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गणतंत्र दिवस पर भाषण – Speech On Republic Day In Hindi

Republic Day : Best Speech On Republic Day for Principal, Teacher & Students In Hindi

Republic Day Speech In Hindi - Bhashan
Republic Day Speech In Hindi – Bhashan

गणतंत्र दिवस पर छात्र का भाषण (Short Speech On Republic Day for Students In Hindi)

वंदे मातरम ! इस सभागार में उपस्थित सभी गणमान्य अथिति, आदरणीय प्रधानाचार्य, अध्यापक और प्यारे साथियों को मेरा नमस्कार । जैसा कि आप सबको ज्ञात है, आज हम यहाँ स्वतंत्र भारत के 74वे गणतंत्र दिवस के उपलक्ष्य में राष्ट्र को नमन करने के लिए एकत्रित हुए है ।

हमारे लिए यह परम गौरव की बात है कि ऐसे राष्ट्रीय पर्व सचमुच हमें याद दिलाते हैं कि हम सब विश्व के सबसे बड़े प्रजातंत्र देश में एक है और स्वतंत्र है। गणतंत्र प्रजातंत्र का ही एक स्वरुप है। आप में कोई ऐसा है जो प्रजातंत्र में नहीं रहना चाहता ? खुद प्रजातंत्र में रहने के साथ आप सभी यह भी अवश्य चाहते होंगे कि आपका परिवार, सगे सम्बन्धी, परिचित, देश, समाज सभी प्रजातंत्र में रहें तो अच्छा है। गणतंत्र अथवा प्रजातंत्र की परिभाषा है जिसमें राजकीय सुविधाओं के लिए सब सामान हों।

प्राचीन भारत में ऋषियों ने इसके लिए एक नारा भी दिया था, “वसुधैव कुटुम्बकम्” का अर्थात सभी को एक कुटुंब के रूप में रहना चाहिए। अत: हम सब को मिल बाटकर खाना चाहिए और हिल – मिलकर रहना चाहिए और यह तभी संभव होगा जब इस बात को जन जन समझेगा। हमारे देश के गणतंत्र ने भी अहिंसा, प्रेम, समानता और भाईचारे को ही अपनाया है।

मनुष्य चैन से रहें और दूसरों को भी चैन से रहने दे। स्वयं खाए, प्रगति करे तथा दूसरों को भी खाने दे तथा प्रगति करने दे। व्यक्ति हँसे तथा दूसरों को भी हँसने दे। वह स्वयं खिले और दूसरों को भी खिलने दे। व्यक्ति जिए और दूसरों को भी जीने दे। यही वह सिद्धांत है जिसे गणतंत्र कहते है।

इस सिद्धांत को आसानी से ग्रहण करने के लिए ही डॉ. भीमराव अम्बेडकर की अध्यक्षता में सात सदस्यों की कमेटी ने सन 1950 की 26 जनवरी को संविधान के रूप में एक ऐसी जबरदस्त ताकत दिया जो हमें मजबूर करती है कि हम मिल – जुल कर रहे और मिल – जुल ही खाना खाए। इसके अलावा अन्यत्र कोई रास्ता नहीं है। वास्तव में हम सब के लिए यह एक गौरवशाली और महत्वपूर्ण दिन है।

आज ही वह महत्वपूर्ण दिवस है जब हमें नया और अपना संविधान मिला था। इस दिन की अपनी एक गौरवमयी गाथा और महत्व है। दरअसल हमारे देश की सदियों की परतंत्रता की बेडियां तो वास्तव में 15 अगस्त, 1947 को टूटी और भारत अंग्रेजी शासन से मुक्त हुआ, लेकिन आजादी के बाद भी हम पूर्ण रूप से स्वतंत्र न थे क्योंकि हमारा कोई अपना संविधान न था ।

इस प्रकार भारत को गणतंत्र बनाने के लिए जो नया और अपना संविधान बना उसके निर्माण में ढाई वर्ष लग गए और जब हमारा संविधान बनकर तैयार हो गया तो उसे सन 1950 की 26 जनवरी को इस देश में लागू किया गया ।

इस संविधान में सर्वोच्च संवैधानिक सत्ता के रूप में राष्ट्रपति का पद भी बनाया गया था जो स्वतंत्र भारत के संविधान के अनुसार भारत का सर्वोच्च शासक राष्ट्रपति के नाम से पुकारा जाने लगा एवं संविधान में भारत को सर्वप्रभुतासपन्न लोकतंत्रात्मक गणराज्य भी घोषित किया गया । इस प्रकार की शासन व्यवस्था से भारत संसार का सबसे बड़ा स्वतंत्र गणतंत्र राज्य बन गया ।

चूकी स्वतंत्रता के बाद भारत के ऐतिहासिक संविधान का निर्माण 26 जनवरी 1950 का दिन होने के कारण से इस दिन का महत्व और भी बढ़ गया और तब से इसके महत्व को सम्मानित करने और ऐतिहासिक स्वतंत्रता को याद करने के लिए प्रत्येक वर्ष इस दिन को ‘गणतंत्र दिवस’ के नाम से एक राष्ट्रीय पर्व के रूप में बड़ी धूम – धाम से सारे देश में, विशेषत: राजधानी दिल्ली में मनाते है ।

आज सम्पूर्ण विश्व में हिंसा, द्वेष, प्रतिहिंसा और अपहरण तथा शोषण की भावना ने घर कर लिया है। हमारे देश के गणतंत्र ने इन दूषित एवं कुत्सित भावनाओं से पृथक रहकर हमेशा अहिंसा, प्रेम, समानता और भाईचारे को अपनाने के लिए प्रोत्साहित किया है। इस समारोह में एकत्रित होकर ‘गणतंत्र दिवस’ मनाने का हम सब का एकमात्र उद्देश्य देश के नागरिकों को स्वतंत्रता को सदैव बनाए रखने की प्रेरणा देना है ताकि देश में विभिन्नताओं में एकता, सहयोग, अहिंसा, प्रेम, समानता, भाईचारे की भावना में वृद्धि हो सके । 

हम सब को यह राष्ट्रीय पर्व राष्ट्रीय स्वतंत्रता – प्राप्ति आंदोलन में किए गए संघर्षों और बलिदानों की भी याद दिलाता है और स्वतंत्रता हर मूल्य पर बनाए रखने की प्रेरणा देता है । यह दिवस हमारी राष्ट्रीय चेतना का प्रतीक है । इसमें संदेह नहीं कि इस समय हमारे गणतंत्र के सामने अनेक कठिनाइयां हैं, किन्तु जो लक्षण दिखाई दे रहे हैं, उनसे यह स्पष्ट है कि हमारा राष्ट्र एक दिन विश्व में अवश्य अग्रणी होगा । जय हिन्द जय भारत ।

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