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आदर्श अध्यापक और उनके गुण – Hindi Essay on Ideal Teacher

अध्यापक / शिक्षक दिवस पर निबन्ध व भाषण – Best Speech & Essay on Teachers Day in Hindi

Ideal Teacher in Hindi
Ideal Teacher in Hindi

आदर्श अध्यापक और उनके गुण – Essay on Ideal Teacher in Hindi

Teacher in Hindi : हमारे यहाँ के विशिष्ट दिन या तो ऐतिहासिक हैं अथवा धार्मिक, परन्तु कुछ ऐसे दिन होते है जो मानवीय मूल्यों को उजागर करते हैं। ऐसा ही एक विशेष दिन शिक्षक दिवस हैं। इसे शिक्षकों के सम्मान के उद्देश्य से हर वर्ष 5 सितम्बर को राष्ट्रीय शिक्षक दिवस के तौर पर मनाया जाता है।  वास्तव में इस समाज की सच्ची संपत्ति शिक्षक हैं। वह जनमानस के नायक, राष्ट्र के उन्नायक हैं।

शिक्षक का हमारे जीवन में बड़ा महत्व है, कहते है अगर शिष्य झुके गुरु के आगे तो इंसान बन जाता है | यह बिल्कुल सच है | गुरु हमारे विशेष मित्र की तरह हैं। तभी तो वह सामाजिक जीवन में कभी सच्चे मार्गदर्शक बनकर अपना फर्ज निभाते हैं तो कभी माता-पिता बनकर सच्ची सलाह देते हैं। वे हमें हर तरह से मार्गदर्शन करते हैं। वे हमें सिखाते हैं कि कैसे शांति में रहना है। और एक – दूसरें से प्यार करना है। वे हमें अच्छे मार्ग बताते हैं। जो हमारे जीवन को चमकाता है।

शिक्षकों से नव संदेश पाकर हमारा जीवन हमेशा से प्रेरित होता रहा है।  अगर इनका सम्बल न होता तो हम जीवन में ना तो स्फूर्ति भर सकते है और ना सफलता पा सकते हैं। वास्तव में शिक्षक निश्चित रूप से फूलों के बीच गुलाब की तरह है। शिक्षक दिवस मनाने का मतलब गुरुओं को सम्मानित करना और कृतज्ञ हृदय से उनका आभार प्रकट करना है | शिक्षक दिवस पर सरल शब्दों में भाषण पढ़ने के लिए यहाँ click करे

अध्यापक अथवा गुरु का अर्थ

कुछ गुरु कहते हैं कुछ उन्हें अध्यापक कहते हैं और कुछ शिक्षक कहते हैं। लोगों ने अपनी अपनी श्रद्धा, निष्ठां और समर्पण के आधार पर आदरणीय गुरुओं को अनेक नाम दिए हैं । शास्त्रों में गुरु के अर्थ के बारे में बताया गया है कि ‘गू’ का अर्थ होता है अंधकार अथवा अज्ञान और ‘रू’ का अर्थ होता है प्रकाश (ज्ञान) अर्थात गुरु व्यक्ति को अज्ञान रूपी अंधकार से ज्ञान रूपी प्रकाश की ओर ले जाता है। इसीलिए गुरु को साक्षात् ईश्वर माना गया है |

राष्ट्र निर्माण में अध्यापक / शिक्षक का महत्व

जिस प्रकार शब्द से अर्थ को और अर्थ से शब्द को, शरीर से प्राण को और प्राण से शरीर को पृथक नहीं किया जा सकता उसी प्रकार हम राष्ट्र को भी शिक्षक से पृथक नहीं कर सकते और न शिक्षक को राष्ट्र से।

जिस प्रकार शरीर और प्राण अन्योन्याश्रित हैं, बिना शरीर के प्राण का अस्तित्व नहीं और बिना प्राणों के शरीर का महत्व नहीं ठीक उसी प्रकार शिक्षक प्राण है और राष्ट्र उसका शरीर। जिस प्रकार निर्जीव शरीर का कोई मूल्य नहीं होता उसी प्रकार शिक्षक विहीन राष्ट्र का कोई मूल्य नहीं।

यदि शिक्षक योग्य हैं, चरित्रवान है तो राष्ट्र भी योग्य होगा, चरित्रवान होगा और यदि शिक्षक का अभाव है, तो राष्ट्र का जीवित रहना भी दुर्लभ है। आज नहीं तो कल उसकी संस्कृति, उसकी सभ्यता निश्चित ही नष्ट हो जायेगी। निर्जीव राष्ट्र चिरस्थायी नहीं रह सकता।

शिक्षक और समाज का सम्बन्ध

शिक्षक और समाज का आपस में घनिष्ठ सम्बन्ध है। उसका स्थान समाज में अत्यंत महत्वपूर्ण होता है। वह समाज और राष्ट्र का वास्तव में सच्चा गुरु होता है। 

समाज और देश की उन्नति एवं अवनति बहुत कुछ शिक्षकों पर ही निर्भर करती है। वह देश और समाज बहुत सौभाग्यशाली है जिसमें योग्य और चरित्रवान शिक्षकों की अधिकता है। समाज और राष्ट्र का हित योग्य शिक्षकों पर ही निर्भर करता है। इसलिए अध्यापक का कार्य ऐसे शिक्षकों को सौंपा जाता है जो योग्य और चरित्रवान होते हैं। पाश्चात्य देशों में अध्यापकों के निर्माण में बड़ी सतर्कता एवं सावधानी बरती जाती है।

एक सम्मानित या आदर्श शिक्षक किसे कहेगे ?

आदर्श अध्यापक/ शिक्षक का क्षेत्र बहुत विस्तृत है | जब भी एक आदर्श शिक्षक की बात होती हैं तो जो छवि सबसे पहले मन में उभरती है वह सादा जीवन उच्च विचार वाले अध्यापक की होती हैं। वास्तव में एक आदर्श शिक्षक “जो सतत अध्यापन करता हैं, उसे कहते हैं” शिक्षक की परिभाषा देखने में तो छोटी है, परन्तु इसमें भी समाज और देश के कल्याण की भावना अंतर्निहित है। शिक्षक वास्तव में देश और समाज का प्राण है। समाज और देश के भावी निर्माण का भार शिक्षक के कन्धों पर ही है। हमारे प्राचीन गुरु/शिक्षक संसार के अन्य किसी गुरु की अपेक्षा अधिक समृद्ध थे। हमारे देश को विश्व के लोग जगद्गुरु कहते है। हमारी संस्कृति में गुरु को माता-पिता तथा ईश्वर से भी अधिक सम्मान दिया गया है। कबीरदास जी ने तो गुरु को ईश्वर से बड़ा बताकर कहा है कि यदि गुरु और ईश्वर दोनों खड़े हों तो मैं पहले ईश्वर के नहीं गुरु के चरणों का ही स्पर्श करूँगा क्योंकि गुरु ने ही मुझे ईश्वर की पहचान कराई है।

शिक्षक और विद्यार्थी का रिश्ता

विद्यार्थी जीवन में गुरु की भूमिका वही है जो एक कुम्हार की होती है। विद्यार्थी कच्ची मिट्टी का ढेला होता है,  गुरु जिसे जीवन लक्ष्य प्राप्ति की ओर प्रवृत्ति करता है। अपने व्यापक अर्थों में समाज के विभिन्न क्षेत्रों में मार्गदर्शन करने वाले को आदरणीय गुरु की प्रतिष्ठा दी गई हैं।

शिक्षक विद्यार्थी के लिए पिता, भाई और मित्र के समान होता है। शिक्षक और विद्यार्थी के रिश्ते से सच्चा और मधुर कोई रिश्ता नहीं होता है। इस समाज ने हर रिश्ते को नाम दिया, किन्तु विद्यार्थी और शिक्षक के रिश्ते का कोई नाम नहीं दिया।

शिक्षक तो वह दिया है जो खुद जलकर अपने छात्रों को योग्य एवं चरित्रवान बनाता है। शिक्षक विद्यार्थी को सिर्फ पढ़ाने तक सीमित नहीं रहता अपितु उनका मकसद समाज की हर एक बात बताना है। ताकि आगे चलकर विद्यार्थी ठोकर न खाए तथा भविष्य में वह इस बात को औरों को भी समझाए।

सच में एक शिक्षक उस देवता के समान होता है जो निस्वार्थ भावना से रात – दिन छात्र-हित में ही कार्य करता है। शिक्षक का जीवन तपोमय होता है। उसका हृदय नवनीत सा कोमल और स्वच्छ होता है। उसके चरित्र में दृढ़ता और हृदय विशाल होता है। समाज के सर्वश्रेष्ठ गुण ही शिक्षक में केन्द्रित होकर उसे ‘आदर्श’ शब्द से विभूषित करते हैं।

एक विद्वान शिक्षक का सभी विषयों पर समान अधिकार होता है। पाठ्य विषयों को छात्रों के सामने किस प्रकार प्रस्तुत करना चाहिए और किस तरह समझाना चाहिए, शिक्षक इस कला में अत्यंत ही कुशल होता है। वह विषय के प्रत्येक अंश पर सरलता के साथ प्रकाश डालता है। उसकी सम्पूर्ण चेष्टा केवल इसी बात की ओर रहती है कि वह जिस विषय को पढ़ा रहा है वह छात्रों के हृदयपट पर सही तरह से अंकित हो जाए। वह छात्रों के ज्ञान और विकास में अपनी महान सफलता देखता है। वह अपने समय को व्यर्थ नष्ट नहीं करता है।

प्रेम से ओतप्रोत शिक्षक अपने छात्रों को अनुशासन में रखता है, पर उसके अनुशासन में दृढ़ता होती है कठोरता नहीं। सच्चा शिक्षक कभी भी किसी परिस्तिथि में असत्य भाषण नहीं करता। वह सदैव ईश्वर के प्रति समर्पित रहता है।

सच्चा गुरु आदर्श विद्यार्थियों के रूप में समाज और राष्ट्र को जीवन और जागृत का दान प्रदान करता है। वह समाज और राष्ट्र को ऐसी सम्पत्ति देता है जिसे पाकर समाज और राष्ट्र युगों -युगों तक शान्ति और आनन्द का उपभोग करता है।

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One thought on “आदर्श अध्यापक और उनके गुण – Hindi Essay on Ideal Teacher

  1. बबिता जी,
    बहुत अच्छा निबंध है । एक अच्छा शिक्षक विधार्थी के जीवन को सवार देता है । छात्र को ऊँचाइयों तक ले जाने में एक शिक्षक की बहुत ही महत्वपूर्ण भूमिका होती है ।

    नीरज श्रीवास्तव
    wwww.janjagrannews.com.

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