गुरु शिष्य रिश्ते की अद्भुत् और अटूट परंपरा को विस्तार देने वाली गुरु-शिष्य शायरी, दोहा, SMS, मेसेज, कोट्स, थोट्स, स्टेटस

सही अर्थों में गुरु वही है जो अपने शिष्यों का मार्गदर्शन करे और जो उचित हो उस ओर शिष्य को आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करे।
– गुरूगीता
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बन्धुओं तथा मित्रों पर नहीं, शिष्य का दोष केवल उसके गुरू पर आ पड़ता है. माता-पिता का अपराध भी नहीं माना जाता क्योंकि वे तो बाल्यावस्था में ही अपने बच्चों को गुरू के हाथों में समर्पित कर देते है.
-भास
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यदि गुरू अयोग्य शिष्य चुने तो उससे गुरू की बुद्धिहीनता ही प्रकट होती है.
-कालिदास
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गुरू का उपदेश निर्मल होने पर भी असाध्य पुरूष के कान में जाने पर उसी प्रकार दर्द उत्पन्न करता है जैसे जल।
-वाणभट्ट
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गुरूओं के शासन से विहीन किस की बाल्यावस्था उच्छृंखल नहीं हो जाती ?
-सोमदेव
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अभिमान करने वाले, कार्य और अकार्य को न जानने वाले तथा कुपथ पर चलने वाले गुरू का भी परित्याग कर देना चाहिए.
-कृष्ण मिश्र
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गुरू को किया गया प्रणाम कल्याणकारी होता है.
-कर्णपूर
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जो शिष्य होकर भी शिष्यचित बर्ताव नहीं करता, अपना हित चाहने वाले गुरू को उसकी घृष्टता क्षमा नहीं करनी चाहिए.
-वेदव्यास
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जो केवल कहता फिरता है, वह शिष्य है. जो वेद का पाठ मात्र करता है, वह नाती है. जो आचरण करता है, वह हमारा गुरू है और हम उसी के साथी हैं.
-गोरखनाथ
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केवल कान में मन्त्र देना गुरू का काम नहीं है. संकट से रक्षा करना शिष्य के कर्म को गति देना भी गुरू का काम है.
-लक्ष्मीनारायण मिश्र
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विषयों का त्याग दुर्लभ है. तत्त्वदर्षन दुर्लभ है. सद्गुरू की कृपा बिना सहजावस्था की प्राप्ति दुर्लभ है.
-महोपनिषद्
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गुरू की कृपा से, शिष्य बिना ग्रंथ पढ़े ही पंड़ित हो जाता है.
-विवेकानंद
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ज्ञान की प्रथम गुरू माता है. कर्म का प्रथम गुरू पिता है. प्रेम का प्रथम गुरू स्त्री है और कर्त्तव्य का प्रथम गुरू सन्तान है.
-आचार्य चतुरसेन शास्त्री
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गुरू में हम पूर्णता की कल्पना करते हैं. अपूर्ण मनुष्यों को गुरू बना कर हम अनेक भूलों के शिकार बन जाते है.
-महात्मा गांधी
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गुरू हमें सिखाता है कि विभिन्न शास्त्रों के ज्ञान के लिए हमें किस प्रकार व्याकुल रहना चाहिए, किस प्रकार पागल-जैसा बनना चाहिए. शिष्य को यह प्रतीत होता है कि गुरू मानो अनन्त ज्ञान की मूर्ति है. गूरू मानो एक प्रतीक होता है.
-साने गुरूजी
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हमारे गुरू का न आदि है, न अन्त. हमारे गुरू का न पूर्व है, न पश्चिम . हमारा गुरू है परिपूर्णता.
-साने गुरूजी
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गुरू अपनी अन्धभक्ति पसन्द नहीं करते. गुरू के सिद्धान्तों को आगे बढ़ाना, उनके प्रयोगों को आगे चालू रखना ही उनकी सच्ची सेवा है.
-साने गुरूजी
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निर्भयतापूर्वक ज्ञान की उपासना करते रहना ही गुरू-भक्ति है. एक दृष्टि से सारा भूतकाल हमारा गुरू है. सारे पूर्वज हमारे गुरू हैं.
-साने गुरूजी
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गुरु आपको केवल ज्ञान से नहीं भर देते हैं,बल्कि आपके भीतर प्राण शक्ति को जगाते हैं।
-विनोवा भावे
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जिन गुरु ने मुझे इस संसार-सागर से पार उतारा, वे मेरे अन्तःकरण में विराजमान है, बुद्धिमानों को गुरू-भक्ति करनी चाहिए और उसके द्वारा कृतकार्य होना चाहिए.
-ज्ञानेष्वर
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सद्गुरु से बढ़ कर तीनों लोकों में कोई दूसरा नहीं है.
-एकनाथ
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उपदेश ऐसे करे जैसे मेघ बरसे. पर गुरू बनकर किसी को शिष्य न बनावे.
-तुकाराम
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जो समाज गुरू द्वारा प्रेरित है, वह अधिक वेग से उन्नति के पथ पर अग्रसर होता है, इसमें कोई संदेह नही. किन्तु जो समाज गुरू-विहीन है, उसमें भी समय की गति के साथ गुरू का उदय तथा ज्ञान का विकास होना उतना ही निशचित है.
-विवेकानन्द
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तुमको अन्दर से बाहर विकसित होना है. कोई तुमको न सिखा सकता है न आध्यात्मिक बना सकता है. तुम्हारी आत्मा के सिवा और कोई गुरू नहीं है.
-विवेकानन्द
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गुरु में और पारस – पत्थर में अन्तर है, यह सब सन्त जानते हैं। पारस तो लोहे को सोना ही बनाता है, परन्तु गुरु शिष्य को अपने समान महान बना लेता है।
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गुरु कुम्हार है और शिष्य घड़ा है, भीतर से हाथ का सहार देकर, बाहर से चोट मार – मारकर और गढ़ – गढ़ कर शिष्य की बुराई को निकालते हैं।
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गुरु के समान कोई दाता नहीं, और शिष्य के सदृश याचक नहीं। त्रिलोक की सम्पत्ति से भी बढकर ज्ञान – दान गुरु ने दे दिया।
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सात द्वीप, नौ खण्ड, तीन लोक, इक्कीस ब्रह्मणडो में सद्गुरू के समान हितकारी कोई नहीं।
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गुरु ही जीवन में अज्ञानता के अंधकार को मिटाकर ज्ञान की रोशनी लाते हैं तथा बेहतर समाज के निर्माण में अहम भूमिका निभाते हैं।
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एक सामान्य व्यक्ति को बौद्धिक और आध्यात्मिक गुणों से पूर्ण कर श्रेष्ठ मानव बनाने की क्षमता एक गुरु में ही होती है।
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गुरु के विषय में जितने भी शब्द कहे जाएं या लिखे जाए उतना ही कम है।
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सनातन धर्म में ज्ञान और जीवन की सही दिशा बताने वाले गुरु पूजा पर्व गुरु पूर्णिमा की हार्दिक शुभकामनयें।
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आज हम सब अपने गुरुओं के अमूल्य ज्ञान और मार्गदर्शन के प्रति सम्मान और आभार प्रकट करते हैं। आज गुरु पूर्णिमा की पुण्य तिथि पर आप को एवं आप के परिजनों को हार्दिक शुभकामानायें !
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गुरु पूर्णिमा न सिर्फ अपने गुरुवरों का बल्कि पूरे वर्षभर में जिनसे भी हमने कुछ सीखा है, उनके प्रति भी आभार व्यक्त करने का दिवस है। गुरु पूर्णिमा की पावन बेला पर आपको बधाई
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प्रेरणा देने वाले, सूचना देने वाले, सच बताने वाले, रास्ता दिखाने वाले, शिक्षा देने वाले, और बोध कराने वाले – ये सब गुरु समान है।
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आज के इस पावन दिवस पर मुझे दिए गए ज्ञान के प्रति कृतज्ञता प्रकट करते हुए आप सभी का नमन व वंदन करते हैं।
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एक मानव होने के नाते मुझ से कुछ गलतियाँ जरूर हुई होंगीं । अत: मेरे व्यवहार द्वारा हुई किसी भी तरह की गलतियों के लिए मैं हृदय से क्षमा प्रार्थी हूँ।
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अपने ज्ञान और विवेक से हमारे भीतर उत्तम गुणों का संचार करने वाले समस्त गुरुजनों को गुरुपूर्णिमा के अवसर पर शत-शत नमन और शुभकामनाएं।
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सभी गुरु को नमन करने की पावन पर्व गुरु पूर्णिमा की अनंत शुभकामना एवं बधाई।
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गुरू गोविन्द दोऊ खड़े, काके लागूं पांय।
बलिहारी गुरू अपने गोविन्द दियो बताय।।
गुरु पूर्णिमा की शुभकामनाएं
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गुरु है गंगा ज्ञान की, करे पाप का नाश।
ब्रम्हा-विष्णु-महेश सम, काटे भाव का पाश।।
गुरु पूर्णिमा की हार्दिक शुभकामनायें
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यह तन विष की बेलरी, गुरु अमृत की खान |
शीश दियो जो गुरु मिले, तो भी सस्ता जान ||
गुरु पूर्णिमा की शुभकामनाएं
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गुरु ब्रह्मा, गुरु विष्णु गुरु देवो महेश्वर:।
गुरु साक्षात् परमं ब्रह्मा तस्मै श्री गुरुवे नम:।।
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गुरु बिन भव निधि तर ई न कोई।
जो बिरंचि शंकर सम होई।।

गुरु बिना ज्ञान नहीं ज्ञान बिना आत्मा नहीं,
ध्यान, ज्ञान, धैर्य और कर्म सब गुरु की ही देन है।
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शांति का पढ़ाया पाठ, अज्ञानता का मिटाया अंधकार
गुरु ने सिखाया हमें, नफरत पर विजय हैं प्यार।
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आपसे से सीखा और जाना, आप को ही गुरु माना,
सीखा सब आपसे हमने, कलम का मतलब भी आप से जाना।
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गुरु कुम्हार शिष्य कुम्भ है गढ़ि गढ़ि काढ़े खोट,
अन्तर हाथ सहाय दे बाहर बाहै चोट ॥
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सब धरती कागज करूँ,लेखनी सब वनराज,
सब सागर की मसी करूँ, गुरु गुण लिकयो न जाय।
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क्या दूँ गुरु-दक्षिणा, मन ही मन मैं सोचूं।
चुका न पाऊं ऋण मैं तेरा, अगर जीवन भी अपना दे दूँ।
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गुरु आपके उपकार का, कैसे चुकाऊ मैं मोल?
लाख कीमती धन भला, गुरु हैं मेरा अनमोल ।
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वाणी शीतल चन्द्रमा, मुख-मण्डल सूर्य समान।
गुरु चरनन त्रिलोक है, गुरु अमृत की खान॥

ईश कृपा बिन गुरु नहीं, गुरु बिना नहीं ज्ञान ।
ज्ञान बिना आत्मा नहीं, गावहिं वेद पुरान ॥
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हरिहर आदिक जगत में पूज्य देव जो कोय ।
सदगुरु की पूजा किये सबकी पूजा होय ॥
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बिन गुरु ज्ञान नहीं,
बिन ज्ञान समाज में मान नहीं…!!!!
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गुरु है एक कुम्हार सा और हम है कच्ची सी माटी,
जो सही थाप पड़े गुरु की माटी पर ,
तो माटी से है सुन्दर मूर्त बन जाती ।
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जग अंधकार, आप मार्गदर्शक है,
पथ भ्रमीत जीवन का आप पथ प्रदर्शक है।
अज्ञानी है ये मन, आप भंडार है ज्ञान का।
ये जो मेरी पहचान है सब आप का बलिदान है गुरु जी ।
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गुरु की महिमा का क्या मैं बखाना करू
गुरु ही है मेरा ईश्वर है इस सच को मैं स्वीकार करू
बिन गुरु जीवन में तम ही तम छाया है
गुरु हैं मेरा सूर्य जो सच्चे राह पर चलना सिखाया है,
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गुमनामी के अंधेरे में था, पहचान बना दिया
दुनिया के गम से मुझे, अनजान बना दिया
उनकी ऐसी कृपा हुई
गुरू ने मुझे एक अच्छा इंसान बना दिया
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जुबां से हमेशा जिनकी प्यार पाया है..
मेरी कामयाबी के पीछे हमेशा जिनका साया है…
अल्फ़ाज़ों के अभाव में, नतमस्तक है मेरी कलम
ऐसे गुरुयों के आगे, जिन्होंने मेरा परिचय खुदा से कराया है…
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दिया ज्ञान का भंडार हमें,
किया भविष्य के लिए तैयार हमें
है आभारी उन गुरूओं के हम,
जो किया कृतज्ञ अपार हमें..
***
कितनी दुआए हमारे साथ चलती हैं,
गुरू की सीख जब साथ रहती हैं ।
***
किस किस को मुबारकबाद दू गुरु होने का ,,,
हर सक्श ने सिखाया है मुझे
***
बिना गुरू नहीं होता जीवन साकार
सर पर होता जब गुरू का हाथ
तभी बनता जीवन का सही आकार
गुरू ही है सफल जीवन का आधार
***
जीवन जितना सजता है माँ-बाप के प्यार से
उतना ही महकता है गुरु के आशीर्वाद से
***
माँ ने उँगली पकड़कर आँगन में दौड़़ाया
पिता ने दुनिया की राह पर चलना सिखाया
जग में सर्वोपरि स्थान गुरुवर आपको
मुझे जीवन-सार देकर एक व्यक्ति बनाया
***
निराशा में आशा की झलक दिखा दे
दुखों में खुशी की बौछार करा दे
दर्द पर ऐसा मरहम लगा दे
एक गुरु ही है जो भगवान से साक्षात्कार करा दे
***
ज्ञान देने वाले गुरू का बंदन है
उनके चरणों की धूल भी चंदन है
***
शिक्षा से बड़ा कोई वरदान नहीं है
गुरू का आशीर्वाद मिले इससे बड़ा कोई सम्मान नहीं है
***
लक्ष्य प्राप्त कर सकू, आपने मुझे इस योग्य बनाया
जब महसूस किया मैंने हारा
आपका दिया ज्ञान बहुत काम आया
***
धरती कहती है, नदियां कहती है
अंबर कहते बस यही तराना
गुरू आप ही वो पावन नूर है
जिनसे रौशन हुआ जमाना
***
हर काम आसान हो जाता है
जब सच्चे शिक्षक का सनिध्य मिलता है
फिर चाहे कितने ही आये जीवन में उतार-चढ़ाव
शिक्षक के चरणों में ही मिलता है ठहराव
***
जहाँ से हमारा वैचारिक दृष्टिकोण होता है शुरु.
बस वो पड़ाव ही है गुरु.
शुभ गुरु पुर्णिमा!
***
माँ-बाप की मूरत है गुरु;
कलयुग में भगबान की सूरत है गुरु!
शुभ गुरु पुर्णिमा!
***
जिसे देता है हर व्यक्ति सम्मान,
जो करता है वीरों का निर्माण
जो बनाता है इंसान को इंसान,
ऐसे गुरु को कोटि – कोटि प्रणाम
शुभ गुरु पुर्णिमा!
***
जल जाता है वो दिए की तरह
कई जीवन रोशन कर जाता है
कुछ इसी तरह से हर गुरु
अपना फर्ज निभाता है
शुभ गुरु पुर्णिमा!

गुरु सशक्तत बनाता है हमारा व्यक्तित्व ज्ञान से,
अस्तित्व को बचाता है गुमान से.
समान दृष्टि रखकर सबको पढ़ाता है स्वाभिमान से.
शुभ गुरु पुर्णिमा!
***
मुझ पर मेरे गुरुओं का
प्यार और उनका आशीर्वाद यूँ ही उधार रहने दो
बड़ा हसीन है ये कर्ज़, मुझे कर्ज़दार रहने दो
शुभ गुरु पुर्णिमा!
***
गुरु एक दिए की तरह होता हैं।
अपने जीवन में चाहये कितना भी अंधेरा क्यों ना हो
लकिन दुसरों के जीवन में प्रकाश ही प्रकाश करता हैं।
शुभ गुरु पुर्णिमा!
***
“गुरु” और “सड़क” दोनों
एक जैसे होते हैं ,
खुद जहा है वही पर रहते हैं,
पर दूसरों को उनकीं मंजिल तक
पहुंचा ही देते हैं ।।
***
गू का मतलब होता है अंधेरा ………………….
रू का मतलब होता है प्रकाश…………..
जो अंधेरे से प्रकाश की ओर ले कर जाए
उसको कहते हैं गुरु ……….और
गुरु की महिमा लिखी या बताई नहीं जा सकती
***
गुरु वह गाथा है जिसका कोई सार नहीं ,
जिसने मेहनत करना सिखाया बिना सोचे कोई जीत नहीं कोई हार नहीं ,
जिन्होंने हर रास्ते पर चलना सिखाया पर हर रास्ते पर वो साथ नहीं ,
यू तो बचपन में हमारे ज़िन्दगी के रावण लगते थे वो पर अब समझ आया
हमारे सबसे अच्छे दोस्त वहीं, बेफिक्र आज हम उड़ते है
आसमानों की बुलंदियों पर आज करते है फिर
शत शत नमन यही …..
***
हम अपने जीवन के लिए माता-पिता के कर्जदार होते है
लेकिन अच्छे व्यक्तित्व के लिए एक शिक्षक के ऋणी होते हैं।
हमें शिक्षित करने के लिए कड़ी मेहनत और प्रयत्न के लिए
हम आपके सदा आभारी रहेंगे।
शिक्षक दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं.. प्रणाम
***
ज़िंदगी तुमने भी बहुत कुछ सिखाया है ,
मेरे शिक्षक तो तुम भी हो!
Happy Guru Purnima
***
सही क्या है गलत क्या है ये सबक पढ़ाते हैं आप
झूठ क्या है और सच क्या है ये बात समझाते हैं आप
जब सूझता नहीं कुछ भी हमको तब राहों को सरल बनाते हैं।
***
गुरु आपके उपकार का, कैसे चुकाऊँ मैं मोल ?
लाख कीमती धन भला.. गुरु हैं मेरा अनमोल…
हैप्पी गुरु पूर्णिमा
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दोस्तों ! अब मैं अपनी लेखनी को यहीं विराम देती हूँ । उम्मीद है ये शायरी और सुविचार आपके लिए जरुर प्रेरणास्रोत साबित होगें । और गर आपको इन दोहों या शायरी में कोई त्रुटी नजर आयी हो या इससे संबंधित कोई सुझाव हो तो वो भी आमंत्रित हैं। आप अपने सुझाव को इस लिंक Facebook Page Facebook Page के जरिये भी हमसे साझा कर सकते है। और हाँ हमारा free email subscription जरुर ले ताकि मैं अपने future posts सीधे आपके inbox में भेज सकूं। धन्यवाद!
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