Heart Touching Thoughts Quotes on Teachers in Hindi

Teachers Day Thoughts & Quotes In Hindi – इस समाज की सच्ची संपत्ति शिक्षक हैं। वे जनमन के नायक हैं। राष्ट्र के उन्नायक होते हैं। शिक्षक समाज के प्राण होते हैं। वे किसी पद या सम्मान का मोहताज नहीं होते हैं बल्कि पद और सम्मान उनके नाम से गरिमामय हो जाते हैं। शिक्षक ही देश के असली अनमोल रत्न हैं। एक शिक्षक की भूमिका समाज निर्माण में अक्षुण्ण और अतुलनीय है। इससे उत्तम अन्य कोई कार्य नहीं हैं।
उनका हम सबके जीवन में भी बहुत बड़ा महत्व है। कहते है अगर शिष्य झुके गुरु के आगे तो इंसान बन जाता है। यह बिल्कुल सच है। शिक्षक हमारे विशेष मित्र की तरह हैं। तभी तो वह सामाजिक जीवन में कभी सच्चे मार्गदर्शक बनकर अपना फर्ज निभाते हैं तो कभी माता-पिता बनकर सच्ची सलाह देते हैं। आश्चर्य नहीं कि वे हमारा हर तरह से मार्गदर्शन करते हैं। वे हमें सिखाते हैं कि कैसे शांति में रहना है। और एक – दूसरें से प्यार करना है। वे हमें अच्छे मार्ग बताते हैं। जो हमारे जीवन को चमकाता है। अगर इनका सम्बल न होता तो हम जीवन में ना तो स्फूर्ति भर सकते हैं और ना सफलता पा सकते हैं।
वास्तव में शिक्षक निश्चित रूप से फूलों के बीच गुलाब की तरह है जो हमारे जीवन को महकाता है। यही कारण है कि “गुरु कुम्हार शिष्य कुंभ है गढ़ि गढ़ि काढ़ै खोट” जैसे दोहे का प्रचलन हुआ। गुरु पूजा प्रकारांतर से गुरु की ही अभ्यर्थना है। शिक्षक दिवस भी इसी संदर्भ में मनाया जाता है। छात्र-छात्राओं में इस दिन की तैयारीयों को लेककर खासा उत्साह रहता है। शिक्षक दिवस समारोह का एक बहुत ही प्रमुख हिस्सा शिक्षक सुविचार है। छात्रो के लिए शिक्षकों के प्रति अपनी श्रद्धा और भक्ति की अभिव्यक्ति करने के लिए हमारे पास कुछ चुनिंदा सुविचार हैं जो विशेष रूप से अध्यापक और विद्यार्थी के रिश्ते को समर्पित है –
शिक्षक दिवस पर 30 सर्वश्रेष्ठ प्रेरणादायक विचार, अनमोल वचन एवं सुविचार
गुरू ब्रह्मा गुरू विष्णु, गुरु देवो महेश्वरा गुरु साक्षात परब्रह्म, तस्मै श्री गुरुवे नम: अर्थात गुरु ही ब्रह्मा है, गुरु ही विष्णु है और गुरु ही भगवान शंकर है. गुरु ही साक्षात परब्रह्म है. ऐसे गुरु को मैं प्रणाम करता हूं।
-स्कन्दपुराण
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ध्यान का आदिकारण गुरू मूर्ति है. गुरू का चरण पूजा का मुख्य स्थान है. गुरू का वाक्य सब मन्त्रों का मूल है. और गुरू की कृपा मुक्ति कारण है.
-स्कन्दपुराण
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शिष्य के धन का हरण करने वाले गुरू तो बहुत से हैं परन्तु शिष्य के दुःख को हरने वाला गुरू दुर्लभ है.
-स्कन्दपुराण
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सही अर्थों में गुरु वही है जो अपने शिष्यों का मार्गदर्शन करे और जो उचित हो उस ओर शिष्य को आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करे।
– गुरूगीता
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बन्धुओं तथा मित्रों पर नहीं, शिष्य का दोष केवल उसके गुरू पर आ पड़ता है. माता-पिता का अपराध भी नहीं माना जाता क्योंकि वे तो बाल्यावस्था में ही अपने बच्चों को गुरू के हाथों में समर्पित कर देते है.
-भास
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यदि गुरू अयोग्य शिष्य चुने तो उससे गुरू की बुद्धिहीनता ही प्रकट होती है.
-कालिदास
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गुरू का उपदेश निर्मल होने पर भी असाध्य पुरूष के कान में जाने पर उसी प्रकार दर्द उत्पन्न करता है जैसे जल।
-वाणभट्ट
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गुरूओं के शासन से विहीन किस की बाल्यावस्था उच्छृंखल नहीं हो जाती ?
-सोमदेव
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अभिमान करने वाले, कार्य और अकार्य को न जानने वाले तथा कुपथ पर चलने वाले गुरू का भी परित्याग कर देना चाहिए.
-कृष्ण मिश्र
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गुरू को किया गया प्रणाम कल्याणकारी होता है.
-कर्णपूर
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जो शिष्य होकर भी शिष्यचित बर्ताव नहीं करता, अपना हित चाहने वाले गुरू को उसकी घृष्टता क्षमा नहीं करनी चाहिए.
-वेदव्यास
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जो केवल कहता फिरता है, वह शिष्य है. जो वेद का पाठ मात्र करता है, वह नाती है. जो आचरण करता है, वह हमारा गुरू है और हम उसी के साथी हैं.
-गोरखनाथ
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केवल कान में मन्त्र देना गुरू का काम नहीं है. संकट से रक्षा करना शिष्य के कर्म को गति देना भी गुरू का काम है.
-लक्ष्मीनारायण मिश्र
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विषयों का त्याग दुर्लभ है. तत्त्वदर्षन दुर्लभ है. सद्गुरू की कृपा बिना सहजावस्था की प्राप्ति दुर्लभ है.
-महोपनिषद्
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गुरू की कृपा से, शिष्य बिना ग्रंथ पढ़े ही पंड़ित हो जाता है.
-विवेकानंद
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ज्ञान की प्रथम गुरू माता है. कर्म का प्रथम गुरू पिता है. प्रेम का प्रथम गुरू स्त्री है और कर्त्तव्य का प्रथम गुरू सन्तान है.
-आचार्य चतुरसेन शास्त्री
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गुरू में हम पूर्णता की कल्पना करते हैं. अपूर्ण मनुष्यों को गुरू बना कर हम अनेक भूलों के शिकार बन जाते है.
-महात्मा गांधी
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गुरू हमें सिखाता है कि विभिन्न शास्त्रों के ज्ञान के लिए हमें किस प्रकार व्याकुल रहना चाहिए, किस प्रकार पागल-जैसा बनना चाहिए. शिष्य को यह प्रतीत होता है कि गुरू मानो अनन्त ज्ञान की मूर्ति है. गूरू मानो एक प्रतीक होता है.
-साने गुरूजी
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हमारे गुरू का न आदि है, न अन्त. हमारे गुरू का न पूर्व है, न पश्चिम . हमारा गुरू है परिपूर्णता.
-साने गुरूजी
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गुरू अपनी अन्धभक्ति पसन्द नहीं करते. गुरू के सिद्धान्तों को आगे बढ़ाना, उनके प्रयोगों को आगे चालू रखना ही उनकी सच्ची सेवा है.
-साने गुरूजी
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निर्भयतापूर्वक ज्ञान की उपासना करते रहना ही गुरू-भक्ति है. एक दृष्टि से सारा भूतकाल हमारा गुरू है. सारे पूर्वज हमारे गुरू हैं.
-साने गुरूजी
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गुरु आपको केवल ज्ञान से नहीं भर देते हैं,बल्कि आपके भीतर प्राण शक्ति को जगाते हैं।
-विनोवा भावे
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जिन गुरु ने मुझे इस संसार-सागर से पार उतारा, वे मेरे अन्तःकरण में विराजमान है, बुद्धिमानों को गुरू-भक्ति करनी चाहिए और उसके द्वारा कृतकार्य होना चाहिए.
-ज्ञानेष्वर
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सद्गुरु से बढ़ कर तीनों लोकों में कोई दूसरा नहीं है.
-एकनाथ
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उपदेश ऐसे करे जैसे मेघ बरसे. पर गुरू बनकर किसी को शिष्य न बनावे.
-तुकाराम
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जो समाज गुरू द्वारा प्रेरित है, वह अधिक वेग से उन्नति के पथ पर अग्रसर होता है, इसमें कोई संदेह नही. किन्तु जो समाज गुरू-विहीन है, उसमें भी समय की गति के साथ गुरू का उदय तथा ज्ञान का विकास होना उतना ही निशचित है.
-विवेकानन्द
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तुमको अन्दर से बाहर विकसित होना है. कोई तुमको न सिखा सकता है न आध्यात्मिक बना सकता है. तुम्हारी आत्मा के सिवा और कोई गुरू नहीं है.
-विवेकानन्द
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प्रेरणा देने वाले, सूचना देने वाले, सच बताने वाले, रास्ता दिखाने वाले, शिक्षा देने वाले, और बोध कराने वाले – ये सब गुरु समान है।
Happy Teacher’s Day !!

गुरु न सिर्फ हमें सही-गलत का ज्ञान कराते हैं, बल्कि वे आध्यात्मिक पथ पर भी अग्रसर करते हैं। ईश्वर भी खुद की बजाय सर्वप्रथम गुरु को पूजने की बात कहते हैं। भगवान सभी गुरुजनों को लंबी उम्र दे और वो सदा खुशहाल रहें।
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