प्रेगनेंसी के दौरान ध्यान रखने योग्य बातें – Care and Precautions During Pregnancy In Hindi

Precautions During Pregnancy In Hindi – गर्भावस्था के दौरान महिलाओं को अकसर आम तकलीफ़े होती हैं। यह तकलीफ़े वस्तुतः मिचली आने से लेकर कमर दर्द, पीठ दर्द के रूप में रहता है। ऐसी तकलीफ़ो से परेशान न होकर, इनके लिए गर्भवती महिला को तैयार रहना चाहिए। आमतौर पर यह अवस्था मां बनने वाली महिलाओं में 9 माह तक रहती है , जिससे गर्भवती महिला के साथ साथ उसके गर्भ में पल रहा शिशु भी प्रभावित होता है।
पर कई बार गर्भधारण के बाद जाने अनजाने में ऐसी मुश्किलें आ खड़ी होती हैं जो गर्भिणी को गंभीर रूप से कमज़ोर कर देती हैं तो कई बार गर्भपात भी हो जाता है। हालांकि आज के मेडिकल साइंस ने गर्भपात और मृत्युदर पर बहुत कुछ अंकुश पा लिया है। लेकिन कुछ मामलों में विशेष देखभाल और सावधानियों की जरूरत आज भी पड़ती है। लिहाजा आज मै आपसे ‘प्रेगनेंसी के समय पर देखभाल’ के बारे में वजनदार तथ्यों की चर्चा करूगीं। आशा है ये खास जानकारी आपकी ढ़ेरों समस्याओं का समाधान करने में सहायक साबित होगी।
गर्भावस्था के दौरान ये विशेष सावधानियां बरत कर न सिर्फ महिला अपने होने वाले शिशु को स्वस्थ पैदा कर सकती है, बल्कि गर्भावस्था के दौरान तथा प्रसव के बाद भी स्वयं भी स्वस्थ और सुन्दर बनी रह सकती है। इन छोटी बड़ी अमल में लाई गई सावधानियों से गर्भावस्था पर बहुत सकरात्मक असर पड़ता है। यह सावधानियां खाने पीने की चीजों से लेकर अलग-अलग गतिविधयों में हो सकती है।
अगर आप स्वस्थ माँ बनकर एक सुन्दर बच्चे को जन्म देना चाहती है तो आपको कुछ खास सावधानियों का पालन करना होगा। खासतौर पर प्रेगनेंसी के आखिरी आठवें और नौवे महीने में, जब गर्भावस्था की सावधानियों की मांग अपने चरम पर होती है। तो आइये जानते है गर्भावस्था में देखभाल के साथ कौन सी सावधानियां बरतें –
प्रेगनेंसी में किन बातों का ख्याल रखना चाहिए (Garbhavastha me kaun kaun see savdhani rakhni chahaiye)
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–> एक स्त्री के गर्भाशय में भ्रूण के होने के बाद शारीरिक और मानसिक स्थितियों में कई परिवर्तन आते है। इसमें सर्वप्रथम मासिक धर्म न होना है। मासिक धर्म न होना प्रेगनेंसी का एक निश्चयात्मक लक्षण है।आमतौर पर यह लक्षण शरीर के हार्मोन्स में हो रहा बदलाव के कारण होता हैं।
–> विवाहोपरांत यदि किसी लड़की का मासिक धर्म नियमित न आएं तो एक बार जरूर गायनोलॉजिस्ट से चेकअप करा ले। यदि प्रेगनेंसी की पुष्टि होती है तो पहले से ही आप सावधान हो जाएगीं।
–> गर्भधारण के बाद सुबह के समय मिचली (मॉर्निंग सिकनेस) आना आम समस्या है। इसमें डरने या घबराने की कोई बात नहीं है । यह समस्या धीरे-धीरे अपने आप काबू में आ जाती है। ज्यादातर मामलों में देखा गया कि गर्भावस्था में उल्टी या वमन होना मानसिक स्थिति का परिणाम होता है । प्रेगनेंसी को अस्वाभाविक दशा मानने की स्थिति में यह दशा और बढ़ सकती है।
–> इस अवस्था में बढ़ता Weight गर्भावस्था की एक स्वाभाविक प्रक्रिया है और स्वस्थ संकेत भी, तो आप डाइटिंग जैसे शब्द का ख्याल अपने मन से निकाल दे। इससे शरीर में आयरन, फोलिक एसिड, विटामिन, कई तरह के खनिजों और पोषक तत्वों की कमी हो जाती है। यह आपका और बच्चे दोनों के स्वास्थ्य को संकट में डाल देगा।
–> विशेषज्ञों की माने तो डाइटिंग करनेवाली महिलाओं के होनेवाले बच्चों में मोटापे और टाइप-2 डाइबिटीज का खतरा बढ़ जाता है। और तो और शिशु की गर्भ में ग्रोथ भी रुक जाती है।
–> गर्भावस्था में हर महिला को अपनी डाइट और न्यूट्रीशन पर फोकस करना जरूरी है बजाय इसके कि बढ़ते वजन को लेकर परेशान हुआ जाएं। बेवजह की डाइटिंग नुकसानदायक साबित होगी।
-> गर्भवस्था में आहार का अमूल्य योगदान होता है। गर्भवती को अपनी सेहत को बेहतर रखने के लिए पौष्टिक आहार लेना चाहिए। इसमें दाल, रोटी, चावल, मौसमी सब्जी के साथ फल, मेवे, गुड़ और गुड़ से बनी चीजें खानी चाहिए। शरीर में आयरन, कैल्शियम और प्रोटीन की मात्रा का ध्यान देना होगा। कमी अधिक है तो डॉक्टर की राय से आयरन, कैल्शियम की गोली लेनी चाहिए। वास्तव में संतुलित भोजन ग्रहण करने पर ही स्वास्थ्य उत्तम बना रहता है जिससे शिशु का शारीरिक और मानसिक विकास ठीक प्रकार से होता है।
–> गर्भवती महिलाओं को पूरी गर्भावस्था के दौरान विशेष पौष्टिक आहार के साथ साथ सामान्य से अधिक आराम की जरूरत भी पड़ती है। वस्तुतः आराम या विश्राम का गर्भावस्था में बड़ा महत्व रहता है। इस अवस्था में जो महिला पूरा आराम करती है वह शरीर और मन से ज्यादा हल्का महसूस करती है।
–> इस दौरान ज्यादा गरम पानी और सोना बाथ का उपयोग भी न करें, क्योंकि इससे आपके शरीर का तापमान अचानक बढ़ सकता है। इससे शरीर में पानी की कमी हो सकती है, जो बच्चे के लिए जानलेवा साबित हो सकती है।
–> घर में मौजूद कई चीजें प्रेगनेंसी के दौरान गर्भपात जैसी भारी जोखिम को बढ़ा सकती हैं, यदि हर काम अपने आप करती हैं, तो क्लीनर, थिनर और पेंट जैसे पदार्थों से दूर ही रहें। इनकी तेज केमिकल गंध से प्रेगनेंसी में जटिलताएं पैदा हो सकती हैं।
–> गर्भावस्था में कोई कार्य करने में यदि शक्ति से अधिक जोर लगाना पड़ रहा है तो, उसे तुरंत बंद कर दे वरना होने वाले बच्चे पर भारी पड़ सकता है।
–> इस दौरान बिल्लियों से दूरी बना कर रखें। अगर बिल्लियां पाली हुई हैं, तो उनके संपर्क आने से बचें। जिस बॉक्स में वह बैठती है, उसकी सफाई खुद ना करें। बिल्ली के मल के आसपास टोक्सोप्लाज्मोसिस की आशंका रहती है। टोक्सोप्लाज्मोसिस एक प्रकार का संक्रमण है, इससे फैलने वाले पैरासाइट्स गर्भपात, मृत बच्चे के जन्म और कई बीमारियों के साथ जन्म लेने का खतरा बढ़ा देता है।
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–> गर्भावस्था के दौरान कूदने वाले व्यायाम से बिल्कुल परहेज करें क्योंकि इससे झटका लगने से गर्भाशय को नुकसान हो सकता है।
–> गर्भावस्था में व्यायाम मां व बच्चे दोनों की सेहत लिए अच्छा होता पर आप वही व्यायाम करे जिससे ज्यादा थकावट न महसूस हो। wolking, swiming, सायकलिंग और प्रीनेटल एक्सरसाइज इस अवस्था में कर सकती हैं। सबसे बेहतर होगा कि कोई भी एक्सरसाइज शुरू करने से पहले अपने डॉक्टर की सलाह ले।
-> धूम्रपान, शराब और ना तो कोई अवांछित नशीले पदार्थ का सेवन करें । ये सभी जीचें शरीर में जहर और प्रदूषण फ़ैलाने का कार्य करते हैं। विशेष रूप से इस अवस्था में महिला और बच्चे की सेहत को कई तरह से नुकसान पहुंचा सकता है।
–> गर्भावस्था में कॉफ़ी और अल्कोहल को भी हाथ न लगायें है । इनमें मौजूद तत्व गर्भपता की वजह बन सकते हैं। हाल ही में हुआ एक अध्ययन के अनुसार दिन में 5 से 6 कप कॉफ़ी पीने वालों में गर्भपात होने की सम्भावना बढ़ जाती है ।
–> गर्भावस्था के पहले तीन महीनों में सेक्स करने से बचना चाहिए क्योंकि इस दौरान भ्रूण की प्रगति और विकास चरम पर होता है। इससे पेडू की मांसपेशियों में किसी प्रकार की सिकुड़न होने से मिसकैरेज की संभावना अधिक होती है। बाकि के अगले सातवें या आठवें महीने तक आराम से सेक्स कर सकते हैं। आमतौर पर निम्नलिखित स्थितियों में गर्भावस्था में सेक्स करना वर्जित है –
–> जब स्त्री के मासिक धर्म होने की सामान्य तारीख हों तो सेक्स नहीं करना चाहिए।
–> जब यौन संबंध बनाने के दौरान महामारी की तरह रक्तस्राव हो रहा हो तो सेक्स नहीं करना चाहिए।
–> जब गर्भ में पल रहे बच्चे में किसी प्रकार के कॉम्प्लीकेशंस हों तो भी सेक्स नहीं करना चाहिए।
–> आखिरी आठवे महीने में और इसके पश्चात् यौन संबंध बनाने से परहेज करना चाहिए।
प्रेगनेंसी के दौरान बरती जाने वाली कुछ विशेष सावधानियाँ
– वजन न बढ़ना, खून की कमी, बहुत थकान या जल्दी – जल्दी साँस फूलना और टांगों , बाँहों या चेहरे पर बहुत अधिक सूजन आना, गंभीर चेतावनी के लक्षण है।
– अगर गर्भावस्था के दौरान खून आये या पेट में दर्द हो या ऊपर बताए गए चेतावनी का कोई लक्षण दिखाई दे तो तुरंत स्वास्थ्य कार्यकर्ता या प्रशिक्षित सहायक से सलाह ली जनि चाहिए ।
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गर्भावस्था के दौरान ये विशेष सावधानियां बरत कर न सिर्फ महिला अपने होने वाले शिशु को स्वस्थ पैदा कर सकती है, बल्कि गर्भावस्था के दौरान तथा प्रसव के बाद भी स्वयं भी स्वस्थ और सुन्दर बनी रह सकती है। इन छोटी बड़ी अमल में लाई गई सावधानियों से गर्भावस्था पर बहुत सकरात्मक असर पड़ता है।
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