भारत में महिलाओं की स्थिति पर निबंध : Status of Women in India in Hindi Language

महिलाओं की स्थिति पर निबंध (Status of Women in India in Hindi) – नारी की प्रकृति बड़ी अनोखी एवं बेजोड़ मानी जाती है। इसमें अनगिनत तत्व एक साथ समाए होते हैं। हरेक तत्व की अपनी खास विशेषता होती है। बावजूद इसके “भारत में महिलाओं की स्थिति” हर युग में एक समान नहीं रही हैं। कभी नारी बेचारी बना दी गई तो कभी पुरुषों का अन्याय सहना ही उसका भाग्य बन गया।
लेकिन जब भी भारतीय नारी को मौका दिया गया उसने यह बता दिया कि नारी न हारी है और न ही बेचारी है। सच तो यह है कि संकल्प कर लेने वाली हर नारी पुरुष पर भी भारी है। उसमें अन्याय को भस्म करने की अद्भुत शक्ति है। फिर भी युगों के साथ भारत में महिलाओं की स्थिति बदलती रही हैं।
जैसे कि प्राचीन भारत में महिलाओं का स्थान काफी महत्वपूर्ण था। इस काल में नारी को पूर्ण स्वतंत्रता प्राप्त थी और परिवार में उनका पद अत्यंत प्रतिष्ठापूर्ण था। उस समय नारी का पूर्ण वर्चस्व था। व्यापार, व्यावसाय और शिक्षा जैसे पुरुष एकाधिकार के क्षेत्र में हर तरह से उनका प्रवेश था। कहने का आशय यह है कि नारी की शक्ति प्राचीन भारत में हर रूप में प्रकट होती थी। नारी को शक्ति का सघन पुंज माना जाता था और अपने शक्तियों के कारण ही वेदों और उपनिषदों के काल में स्त्रियों का आदर और सम्मान देवी के समान किया जाता था। उनको पूजा जाता था। ऐसी मान्यता थी कि जहां स्त्रियों की पूजा की जाती है वहां सभी प्रकार के देवी – देवता निवास करते है।
यह तो प्राचीन भारत के पैमाने पर महिलाओं की स्थिति का दर्पण था। यदि इस सन्दर्भ में देखा जाएं तो मध्यकालीन युग आते – आते महिलाओं की दशा न केवल निराशाजनक थी वरन भयावह भी कही जा सकती है।
मध्यकाल में भारतीय महिलाओं की निराशाजनक की स्थिति
मध्यकालीन भारतीय समाज की बदलती हुई परिस्तिथियों में न केवल समाज का ढ़ाचा बदला अपितु नारी की उलझनों को भी बढ़ाया। उसकी जीवन पद्धति, उसके जीवन मूल्य, उसकी मनस्थिति को तीव्रता से बदल डाला।
मध्यकाल में समाज की घृणित विचारधारा ने नारी के सारे अधिकार छीन लिए। जो नारियां प्राचीन काल में पुरुषों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर चलती थी, मध्यकाल में उन्हें केवल घर की चारदीवारी तक ही सिमित कर दिया गया।
इस काल में एक कन्या का शिशु के रूप में जन्म लेना और बढ़ना अत्यंत त्रासदीपूर्ण था। क्योंकि इस काल के हालात कुछ ऐसे थे कि नारी के कोमल, सुन्दर और खिलखिलाहट से भरे जीवन को नष्ट कर देने वाला अज्ञात शत्रु कहा किस मोड़ पर मिल जाये ये ज्ञात नहीं होता था। मध्यकालीन भारत में एक स्त्री का कदम – कदम पर होने वाला शोषण एक भयानक सच्चाई थी। इससे बचने के लिए पर्दाप्रथा ने जन्म लिया जो की उस समय की आवश्यकता थी। और बाल विवाह प्रथा भी इसी तरह की कुरूति की एक उपज थी।
नारी की इस दयनीय और असहाय दशा से क्षुब्द होकर राष्ट्रकवि मथ्लिशरण गुप्त ने इस अवस्था का चित्रण अपनी अग्रलिखित पंक्तियों में किया है –
अबला जीवन हाय तुम्हारी यही कहानी |
आंचल में है दूध और आंखों में पानी ||
नारी की वर्तमान स्थिति
वर्तमान स्थिति में नारी ने जो साहस का परिचय दिया है, वह आश्चर्यजनक है। आज नारी की भागीदारी के बिना कोई भी काम पूर्ण नहीं माना जा रहा है। आज के समय में आई. पी. एस. अधिकारी डॉक्टर, वकील, जज, राजनीतिज्ञ सभी कार्यालयों एवं दफ्तरों में नारियां पदासीन हैं। भारत के स्वतंत्रता संग्राम में नारियों ने बढ़ – चढ़ कर हिस्सा लिया। आधुनिक युग में नारियों को पुरुषों के समान अधिकार प्राप्त हैं।
समाज के हर क्षेत्र में उसका परोक्ष – अपरोक्ष रूप से प्रवेश हो चुका है। आज तो कई ऐसे प्रतिष्ठान एवं संस्थाएँ हैं, जिन्हें केवल नारी संचालित करती है या ये कहे कि स्वतंत्रत भारत में आज नारी के लिए प्रगति के सभी अवसर खुले हुए हैं।
वर्तमान नारी की सफलता के आँकड़ो का वर्णन करें तो शायद उसे समेट पाना सम्भव नहीं होगा, परंतु उसका विश्लेषण करने पर पता चलता है कि वर्तमान काल में नारियों की स्थिति सुधारने के पीछे समय – समय पर अनेक महापुरुषों एवं राजनीतिज्ञों द्वारा हर संभव किया गया प्रयास है।
राजा राम मोहन राय ने सती प्रथा को कानून द्वारा बंद कराया। महर्षि दयानन्द ने बाल विवाह पर रोक लगवायी तथा पुरुषों की भांति महिलाओं को भी एक समान अधिकार दिए जाने पर बल दिया। गाँधी जी ने भी स्त्रियों की दशा को सुधारने के लिए जीवन भर कार्य किये।
महिला उत्थान के लिए अनेक प्रकार के कानून एवं उत्तराधिकार नियम लागू किये गये हैं जिसमें शारदा एक्ट मुख्य है। इस नियम के द्वारा स्त्रियों की दशा को सुधारने का हर सम्भव प्रयास दिया गया है। उन्हें पुरुषों समान स्वतंत्रता प्रदान की गयी है, आज वे भी पुरुषों के भांति कहीं भी जा सकती हैं, घूम सकती हैं, बैठ सकती हैं तथा अपनी योग्यतानुसार किसी भी पद पर कार्य कर सकती हैं। पिता की संपत्ति में पुत्रों की भांति पुत्रियों को भी संपत्ति में समान रूप से हिस्सा प्राप्त करने का अधिकार हैं।
आधुनिक युग में नारी उत्थान के लिए सरकारी प्रयास
महिलाओं के संघर्षमय जीवन में सुधार, प्रगति एवं उत्थान के लिए सरकार अनेक प्रकार से प्रयत्न कर रही है। साथ ही महिला हिंसा से जूझने के लिए सरकार की ओर से अनेक संस्थान एवं आयोग स्थापित किए गए है जो इंसानों को एहसास कराती है कि औरत कोई वस्तु नहीं है वह भी इंसान है उसका भी सम्मान है उसके भी कुछ सपनें हैं। लेकिन जो एक बात मुझे इस वक्त महसूस हो रही है वह यह है कि समाज को यह एहसास कराने के साथ ही हमें हर औरत को भी वह सब महसूस कराना होगा जो उसे एक सम्मानपूर्ण पृष्ठभूमि दे सके। धन्यवाद।
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nari ki dasha par sbhi pahluo par sachitr accha lekh share karne ke liye aapka bahut dahanyavad.
पुरातन काल से अभी तक नारी की दशा का वर्णन करते हुए उसे भविष्य की दिशा देता सार्थक लेख
बबिता जी, महिलाओं की स्थिती पर सभी क्षेत्रों का समावेश करते हुए बहुत ही अच्छा निबंध लिखा हैं आपने। बधाई।