‘जो गरजते हैं, वे बरसते नहीं’ मुहावरे पर कहानी – Jo Garajte Woh Baraste Nahi Story In Hindi

‘जो गरजते हैं, वे बरसते नहीं’ बादलों पर आधारित यह उक्ति मानव-जीवन में कितनी सार्थक है। जब बादल आसमान में उमड़ते-घुमड़ते, गरजते हैं तो ऐसा लगता है सारी पृथ्वी ही डूब जाएगी, परंतु ऐसा होता नहीं। ये बादल गर्जना करके आसमान में ना जाने कहाॅं गायब हो जाते हैं।
संसार में बादलों की तरह गरजने वाले बड़बोले मित्रों का भी यही हाल होता है। कुछ लोगों की कथनी और करनी में जमीन और आसमान का अंतर होता है। ‘सर्वधर्म समभाव’ की बात करने वाले, मनुष्य-मनुष्य में अंतर ना समझने वाले लोगों के आचरण को देखने पर मन खिन्न हो उठता है।
इन सब बातों को सोचते हुए याद आता है- रहीम एक साधारण कद-काठी का व्यक्ति था। उस का रहन-सहन आम भारतीय की तरह था। उसने अपने परिश्रम के बल पर अपनी प्रतिभा को निखारा और अंततः भारतीय प्रशासनिक सेवा की अखिल भारतीय परीक्षा में प्रथम स्थान प्राप्त किया धीरे-धीरे वह भारत के एक महत्वपूर्ण विभाग का सचिव बन गया। उसके भीतर का परिश्रमी व ईमानदार पुलिस सदैव सजग रहा। आज के समय की बुराइयॉं उससे कोसों दूर रहीं। किसी प्रकार का लालच उसे उसके लक्ष्य से डिगा न सका।
रहीम का ही एक अन्य सहपाठी भी उसके साथ ही भारतीय पुलिस सेवा में चुना गया था। उसका नाम एंथनी था। दोनों ने प्रारंभिक प्रशिक्षण साथ-साथ पाया था। एंथनी सदैव रहीम से कहता कि हम दोनों दो शरीर जरूर हैं परंतु आत्मा एक है।
एक दिन ऐसा आया कि एंथनी की मित्रता की पोल ही खुल गई। रहीम और एंथनी का स्थानांतरण एक ही स्थान पर हो गया। रहीम ने अपनी जिम्मेदारियाॅं निभाते हुए कुछ ऐसे निर्णय लिए, जिसके कारण उस स्थान के अपराध जगत के कुख्यात लोगों को सजा हो गई। लेकिन एंथनी की उन लोगों से मिली-भगत थी। इसलिए बाहर से वह रहीम का साथ देने का नाटक करता रहा परंतु भीतर ही भीतर रहीम हर कदम की जानकारी अपराधियों के मुखिया को देता रहा।
बस एक दिन रहीम की पुत्री का अपहरण हो गया। रहीम ने अपने मित्र से तत्काल सहायता माॅंगी। लेकिन एंथनी जान-बूझकर तत्काल ही लंबे अवकाश पर चला गया और जाते-जाते अपने अधीनस्थ कर्मचारियों को आदेश देता गया कि रहीम की रिपोर्ट तक ना लिखी जाए। रहीम ने अपने उच्च अधिकारियों से संपर्क किया, और उसकी पुत्री की रिहाई हो गई किंतु आज रहीम की आंखें खुल चुकी थीं। दोस्ती की गरज-गरज कर दुहाई देने वाले एंथनी का कहीं पता न था। रहीम ने अपनी पुत्री को गले लगाते हुए आंसू पोंछे और उसके मुंह से यही निकला- “जो गरजते हैं…..
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