प्रकृति पर शायरी – Save Nature Shayari In Hindi
प्रकृति पर शायरी – Save Nature Shayari In Hindi
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हरे रंग से उत्पन्न नीला, नीले रंग से धानी;
जल है, तो वन संरक्षित, वन है, तो है पानी.
***
रखेंगे अगर हम ख्याल उनका
तो वो भी हमारा ख्याल रखेंगे
पॉलिथीन की जगह झोला
टिसू पेपर की जगह रुमाल रखेंगे
एक पौधा लगाओ, उसको सम्भालो
य़कीनन वो पर्यावरण को सम्भाल रखेंगे
***
बादल से निकलकर, सोना गिरा पिघल कर;
दुल्हन सी शरमा रही, सहर शाम में ढल कर.

हर कण से धरा पावन हो जाती;
हर रूह गर दर्पण हो जाती.
एक प्याला भरा रखा, ये नीर है या क्षीर है;
आसमान से उतरा मानो, मन चखने को अधीर है.
धरती गगन हवा पवन ये सब प्रकृति के फूल हैं,
इनके एहसास ही गुलों की खुशबू और गुलशन का उसूल हैं…
फिज़ा के रंग सभी अभी बरकार हैं;
जो पहुँच के पार है, वहीं पर बहार है.

बूझ सको तो जान लो, क्या संकेत है निराला;
हरे रंग में ब्रश घुमाकर कुछ तो है लिख डाला.
***
कुछ ठहरा सा दिखता है; कुछ गहरा सा दिखता है;
किसी पाक़ नज़र या कुदरत का यहाँ पहरा सा दिखता है.

बादलों के साये में, पर्वतों की बाहों में;
राहतें यही बसती हैं झील की पनाहों में.
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नहीं मिलन है किसी क्षितिज पर, झील से बोला बादल;
आहें मुझ तक अश्रु तुम तक, लाता और ले जाता जल.

कल के बीते पल से बेहतर;
होते यादों के अक्स अक्सर.
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हर दिशा में है उमंग, खामोशियाँ यहाँ अभंग;
सुनो! कुछ है गा रही, झंकार पर हर एक तरंग.
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पत्थर के सीने में भी अमृत है जीवन का;
क्या मोल इस धन का, प्रकृति के कण – कण का.
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आज प्रकृति का भी कहर देखा है ।।
अपनो को अपनो से अलग होते देखा है।।
इंसान को घर में कैद होते देखा है।।
और पशु पक्षी को आज़ाद घूमता देखा है।
खेल रहे थे इंसान प्रकृति के साथ ।।
आज प्रकृति को इंसान के साथ खेलते देखा है।
***
आज़ाद पंछी हूँ,
आज़ादी पसंद करती हूँ,
ना किसी को क़ैद रखती हूँ,
ना किसी की क़ैद में रहती हूँ.
***
क्यूं न सहेज कर रख लें,
इस प्रकृति को,
आने वाले कल के लिए,
आने वाले अपनों के लिए।
ये कटते वृक्ष,
ये सूखती नदियाँ,
ये सिमटते पर्वत,
एक रोज,
यूं ही खत्म हो जाएंगे।
आज हम कुछ कर सकते हैं,
इस रोती हुई प्रकृति के आंसू,
हम पोछ सकते हैं,
एक वक्त बाद प्रकृति के,
सारे आंसू सूख जाएंगे।
पर आंसू होंगे,
हमारी आंखों में,
जिसे चाह कर भी,
हम पोंछ नही पाएंगे।
हम पुकारेंगे प्रकृति को,
अपनी मदद के लिए,
पर,
मौत की ख़ामोशी ओढ़े,
वो बेजान पड़ी,
बस यूं ही देखती रहेगी।

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