रक्षाबंधन पर 10 लाइने – 10 Lines on Rakshabandhan Festival In Hindi

अलग – अलग कक्षाओं के बच्चों के स्तरानुकूल हिंदी में रक्षा बंधन पर 10 लाइन उपलब्ध करा रही हूँ। आशा करती हूँ कि आपको इससे जरूर मदद मिलेगी।
5 lines on Rakshabandhan In Hindi for Class 2 & 3
1- रक्षा बंधन मुख्यत: हिन्दुओं का एक सांस्कृतिक त्यौहार है। सामान्यत: इसे राखी एवं श्रावणी भी कहते हैं।
2- हिंदू कैलेंडर के अनुसार यह त्यौहार प्राचीन काल से समस्त भारत में बहुत खुशी और स्नेहपूर्वक प्रतिवर्ष श्रावण मास की पूर्णिमा के दिन मनाया जाता है।
3- यह भाई-बहन के रिश्ते का जश्न मनाने का एक अनोखा दिन होता है। इस दिन बहनें अपने भाई की कलाई पर राखी बांधती हैं और उनकी लंबी उम्र के लिए दुआ करती हैं। साथ ही भाई भी अपनी बहन की हिफाज़त करने का प्रण लेता है।
4- “रक्षा बंधन” का पवित्र त्योहार भाई बहन के अटूट प्रेम व विश्वास का प्रतीक हैं।
5- हिन्दू धर्म में इस त्यौहार का विशेष महत्व है।
10 lines on Rakshabandhan In Hindi for Class 4 & 5
1- रक्षाबंधन का त्यौहार भाई-बहन के पावन प्रेम का पवित्र पर्व है।
2- यह पर्व हर साल श्रावण माह की शुक्ला पूर्णिमा तिथि को मनाया जाता है।
3- रक्षा बंधन को राखी या श्रावणी के नाम से भी जाना जाता है।
4- इस त्योहार से संबंधित एक कहानी बहुत प्रसिद्ध है। यह कहानी है हुमायूं और रानी कर्णावती की।बताया जाता है कि रानी कर्णावती ने हुमायूं को राखी भेजकर मदद की गुहार लगाई थी। जिसके बाद हुमायूं ने रानी कर्णावती की मदद करने का फैसला लिया था। तभी से मज़हबों की दीवार से ऊपर उठकर बने इस भाई-बहन के रिश्ते को खास तौर पर रक्षाबंधन त्योहार अक्सर याद किया जाता है.
5- इस दिन सभी बहनें अपनी भाई की कलाई में राखी बाँधती हैं। भाई और बहन एक-दूसरे को मिठाई खिलाते हैं और सुख-दुख में एक-दूसरे के साथ रहने का वचन देते हैं। बहनें अपने भाई की लंबी आयु की कामना करती हैं।
6- इस दिन घरों में तरह – तरह के पकवान भी बनते है।
7- कुछ लोग इस दिन देवी-देवताओं को राखी बाँधते हैं तथा खीर और सेवइयों का प्रसाद चढ़ाते हैं।
8- भारत में यह पर्व बहुत ही धूमधाम से मनाया जाता है।
9- रक्षा बंधन के दिन स्कूल और सरकारी दफ़्तर बंद रहते हैं।
10- भाई-बहन के पवित्र संबंध को दर्शाने वाला ये त्यौहार हिन्दू धर्म में एक विशेष महत्व रखता है।
10 lines on Rakshabandhan In Hindi for Class 6, 7, 8, 9, 10, 11 & 12
रक्षा बंधन राष्ट्रीय व सामाजिक मर्यादाओं एवं बहनों की लाज की सुरक्षा हेतु संकल्पित होने का महापर्व है। सामान्यत: इसे राखी, श्रावणी– पूजा या कजरी पूर्णिमा एवं नारियल पूर्णिमा भी कहते हैं। आमतौर पर यह त्योहार श्रावण मास के अंतिम दिन होता है।
बहनें मुख्य रूप से इस दिन अपनी भाई की कलाई पर रक्षासूत्र बांधते हुए अपने भाई की अच्छे स्वास्थ्य और समृद्धि की मंगल कामना करती है और बदले में भाई, अपनी बहनों की हर प्रकार के अहित से रक्षा करने का वचन उपहार के रूप में देते हैं।
इस त्यौहार का वैसे तो एक अपना ही महत्व है। परंतु पौराणिक कथाओं के अनुसार रक्षाबंधन की परंपरा पुराने समय से ही चली आ रही है। पुराने समय में यह त्यौहार सगे भाई बहनों का ना होकर एक भावात्मक रिश्ता था। और इसे विश्वप्रेम एवं विश्वशांति की स्थापना के उद्देश्य से मनाया जाता था।
पौराणिक कथानुसार भगवान विष्णु ने इसी दिन वामन अवतार धारण करके राजा बलि के साथ सारे विश्व को यह संदेश दिया था कि दंभ और अहंकार के दम पर कुछ भी हासिल नहीं होता है। धरती पर कमाई गई सारी संपदा एक दिन यहीं रह जाती है।
कुछ लोक-कथाओं एवं लोक काव्यों में दिए गए विवरण के अनुसार देवासुर संग्राम में जब देवता निरंतर पराजित होने लगे, तब इंद्र ने अपने गुरु बृहस्पति से रण में विजयश्री दिलाने वाले उपाय की प्रार्थना की। इस प्रार्थना पर देवगुरु ने श्रावण पूर्णिमा के दिन आक के रेशों की राखी बनाकर, उसे रक्षा विधान संबंधी मंत्रों से अभिमंत्रित करके इंद्र की कलाई पर रक्षा-कवच के रूप में बाँध दिया।
कथा यह भी है कि युद्ध प्रयाण के समय देवराज इंद्र की पत्नी देवी शची ने गायत्री मंत्र का पाठ करते हुए उनकी कलाई पर रक्षासूत्र बाँधा और उन्हें आश्वासन दिया कि मेरे सत् का प्रतीक यह धागा रणक्षेत्र में आपकी रक्षा करेगा। इन रक्षा सूत्रों ने देवों में आत्मविश्वास जगाया और वे विजयी रहे। अत: इसे भी रक्षाबंधन की शुरूआत कहा जाता है।
वही एक अन्य लोक कथा के मुताबिक भगवान श्रीकृष्ण को एक बार उंगली में चोट लग गई थी, तो द्रोपदी ने अपनी साड़ी का पल्लू फाड़कर उनके उंगली में बांधा था। श्री कृष्ण ने उसे रक्षा सूत्र मानते हुए कौरवों की सभा में द्रोपदी की लाज बचाई थी। जब द्रोपदी ने भगवान श्री कृष्ण की उंगली पर साड़ी का पल्लू बांधा था। उस दिन श्रावण मास की पूर्णिमा की तिथि थी। तब से ही सावन पूर्णिमा को रक्षाबंधन मनाया जाता है।
रक्षा बंधन के इन पौराणिक प्रसंगो के बाद में कई इतिहास-कथाएँ भी जुड़ीं। इन कथाओं में कर्णवती-हुमायूँ की कथा, रानी बेलुनाविया-टीपू सुल्तान की कथा, रमजानी-शाह आलम की कथा अति प्रसिद्ध है।
श्रावणी या रक्षा बंधन का पर्व इसलिए भी विशेष महत्वपूर्ण माना जाता है क्योंकि प्राचीनकाल में ऋषि-मुनि इसी दिन से वेद पारायण आरम्भ करते थे। इसे ‘उपाकर्म’ कहा जाता था।
दूसरे इसका महत्व आदि भौतिक रूप में भी है। जिस समय व्यक्ति उपाकर्म संस्कार के बाद घर लौटता था उस समय बहनें स्वागत करती थीं, भांति-भांति के व्यजंन बनाये जाते थे। सारा घर भीनी सुगन्धि से महकता रहता था। थालों में भांति-भांति के मिष्ठान, फल व पुष्प सजाये हुए बहनें अपने भाईयों को शुद्ध आसन पर बैठाकर उसके दायें हाथ में राखी बाँधती हैं।
यह भावनात्मक बंधन प्रेम की डोरी का होता है। इसमें दोहरी शक्ति होती है। बहन भाई को अपने स्नेहपूर्ण आशीर्वाद के कवच से मंडित करती है ताकि वह मायावी जगत में रहकर और सांसारिक कृत्य करते हुए साधना से न डगमगाए तथा नैतिक जीवन बिताने में समर्थ रहे। दूसरी ओर जब बहन पर किसी तरह का संकट आये तो उसकी सहायता के लिए सदा प्रस्तुत रहे।
और इस रक्षा बंधन की स्मृति को प्रगाढ़ करने के लिए आज भी इस दिन बहनें अपने भाईयों की कलाई पर राखी बाँधती है; जिससे इस पुनीत पर्व का प्राचीन गौरव अब भी इस रूप में सुरक्षित है।
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beautiful Rakhsha bandhan Lines to write on greeting cards, thanks for sharing
Thank you for the wonderful lines, thanks for sharing