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शिक्षक पर कविता – Best Teachers Day Poems in Hindi

शिक्षक दिवस पर कविता (Best Poem on Teacher’s Day in Hindi)

Teachers Day Poem in Hindi
Teachers Day Poem in Hindi

शिक्षक दिवस पर हिंदी कविता 

शिक्षक दिवस पर साथियों एक बात कहना चाहता हूं,

जब भी धरा पर जन्म लूं, शिक्षक ही रहना चाहता।

गलियों से खेलते वर्तमान से, भविष्य के ख्वाब सजाता हूं,

कोरे कागजों पर लिखकर, उन्हें किताब मैं बनाता हूं।

“अ” अनपढ़ से शुरू कर, “ज्ञ” ज्ञानी तक पहुँचाता हूं

घनी अंधेरी दीवारों, पर रोशनी की मुहर लगाता हूं।

माना कि केवल शिक्षक हूं, विद्यार्थी को पढ़ाता हूं

मगर चन्द्रमा तक जाने की, पहली सीढ़ी मैं बनाता हूं

शिक्षा पर नित नए प्रयोग देख, थोड़ा विचलित हो जाता हूं

मगर हर सरकारी फरमान को, बखूबी मैं निभाता हूं

हैप्पीनेस और EMC से, विद्यार्थियों को परिचित कराता हूं

सपना देखने और उन्हें पूरा करने का, मार्ग मैं दिखाता हूं

जो शिक्षा देता हूँ सबको, पहले आदर्श बन दिखाता हूं 

त्याग देता हूं इच्छाएं बहुत सी, मगर कभी ना ये जताता हूं

शिक्षक दिवस पर साथियों, एक बात कहना चाहता हूं 

जब भी धरा पर जन्म लूं, शिक्षक ही रहना चाहता हूं।

– CP Jangra

Teacher's Day Poem in Hindi
Teacher’s Day Poem in Hindi

टीचर्स डे हिंदी पोएम

सुन्दर सुर सजाने को साज बनाता हूँ।

नौसिखिये परिंदों को बाज़ बनाता हूँ ।।

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चुपचाप सुनता हूँ शिकायतें सबकी।

तब दुनिया बदलने की आवाज़ बनाता हूँ ।।

समन्दर तो परखता है हौसले कश्तियों के,

और मैं, डूबती कश्तियों को जहाज बनाता हूँ ।।

बनाये चाहे चाँद पर कोई बुर्ज ए खलीफा

अरे, मैं तो कच्ची ईंटों से ताज बनाता हूँ।।

ढूँढों मेरा मजहब जाके इन किताबों में।

मैं तो उन्हीं से आरती, नमाज़ बनाता हूँ।।

न मुझसे सीखने आना कभी जंतर जुगाड़ के।

अरे! मैं तो मेहनत लगन के रीवाज़ बनाता हूँ ।।

नजूमी – ज्योतिषी छोड़ दो तारों को तकना तुम।

है जो आने वाला कल उसे मैं आज बनाता हूँ ।।

***

चरन धूर निज सिर धरो, सरन गुरु की लेय,

तीन लोक की सम्पदा, सहज ही में गुरु देय।

सहज ही में गुरु देय चित्त में हर्ष घनेरा,

शिवदीन मिले फल मोक्ष, हटे अज्ञान अँधेरा।

ज्ञान भक्ति गुरु से मिले, मिले न दूजी ठौर,

याते गुरु गोविन्द भज, होकर प्रेम विभोर।

राम गुण गायरे।।

और न कोई दे सके, ज्ञान भक्ति गुरु देय,

शिवदीन धन्य दाता गुरु, बदले ना कछु लेय।

बदले ना कछु लेय कीजिये गुरु की सेवा,

जन्मा जन्म बहार, गुरु देवन के देवा।

गुरु समान तिहूँ लोक में,ना कोई दानी जान,

गुरु शरण शरणागति, राखिहैं गुरु भगवान।

राम गुण गायरे।।

समरथ गुरु गोविन्दजी, और ना समरथ कोय,

इक पल में, पल पलक में, ज्ञान दीप दें जोय।

ज्ञान दीप दें जोय भक्ति वर दायक गुरुवर,

गुरु समुद्र भगवन, सत्य गुरु मानसरोवर।

शिवदीन रटे गुरु नाम है, गुरुवर गुण की खानि,

गुरु चन्दा सम सीतल, तेज भानु सम जानि।

राम गुण गायरे।।

धन्यवाद 

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