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पंचतंत्र की नैतिक कहानियाँ – Small Panchatantra Stories In Hindi

पंचतंत्र की कुछ चुनिंदा मजेदार कहानियाँ (Small Panchatantra Stories in Hindi)

पंचतंत्र की कहानी (Panchatantra stories In Hindi)
पंचतंत्र की कहानी (Panchatantra stories In Hindi)

कहानी – लोमड़ी और मुखौटा

बहुत समय पहले की बात है, एक दिन एक लोमड़ी इधर-उधर घूमते हुए अनजाने में ही एक थियेटर के समान-कक्ष में प्रवेश कर जाती है। वहां रखे विभिन्न प्रकार की वेशभूषा और वस्त्रों को देखकर वो अचंभित हो जाती है। वहां पड़े राजा के वस्त्रों को पहनकर और उसे आईने में देखकर वह नाचने लगी। फिर उसने सैनिक के वस्त्र देखा, और उसे पहनकर वो सैनिको जैसा अभिनय करने लगी।

अचानक उसकी दृष्टि फर्श पर पड़े एक मुखौटे पर पड़ी, जिसे देखते ही वह डर गई। उसने मुखौटे को दीवार के पीछे फेंक कर अपने मन में बुद्बुदायी, ये जरूर कोई अलौकिक शक्ति है। और डरते हुए भगवान का नाम जपने लगी।

कुछ क्षण बाद उसे भूख लगने लगी। लोमड़ी ने तय किया और मुखौटे के पास गई और उसे जाँचने लगी। पर उसे मुखौटे से कोई हरकत होती नजर नहीं आई। वह उसे देर तक घूरती रही, फिर हिम्मत जुटा कर मुखौटे के पास गई और उसने देखा की मुखौटे ने उसका कोई नुकसान नहीं किया। अब लोमड़ी ने उसे उठाया और ध्यान से देखने लगी। उसके बाद उसे ज्ञात हुआ कि थियेटर में इस मुखौटे को कलाकार इस्तेमाल करते हैं। फिर वो अपनी मूर्खता पर बहुत हंसी और कमरे से बाहर चली गई।

Moral of story: इस कहानी से हमें ये सीख मिलती है की डर एक मानसिक उपज से ज्यादा और कुछ नहीं है।

कहानी – मेंढकों का राजा कौन

एक दलदल के किनारे बहुत से मेंढ़क रहा करते थे। वहां हर ओर पानी ही पानी था। वह बहुत आराम से, एक साथ मिल-जुल कर रहा करते थे। कोई भी किसी को हानि नहीं पहुँचाता था। लेकिन अपने समुदाय में बदलाव के लिए उनमें से कुछ मेढ़क एक राजा चाहते थे। वैसे तो हर तरह से उनके जीवन में शान्ति ही शान्ति थी, लेकिन फिर भी वह सभी अपने लिए एक राजा नियुक्त करना चाहते थे, जो हर मेढ़क के ऊपर दृष्टि रखें और अपने समुदाय के लोगों में अनुशासन बनायें रखे।

उन मेंढकों ने देवदूत से प्रार्थना की और कहा- “हे देवदूत ! हमें कृपया एक राजा दीजिए।” मेंढकों को इस प्रकार टर्राते देख देवदूत हँसने लगे और उन्होंने एक लकड़ी का बड़ा भारी टुकड़ा तालाब में गिरा दिया। सारे मेंढ़क उसके नीचे दब गये। इसके बाद भी मेंढक शान्त नहीं हुए और टर्र टर्र कर अपने लिए राजा की माँग करते रहे तो इस पर देवदूत ने उनके लिए एक बगुला को राजा नियुक्त कर दिया। वह बगुला सभी मेंढकों पर दृष्टि रखता और जैसे ही कोई मेंढक ज्यादा उछलता, वह उसे खा जाता। इस प्रकार एक- एक करके बगुला सभी मेढ़क खा गया।

Moral of story: इस कहानी से हमें ये शिक्षा मिलती है कि, जितना मिले उसी में संतुष्ट और खुश रहना चाहिए।

कहानी – चतुर लोमड़ी और भोली बकरी की कहानी

एक बार एक लोमड़ी किसी दुर्घटना के कारण एक कुएँ में गिर गई। वह कुएँ से निकलने का अथक प्रयास करने लगी पर निकल नहीं पाई। तभी वहां से एक बकरी गुजरी। बकरी ने लोमड़ी को कुँए में देखकर पुछा- “तुम कुएँ में क्या कर रही हो ?” इस पर बड़ी चालाकी से लोमड़ी ने उत्तर दिया – “तुम्हें पता नहीं हैं? शीघ्र ही यहाँ भारी सुखा पड़ने वाला है। इसलिए मैं यह देखने आई हूँ कि मेरे लायक यहाँ पानी है या  नहीं ? मेरी बात मानो तो तुम भी नीचे आ जाओं।

लोमड़ी की बात पर विचार कर बकरी तुरंत कुएं में कूद गई। जैसे ही बकरी कुएँ में गिरी, लोमड़ी उसकी पीठ पर चढ़ गई, और फिर उसकी सींघों पर पैर रखकर कुएँ की दीवार पर चढ़ गई और बाहर निकलने में कामयाब हो गई। बाहर निकलकर उसने बकरी से कहा – “ये सबक याद रखना दोस्त ! अलविदा !”

Moral of story : चतुर लोमड़ी की इस कहानी से सीख मिलती है कि मुसीबत में फंसे हुए की सलाह पर कभी विश्वास नहीं करना चाहिए।

कहानी – चतुर खरगोश

एक बड़े से जंगल में शेर रहता था। शेर अपने गुस्से से बड़ा तेज था। सभी जानवर उससे बहुत डरते थे। वह सभी जानवरों को परेशान किया करता था। वह आए दिन जंगलों में पशु-पक्षियों का शिकार करता था। शेर की इन हरकतों से सभी जानवर बड़े चिंतित थे।     

एक दिन जंगल के सभी जानवरों ने एक सम्मेंलन रखा। जानवरों ने सोचा शेर की इस रोज-रोज की परेशानी से अच्छा है, क्यों न हम खुद ही शेर को भोजन ला देते हैं। इससे वह किसी को भी परेशान नहीं करेगा और खुश रहेगा।

सभी जानवरों ने एकसाथ शेर के सामने अपनी बात रखी। इससे शेर बहुत खुश हुआ। उसके बाद शेर ने शिकार करना भी बंद कर  दिया।

एक दिन शेर को बहुत जोरों से भूख लग रही थी। एक चतुर खरगोश शेर का खाना लाते-लाते रास्ते में ही रुक गया। फिर थोड़ी देर बाद खरगोश शेर के सामने गया। शेर ने दहाड़ते हुए खरगोश से पूछा इतनी देर से क्यों आए? और मेरा खाना कहां है?

चतुर खरगोश बोला, शेरजी रास्तेख में ही मुझे दूसरे शेर ने रोक लिया था और वह आपका खाना भी खा गया। शेर बोला इस जंगल का राजा तो मैं हूं यह दूसरा शेर कहां से आ गया।

खरगोश ने बोला, चलो शेरजी मैं आपको बताता हूं वो कहां है। शेर खरगोश के साथ जंगल की तरफ गया। चतुर खरगोश शेर को बहुत दूर ले गया। खरगोश शेर को कुएं के पास ले गया और बोला शेरजी इसी के अंदर रहता है वह शेर।

शेर ने जैसी ही कुएं में देखा और दहाड़ लगाई। उसे उसी की परछाई दिख रही थी। वह समझा दूसरा शेर भी उसे ललकार रहा है। उसने वैसे ही कुएं में छलांग लगा दी। इस प्रकार जंगल के अन्य जानवरों को उससे मुक्ति मिली और खरगोश की सबने खूब सराहना की।

Moral of story : चाहे कोई आकर में छोटा ही क्यों न हो। अगर वो बुद्धिमानी से काम करें तो किसी भी बड़े से बड़े संकट को टाल सकते हैं।

कहानी- लालची कुत्ता

एक बार एक कुत्ता भूख से परेशान होकर इधर-उधर घूम रहा था । वह आस-पास के हर गली मुहल्ले से गुजरा पर उसे कई दिनो तक कुछ खाने को न मिला, बेचारे को बहुत जोर से भूख लगी थी। तभी किसी ने उसे एक रोटी दे दी, कुत्ता जब खाने लगा तो उसने देखा दूसरे कुत्ते भी उस से रोटी छीनना चाहते हैं। इसलिए मुँह में रोटी दबाए, वह किसी सुरक्षित स्थान को खोजने के लिए वहां से भाग खड़ा हुआ। थोड़ी दूरी पर उसे एक लकड़ी का पुल दिखाई दिया। कुत्ते ने सोचा चलो दूसरी तरफ़ जा कर आराम से रोटी खाता हूँ।

कुता डरते-डरते उस संकरे पुल से दूसरी तरफ़ जाने के लिये चल पडा। तभी उस की नजर पानी मे पडी तो देखता है कि एक कुता पूरी रोटी मुँह मे दबाये नीचे पानी मे खडा है। उसे नहीं पता था कि वह अपनी ही परछाई को दूसरा कुत्ता समझ रहा था।

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कुत्ते ने सोचा मैं यह रोटी भी इस से छीन लूं तो भरपेट खा लूं। और वो रोटी छीनने के लिए पानी में दिखाई देने वाले उस कुते पर भोंका कि उसके मुंह खोलते ही उसकी रोटी पानी में जा गिरी और बह गई और वह निराश होकर रोटी को पानी में बहते हुए देखता रह गया । फिर तो उसे भूखे पेट ही सोना पड़ा।

Moral of story : लालची कुत्ते की कहानी से हमें सीख मिलती है कि लालच करना बुरी बला है। हमें कभी भी लालच में पड़कर कोई काम नहीं करना चाहिए।

कहानी – नकल

एक पहाड़ की ऊंची चोटी पर एक बाज रहता था। पहाड़ की तराई में बरगद के पेड़ पर एक कौआ अपना घोंसला बनाकर रहता था। वह बड़ा चालाक और धूर्त था। उसका प्रयास रहता कि बिना परिश्रम किए खाने को मिल जाए। पेड़ के आसपास खोह में खरगोश भी रहते थे। जब भी खरगोश बाहर आते तो बाज ऊंची उड़ान भरते और एकाध खरगोश को उठाकर ले जाते।

एक दिन कौए ने सोचा, ‘वैसे तो ये चालाक खरगोश मेरे हाथ आएंगे नहीं, अगर इनका नर्म मांस खाना है तो मुझे भी बाज की तरह करना होगा। एकाएक झपट्टा मारकर पकड़ लूंगा।’

दूसरे दिन कौए ने भी एक खरगोश को दबोचने की बात सोचकर ऊंची उड़ान भरी। फिर उसने खरगोश को पकड़ने के लिए बाज की तरह ज़ोर से झपट्टा मारा। अब भला कौआ बाज का क्या मुकाबला करता। खरगोश ने उसे देख लिया और झट वहां से भागकर चट्टान के पीछे छिप गया। कौआ अपनी ही झोंक में उस चट्टान से जा टकराया। परिणामस्वरूप उसकी चोंच और गरदन टूट गईं और उसने वहीं तड़प कर दम तोड़ दिया।

Moral of story : नकल से जिन्दगी में कोई कुछ भी हासिल नहीं कर सकता हैं ।

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Babita Singh
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