Emotional Poem on Girl Child Foeticide in Hindi

Poem on Female Foeticide in Hindi – दोस्तों ! कन्या भ्रूण हत्या सामाजिक एवं नैतिक दृष्टि से एक अमानवीय कृत्य है। एक सामाजिक अभिशाप है। हैरानी की बात तो ये है कि भारत के लोग ऐसा करने में सबसे आगे है। जन्म से पहले लड़कियों को मारने की ये प्रथा कोई नई प्रथा नहीं है पहले भी लोग ऐसा करते रहे हैं लेकिन भारत में माँ के गर्भ में बच्चे की लैंगिक जाँच कराने की तकनीक आने के साथ इसमें काफी ज्यादा बढ़ोत्तरी हुई है।
अब तो कन्या भ्रूण हत्या की इन विपत्तियों को पार करना अत्यंत कठिन कार्य लगता है । लेकिन अगर घर के वातावरण में ये बदलाव आये, बेटा और बेटी दोनों एक समान है तो समाज में बदलाव आने में ज्यादा समय नहीं लगेगा । इसके लिए सबसे पहले हमें कन्या भ्रूण हत्या पर अंकुश लगानी होगी। अन्यथा वह दिन दूर नहीं जब यह धरती मनुष्य विहीन हो जाएगी।
हालांकि, कन्या भ्रूण हत्या रोकने के लिए केंद्र और राज्य सरकारे अपने – अपने स्तर पर सख्त कदम उठा रही है मगर लाख सख्ती के बावजूद देश में भ्रूण लिंग जांच का गंदा धंधा रुकने का नाम नहीं ले रहा है। आज भी भारी संख्या में लोग कन्या को जन्म से पूर्व ही उसे इस दुनिया में आने से रोकने में लगे हुए है। इस धरती पर उनका जीवन शुरू होने से पहले ही ख़त्म करने में जुटे हुए है। लेकिन अब पानी सर से ऊपर जा चुका है जिसे रोका जाना अत्यंत आवश्यक है। इसके लिए हमें ही मिलकर समाज के लोगों को इस बुराई के खिलाफ शिक्षित और जागरूक करना होगा।
वास्तव में कोई भी कानून तब तक कारगर नहीं हो सकता है, जब तक उसे जनमानस का सहयोग न प्राप्त हो। जब सारा समाज एक जुट होकर कन्या भ्रूण हत्या के खिलाफ कब्र खोदने के लिए कमर कस लेगा, यह सामाजिक बुराई तभी समाप्त होगी। आज जो प्रेरक कविता मैं आपके लिए लाई हूँ उससे कन्या भ्रूण हत्या अभियान को सफल बनाने में जरूर मदद मिलेगी। ये कन्या भ्रूण हत्या पर कविता केवल साधन नहीं है, बल्कि जनजागरूकता फैलाकर कन्या भ्रूण हत्या निवारण अभियान को तेज करने का हमारा एक छोटा प्रयास है। उम्मीद है आप इससे जरुर प्रेरित होंगें और दूसरों को भी प्रेरित करेंगें।
क्यों वह जग में ना आ पाई – Emotional Poem on Female Infanticide in Hindi
आखिर क्या गलती थी उसकी
जो वह जग में ना आ पाई
क्यों आने से पहले ही,
उसकी दे दी गई विदाई ?
उसको भी हक़ था जीने का
उसने भी एक माँ थी पाई।
क्रूर स्वार्थों कि बेदी पर
क्यों बलि उसकी गई चढ़ाई
जग में उसको भेजा था रब ने
उसको भी मिलना था भाई।
उसको भी मिलने थे रिश्ते
पर सम्मुख आ गये कसाई।
अपनी करतूतों पर ऐ मानव
क्यों तुझे शर्म न थी आई
खिलवाड़ नहीं कर जीवन से
क्योंकि तुझमें नहीं खुदाई।
(Emotional poem on kanya bhrun hatya in hindi)
चुप-चुप सब मैं सुनती थी
माँ के पेट के भीतर से….
दादी हरदम क्यों कहती थी,
‘बेटा’ दे अब ‘बेटा’ दे….
बहन मेरी प्यारी सी
‘एक छोटी बहन मुझे देना माँ….
एक जोर का चाँटा उसे जड़ देती माँ,
और रो-रो कर, ये कहती थी….
माँग तू एक भाई अब,
बेटी का जीवन कठिन बहुत।
दादी भी बेटा माँगे,
माँ भी अब भगवान् से अपने,
मेरे बदले में बेटा माँगे….
फिर भी मैंने सोच लिया,
सबका मन मैं हर लूँगी….
मैं अपनी नटखट बातों से,
सब को खुश कर दूंगी …..
पर मुझको इतना वक्त ना दिया,
मेरे बाप ने ऐसा पाप किया,
मालूम कर कि मैं लड़की थी,
मुझको पेट में ही मार दिया। …
मैं फूलों की खुशबू न ले सकी,
जीवन का स्वाद न रख सकी,
माँ को मैं “माँ” भी न कह सकी,
अपनी बहन से मैं मिल न सकी……
क्यों ऐसा मेरे साथ किया ?
जीवन का सुंदर ख्वाब दिया,
फिर मौत की आग में झोंक दिया,
बेटी बन क्या मैंने कोई पाप किया ???
क्यों ऐसा मेरे साथ किया ??
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