Speech On Children’s Day In Hindi

Speech On Children’s Day In Hindi – सुप्रभात बच्चों! मैं जानती हूँ कि आप सभी बच्चों के चेहरे पर्व का नाम सुनते ही खिल उठते है वहीं आप बाल दिवस के नाम से मचल उठते है। कुछ बच्चे तो इस दिन की तैयारियों में हफ्तों पहले से ही जुटे हुए है। वास्तव में बाल दिवस (Children’s Day) बच्चों के मन को खुशियों से भरने वाला दिन है।
गर्व की बात है कि हमारे स्कूल में शिक्षकों और बच्चों द्वारा जो सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन किया गया है उससे बच्चे सच बोलना, सहयोग करना, निष्पक्षता, राष्ट्रीयता, समयबद्धता, सहिष्णुता, करुणा आदि मानवीय गुणों को सीखेंगे और यही गुण इनमें पुष्पित, पल्लवित व विकसित होकर इन्हें देश का अच्छा नागरिक बनाने में सहयोग करेंगे। हमारे लिए यह परम गौरव की बात है कि इस तरह के कार्यक्रम का मैं एक हिस्सा हूँ।
चूंकि पण्डित नेहरू स्वयं बाल दिवस के प्रेरक और संचालक थे। उन्होंने इसे महत्वपूर्ण बनाने में और बच्चों के विकास पर बहुत ध्यान दिया । वे हमेशा से बच्चों को ऊर्जावान बनाने के लिए उनका हौंसला बढ़ाते रहते थे। वास्तव में ये दिन आपके चहेते चाचा नेहरू का जन्म दिवस है।
इसी दिन यानि 14 नवंबर, 1889 में भारत के पहले प्रधानमंत्री तथा प्रसिद्ध स्वंत्रता सेनानी पंडित जवाहरलाल नेहरू पैदा हुए थे। उन्हें बच्चों के साथ विशेष लगाव था। किसी बच्चे को डाँटना तो दूर की बात है, वह उसे उदास भी नहीं देख सकते थे। बच्चों के प्रति उनका यह प्रेम किसी धर्म, जाति या नस्ल तक सीमित नहीं था। देश के प्रधानमंत्री होने के बावजूद अपने व्यस्त दिनचर्या से बच्चों के लिए कुछ वक्त जरूर निकाल लेते थे और उस समय वह बच्चों की बहुत-सी इच्छाएँ पूरी करने, उन्हें खुश रखने का प्रयास करते रहते थे।
लेकिन आज भारत में बाल अपराध बड़ी तेजी से बढ़ रहा है । बच्चे अपराधिक प्रवृत्तियों में लिप्त होने लगे है । चोरी, डकैती, लूटपाट, आगजनी, ड्रग्स सेवन, मद्यपान, धूम्रपान आदि बहुत सी गंदी आदतों का शिकार होने लगे है । बच्चो का इस तरह का व्यवहार न केवल माता – पिता एवं परिजनों के लिए एक विकट समस्या है बल्कि समाज के लिए भी हानिकारक है ।
बलात्कार, ट्रेन डकैती, लूटपाट,चैन स्नैचिंग आदि खबरे आये दिन समाचार पत्रों में पढ़ने को मिल ही जाती है। बच्चो और किशोरों में बढ़ती इस प्रवृत्ति को रोकना और उनमें अच्छे संस्करों के विकास पर जोर देना बाल दिवस कार्यक्रमों के आयोजनों का उद्देश्य हैं। लेकिन इस उद्देश्य की प्राप्ति केवल एक दिवस से संभव नहीं। इसके लिए माता-पिता और गुरुओं का लगातार सहयोग बहुत आवश्यक है । बच्चों को अच्छे संस्कार देना हर माता -पिता का धर्म होना चाहिए।
बच्चे देश के कर्णधार होते है। जो आज बच्चे है कल ये ही तो देश का नाम उज्जवल करेंगे। उन्हें परिमार्जित और परिष्कृति कर एक बेहतर इन्सान बनाना हर जन का कर्तव्य होता है । बाल दिवस द्वारा लोगों को जागरूक किया जाता है कि वे बच्चे के महत्व को समझे और उन्हें फलने – फूलने का एक अच्छा माहौल दे ।
हम सभी के लिए यह प्रसन्नता की बात है कि बदलते वक्त के साथ आज भी महान शख्सियत चाचा नेहरू की वजह से उनके जन्मदिन के रूप में बाल दिवस के अवसर पर हमें बच्चे के महत्व को समझने का मौका मिला ।
भले ही 27 मई 1964 को बच्चों ने अपने प्रिय चाचा नेहरू को खो दिया लेकिन आज भी हमारे बीच उनकी शिक्षाएँ, आदर्श, सिद्धांत और बच्चों के लिए उनका प्यार बाल दिवस के रूप में मौजूद है। बच्चों के प्रति उनका जो प्यार और लगाव था उसी की वजह से इस दिन को बचपन का जश्न मनाने के लिए चुना गया है जो वास्तव में परिवार, समाज और देश में बच्चों के महत्व को याद दिलाता है…
हम बच्चों की देखभाल और उनकी शिक्षा के प्रति लोगों की जागरूकता बढ़ाने पर जितना अधिक ध्यान देंगे उनका उतना ही अच्छा शारीरिक और मानसिक विकास होगा । इस लिहाज से यह देश के भावी कर्णधारों के बारे में सोचने और विचारने का दिन होता है। बच्चों की शिक्षा – दीक्षा, इनके भविष्य, इनकी वर्तमान दशा आदि के संबंध में चिंतन – मनन करने का एक सुनहरा अवसर होता है । देश का पूरा भविष्य बच्चों की उन्नति पर निर्भर है।
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Useful and interesting speech.