझकर अधिक पृष्ठ भरने के लिए ऐसा किया गया है।
निबंध को भी कविता की तरह लिखना – इसी प्रकार कुछ परीक्षार्थी निबंध को भी कविता की तरह लिखते हैं यानी दोनों तरफ से 4-4 इंच का हाशिया छोड़ देते हैं। इस तरह 8 इंच जगह तो हाशिए में निकल गई। अब बच्ची 4 इंच। इन 4 इंच के भीतर वे कविता की तरह प्रश्नों के उत्तर लिखते हैं। इसी प्रकार उन छात्रों की भी कमी नहीं है, जो बनने के केवल एक ही और उत्तर लिखते हैं और उसके पीछे का पृष्ठ का खाली छोड़ देते हैं। यह सभी आदतें गलत हैं। इन्हें छोड़ना चाहिए।
जिन विद्यार्थियों की लिखावट ठीक नहीं होती है, उनकी कापियों को पढ़ पाना परीक्षक के लिए मुमकिन नहीं होता, फिर चाहे उन्होंने उत्तर सही ही क्यों ना लिखे हो। जब लिखे हुए को पढ़ पाना ही मुमकिन न हो तब परीक्षक खीज कर अंदाज से थोड़े बहुत अंक दे देता है। इसलिए लिखने के बाद उसे स्वयं पढ़ कर देखें कि क्या आप उसे स्वयं भी पढ़ पा रहे हैं? यदि नहीं, तो परीक्षक कैसे पढ़ेगा। कोशिश करने से क्या नहीं हो सकता। बस आप लिखने में जल्दबाजी न करें। धैर्य से काम लें।
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बबिता जी , सही समय पर आपने यह आर्टिकल लिखा है , क्योकि इस समय स्टूडेंट इसी बात को लेकर परेशान रहते है । कि एग्जाम में मार्क्स अच्छे कैसे आये ।
स्टूडेंड सिर्फ चीजो को याद करने में लगे रहते है ।जबकि लिखेंगे के तारीखे भी scoring में काफी योगदान करते है ।