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राखी पर 10 लाइन – 10 Lines on Raksha Bandhan for Children In Hindi

रक्षाबंधन पर 10 लाइने | 10 Lines on Rakshabandhan Festival In Hindi | रक्षा बंधन पर्व पर 10 एवं 20 लाइन का निबंध.

10 Lines on Rakshabandhan in Hindi - Essay
10 Lines on Rakshabandhan in Hindi – Essay

अलग – अलग कक्षाओं के बच्चों के स्तरानुकूल हिंदी में रक्षा बंधन पर 10 लाइन उपलब्ध करा रही हूँ। आशा करती हूँ कि आपको इससे जरूर मदद मिलेगी।

10 lines on Rakshabandhan In Hindi for Class 2 & 3

1- रक्षाबंधन का त्यौहार भाई-बहन के पावन प्रेम का पवित्र पर्व है।

2- यह पर्व हर साल श्रावण माह की शुक्ला पूर्णिमा तिथि को मनाया जाता है।

3- रक्षा बंधन को राखी या श्रावणी के नाम से भी जाना जाता है।

4- भारत में यह पर्व बहुत ही धूमधाम से मनाया जाता है।

5- इस दिन घरों में तरह – तरह के पकवान भी बनते है।

6- बहनें अपने भाईयों की कलाई पर राखी बाँधती हैं और उन्हें मिठाई खिलाकर अपनी ख़ुशी का इजहार करती हैं।

7- भाई भी बहनों की रक्षा का प्रण लेते हैं और उन्हें उपहार स्वरूप कुछ-न-कुछ भेट देते हैं।

8- यह त्योहार भाई-बहन के स्नेह, त्याग और समर्पण को प्रकट करता है।

9- रक्षा बंधन के दिन स्कूल और सरकारी दफ़्तर बंद रहते हैं।

10- हमारे देश में यह भाई-बहन के रिश्ते का जश्न मनाने का एक अनोखा दिन होता है।

10 lines on Rakshabandhan In Hindi for Class 4 & 5

निम्नलिखित रक्षाबंधन पर निबंध भी दस लाइन की है। और यह निबंध क्लास 4 और 5 (10 Line on Rakshabandhan Festival in Hindi for Class 4 & 5) के विद्यार्थियों के लिए विशेष रूप से उपयोगी है।

1- रक्षा बंधन मुख्यत: हिन्दुओं का एक सांस्कृतिक त्यौहार है। सामान्यत: इसे राखी एवं श्रावणी भी कहते हैं।

2- हिंदू कैलेंडर के अनुसार यह त्यौहार प्राचीन काल से समस्त भारत में बहुत खुशी और स्नेहपूर्वक प्रतिवर्ष श्रावण मास की पूर्णिमा के दिन मनाया जाता है। 

3- इस दिन बहनें अपने भाई की कलाई पर राखी बांधती हैं और उनकी लंबी उम्र के लिए दुआ करती हैं। साथ ही भाई भी अपनी बहनों को उपहार आदि देकर जीवनभर यह संबंध प्यार और संरक्षण से निभाने का प्रण लेते हैं।

4- आरंभ में पुरोहित अपने यजमानों को रक्षाबंधन के रूप में मौली का धागा बांधते थे। विद्वत्वजन कहते है कि श्रावण मास की पूर्णिमा को बाँधे रक्षाकवच से व्यक्ति सदा सुखी व स्वस्थ रहता है।

5- कुछ लोग इस दिन देवी-देवताओं को भी राखी बाँधते हैं तथा खीर और सेवइयों का प्रसाद चढ़ाते हैं।

6- भारत में हर त्योहारों को मनाने के पीछे कोई ना कोई कारण अवश्य रहता है, जो हमें इसे मनाने के लिए प्रेरित करता है। रक्षा बंधन को मनाने के पीछे रानी कर्णवती और हुमायूँ की कथा अति प्रसिद्ध है।

7- बताया जाता है कि रानी कर्णवती ने हुमायूं को राखी भेजकर मदद की गुहार लगाई थी। जिसके बाद हुमायूं ने रानी कर्णवती की मदद करने का फैसला लिया था और बहादुर शाह को करारी शिकस्त दी थी। 

8- ऐसा माना जाता है कि तभी से मज़हबों की दीवार से ऊपर उठकर बने इस भाई-बहन के भावनात्मक रिश्ते को खास तौर पर रक्षाबंधन त्योहार के रूप में याद रखा गया और बहन द्वारा भाई को राखी बाँधने की प्रथा प्रारंभ हुई। 

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9- आज भी अधिकतर लोग, परिवार और बहनें रक्षाबंधन को भाई-बहन के प्यार का पर्व मानकर ही मनाते हैं।

10- भाई-बहन के पवित्र प्रेम संबंध को दर्शाने वाला ये त्यौहार हिन्दू धर्म में एक विशेष महत्व रखता है। देश-विदेश में रहने वाले संभवतः सभी हिन्दू इसे बड़ी श्रद्धा तथा उत्साह से मनाते हैं।

रक्षाबंधन पर एस्से एवं निबंध – Rakshabandhan Essay or Rakhi Essay in Hindi

Essay on रक्षाबंधन : Essay on Rakshabandhan in Hindi – 10 Lines on Rakshabandhan in Hindi, for Class 2, 3, 4, 5, 6, 7, 8, 9, 10, 11 & 12

रक्षा बंधन राष्ट्रीय व सामाजिक मर्यादाओं एवं बहनों की लाज की सुरक्षा हेतु संकल्पित होने का महापर्व है। सामान्यत: इसे राखी, श्रावणी– पूजा या कजरी पूर्णिमा एवं नारियल पूर्णिमा भी कहते हैं। आमतौर पर यह त्योहार श्रावण मास के अंतिम दिन होता है।

बहनें मुख्य रूप से इस दिन अपनी भाई की कलाई पर रक्षासूत्र बांधते हुए अपने भाई की अच्छे स्वास्थ्य और समृद्धि की मंगल कामना करती है और बदले में भाई, अपनी बहनों की हर प्रकार के अहित से रक्षा करने का वचन उपहार के रूप में देते हैं। 

इस त्यौहार का वैसे तो एक अपना ही महत्व है। परंतु पौराणिक कथाओं के अनुसार रक्षाबंधन की परंपरा पुराने समय से ही चली आ रही है। पुराने समय में यह त्यौहार सगे भाई बहनों का न होकर एक भावात्मक रिश्ता था। और इसे विश्वप्रेम एवं विश्वशांति की स्थापना के उद्देश्य से मनाया जाता था।  

पौराणिक कथानुसार भगवान विष्णु ने इसी दिन वामन अवतार धारण करके राजा बलि के साथ सारे विश्व को यह संदेश दिया था कि दंभ और अहंकार के दम पर कुछ भी हासिल नहीं होता है। धरती पर कमाई गई सारी संपदा एक दिन यहीं रह जाती है।

कुछ लोक-कथाओं एवं लोक काव्यों में दिए गए विवरण के अनुसार देवासुर संग्राम में जब देवता निरंतर पराजित होने लगे, तब इंद्र ने अपने गुरु बृहस्पति से रण में विजयश्री दिलाने वाले उपाय की प्रार्थना की। इस प्रार्थना पर देवगुरु ने श्रावण पूर्णिमा के दिन आक के रेशों की राखी बनाकर, उसे रक्षा विधान संबंधी मंत्रों से अभिमंत्रित करके इंद्र की कलाई पर रक्षा-कवच के रूप में बाँध दिया।

कथा यह भी है कि युद्ध प्रयाण के समय देवराज इंद्र की पत्नी देवी शची ने गायत्री मंत्र का पाठ करते हुए उनकी कलाई पर रक्षासूत्र बाँधा और उन्हें आश्वासन दिया कि मेरे सत् का प्रतीक यह धागा रणक्षेत्र में आपकी रक्षा करेगा। इन रक्षा सूत्रों ने देवों में आत्मविश्वास जगाया और वे विजयी रहे। अत: इसे भी रक्षाबंधन की शुरूआत कहा जाता है।

वही एक अन्य लोक कथा के मुताबिक भगवान श्रीकृष्ण को एक बार उंगली में चोट लग गई थी, तो द्रोपदी ने अपनी साड़ी का पल्लू फाड़कर उनके उंगली में बांधा था। श्री कृष्ण ने उसे रक्षा सूत्र मानते हुए कौरवों की सभा में द्रोपदी की लाज बचाई थी। जब द्रोपदी ने भगवान श्री कृष्ण की उंगली पर साड़ी का पल्लू बांधा था। उस दिन श्रावण मास की पूर्णिमा की तिथि थी। तब से ही सावन पूर्णिमा को रक्षाबंधन मनाया जाता है।

रक्षा बंधन के इन पौराणिक प्रसंगो के बाद में कई इतिहास-कथाएँ भी जुड़ीं। इन कथाओं में कर्णवती-हुमायूँ की कथा, रानी बेलुनाविया-टीपू सुल्तान की कथा, रमजानी-शाह आलम की कथा अति प्रसिद्ध है।

श्रावणी या रक्षा बंधन का पर्व इसलिए भी विशेष महत्वपूर्ण माना जाता है क्योंकि प्राचीनकाल में ऋषि-मुनि इसी दिन से वेद पारायण आरम्भ करते थे। इसे ‘उपाकर्म’ कहा जाता था।

दूसरे इसका महत्व आदि भौतिक रूप में भी है। जिस समय व्यक्ति उपाकर्म संस्कार के बाद घर लौटता था उस समय बहनें स्वागत करती थीं, भांति-भांति के व्यजंन बनाये जाते थे। सारा घर भीनी सुगन्धि से महकता रहता था। थालों में भांति-भांति के मिष्ठान, फल व पुष्प सजाये हुए बहनें अपने भाईयों को शुद्ध आसन पर बैठाकर उसके दायें हाथ में राखी बाँधती हैं।

यह भावनात्मक बंधन प्रेम की डोरी का होता है। इसमें दोहरी शक्ति होती है। बहन भाई को अपने स्नेहपूर्ण आशीर्वाद के कवच से मंडित करती है ताकि वह मायावी जगत में रहकर और सांसारिक कृत्य करते हुए साधना से न डगमगाए तथा नैतिक जीवन बिताने में समर्थ रहे। दूसरी ओर जब बहन पर किसी तरह का संकट आये तो उसकी सहायता के लिए सदा प्रस्तुत रहे।

और इस रक्षा बंधन की स्मृति को प्रगाढ़ करने के लिए आज भी इस दिन बहनें अपने भाईयों की कलाई पर राखी बाँधती है; जिससे इस पुनीत पर्व का प्राचीन गौरव अब भी इस रूप में सुरक्षित है।

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Babita Singh
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