ऐड्स क्या है, और ये कैसे होता हैं?

AIDS Information in Hindi: एड्स अकेला रोग नहीं हैं और ना ही वास्तविक रूप से किसी एक बीमारी का नाम है बल्कि यह रोगों अथवा रोग के लक्षणों का समूह है जो विशिष्ट जीवाणुओं के द्वारा मनुष्य की प्रतिरोधक क्षमता को नष्ट करने से उत्पन्न होती है। अर्थात एड्स मूल रूप से शरीर में एक प्रकार के हानिकारक वायरस के प्रवेश के कारण होता है जिसका नाम हैं HIV.
HIV का पूरा नाम है ‘ह्यूमन इम्यूनोडिफिशियेंसी वाइरस। इस वायरस का पता पहली बार वर्ष 1981 में चला था। यह शरीर की प्रतिरक्षण प्रणाली को आघात पहुँचता है। प्रतिरक्षण प्रणाली हमारे शरीर के भीतर ऐसी अवस्थाओं का तंत्र है जो संक्रमण वैक्टीरिया आदि की पहचान करता है और उनका खात्मा करता है। विशेषकर सीडी-4 कोशिकाओं पर हमला करता है, और उन्हें नष्ट कर देता है। लेकिन इसका यह मतलब बिल्कुल नहीं कि एंटीबॉडी परिक्षण में किसी व्यक्ति को एच आई वी से संक्रमित पाया गया तो उसे एड्स है। लेकिन प्रभावित व्यक्ति के शरीर के भीतर ये एच आई वी वायरस छ: महीने और अधिकतम 15 साल तक निष्क्रिय अवस्था में रहने की ताकत रखता है। इस दौरान इस बात की पूरी संभावना होती है कि उसके शरीर में एड्स होने का कोई लक्षण प्रकट नहीं होता है। ज्यादातर इस दौरान एड्स के लक्षण सुप्तावस्था में ही रहता है। लेकिन ऐसे लोग पूरी तरह से दूसरों को संक्रमित कर सकते है।
एड्स का अर्थ (Meaning of AIDS in Hindi)
एड्स का पूरा नाम एक्वायर्ड इम्यूनोडिफिशियेंसी सिंड्रोम है। एक्वायर्ड अर्थात आप इससे संक्रमित हो सकते है; इम्यून डिफिशियेंसी अर्थात बीमारी से लड़ने वाले शरीर के प्रतिरक्षी तंत्र का कमजोर होना और सिन्ड्रोम का अर्थ एक साथ ढेर सारी स्वास्थ्य समस्याएं जो मिलकर किसी बड़ी बीमारी को जन्म देती हैं। यानि एड्स अकेला रोग नहीं है बल्कि उन रोगों के समूह को दर्शता है जो एच आई वी संक्रमित व्यक्ति को उस समय अपनी चपेट में लेते है। तब उसके शरीर की प्रतिरक्षण क्षमता धीरे-धीरे समाप्त हो जाती है।
अमरीका स्थित सेन्टर फॉर डिजीज कन्ट्रोल (CDC) के अनुसार एच आई वी संक्रमित वे सभी व्यक्ति जिनके रक्त में CD4 टी कोशिकाओं की संख्या 200/मिली से कम होती है, एड्स पीड़ित की श्रेणी में आते हैं।
इंटरनेशनल कमेटी ऑन टेक्सोनॉमी ऑफ वाइरसेस ने एड्स विषाणु को एचआईवी का नाम दिया है। अब तक दो प्रकार के एचआईवी – एचआईवी-1 और एचआईवी-2 की जानकारी उपलब्ध है। एचआईवी शरीर के रोग प्रतिरोधक तंत्र को प्रभावित करता है। यह विषाणु छ: महीने से 10 साल तक निष्क्रिय अवस्था में रह सकता है।
एचआईवी प्राय: मनुष्य में उस समय प्रविष्ट होता है जब उसमें सबसे अधिक उर्जा होती है। एक बार मनुष्य इस जीवाणु से ग्रसित होता है तब धीरे – धीरे उसकी उर्जा व प्रतिरोधक क्षमता विलीन होती जाती है। पर बहुत से लोग एचआईवी का मतलब एड्स, और एड्स का मतलब एक खौफनाक मौत मानते है। यहाँ तक कि जो एचआईवी पॉजीटिव है, उन्हें भी लगता है कि उन्हें एड्स है और वे मृत्यु के समीप है। जबकि असल में एचआईवी संक्रमण एक ऐसी प्रक्रिया है जिसमे वायरस धीरे – धीरे क्रिया करते हुए प्रतिरोधक क्षमता को कम करते जाते हैं।
इनसे बचने का कोई टीका या इलाज के लिए कोई दवाई उपलब्ध नहीं हैं। लिहाजा विश्व के अनेक देशों में एड्स के रोगियों की संख्या तेजी से बढ़ रही है। एड्स का इस प्रकार का प्रसार न केवल पीड़ित एवं उसके परिवारजनों के लिए एक विकट एवं गंभीर समस्या है बल्कि सम्पूर्ण समाज के लिए घातक है। एचआईवी संक्रमण के अपने जोखिम को कम करने के लिए यह जानना बेहद जरूरी है कि एड्स क्या है और यह कैसे फैलता है ?
एचआईवी/एड्स क्या है? और यह कैसे होता हैं (What is HIV and AIDS? How You Get It) एचआईवी और एड्स में अन्तर
एचआईवी वायरस का नाम है। और एड्स इस वायरस के कारण होने वाली शारीरिक स्थिति है। यह एक खतरनाक और लम्बे समय तक रहने वाली बीमारी हैं। इस वायरस का पता पहली बार वर्ष 1981 में चला था। असल में एड्स स्वयं में किसी एक बीमारी का नाम नहीं है बल्कि एड्स अनेक प्रकार के रोगों का समूह है जो विशिष्ट जीवाणुओं के द्वारा मनुष्य की प्रतिरोधक क्षमता को नष्ट करके शरीर को अपने कब्जे में ले लेता हैं।
शोधकर्ताओं के अनुसार एड्स दो वायरस के कारण होता है, एचआईवी1 और एचआईवी2 । आपने सम्भवतः इन एच आई वी वायरसों के बारे में जरूर कही पढ़ा या सुना भी होगा, पर इस बात पर गौर करना होगा कि ‘एच.आई.वी.’ से ग्रसित सभी मनुष्य एड्स के रोगी नहीं हैं क्योंकि इस जीवाणु से ग्रसित लोगों में ‘एड्स’ को पूर्णत: विकसित होने में 7 से 10 वर्ष तक लग सकते हैं।

एचआईवी एड्स के लक्षण और संकेत (Sign and Symptoms of Aids in Hindi)
किसी व्यक्ति को एचआईवी एड्स होने पर निम्न दुष्परिणाम सामने आते हैं –
एचआईवी संक्रमण के प्रारंभिक लक्षण
1- सामान्य या मामूली संक्रमण का प्रतिरोध करने की क्षमता शरीर में नहीं रहती।
2- व्यक्ति बार – बार बीमार पड़ने लगता है। और निरंतर कमजोर होता जाता है।
3- व्यक्ति को बड़ी आसानी से संक्रमण होने लगते हैं, जो मामूली जुकाम से लेकर क्षय रोग, फंक्स, इन्फेक्शन आदि गंभीर संक्रमण तक हो सकते हैं। प्रतिरक्षण क्षमता कम होने पर व्यक्ति को ये संक्रमण बड़ी आसानी से दबोच लेते हैं। किसी भी एच आई वी संक्रमण व्यक्ति में प्रतिरक्षण प्रणाली कमजोर होने के कारण इन संक्रमणों को बढ़ते जाने को अवसर मिल जाता है। इसलिए इन्हें अवसरवादी संक्रमण कहा जाता है।
एड्स रोग के प्रमुख लक्षण
1- भूख न लगना, थकान महसूस होना,
2- रात में बहुत अधिक पसीना आना,
3- सिर का दर्द,
4- बार – बार बुखार आना,
5- गर्दन, बगल आदि में लिम्फग्रंथियों का बड़ा होना।
6- एक माह से अधिक खांसी होना,
7- शरीर के वजन में कमी, शारीरिक भार के 10% से अधिक,
8- त्वचा पर खुजली और लाल-भूरे धब्बे,
9- हर्पीज सिम्पलेक्स का संक्रमण,
10- पेचिश – लगातार एक माह तक रहना।
बच्चों में एचआईवी संक्रमण के प्रारंभिक लक्षण
1- गर्दन, बगलों और उरू संधियों की लिम्फ ग्रंथियों में सूजन,
2- त्वचा पर चकत्ते और खुजली,
3- बार – बार पतले दस्त होना,
4- बार – बार बुखार के साथ कान और साइनस का संक्रमण,
5- वजन न बढ़ना,
6- सामान्य क्रियाओं जैसे बैठने, चलने या खड़े होने में कठिनाई होना,
7- हर समय रोना और चिड़चिड़ाना,
8- शक्ति की कमी।
एड्स का निदान / जांच (Aids Infection Test for Diagnosis in Hindi)
एड्स का निदान कुछ रक्त परीक्षणों के आधार पर किया जा सकता है। इस रक्त परीक्षण का नाम है –
Aids Treatment (एलिसा परिक्षण) – एंजाइम-लिंक्ड इम्यूनोसॉरबेंट ऐसे, रक्त में एंटीबॉडी की उपस्थिति की जांच के लिए किया जाने वाला प्रयोगशाला परिक्षण है। एलिसा टेस्ट के लिए प्रयुक्त उपकरण एलिसा रीडर कहलाता है। रक्त में एचआईवी का पता लगाने के लिए रेपिड टेस्ट किया जाता है।
एड्स का इलाज – Aids Treatment in Hindi
एड्स इस समय एक बड़ी जनसंख्या में फैलने वाला दुनिया की सबसे बड़ी स्वास्थ्य समस्याओं में से एक है यानि की यह एक महामारी है। एड्स का स्थायी इलाज ढूँढ निकालने के लिए विश्वभर के वैज्ञानिक अनुसन्धान कार्य कर रहे हैं लेकिन एड्स पर अपने अभी तक के शोधो में जो नवीन जानकारियाँ एवं निष्कर्ष सामने आये हैं उसमें एड्स एक लाइलाज बीमारी है।
एड्स की जानकारी ही इससे बचाव है। हम स्वयं एड्स के बारे में सभी जानकारियां ग्रहण करें तथा अन्य लोगों को भी इनसे बचाव हेतु प्रेरित करें। एड्स के प्रचार – प्रसार में सही जानकरी का न होना इस महामारी के फैलने का मुख्य कारण रहा है। इसलिए इससे बचना है तो यह जानना बेहद जरूरी हो जाता है कि समय से एचआईवी को पहचाना जाए और दवाएं उपलब्ध करायी जाएं। इसके साथ ही समय पर टेस्ट होने के साथ पूरा इलाज और देखभाल भी हो। इसलिए किसी भी पुरुष या महिला को एचआईवी संक्रमण का शक होते ही तुरन्त स्वास्थ्य कार्यकर्ता, और डॉक्टर या किसी एचआईवी और एड्स केंद्र (ART Centre) से सम्पर्क करके, गोपनीयता के साथ सलाह-मशविरा और जाँच की सुविधा का लाभ उठाना चाहिए।
एचआईवी संक्रमण के उपचार की सर्वाधिक प्रचलित औषधि है ए जेड टी। ए जेड टी का अर्थ है एजिडोथाइमिडीन। एड्स के उपचार की एक अन्य औषधि है डाइडीऑक्सी साइटीडीन। एड्स के उपचार की एक और प्रभावी आयुर्वेदिक औषधि है कम्पपाउंड क्यू।
एड्स के उपचार के लिए साइटोकाइनिन, इंटरल्युकिन, इंटरफेरॉन आदि पर अनुसन्धान जारी हैं। एचआईवी और एड्स से ग्रस्त लोगो को दवाई देकर उन्हें कुछ अधिक समय तक जिन्दा तो रखा जा सकता है लेकिन इनसे बचने का कोई स्थायी टीका या इलाज के लिए कोई दवाई दुनिया भर में अभी तक नहीं बनी है।
एचआईवी और एड्स होने के प्रमुख कारण (Solid Reasons for HIV AND AIDS in Hindi)
4 चीजें जो मैं चाहती हूं कि हर किसी को एचआईवी और एड्स के बारे में पता चल जाए तभी एचआईवी एड्स को और अधिक फैलने से रोका जा सकता है। एचआईवी और एड्स होने के ठोस कारण इस प्रकार है –
- लैंगिक संबंध द्वारा
आम तौर पर लोगों को एचआईवी होता है संक्रमित व्यक्ति के साथ असुरक्षित यौन संबंध रखने से। किसी भी युग्म का एक सदस्य यदि ‘एच. आई. वी.’ बाधित है तो यौन संबंधो द्वारा दूसरा सदस्य भी बाधित हो सकता है। एड्स का संचरण पुरुष से पुरुष में हो सकता है, पुरुष से स्त्री में हो सकता है और कुछ कम हद तक स्त्रियों से पुरुष में हो सकता है। जो स्त्री या पुरुष पहले से ही यौन रोगों से पीड़ित होते हैं उनमें यह खतरा और भी बढ़ जाता है।
- इंजेक्शन और गोदना
एचआईवी, साफ न की गई उन सुइयों या सीरिंजों से फैल सकता है जिनका इस्तेमाल अकसर नशीली चीजें लेने के लिया किया जाता है। आजकल बहुत सारे अनाड़ी और झोलाछाप चिकित्सक जो बिना साफ की गई सुइयाँ प्रयोग करते हैं। संक्रमण के एक अन्य खतरे का स्रोत बन रहा है। इनके द्वारा संक्रमित व्यक्ति को लगाई गयी इंजेक्शन की सुईयों का उपयोग स्वस्थ्य व्यक्ति पर धडल्ले से किया रहा है जिससे एच आई वी का विषाणु स्वस्थ्य व्यक्ति को भी संक्रमित कर दे रहा है। आज दुनिया भर में ड्रग्स लेने वाले लोग अधिक तीव्रता से एड्स के शिकार हो रहे हैं क्योंकि इनके द्वारा संक्रमित इंजेक्शन का उपयोग तीव्रता से हो रहा है। संक्रमित उपकरणों का गोदने के लिए उपयोग भी एच आई वी के संक्रमण में सहायक कारक होता है। उस्तरा, ब्लेड, चाकू या त्वचा को काटने अथवा छेदने वाले अन्य औजारों से भी एचआईवी फैलने का कुछ खतरा रहता है।
- रक्ताधान
रक्त संचारण विधि भी एड्स प्रसार में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। यदि किसी सामान्य व्यक्ति को एड्स रोग से ग्रसित रोगी का संक्रमित रक्त या ऐसे रक्त के उत्पाद, रक्त संचारण विधि से दिए जाएं तो वह व्यक्ति एड्स का शिकार हो सकता हैं। वर्तमान समय में विभिन्न प्रकार के रोगियों में रक्त संचारण की आवश्यकता होती हैं अत: इस कार्य के लिए यदि एड्स से ग्रसित व्यक्ति का रक्त उपयोग में आ जाता है तो वे इस खतरनाक रोग के शिकार हो जाते है।
- माँ से बच्चे में
एचआईवी से संक्रमित माता से गर्भावस्था या प्रसव के दौरान अथवा स्तनपान के जरिए बच्चे को यह संक्रमण हो सकता है। यह प्रक्रिया वर्टिकल ट्रांसमिशन कहलाती है। लेकिन गर्भवती महिला अगर किसी प्रशिक्षित डॉक्टर से प्रसव कराती है तो शिशु को एड्स होने के खतरे से बचाया जा सकता है।
एड्स इनसे नहीं फैलता
-> इसके संक्रमण मूत्र, मल, वमन, पसीना में मौजूद नहीं होते है और न ही यह फ्लू या जुखाम-खांसी की तरह खांसने, छींकने से फैलता है और न ही किसी अन्य वाहक मच्छरों द्वारा फैलता है।
-> किसी एड्स रोगी के निकट बैठने से भी नहीं होता है ।
-> एड्स रोगी के साथ हाथ मिलाने, खाने, या उसकी चीजें उपयोग करने से एड्स नहीं होता है।
-> एड्स रोगी द्वारा प्रयोग किए टेलिफोन, मोबाइल आदि का उपयोग करने से भी एड्स के विषाणु नहीं फैलता है।
-> किसी एड्स रोगी की परिचर्चा करने से भी एड्स नहीं फैलता है ।
-> एड्स रोगी से गले मिलने से भी नहीं फैलता है ।
-> मानव शरीर के बाहर एच आई वी ज्यादा देर तक जीवित नहीं रहता । उच्च ताप, शुष्कावस्था या डिटर्जेंट के संपर्क में आने से यह मर जाता है ।
एचआईवी और एड्स के संक्रमण के खतरे से बचने के उपाय –
~ एचआईवी और एड्स के संक्रमण का खतरा सभी को, यहाँ तक की बच्चों को भी रहता है। इसलिए सबको इस के बारे में जानकारी और शिक्षा मिलनी चाहिए। इसका खतरा कम करने के लिए कंडोम आसानी से उपलब्ध होना चाहिए।
~ यौन संबंधो के जरिए एचआईवी संक्रमण का खतरा कम किया जा सकता है, बशर्ते लोग यौन संबंध न रखें या यौन संबंध के लिए अपने साथियों की संख्या कम कर दे या सिर्फ संक्रमण से मुक्त साथी आपस में यौन संबंध रखें या सुरक्षित सैक्स अपनाएँ। ऐसा करने से एचआईवी को फैलने से रोक कर, लोगों की जान बचा सकते है।
~ माता – पिता और शिक्षक एचआईवी और एड्स से बचने में युवाओं की मदद कर सकते है। वे इस संक्रमण का शिकार होने से बचने और इसे फैलने से रोकने के बारे में उनके साथ बातचीत कर सकते है।
~ एड्स एक संक्रमित होने वाला रोग है, जो एचआईवी संक्रमित खून चढ़ाने, एड्स पीड़ित व्यक्ति से यौन संबंध रखने, उसकी चोट का खून, स्वस्थ्य व्यक्ति के ताजे घाव में लगने से एचआईवी हो सकता है। लगभग 90% लोगों में एचआईवी संक्रमण इसी प्रकार फैलता रहा है। इसलिए किसी व्यक्ति को खून चढ़ाए जाने से पहले उसकी जांच हो कि कहीं वह संक्रमित तो नहीं है। पीड़ित से किसी स्वस्थ व्यक्ति को यह रोग संक्रमित ना हो, इसके लिए अच्छी तरह प्रयोगशाला में खून की जाँच होनी चाहिए। इससे लोगों को एचआईवी से संक्रमण का खतरा टाला जा सकता हैं। एच.आई.वी. पॉजीटिव को इलाज जल्दी मिले, तो भी एड्स को कंट्रोल करने में मदद मिल सकती है।
एड्स अपने घातक स्वरूप के कारण सिर्फ भारत देश में ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया में दुगनी तेजी से फैल रहा है। यदि यह महामारी अपनी इसी गति से बढ़ती रही तो ऐटलान्टा के रोग नियंत्रण केंद्र के अनुसार, अगले पांच वर्षों में एड्स रोगियों की वास्तविक संख्या काफी बढ़ जायेगी।
इस रोग की गंभीरता को देखते हुए, एड्स के वायरसों पर काबू पाने और उत्पन्न बिमारियों के नियंत्रण के लिए अथक शोध जारी हैं। दुनिया भर में एड्स के बढ़ते मामलों को देखते हुए अब यह तय हो चुका है कि इससे बचाव ही सुरक्षित भविष्य का एकमात्र रास्ता हैं।
एचआईवी और एड्स से प्रभावित या उसके साथ जी रहे लोगो को विशेष देखभाल और हमदर्दी की जरूरत होती है जो की उन्हें डॉक्टर और समाज में रहने वाले आम जन से मिलनी चाहिए। उन्हें एच आई वी और एड्स से जुडी सेवाओं और कार्यक्रमों का लाभ मिलने में आने वाली हर तरह की अड़चन दूर करने के उपाय किए जाने चाहिए, चाहे वह अड़चन सामाजिक हों, सांस्कृतिक हों या राजनीतिक हों।
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