बेटियों को समर्पित दिल छू लेने वाली कविता

बेटी पर कविता शीर्षक “संसार में सबसे प्यारी रचना हैं हमारी बेटियाँ” (Short Poem On Beti In Hindi)
संसार में सबसे प्यारी रचना हैं हमारी बेटियां
ईश्वर की सबसे सुंदर रचना हैं हमारी बेटियां
अंधेरी रात में चांद हैं हमारे देश की बेटियां
उफनते नदी में नाव की नाविक हैं बेटियां
जो बेटे करते हैं कर सकती हैं हमारी बेटियां
लेकिन बुरे काम नहीं कर सकती हैं बेटियां
बेटियों को जन्म दो कोख में ना मारो सुनलो
बेटियां हमारे लिए वरदान हैं यह तुम जानलो
दहेज ना दो बेटी के साथ यह बहुत ही खराब
मांगे दहेज और जो दे दहेज दोनों ही हैं खराब
बेटियों को आजादी दो बेटे की ही समान
बनाया है दोनों को जगत पिता भगवान
बेटियां न करना कभी भी गलत काम कोई भी
तुम मान रखना सारे परिवार की ससुराल में भी
मेरे साथियों बेटियों को कमतर न समझना
उनकी देखभाल में भी लापरवाही ना करना
बेटी दिखती कैसी है यह तुम मत देखना
ईश्वर का वरदान समझ दिल से अपनाना
बेटो को ज्यादा महत्व ना दो
घर में तुम आज से बेटियों…
बेटी पर कविता शीर्षक “कहती बेटी बाँह पसार” (Short Poem On Beti In Hindi)
कहती बेटी बाँह पसार,
मुझे चाहिए प्यार दुलार।
बेटी की अनदेखी क्यूँ,
करता निष्ठुर संसार?
सोचो जरा हमारे बिन,
बसा सकोगे घर-परिवार?
गर्भ से लेकर यौवन तक,
मुझ पर लटक रही तलवार।
मेरी व्यथा और वेदना का,
अब हो स्थाई उपचार।
बेटी पर कविता शीर्षक “परियों का रूप बेटियाँ” (Short Poem On Beti In Hindi)
क्या लिखूं ??
की वो परियों का रूप होती है…
या कड़कती ठंड में सुहानी धूप होती है….
वो होती है उदासी के हर मर्ज़ की दवा की तरह
या ओस में शीतल हवा की तरह
वो चिडियों की चेह्चाहट है,
या की निश्छल खिखिलाहट है….
वो आँगन में फैला उजाला है….
या मेरे गुस्से पे लगा ताला है.…
वो पहाड की चोटी पे सूरज की किरण है….
या जिंदगी सही जीने का आचरन है….
है वो ताकत जो छोटे से घर को महल बना दे…..
है वो काफिया जो किसी गज़ल को मुक्कमल कर दे
क्या लिखूं ???……
वो अक्षर जो ना हो तो वर्णमाला अधूरी है
वो , जो सबसे ज्यादा ज़रूरी है …..
ये नहीं कहूँगा की वो हर वक्त साथ साथ होती है
बेटियाँ तो सिर्फ एक एहसास होती है ….
वो मुझसे ऑस्ट्रेलिया में छुटियाँ,मर्सिडीज
5 सितारा में खाना या महेंगे Pods नहीं मांगती
न वो ढेर से पैसे पिग्गी बैंक में उडेलना चाहती है
वो बस कुछ देर मेरे साथ रहना चाहती है
और मै कहता हूँ येही
की बेटी बहुत काम है … नहीं करूँगा तो कैसे चलेगा
मजबूरी भरे दुनिया दारी के जबाब देने लगता हूँ
और वो झूठा ही सही,
मुझे एहसास दिलाती है
की सब कुछ समझ गयी हो
लेकिन आँखें बंद कर के रोतीं है …..
जैसे सपने में खेलते हुए मेरे साथ सोती है ….
जिंदगी न जाने क्यूँ इतनी उलझ जाती है ….
और हम समझते है , बेटियाँ सब समझ जाती है …..
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