सोते समय की बच्चो के लिए 7 बेहतरीन नैतिक कहानी: Best Inspirational & Motivational Stories of Bedtime in Hindi
बच्चों को सुनाने के लिए कहानियां – कहानी संग्रह। Hindi stories for children – A collection of Hindi bedtime moral stories for children…

कहानी : बिना पूँछ की लोमड़ी
एक लोमड़ी जंगल में घूम रही थी। तभी उसकी नजर धरती पर पड़े एक धातु पर पड़ी। उसने उस धातु के साथ छेड़ – छाड़ शुरू कर दी। अचानक उसकी पूँछ उस धातु में फँस गई।
अब वह अपनी पूँछ को उसमें से निकालने का प्रयास करने लगी। थोड़े समय के बाद वह अपने आप को उस धातु से मुक्त कराने में सफल हो गई, पर इस प्रक्रिया में वह अपनी पूँछ गवां बैठी। उसकी पूँछ कट गई।
अब वह बिना पूँछ की होकर बहुत शर्मिंदा महसूस कर रही थी। उसने सोचा कि इस तरह वह अपने साथियों के पास कैसे जायेगी? तभी उसे एक चालाकी सूझी। वह दूसरी लोमड़ियों के पास जाकर पूँछ न होने के फायदे और लम्बी पूँछ होने के नुकसान का गुणगान करने लगी।
उनमें से एक वृद्ध लोमड़ी, जो उसकी चालाकी समझ गई थी, बोली – “तुम्हे इस तरह दूसरों को बेवकूफ नहीं बनाना चाहिए। तुमने अपनी गलती के कारण अपनी पूँछ खो दी है। अब तुम दूसरों को भी नुकसान पहुँचाना चाहती हो ! यह ठीक बात नहीं है। कम से कम अपने साथियों के प्रति तो इमानदार रहो। पूँछ लोमड़ी की सुंदरता को और बढ़ाती है। वह एक प्रकार से उसकी शान होती है। और तुम अपने साथियों को बहकाकर उन्हें क्षति पहुँचाना चाहती हो ! थोड़ा सोचो, जब पूँछ कट जाने के बाद उन्हें अहसास होगा कि तुमने उनके साथ छल किया है, तब क्या वह तुमसे स्नेह कर पायेंगे ? क्या वह तुम्हें अपने झुंड में शामिल करेंगे ? इन सब बातों पर विचार करो और कभी भी अपने स्वार्थ के लिए दूसरों का अहित मत चाहो।”
इस प्रकार उस वृद्ध लोमड़ी कि डांट सुन वह बहुत शर्मिंदा हुई। दूसरी सभी लोमड़ियाँ वहाँ से हँसते हुई अपनी पूँछ हिलाकर चली गई।
शिक्षा : गलत सुझावों पर कभी ध्यान नहीं देना चाहिए।
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कहानी : ‘लोमड़ी और सारस की कहानी‘
लोमड़ी स्वभाव से धूर्त होती है। पर सारस एक गंभीर पक्षी होता है। एक बार एक लोमड़ी ने एक सारस का मजाक उड़ाने के लिए उसे अपने घर दावत पर बुलाया। उसने बहुत ही स्वादिष्ट खिचड़ी बनाई और एक समतल थाली में परोस कर सारस के सामने रख दिया।
सारस की चोंच बहुत लम्बी और पैनी होती है। इसलिए वह उस समतल थाली में से कुछ भी खा नहीं पाया। वहीं लोमड़ी ने फटाफट थाली में से सारा भोजन चट कर लिया। फिर वह सारस को देखकर जोर-जोर से हँसने लगी।
लोमड़ी के इस व्यवहार पर सारस को बहुत क्रोध आया। उसने भी लोमड़ी को सबक सीखने की ठान ली। उसने भी लोमड़ी को दावत पर बुलाया और भोजन सुराही में परोसा।
अब सारस तो अपनी लम्बी चोंच सुराही में घुसा कर भोजन खा पाया, पर लोमड़ी भूखी रह गई। इस बार हँसने की बारी सारस की थी। बेचारी लोमड़ी अपनी रोनी सूरत लेकर वहाँ से चली गई।
शिक्षा : जैसे को तैसा।
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कहानी : प्यासा कौआ की कहानी
एक बार एक कौआ आसमान में बहुत देर से उड़ रहा था। उड़ते – उड़ते उसे प्यास लगी। जून का महिना होने के कारण गर्मी अपने चरम पर थी।
पानी की तलाश में वह आस – पास के सरोवरों और नहरों तक भी गया। पर उसे उनमें जल की एक बूँद भी नहीं दिखाई पड़ी। वह निराश हो गया और प्यास से छटपटाने लगा।
तभी उसे एक मिट्टी का घड़ा दिखाई पड़ा। कौएने उसके अंदर झाँका। उसमें बहुत कम पानी था। कौवे ने घड़े में अपनी चोंच डालकर पानी पीने का बहुत प्रयास किया पर उसकी चोंच पानी तक पहुँच ही नहीं पा रही थी।
घड़े के पास ही कौए को कुछ कंकड़-पत्थर दिखाई पड़े। उसको एक उपाय सूझा। वह एक-एक करके पत्थर घड़े में डालने लगा। धीरे – धीरे पानी का स्तर बढ़ने लगा और वह घड़े के मुख के निकट पहुँच गया। अब crow ने अपनी चोंच घड़े में डाली और पानी पीया। उसकी प्यास बुझ गई और वह फिर से आसमान में उड़ने लगा।
शिक्षा : थोड़ा-थोड़ा करके ही ज्यादा पाया जा सकता है।
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कहानी : ‘अंगूर खट्टे हैं‘
एक बार एक लोमड़ी एक खेत में घूम रही थी। घूमते – घूमते वह बहुत दूर निकल गई। वह एक मैदान में जा पहुँची। उस मैदान के बीच में उसे अंगूर की बेल दिखाई पड़ी।
उस बेल को अंगूर के गुच्छों से लदा देखकर उसके मुँह में पानी भर आया। सभी गुच्छों के अंगूर रस से भरपूर प्रतीत हो रहे थे। उससे रहा न गया। लोमड़ी ने एक ऊँची छलांग लगाई। पर वह गुच्छों को छू न सकी। उसने और भी ऊँची छलांग लगाई। इस बार भी अंगूर उसके मुँह न लगे। वह बार – बार प्रयास करती रही। हर छलांग के साथ वह और ऊँचा उछलती गई पर अंगूरों तक नहीं पहुँच पाई।
बहुत प्रयत्न करने के बाद वह थक गई और अंगूरों को निहारती हुई जमीन पर बैठ गई। अंगूरों को पाने की लालसा ने उसे ज्यादा देर बैठने न दिया। वह पुनः उठ छलांग लगाने लगी। इस बार उसने दो – तीन छलांग ही लगाई थी कि अंगूरों के प्रति उसे अरूचि का अनुभव हुआ। उसने अपने मन में सोचा ‘मैं व्यर्थ ही प्रयास कर रही हूँ। यह अंगूर अवश्य ही खट्टे होंगे।’ ऐसा सोचकर वह वहाँ से चली गई।
शिक्षा : जिसे आप ग्रहण नहीं कर सकते उसे तुच्छ समझना बड़ा आसान होता है।
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कहानी : ‘लालची कुत्ता‘
एक बार एक कुत्ता भूख से परेशान होकर इधर-उधर घूम रहा था। वह आस-पास के हर गली-मोहल्ले से गुजरा पर उसे कुछ भी खाने को नहीं मिला। वह थककर एक मैदान में एक पेड़ की छाया में लेट गया। उसने अपनी आँखें बन्द कर लीं और सोने का प्रयास करने लगा।
तभी वहाँ एक चील मुंह में हड्डी दबाये उस पेड़ के ऊपर से उड़ते हुए एक पक्षी से टकरा गई और उसके मुंह से हड्डी छूटकर कुत्ते के सामने आ गिरी। अचानक नीचे गिरी हड्डी को सामने देखकर कुत्ता बहुत खुश हुआ। उसने तुरंत उस हड्डी को अपने मुँह में दबाया और हड्डी को खाने के लिए नदी पार करने लगा।
जब वह हड्डी मुँह में दबाकर नदी पार करने के लिए पुल पर चढ़ा तो नदी में उसे अपनी परछाई दिखाई दी। उसे लगा कि कोई दूसरा कुत्ता नदी में है और उसके मुँह में भी एक हड्डी है। उसके मन में लालच उत्पन्न हुआ और उसने सोचा की वह दूसरे कुत्ते की हड्डी भी छीन लेगा। जैसे ही भौंकने के लिए उसने अपना मुँह खोला हड्डी नदी में गिर पड़ी और वह निराश होकर हड्डी को पानी में बहते हुए देखता रह गया।
शिक्षा : लालच बुरी बला है।
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कहानी : चालाक लोमड़ी और कौआ
एक बार एक लोमड़ी बहुत भूखी थी। बहुत ढूढ़ने के बाद भी उसे कुछ खाने को नही मिला। तभी, उसने पेड़ पर एक कौए को बैठे देखा जिसके मुंह में एक रोटी थी।
रोटी देखकर उसके मुँह में पानी भर आया। अब वह रोटी पाने के लिए कोई उपाय सोचने लगी ।
तभी उसके मन में एक चालाकी सूझी। वह कौए की झूठी तारीफ करने लगी और बोली- “भाई कौए, तुम कितने सुन्दर हो। तुम चाहे गंगा में नहाओ या यमुना में, तुम्हारा रंग हमेशा एक जैसा ही रहता है। तुम तो पक्षियों के राजा हो। और गाना तो तुम इतना बढ़ियां गाते हो कि क्या कहना। आज मेरा मन तुम्हारा गाना सुनने के लिए व्याकुल हो रहा है। बस एक बार कुछ गा के सुना दो।”
अपनी तारीफ सुनकर वह फूल के कुप्पा हो गया। उसे सच में लगने लगा कि उसकी आवाज बहुत मधुर है। जैसे ही उसने गाने के लिए मुँह खोला, रोटी उसके मुँह से धरती पर गिर पड़ी और लोमड़ी वो रोटी लेकर वहाँ से भाग गई।
शिक्षा : चापलूसी करने वालों से हमेशा दूर रहना चाहिए।
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कहानी : खरगोश और कछुआ
एक जंगल में एक खरगोश रहता था। उसे इस बात का बहुत अभिमान था कि वह बहुत तेज दौड़ सकता है। एक बार उसने एक कछुए से शर्त लगाई और कहा- “चलो आपस में दौड़ लगाते हैं। देखते हैं कौन विजय होता है।” कछुआ बहुत ही गंभीर था। उसने खरगोश के अभिमान और चंचलता को भाँप लिया था। उसने कहा – “वैसे तो मैं बहुत धीरे चलता हूँ, पर तुमसे दौड़ लगाने के लिए तैयार हूँ।”
दौड़ शुरू हुई और खरगोश तुरन्त ही काफी दूर तक पहुँच गया। बहुत दूर पहुँचने पर जब उसने पीछे मुड़कर देखा तो उसे कछुआ कहीं नजर नहीं आया। उसने सोचा – “जब तक कछुआ यहाँ पहुँचेगा तब तक तो मैं थोड़ा सो के आराम भी कर लूँगा।” यह सोच के वह एक पेड़ के नीचे सो गया।
धीरे-धीरे कछुआ वहाँ पहुँचा। खरगोश को सोता देख, थोड़ा मुस्कुराया और बिना रुके लक्ष्य तक उससे पहले पहुँच गया।
शिक्षा : दृढ़ निश्चय करने वाले कभी नहीं हारते, चाहे वह कमजोर ही क्यों न हों।
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Very nice story!
Tһis is really intereѕting Story
Nice Stories. Good Work
ये कहानी बहुत ही अच्छी है। आप हमेशा ऐसे ही लिखते रहिए।
very nice story
keep good word
great stories
Bahut Sahi Likha Hai Apne Hamesha aese Hi Likhate Rahe
बहुत ही अच्छी कहानी??