मातृभाषा हिंदी पर कविता – Poem on Importance of Hindi language…

Poem on Importance of Hindi Language – नमस्कार दोस्तों ! जैसा की किसी भी स्वतंत्र राष्ट्र की अपनी एक राजभाषा होती है जो उसका गौरव और पहचान होती है। वैसे ही हमारी राजभाषा हिंदी है। सौभाग्य से यह दुनिया में सबसे ज्यादा बोली जाने वाली भाषाओ में तीसरे स्थान पर प्रतिष्ठित है। यह उपलब्धि हिंदी के महत्व को परिभाषित करता है। हिंदी को यह महत्व दिलाने में गैर हिंदी भाषी बुद्धिजीवी नेता महात्मा गांधी, सुभाषचंद्र बोस, दयानन्द सरस्वती, बालगंगाधर तिलक आदि का विशेष योगदान रहा है।
देखा जाए, तो इनके प्रयासों का ही प्रतिफल है कि अब हिंदी सिर्फ एक भाषा नहीं है। यह वह कड़ी है, जो भारत ही नहीं, बल्क़ि दुनिया के कई देशों को जोड़ती है। इस भाषा का सम्मान यानि देश का सम्मान है। इस बहुसंपन्न भाषा का सम्मान करना हम सबका नैतिक कर्तव्य और जिम्मेदारी भी है। लेकिन अफ़सोस तात्कालिक परिस्थितियों में हिंदी भाषा की घोर उपेक्षा हो रही है। आज हमारे देश में ही लोग हिंदी बोलने से कतराते हैं। यहाँ तक कि उन्हें हिंदी में बातचीत करने में शर्म लगती है।
हिन्दोस्तां में हिंदी की ऐसी अनदेखी देख मन वाकई विचलित हो उठता है। “हिंदी पहचान है हिन्दुस्तान की”। अगर हिंदी की अनदेखी इसी तरह से लोग करते रहें तो जरूर एक दिन देश की एकता और अखंडता किसी कोने में पड़ी सिसक रही होगी। हालांकि हिंदी की खोई गरिमा को वापस लाने के लिए हमारी सरकार प्रतिबद्ध है।
गौरतलब है कि हिंदी के राष्ट्रभाषा के पद की गरिमा को अक्षुण्ण बनाएं रखने के लिए प्रत्येक वर्ष 10 जनवरी को अन्तर्राष्ट्रीय हिंदी दिवस – International Hindi Day और 14 सितम्बर को हम राष्ट्रीय हिंदी दिवस – National Hindi Day के रूप में मनाते हैं। 14 सितंबर 1949 को ही हमारी हिन्दी भाषा को अधिकारिक रूप से राष्ट्रभाषा का दर्जा प्राप्त हुआ था।
निश्चित तौर पर ये दोनों ही विशेष दिन हम सबके लिए बहुत ही महत्त्वपूर्ण है। क्योंकि यह हिंदी के प्रति लोगों में जागरूकता उत्पन्न करने और अपने देश की संस्कृति से जोड़ने, तथा हिंदी के प्रति सम्मान और गर्व महसूस कराने की दिशा में वैश्विक स्तर पर मुहीम चलाकर काम करते हैं। और मैं आज जो कविता आपके लिए लाई हूँ वह भी हिंदी की अहमियत और इसके प्रति सम्मान की भावना से जुड़ा हुआ है।
इन्हें यहाँ पर खास आपके लिए उपलब्ध करा रही हूँ। इसका इस्तेमाल आप हिंदी भाषा के प्रति सम्मान की भावना से ओतप्रोत एवं प्रोत्साहित होने के लिए कर सकते है। उम्मीद हैं आप इससे जरुर प्रेरित होंगे और दूसरों को भी प्रेरित करेंगे।
“हिंदी के स्वर बुला रहे हैं” (Poem on hindi )
अपने पन की चली हवाएँ, हिन्दी के श्रृंगार से,
हिन्दी स्वर बुला रहें हैं, सात समंदर पार से।
आज विश्व में हिन्दी के प्रति,
बढ़ने लगा लगाव है।
एक मात्र भाषा है जिसमें,
सर्वधर्म समभाव है।
हिन्दी इतनी सहज कि इसको सब अपनाते प्यार से,
हिन्दी स्वर बुला रहें हैं, सात समंदर पार से।
सकल विश्व साहित्य आजकल,
हिन्दी में उपलब्ध हैं।
हिन्दी के बढ़ते प्रचलन से,
हर भाषा स्तब्ध है।
प्रगति पथ पर देश चला है हिन्दी के विस्तार से,
हिन्दी स्वर बुला रहें हैं, सात समंदर पार से।
वही देश उन्नत होता हैं,
जिसकी भाषा एक हो,
उसको जग सम्मानित करता,
जिसके पास विवेक हो,
अनजाने अपने हो जाते, हिन्दी के व्यवहार से,
हिन्दी स्वर बुला रहें हैं, सात समंदर पार से।
कई सितारे चमक रहे हैं,
हिन्दी के आकाश में,
छटा इन्द्रधनुषी बिखरी है,
इसके मृदुल प्रकाश में,
जग को ज्ञान ज्योति मिलती है हिन्दी के भंडार से,
हिन्दी के स्वर बुला रहें हैं, सात समंदर पार से।
राष्ट्रभाषा हिंदी पर सुन्दर कविता
भारत के जन – जन का उद्गार है हिंदी,
हर इक के दिलो को जोड़ने का तार है हिंदी।
हर ओठों को, मुस्कान मिले जी भर,
ईश्वर का दिया गया अनुपम उपहार है हिंदी।।
बिहारी, केशव, भूषण का रीतिवाद है हिंदी,
स्थूल से सूक्ष्म तक रहस्यवाद जानने का,
प्रसाद, निराला, पन्त का ‘छायावाद‘ है हिंदी।
आती और जाती, सुबह – शाम है हिंदी,
हर लक्ष्य को पाने का मुकाम है हिंदी।
पी लो जितना चाहे दिन – रात छककर,
बच्चन की मधुशाला का छलकता जाम है हिंदी।
गीता, कुरान व बाईबिल का सार है हिंदी,
सुविसित गुलाब के फूलों का हार है हिंदी।
नहा लो चाहे जी भर प्यार से,
गंगा की बहती निर्मल धार है हिंदी।
हिन्दू, मुश्लिम, सिक्ख व ईसाईयों का संसार है हिंदी,
आपस में भाईचारा बढ़ाने का आधार है हिंदी।
हम रहें चाहे जितना भी अलग – अलग,
विभिन्नता में एकता को पिरोने में सूत्रधार है हिंदी।
किसानों की लगती मधुर चौपाल है हिंदी,
जवानों के सीनें में लगी हुई ढाल है हिंदी।
पड़ोसी मुल्को को सबक सिखाने हेतु,
हम सभी के करो में तीक्ष्ण तलवार है ‘हिंदी‘।।
हम सभी को मिला हुआ माँ का प्यार है हिंदी,
पिता का बच्चों को दिया गया दुलार है हिंदी।
खोजते रह जओगो, अनबूझी पहेलियों को तुम,
अगम असीम निधियों का पारावार है हिंदी।।
वीणा के निकलते मधुर स्वरों की झंकार है हिंदी,
बांसुरी के स्वरों की बहती रसधार है हिंदी,
रसाल पर कूँ कूँ कर, मदहोश कर देने वाली,
कोयल की सुरीली मधुर पुकार है हिंदी।।
फिल्मी जगत में अलग रखती पहचान है हिंदी,
फिल्मकारों की अदाओं की जान है हिंदी।
फिल्मों में चाहे जितनी भाषाओं के सुन ले गीत,
फिल्मी गीतों की आन – बान व शान है हिंदी।।
साहित्याकाश के तम को मिटाने में, सविता है हिंदी,
कवियों के मंथन से सृजित कविता है हिंदी।
डूबते उतराते रहो यूँ ही प्यार से,
जादू की बहती अजीब सरिता है हिंदी।
गम्भीर सागर को पार करने की पतवार है हिंदी,
राष्ट्रभाषा बनने की सचमुच हकदार है हिंदी।
श्रम से चूर होकर आ जाओ गोद में इसके,
राहत देती समझो रविवार है हिंदी।।
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Nice Post Your content is very inspiring and appriciating I really like it
मातृभाषा पर बहुत ही सुन्दर कविता । धन्यवाद ।