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धूम्रपान निषेध पर निबंध – Smoking Is Injurious To Health in Hindi

धूम्रपान स्वास्थ्य के लिए हानिकारक (Smoking Is Injurious To Health in Hindi)

Smoking Is Injurious To Health in Hindi
Smoking Is Injurious To Health in Hindi

स्वास्थ्य पर धूम्रपान का प्रभाव

Smoking Is Injurious To Health in Hindi – दोस्तों ! नशे की श्रेणी के प्रमुख पदार्थ बीड़ी, सिगरेट, हुक्का या चिलम, चुरुर आदि तंबाकू के धुऍं को पीना धूम्रपान कहलाता है। सिद्धांततः धूम्रपान करना गलत है। यह व्यक्ति के जीवन को हर तरह से बर्बाद कर देता है। यह पदार्थ मात्र पीने वालों के लिए ही हानिकारक नहीं है अपितु आसपास बैठे रहने वालों के लिए भी उतनी ही हानिकारक है। इतना ही नहीं इसका हानिकारक प्रभाव समाज पर भी पड़ता हैं।

यही कारण है कि इस पदार्थ को दुनिया के अधिकतर देशों द्वारा अवैध माना जाता है। पर अफ़सोस धूम्रपान का सेवन अवैध है, यह जानते हुए भी बहुतों द्वारा सुर्तो, जर्दा, खैनी आदि कच्चे रूप में तंबाकू खाई जाती है। आजकल पाउच में जर्दा व चूना खाने का अत्यधिक प्रचलन है। कच्चे तंबाकू का सेवन तो धूम्रपान से भी खराब है। धूम्रपान के अत्यधिक बोझ को तंबाकू के उपयोग को बढ़ाने के लिए जिम्मेदार ठहराया जा सकता है। सभी आयु वर्ग के लोगों को बहुत सारी बीमारियों से प्रभावित करने वाला मुख्य जोखिम का कारण तंबाकू ही हैं।

डब्ल्यूएचओ के एक आंकड़े के अनुसार, अकेले भारत में तंबाकू का सेवन करने वाले लगभग छह लाख लोगों की मृत्यु प्रतिवर्ष होती हैं। इन मौतों के परिणामस्वरूप लगभग पांच लाख मौतों का प्रत्यक्ष कारण तंबाकू का सेवन हैं, जबकि अप्रत्यक्ष तंबाकू के सेवन के परिणामस्वरूप साठ लाख लोगों की मृत्यु होती हैं। तंबाकू के कारण हर छह सेकंड में एक व्यक्ति की मृत्यु हो जाती हैं। तंबाकू का सेवन करने वाले लोग तंबाकू से संबंधित रोगों द्वारा सामान्यत: मृत्यु को प्राप्त हो जाते हैं।

तंबाकू में जो निकोटिन होता है वह मार मारात्मक विष है। यह विष जब धुऍं के साथ फेफड़ों में संग्रहित होता है तब समूचे फेफड़े विषाक्त हो जाते हैं। फेफड़ों द्वारा विषाक्त ऑक्सीजन से रक्त विषैला हो जाता है। इससे मंदाग्नि, अजीर्ण, हृदय की दुर्बलता, हृदय शूल स्पंदन, लकवा, स्नायविक दुर्बलता तथा फेफड़े, मुंह व श्वास नली का कैंसर आदि भयंकर रोग हो जाते हैं। तम्बाकू के अत्यधिक सेवन से पेट में घाव, यक्ष्मा, मूत्र यंत्र के रोग, मानसिक दुर्बलता व मस्तिष्क और स्नायु के विभिन्न रोगों के उत्पन्न होने का भी खतरा बना रहता है

तंबाकू में मौजूद सबसे शक्तिशाली तथा अत्यधिक हानिकारक तत्व 

तंबाकू के धुएं में 4000 के लगभग रासायनिक तत्व होते हैं जिसमें निकोटीन, मोनोऑक्साइड स्वास्थ्य के लिए अत्यधिक हानिकारक हैं। इसके अतिरिक्त इसमें मौजूद हाइड्रोजन, सायनाइड, अमोनिया, यूरिथेन, आसेनिक, फिनोल, नेपथालीन, कैडमियम इत्यादि जैसे तत्व शरीर के लिए कई रोगों का आमंत्रण हो सकते हैं। कई शोधों में यह प्रमाणित हो चुका है कि धूम्रपान से फेफड़ों का कैंसर, गले का कैंसर, मुंह, किडनी, ब्लैडर, पैंक्रियाज और पेट में कैंसर का रिस्क अधिक होता है। स्वास्थ्य की दृष्टि से देखा जाए तो ये रासायनिक तत्व विभिन्न बिमारियों को आमंत्रण देता है।

निकोटिन- यह हृदय और रक्त वाहिनियों को प्रभावित करता है। यह बहुत तेज विष है जो हाइड्रोसैनिक एसिड के सामान अचानक शीघ्र ही जीवन नष्ट कर देता है। यह नशीला पदार्थ है जिसके कारण व्यक्ति तंबाकू पीने का आदी हो जाता है। निकोटीन हृदय के लिए हानिकारक है, इससे रक्तनलियॉं सिकुड़कर सख्त हो जाती हैं और उन में बुढ़ापा आ जाता है। यह नब्ज की गति को बढ़ाता है, फेफड़ों में घाव तथा फेफड़ों को झुलसा देता है। इसके अत्यधिक सेवन से दिल दिमाग की दुर्बलता तथा स्नायुओं की शक्ति घटती है।

कार्बन मोनो ऑक्साइड- कार्बन मोनो ऑक्साइड रक्त में लेकर जाने वाली ऑक्सीजन की मात्रा को कम कर देता हैं। यह सांस लेने में तकलीफ़ का कारण बनता है।

कोलिडीन- इस पदार्थ से तंबाकू में गंध पैदा होती है। इसको कुछ सेकंड सुॅंघने से स्नायु दुर्बलता, सिर चकराना आदि रोग हो जाते हैं।

कार्बन मोनोक्साइड- यह जहरीली गैस रक्त के लिए विषैली है, यह रक्त में ऑक्सीजन ले जाने की क्षमता को कम कर लाल कण में प्रवेश करती है। इसकी अधिक मात्रा पुतलियों को फैला देती है तथा नेत्रज्योति को घटा देती है। इसके प्रभाव से सिरदर्द, चक्कर आना, ठंडा पसीना, ठंडा बदन, मूर्छा तथा पक्षाघात उत्पन्न होते हैं।

फरफुला- यह मस्तिष्क की नाड़ियों को हानि पहुंचाता है। इसके प्रभाव से मानसिक रोगों से ग्रस्त हो जाते हैं।

एक्रोलीन- यह मानव शरीर पर अपना प्रभाव फैलाने में सबसे भयानक द्रव्य है। इससे चिड़चिड़ापन आ जाता है।

टार – टार एक गहरे भूरे रंग का चिपचिपा अवशेष हैं, जिसमें बेन्जोपाइरीन होता है, जो कि घातक कैंसर होने वाले “कारक एजेंटों” के नाम से जाना जाता हैं। 

मार्श गैस- इससे ब्रम्हचर्य नष्ट होकर नपुंसकता आ जाती है।

अन्य यौगिकों में कार्बन डाइऑक्साइड, नाइट्रोजन ऑक्साइड, अमोनिया, अस्थिर नाइट्रोस्माइंस, हाइड्रोजन साइनाइड, अस्थिर सल्फर युक्त यौगिकों, अस्थिर हाइड्रोकार्बन, एल्कोहल, एल्डीहाइड और कीटोन शामिल हैं। इन यौगिकों में से कुछ यौगिकों को शरीर के विभिन्न अंगों में होने वाले कैंसर के कारणों के लिए जाना जाता है।

“तंबाकू” सेवन के घातक परिणाम 

धूम्रपान स्वास्थ्य को दीमक की तरह चाट जाता है। इससे रक्त की रोग प्रतिरोधक शक्ति, एकाग्रता व सहनशक्ति क्षीण हो जाती है। गुर्दे खराब हो जाते हैं। स्त्री धूम्रपान करती है तो बंध्या हो जाती है। यदि बच्चे इसका सेवन करते हैं तो उनका विकास रुक जाता है। गर्भावस्था में धूम्रपान से शिशु जन्मजात हृदय रोगी होता है। धूम्रपान का धुआं जिन पेड़ पौधों पर लग जाता है वह मुरझा जाते हैं तथा उनकी वृद्धि रुक जाती है। “एक जलती सिगरेट उतनी ही जीवनदायिनी ऑक्सीजन पी जाती है जितनी चार व्यक्तियों को उतने ही समय के लिए पर्याप्त हो।” इससे स्वच्छ वायु प्रदूषित होती है। धूम्रपान करने वालों के पास बैठने वालों तथा घर में रहने वालों सभी के लिए हानिकारक है।

भारत को तंबाकू मुक्त करने की पहल

इस महत्वपूर्ण पहल के तहत, भारत में तम्बाकू नशा उन्मूलन क्लिनिक की स्थापना की गई हैं। वर्ष 2001-02 के दौरान, उपयोगकर्ताओं द्वारा तंबाकू का सेवन छोड़ने के साथ-साथ कैंसर के उपचार हेतु अस्पतालों, मनोरोग अस्पतालों, मेडिकल कॉलेजों और  गैर सरकारी संगठनों आदि हेतु देश भर के 12 राज्यों में 13 तम्बाकू नशा उन्मूलन क्लिनिक स्थापित किए गए थे। सरकार द्वारा वर्ष 2011 में तम्बाकू निर्भरता उपचार हेतु राष्ट्रीय दिशानिर्देशों को प्रसारित किया गया तथा तम्बाकू नशा उन्मूलन में स्वास्थ्य पेशेवरों के प्रशिक्षण की सुविधा को सुगम बनाया गया हैं।

राष्ट्रीय तंबाकू नियंत्रण कार्यक्रम

राष्ट्रीय तंबाकू नियंत्रण कार्यक्रम का शुभारंभ वर्ष 2007-08 में तंबाकू के सेवन के हानिकारक प्रभाव और तम्बाकू नियंत्रण कानून के बारे में अधिक से अधिक जागरूकता प्रसारित करने के साथ-साथ तंबाकू नियंत्रण कानून के प्रभावी क्रियान्वयन की सुविधा के लिए स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय, भारत सरकार मंत्रालय द्वारा किया गया। राष्ट्रीय तंबाकू नियंत्रण प्रकोष्ठ (एनटीसीसी) समग्र नीति निर्माण, योजना, निगरानी और मूल्यांकन की विभिन्न गतिविधियों हेतु उत्तरदायी हैं। राष्ट्रीय स्तर पर जागरूकता प्रसारित करने और व्यवहार में परिवर्तन लाने हेतु जन-जागरूकता/जनसंचार अभियान की योजना बनाई गई है। साथ ही यह भी सुझाया गया कि धूम्रपान का सार्वजनिक विज्ञापन बंद करना चाहिए। सिनेमाघर, अखबार, बच्चों की पाठ्य पुस्तकों में धूम्रपान से होने वाली हानियों से संबंधित लेख व कहानियां देनी चाहिए।

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Babita Singh
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