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नशे पर कविता एवं पोएम – Poem on Nasha Mukti In Hindi – Nasha Mukti Par Kavita

नशे पर कविता “नशे का खेल” – Nasha Par Kavita “Nashe Ka Khel

नशा मुक्ति शायरी - Nasha Mukti Shayari in Hindi
नशा मुक्ति poem – Nasha Mukti Kavita in Hindi

Nasha Mukti Par Poem In Hindi – दोस्तों नशा इस सदी की एक वैश्विक सार्वजनिक स्वास्थ्य संमस्या है जिसे केवल कानून और दण्ड के बल पर दूर नहीं किया जा सकता। जिंदगी तबाह करने वाली इस सर्वनाशी बुराई को समूल नष्ट करने हेतु सामाजिक चेतना, जागृति और एक जुट होकर मजबूत प्रयास करने की जरुरत है। जब सारा समाज एक जुट होकर नशे के खिलाफ कब्र खोदने के लिए कमर कस लेगा, यह बुराई तभी समाप्त होगी। यहां उपलब्ध नशा मुक्ति पर कविता केवल साधन नहीं है, बल्कि जनजागरूकता फैलाकर नशा मुक्ति भारत अभियान को तेज करने का हमारा एक छोटा प्रयास है। 

नशा मुक्त भारत हिंदी कविता: Nasha Mukti Hindi Poem

तन उखड़ जायेगा कुल उजड़ जायेगा,

जो थपेड़े नशे के तू घर लायेगा ।

तेरी गाढ़ी कमाई न रुक पायेगी,

हर आफतनई रोज घर आयेगी ।

तब उजाले का दीपक भी बुझ जायेगा,

जो थपेड़े नशे के तू घर लायेगा ।

घर में होगी कलह बस बेकार में,

सेध लग जायेगी आपसी प्यार में ।

तब खुशियों का छप्पर भी उड़ जायेगा,

जो थपेड़े नशे के तू घर लायेगा ।

मित्र भी घर तुम्हारें बहुत आयेंगे,

न समझ पयोगे खेत बिक भी जायेगे ।

देख तन की दशा दिल दहल जायेगा,

जो थपेड़े नशे के तू घर लायेगा ।

मान सम्मान भी तुम नहीं पयोगे,

बस नशेड़ी – नशेड़ी तुम कहलाओगे ।

यह ठप्पा भी जीवन में लग जायेगा,

जो थपेड़े नशे के तू घर लायेगा ।

जब हालत तुम्हारी बिगड़ जायेगी,

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तब दोस्ती कोई काम न आयेगी ।

खेल घर का भी सारा बिगड़ जायेगा,

जो थपेड़े नशे के तू घर लायेगा ।

है गुजारिश यही दूर इनसे रहो,

न तो बेकार जुल्मों की पीड़ा सहो ।

दूर रहने से जीवन सुधर जायेगा,

तब नशा दूर जीवन से भाग जायेगा,

जो थपेड़े नशे के तू घर लायेगा ।

नशे पर कविता “इनका सेवन मत करों” – Nasha Par Kavita “Inka Sevan Mat Karo”

गुटखा, बीडी, तम्बाकू नशा करत बर्बाद

इनका सेवन मत करो, रहो सदा खुशहाल।

गांजा, भाँग, अफीम का, असर ऐसा होय

शरीर को नित जर्जर करे और सही बतावे रोय ।

पानी की तरह पैसा बहे दुर्गति घर का होय

भूखे सब बच्चे रहे दशा बतावे रोय ।

दारू कबहूँ मत पियो, कर देगी कंगाल

नाली में आसन मिली, न कोई पूछे हालचाल ।

घर की सब सम्पत्ति बिकी, मची रहेगी हाय

तन जर्जर ऐसी होगी गेहूं घुन जैसे खाएं ।

नशा छोड़कर जीवन जिओ, रखिए अपना ख्याल

कर्म सदा ऐसे करो, बनी रहे ससुराल ।

नशा मृत्यु का हेतु है, रहिए इससे दूर

यही बात दिल में रखे, जब करते है टूर ।

नात बात का हेतु भी, जाता तभी ही छूट

देखते है जब तुमको पीते, मदिरा का घूँट ।

पीने वाले के यहां जेवर तक बिक जाय

फाटे चीर भर्या रहे, दशा कही न जाय ।

जाम जाम ही करत है चलन कबहूँ नही देत

जाम हेतु निज खेत भी , गहने तक धरि देत ।

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Babita Singh
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