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26 जनवरी भाषण – 26 January Speech In Hindi Language

26 जनवरी भाषण – 26 January Speech In Hindi Language

Republic Day 26 January Speech In Hindi
Republic Day 26 January Speech In Hindi

Gantantra Diwas Speech In Hindi 

26 January Speech In Hindi आदरणीय प्रधानाचार्य महोदय, माननीय शिक्षक गण एवं मेरे प्रिय साथियों। जैसा की आप सब को ज्ञात है आज हम लोग भारतीय संविधान की 73वीं सालगिरह के उपलक्ष्य में राष्ट्र को नमन् करने के लिए एकत्रित हुए हैं। 

सर्वविदित है कि बड़ी ही गंभीरता से देशवासियों द्वारा इसे भारत के गणतंत्र बनने की खुशी में 1950 से 26 जनवरी को मनाया जा रहा है। इसी दिन सन् 1950 को भारत सरकार ने अधिनियम (एक्ट) (1935) को हटाकर भारत का अपना संविधान लागू किया गया था।

आपको बताते हुए अत्यंत हर्ष हो रहा है कि भारत का संविधान लिखित एवं सबसे बड़ा संविधान है। संविधान के निर्माण में 2 वर्ष, 11 महिना 18 दिन लगे थे। और इसे बाबा साहब डॉ. भीमराव अम्बेडकर ने अपने अथक परिश्रम और विवेक से तैयार किया था। 

उल्लेखनीय है कि इससे पहले सारे नियम एवं कानून अंग्रेजों के थे। क्योंकि भारत देश अंग्रेजों का गुलाम था। और गुलामी का दर्द क्या बयां करना, गुलामी में चैन सुकून सब छीन जाता है। फिर जरा सोचिए 200 वर्ष की गुलामी ने भारत माँ को कितना दर्द दिया होगा। लेकिन –

कोई भी बच्चा अपनी माँ के सीने को
गोलियों से छलनी होते हुए देखे भी भला कैसे,
उनके खून में उबाल आना ही था।
इस देश से जो उन्हें गुलामी को मिटाना था।

और इस ध्येय को पूरा करने के लिए, जाने कितने देशभक्त लहूलुहान हुए और कितने शहीद, परन्तु कोई आह नहीं; कोई पश्चाताप नहीं; दिख रहा था तो सिर्फ एक अलौकिक तेज और उस तेज में अटल विश्वास कि हमारा भारत अवश्य स्वतंत्र होगा। और 15 अगस्त, 1947 को यह विश्वास प्रतिफलित भी हुआ क्योंकि –

यह देश महापुरुषों का है
यह देश गुणी विद्वानों का
यह देश साधको संतों का,
यह देश वीर बलवानों का
यह देश वीर बलवानों का।

लेकिन हमारे देश की स्वतंत्रता तब तक अधूरी रहती जब तक यहाँ का संविधान न रचा जाता। अत: राष्ट्र निर्माताओं की आधीनता में 26 जनवरी, 1950 को भारत का अद्वितीय संविधान लागू किया गया। 26 जनवरी, 1950 को संविधान तो लागू हो गया था, पर यह बात अब भी जेहन में रखनी शेष थी कि –

भारत की गौरवगाथा, बार-बार दोहरानी है
प्यारा भारत देश हमारा, हम सब हिन्दुस्तानी हैं
हम सब हिन्दुस्तानी हैं।

परन्तु अभी भी भारत के सामने ऐसी विषम परिस्थितियां थी, जो मानव के स्वप्नों को खण्डित कर देती हैं। और तब मन में बस यही भाव जागने लगता है कि –

सोचा था अपने देश को खुशियों से सजाएंगे
समता और सद्गुणों से भारत में बहारे लाएंगे
हाय ए आजादी के बाद क्या हो गया
कलाम के सपनों का भारत ना जाने कहा खो गया
ना जाने कहा खो गया

और खोते हुए भारत का महज़ एक कारण है कि –

अनीति अत्याचार बढ़ रहा,
युग का अर्जुन मौन है
अपमानित द्रौपदी पक्ष में बोलने वाला कौन है
युग के अर्जुन गाण्डीव उठा ले,
गीता का फरमान है
अवगुणों के समक्ष झुकेंगे नहीं,
हमें करना राष्ट्र सम्मान है
हमें करना राष्ट्र सम्मान है.

गणतंत्र की स्वतंत्रता के लिए यह अति आवश्यक है कि हम अपनी सभ्यता, संस्कृति, मौलिक चिंतन और वैचारिक स्वतंत्रता को बनाए रखे। लेकिन आज ऐसा लगता है कि-

मिली राजनैतिक स्वतंत्रता पर विचार परतंत्र है
पाश्चात्य चिंतन चरित्र से कहा हुए स्वतंत्र है
अभी स्वदेशी तंत्र उपेक्षित मिला कहा सम्मान है
और किसी कोने में बैठा रो रहा संविधान है
और किसी कोने में बैठा रो रहा संविधान है

इस रोते हुए संविधान को प्रबल, सशक्त, सफल और प्रभावशाली बनाने का अधिकार अगर किसी को है तो वह सिर्फ और सिर्फ हम देशवासियों को। क्योंकि चुनाव के माध्यम से हमें एक सुयोग्य और सचरित्र नेतृत्व का चयन करके अपने भारतीय संविधान को और परिपुष्ट बनाते हैं। और ऐसे में हमें प्रण लेना है-

प्राणों में ले संकल्प शक्ति, मानवता के प्रति अचल भक्ति।
तुम चढ़ो ध्येय के शिखरों पर, इन्द्रिय सुख से लेकर विरक्ति॥

और जिस दिन हम ऐसा करने में सफल हो पाएंगे, उस दिन हमारे देश का बच्चा बच्चा परलिप्सा और सम्मोहन को त्याग कर पतितों को गले लगाने लगेगा और एक ऐसे राष्ट्र का निर्माण हो जाएगा, जो निर्भय निष्पक्ष और निष्कलूष होगा। और तब ये कहने में पूर्णत: सक्षम हो जायेंगे कि –

कभी तिरंगे की छाया को शत्रु नहीं छू पायेगा
धैर्य, एकता और साहस से हर प्रश्न सुलझता जायेगा
हर प्रश्न सुलझता जायेगा।।

अंत में मैं अपनी वाणी को विराम देते हुए आप सभी से यही अनुरोध करुँगी कि अपने देश पर अपना सर्वस्व न्योछावर करने और इसे चरमोत्कर्ष पर पहुँचाने का दृढ़ संकल्प ले। और मन में बस यही भाव रखे कि-

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इस देश की कीमत जब जब हमने पहचानी है
हमारे देश का बच्चा बच्ची बना देश सेनानी है
जाति पाति भाषा और द्वेष  का बीज  पनपने ना देंगे
अब इन आधारों पर हिंदुस्तान को बटने ना देंगे
एकता के सतरंगों से सजाएंगे संसार को
गणतंत्र उपासक बनकर सच्चे उपहार देंगे राष्ट्र को
उपहार देंगे राष्ट्र को.

जय हिन्द जय भारत

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Babita Singh
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