15 अगस्त (स्वतंत्रता दिवस) पर अनमोल वचन कोट्स एवं सुविचार

“अंग्रेजो भारत छोड़ो” – महात्मा गांधी
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“करो या मरो” – महात्मा गांधी
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“इनक़लाब जिंदाबाद” – मोहम्मद इक़बाल
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“विजयी विश्व तिरंगा प्यारा” – श्यामलाल गुप्ता
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“आराम हराम है” – जवाहर लाल नेहरू
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“पूर्ण स्वराज” – जवाहर लाल नेहरू
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“जय जवान जय किसान” – लाल बहादुर शास्त्री
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“बंदेमातरम्” – बंकिम चन्द्र चटर्जी
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“वेदों की ओर लौटो” – स्वामी दयानन्द सरस्वती
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“मैं स्वभाव से ही समाजवादी हूं” – जवाहरलाल नेहरू
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Loading...“दिल्ली चलो” – सुभाषचंद्र बोस
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“सारे जहां से अच्छा हिन्दोस्तां हमारा” – मुहम्मद इकबाल
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“तुम मुझे खून दो मैं तुम्हें आजादी दूंगा।” – सुभाषचंद्र बोस
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“सरफरोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है।” – राम प्रसाद बिस्मिल
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“नेहरू देश भक्त हैं और जिन्ना राजनीतिज्ञ ।” – मौलाना अब्दुल कलाम आजाद
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“ज़िन्दगी तो अपने दम पर ही जी जाती है; दूसरो के कन्धों पर तो सिर्फ जनाजे उठाये जाते हैं।” – भगत सिंह
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“मेरे शरीर पर पड़ी एक-एक लाठी ब्रिटिश साम्राज्य के ताबूत में कील सिद्ध होगी।” – लाला लाजपत राय
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“क्रांति की तलवार में धार वैचारिक पत्थर पर रगड़ने से होती है।” – भगत सिंह
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“भारत का विभाजन मेरी लाश पर होगा, जब तक मैं जीवित रहूंगा, तब तक भारत का विभाजन नहीं होने दूंगा।” – महात्मा गांधी
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“शेर की तरह एक दिन जीना बेहतर है, लेकिन भेड़ की तरह लम्बी जिन्दगी जीना अच्छा नहीं है।” – टीपू सुल्तान
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“मैं अंग्रेजों को समुद्र तक खदेड़ सकता हूं, पर समुद्र को तो नहीं सुखा सकता।” – सिराजुद्दौला
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“मैं देश के बालू से कांग्रेस से भी बड़ा आंदोलन खड़ा कर दूंगा।” – महात्मा गांधी
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“जब तक गलती करने की स्वतंत्रता ना हो, तब तक स्वतंत्रता का कोई अर्थ नहीं है।” – महात्मा गाँधी
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“स्वराज्य मेरा जन्म सिद्ध अधिकार है और मैं इसे लेकर रहूंगा।” – बाल गंगाधर तिलक
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“समूचा भारत एक विशाल बंदी गृह है।” – C. R. Das
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“यदि हम पाकिस्तान की मांग स्वीकार नहीं किए, तो देश में अनेक पाकिस्तान बन जाएंगे।” – सरदार वल्लभभाई पटेल
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“हिन्दुस्तान तलवार के बल पर ही जीता गया है तथा तलवार के बल पर ही इसकी रक्षा की जाएगी।” – एल्गिन द्वितीय
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“हमने सिरदर्द से छुटकारा पाने के लिए अपने सिर कटवाना बेहतर समझा।”
– जवाहरलाल नेहरू
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“यह एक ऐसा चेक था जिसका बैंक पहले ही नष्ट होने वाला था।” – महात्मा गांधी (क्रिप्स प्रस्ताव के सम्बन्ध में)
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“आजादी की रक्षा केवल सैनिकों का काम नहीं है, पूरे देश को मजबूत होना होगा।”
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“हमने घुटने टेक कर रोटी मांगी, किन्तु जबाब में पत्थर मिले।” – महात्मा गांधी (सविनय अवज्ञा आंदोलन से पूर्व)
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“जो स्वदेशी राज्य होता है वह सर्वोपरि एवं उत्तम होता है।” – स्वामी दयानन्द सरस्वती
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“जिस प्रकार सारी ‘धारायें’ अपने जल को सागर में ले जाकर मिला देती हैं, उसी प्रकार मनुष्य के सारे ‘धर्म’ ईश्वर की ओर ले जाते हैं।” – स्वामी विवेकानंद
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“हम दया की भीख नहीं मांगते, हम तो केवल न्याय चाहते हैं, ब्रिटिश नागरिक के समान अधिकारों का जिक्र नहीं करते, हम स्वशासन चाहते हैं।” – स्वामी विवेकानंद
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“वह समय आ गया है जब हमारे सम्मान के चिन्ह के साथ ही मौजूद अपमान के कारण हमारे लिए शर्मनाक हो जाते हैं।” – दादाभाई नौरोजी
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“उस समय जबकि जनता का उत्साह उंचा था ऐसे में पीछे हटने का आदेश देना राष्ट्रीय संकट से कम नहीं था।” – सुभाषचंद्र बोस (असहयोग आंदोलन के स्थगन पर)
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“जो काम 50 हजार हथियारबन्द सिपाही नहीं कर सकते थे, उसे महात्मा जी ने कर दिया, उन्होंने शान्ति कायम कर दी।” – लार्ड माउंटबेटन
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Loading...“भारतीय संस्कृति पूरी तरह न हिन्दू है, न इस्लामी और न ही कुछ अन्य। वह सबका संयोजन है।” – गांधीजी
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“आम तौर पर लोग चीजें जैसी हैं उसके आदि हो जाते हैं और बदलाव के विचार से ही कांपने लगते हैं। हमें इसी निष्क्रियता की भावना को क्रांतिकारी भावना से बदलने की ज़रुरत है।” – Bhagat Singh भगत सिंह
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“भाग्य चक्र किसी न किसी दिन अंग्रेजों को अपना भारतीय साम्राज्य छोड़ने के लिये विवश करेगा। मगर किस प्रकार का भारत वे छोड़कर जायंगे, कितनी भयंकर गरीबी होगी ? जब शताब्दियों पुराने प्रशासन का प्रवाह सूख जायगा तब वे किस तरह की बेकार कीचड़ व गन्दगी अपने पीछे छोड़कर जायंगे।” – रवीन्द्रनाथ टैगोर
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“क्या आप लोग एक ही देश में नहीं बसते, क्या आप लोगों को एक ही जमीन पर जलाया नहीं जाता, याद रखिये हिन्दू व मुसलमान शब्द केवल धार्मिक विभेद बतलाने के लिए हैं, अन्यथा सभी व्यक्ति चाहे वे किसी भी धर्म के हों, एक राष्ट्र के हैं।” – सर सैय्यद अहमद खां
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“भारतीय मैदानों में बुनकरों की हड्डियाँ बिखरी हुई दिखाई देती है।” – विलियम बैंटिक
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“कांग्रेस धीरे – धीरे लड़खड़ा कर गिर रही है और भारत में रहते हुए भी मेरी यह बहुत बड़ी आकांक्षा है कि मैं इसकी शांतिपूर्ण मृत्यु में सहायक बनूं।” – लार्ड कर्जन
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“बिखरे हुए स्वायत्त गांवो के कवच को इस्पात के रेलो से छेद दिया गया; जिससे उनके जीवन रक्त का हास्र हो गया।” – विलियम बैंटिक
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“जितना हो सके, उतना हड़प लें, मीरजाफर को सोने की एक बोरी के रूप में इस्तेमाल करें और जब भी इच्छा हो, उसमें अपने हाथ डालें।” – कर्नल मैल्लेसन
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“हमें सिंध को जीतने का कोई अधिकार नहीं, किन्तु हम ऐसा करेंगे तथा यह एक उपयोगी और लाभदायक धूर्तता होगी।” – चार्ल्स नेपियर
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“हमारी प्रणाली उस स्पंच की तरह कार्य करती है जो गंगा के किनारे से पानी सोखकर टेम्स के किनारे वर्षा करती है।” – जॉन सुलीवॉन
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