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नववर्ष पर कविता – Happy New Year Poem In Hindi

नववर्ष पर कविता

Happy New Year Poem In Hindi - Kavita
Happy New Year Poem In Hindi – Kavita

नन्हे पाँव

नन्हे नन्हे पांव से
आ रहा है
नव वर्ष
अतीत की स्मृतियां
वर्तमान का सुख
और
भविष्य की उज्जवल
कामनाओं के संग
सुनहरे अर्श का
सुनहरा स्पर्श करवा रहा है
नव वर्ष
हो हर्ष – सर्वत्र उत्कर्ष
नव तरंगों से नव उमंगों से
नव युग में नव आधार धर
नव श्रृंगार कर रहा है नव वर्ष

आया नया साल

झिलमिल सितारे ले के
आया नया साल
सुबह सवेरे स्वर्ण पथ पे
आया नया साल

उज्जवल भविष्य की
स्वर्णिम कामनाएं
सपने साकार करने
आया नया साल

यादों के रथ पे
अतीत से चल के
नव अंकुर नव पल्लव
भविष्य की बहारें ले के
आया नया साल

नव प्रीत – नव प्रात –
नव आस नव उच्छवास
नव ऊर्जा नव खुशियाँ ले के
आया नया साल

रिमझिम के तराने ले के
आया नया साल
प्यार का संदेशा ले के
आया नया साल

नव उत्कर्ष

अभिनन्दन है नव वर्ष तुम्हारा
नव स्वागत है नव वर्ष तुम्हारा
उज्जवल उच्च आकांक्षाओं को छूता
सुन्दर सुनहरी हो भविष्य सारा

नव उमंगों से नव तरंगों से
नव मधुबन सज जाये सारा
प्रेम ऐकता व शांति की चले
हर दिल में इक अमृत धारा

नव वर्ष की नव वेला में
नव युग का आधार बने
नव जीवन में नव श्रृंगार हो सदा
नव हवाओं में मेहनत का नव जोश हमारा

नव सूरज हो नव किरण हो
नव धरती हो नव अम्बर हो
नव अर्श हो नव फर्श हो
नव उत्कर्ष में नव हर्ष हो हमारा

नए साल का नया सवेरा

नए साल का, नया सवेरा,
जब, अंबर से धरती पर उतरे,
तब शांति, प्रेम की पंखुड़ियां,
धरती के कण-कण पर बिखरे,

चिड़ियों के कलरव गान के संग,
मानवता की शुरू कहानी हो,
फिर न किसी का लहू बहे,
ना किसी आंख में पानी हो,

शबनम की सतरंगी बूंदे,
बरसे घर-घर द्वार,
मिटे गरीबी भुखमरी,
नफरत की दीवार,

ठंडी-ठंडी पवन खोल दे,
समरसता के द्वार,
सत्य, अहिंसा और प्रेम,
सीखे सारा संसार,

सूरज की ऊर्जा में किरणें,
अंतरमन का तम हर ले,
नई सोंच के नवप्रभात से,
घर घर मंगल दीप जलें।

सुख की हवा

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छलकते हुये छलक गया
बीता हुआ वर्ष
सुख दुख से भरा रहा था
वो प्यारा अमृत क्लश
गिरा जो मोती
उसका धरा पर
चमकता हुआ निकल आया नव वर्ष
अभी कली है
फिर फूल बनेगा
गुनगुनाता हुआ दिल में उमंग लेकर
झूम कर खिल आया है नव वर्ष
अतीत के स्मृतियों से
नन्हे पंख फैला कर
दे गया सुख की हवा नव वर्ष

नव वर्ष की मंगल कामनायें।

नव वर्ष की मंगल कामनायें।
चिड़ियों के शोर को,
अमुआ के मौर को
कोयल की कूक को,
यादों की हुक को
नव वर्ष की मंगल कामनायें।

बिंदिया और चोटी को,
प्यारी सी बेटी को,
पगड़ी के हूनर को,
चोली और चूनर को,
नव वर्ष की मंगल कामनायें।

पॉवों की धूल को,
हर नन्ही फूल को,
राग रंग मस्ती को,
गरीब की हस्ती को,
नव वर्ष की मंगल कामनायें।

गर्म सर्द हवाओं को,
दर्द और दुवाओं को,
चूल्हे की हस्ती को,
भूख की मस्ती को,
नव वर्ष की मंगल कामनायें।

चक्की और चरखे को,
हाथ के करघे को,
हल और कुदाली को,
प्यार और गाली को,
नव वर्ष की मंगल कामनायें।

बच्चों और फूलों को,
हंसी और शूलों को,
तैरते सपनों को,
पराये और अपनों को,
नव वर्ष की मंगल कामनायें।

नव श्रंगार

नव वर्ष की नव वेला में
नव जीवन का श्रृंगार करो
नई उमंगों से नई तरंगों से
इक नवयुग का आधार धरो

आओ मेहनत को अपना ईमान बनायें
नई खोज से नये जोश से
देश नया बनाये
नई उम्मीदों से नई योजनाओं से
इक नया आविष्कार करो

नव वर्ष आयेगा हर वर्ष आयेगा
स्वागत का फर्श तैयार करो
मुबारक हो जायेगा नव वर्ष
रौशन देश का नाम करो

नव किरण

बेटी को पढ़ने दो
बेटी को पढाओ
बेटी की झोली में
विध्या का धन
जो भर जायेगा
नव वर्ष आयेगा

जब दहेज की वेदी में
बहु कोई न जलेगी
जब बेटी बेटे में
कोई अंतर न आयेगा
जब हर निर्भया की
सुरक्षित नव किरण
नव सूरज लायेगा
नव वर्ष आयेगा

रिश्वत का व्यापार न होगा
जब कोई भ्रष्टाचार न होगा
स्वार्थ के रावण को
जब ईमान का बाण लग जायेगा
नव वर्ष आयेगा

जब हरा भरा वातावरण होगा
जब स्वच्छ पर्यावरण होगा
जब सब का रोजगार होगा
जब महंगाई का बादल छट जायेगा
नव वर्ष आयेगा

जब खेतों में विकास की
फसल से देश लहरायेगा
जब हर इंसान खुशी का
झंडा दिल में लगायेगा
जब भारत राष्ट्र उत्कर्ष में
विश्वगुरू बन जायेगा
तब ………

नव सूरज नव किरण की
नव सुबह लायेगा
नव अर्श आयेगा
नव हर्ष आयेगा
नव वर्ष आयेगा

नव अर्श पे

कदम कदम बढ़ाये जा……2
धरती है भारत की ये
मेहनत के मोती उगाये जा
इस पावन माटी में
सपने सच तू बनाये जा
कदम कदम ………

ये ऋषि मुनियों का जहां
अन्नदाता अन्नपूर्णा
सफलता और उन्नति की राह में
पसीना खूब बहाये जा
सोना उगा के फिर यहाँ
सोना तू खूब पाये जा
कदम कदम………

रत्नों की खान है
ये महान हिन्दुस्तान है
सागर है हर दिल दरिया
गागर भर के प्रेम पाये जा
कदम कदम……

त्यौहार नव वर्ष का ये
मनाता रहे हर कोई
गीत खुशियों के सदा
गाता रहे हर इंसां ये

रौशन देश ये जहां रहे
दीप माला तू सजाये जा
हो उत्कर्ष सदा
हर अर्श पे हर फर्श पे
नव वर्ष हर वर्ष फिर मनाये जा
कदम कदम…..

– राजेश गोसाईं

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