Name of The National Symbols of India in Hindi –

National Symbols of India in Hindi : दोस्तों ! प्रत्येक राष्ट्र की अपनी पहचान होती है। इसी पहचान के लिए समूचे राष्ट्र द्वारा कोई विशेष झंडा, विशेष गीत आदि सामूहिक तौर पर स्वीकार किए जाते हैं। जिनकी रक्षा करना तथा उनके प्रति सम्मान की भावना व्यक्त करना वहाँ के प्रत्येक नागरिक का कर्तव्य होता है। इन प्रतीक चिन्हों को ही हम राष्ट्रीय चिन्ह कहते है।
विश्व के विभिन्न देशों के समान भारत के भी प्रमुख प्रतीक चिह्नों, पशु, पंछियों को अपनी पहचानपरक विशेषताओं के रूप में मान्यता प्रदान है। ये प्रतीक न सिर्फ भारत की राष्ट्रीय एकता एवं समन्वय स्थापित करने में सहायक है, बल्कि यह देश के नागरिकों में विलक्षण राष्ट्रीयता, राष्ट्र प्रेम और राष्ट्र के गर्व की भावना भी पैदा करते है।
वर्तमान में भारत के राष्ट्रीय चिन्ह का महत्व भी राष्ट्र एवं उसकी महिमामय संस्कृति जितना ही व्यापक है। यह सत्य बहुश्रुत है कि ये प्रतीक पूरी तरह से भारतीय संस्कृति और परंपरा का मूलभूत हिस्सा है। भारत का हर राष्ट्रीय प्रतीक बहुत ध्यान से चुना गया है। राष्ट्रीय प्रतीक चिन्हों के नाम, अर्थ, महत्व और विशेषता हर जानकारी इस प्रकार है :
भारत के राष्ट्रीय चिह्न की सूची संक्षिप्त (Short) में (List of National Symbol of India in Hindi)
भारत का राष्ट्रीय प्रतीक – सारनाथ में अशोक स्तम्भ पर अंकित चिह्न शेर भारत का राष्ट्रीय प्रतीक है। इसमें चार एशियाई शेरों को एक परिपत्र एबैकस पर खड़ा होना शामिल है। एबैकस में एक हाथी, घोड़ा, एक बैल और शेर की मूर्तियां हैं,
राष्ट्रीय गीत – “वंदेमातरम्” बंकिमचंद्र चटर्जी द्वारा रचित भारत का राष्ट्रीय गीत और स्वतंत्रता के लिए भारत के संघर्ष का प्रतीकात्मक अनुस्मारक है,
राष्ट्रगान – “जन गण मन” रवींद्रनाथ टैगोर द्वारा रचित भारत का राष्ट्रीय गान और हमारे राष्ट्रीयता का प्रतीक है।
राष्ट्रीय ध्वज – भारतीय ध्वज स्वतंत्रता के प्रतीक के रूप में बनाया गया है,
राष्ट्रीय पक्षी – देश का राष्ट्रीय पक्षी मोर है जो सौंदर्य और कृपा का प्रतीक है,
और राष्ट्रीय फल – आम भारत के उष्णकटिबंधीय जलवायु का प्रतीक है,
राष्ट्रीय फूल – कमल शुद्धता का प्रतीक है,
राष्ट्रीय वृक्ष – बरगद अमरत्व का प्रतीक है,
राष्ट्रीय पशु – टाइगर शक्ति का प्रतीक है,
राष्ट्रीय विरासत पशु – हाथी (Elephant)
राष्ट्रीय जलीय जीव – गंगा डोल्फिन
राष्ट्रीय कैलेंडर – पंचांग

भारत के राष्ट्रीय प्रतीक और उनकी विशेषता – National Symbols of India in Hindi
राष्ट्रध्वज : भारत का राष्ट्रीय ध्वज
हर एक आजाद देश की आन – बान और शान का प्रतीक अपना एक ध्वज होता है और जो उस देश का पूरी दुनिया में प्रतिनिधित्व करता है। भारत ने भी केसरिया, श्वेत और हरे रंगों की तीन पट्टियों से युक्त तिरंगा को देश के राष्ट्रीय ध्वज के रूप में अपनाया है। तीनों पट्टियां आड़ी है तथा समान चौड़ाई की है। केसरिया रंग सबसे ऊपर तथा हरा रंग सबसे नीचे है। मध्य की श्वेत पट्टी के केंद्र में एक चक्र है, जिसमें 24 ‘अरे’ (तीलियाँ) है। चक्र का व्यास लगभग श्वेत पट्टी की चौड़ाई के बराबर ही है। ध्वज की लम्बाई – चौड़ाई का अनुपात 3:2 है। यह ध्वज 22 जुलाई, 1947 को भारत की संविधान सभा ने स्वीकार किया था।
राष्ट्रीय ध्वज के तीनों रंग विशिष्ट स्वरुप व भाव रखते है। केसरिया रंग विशिष्ट रूप से “भारतीय केसरिया” (Indian Saffron) तथा हरा रंग ‘भारतीय हरा’ (Indian Green) प्रकार का है जिनका निर्धारण भारतीय मानक संस्थान के कड़े मानदंडों पर किया जाता है। चक्र का प्रारूप सारनाथ स्थित अशोक स्तम्भ पर अंकित धर्म – चक्र के समरूप है जो नीले रंग (Navy Blue) से बनाया जाता है। केसरिया रंग साहस, बल, त्याग एवं नि:स्वार्थ की भावना का द्योतक है, श्वेत रंग सत्य व शांति का तथा हर रंग विश्वास, शौर्य (Chivalry) एवं धरा की हरियाली तथा राष्ट्र की खुशहाली का प्रतीक है और यह देश के शुभ, विकास और उर्वरता को भी दर्शाता है। मध्य – अंकित चक्र धर्म अर्थात सत्य की प्रगति का प्रतीक है। इस प्रकार हमारा राष्ट्रीय ध्वज भारत के सांस्कृतिक, सामाजिक एवं मानवीय उच्च भावों का प्रतीक है जो उसकी ऐतिहासिक विरासत से संबंधित है।
राष्ट्र ध्वज अत्यंत पवित्र एवं सम्मानजनक राष्ट्रीय प्रतीक है, अत: उसके साथ अनेक व्यवहारिक नियमावालियां भी जुड़ी है। ध्वज का प्रयोग और प्रदर्शन ‘ध्वज संहिता – भारत’ के अनुसार किया जाता है। महत्वपूर्ण सरकारी इमारतों पर तो यह प्रतिदिन फहराता रहता है, परन्तु अन्य स्थानों पर सिर्फ राष्ट्रीय त्यौहारों को ही फहराया जाता है। साथ ही इसी सूर्योदय तथा सूर्यास्त के मध्य ही फहराया जा सकता है। फटे अथवा फेडेड हो चुके रंगों वाले ध्वज को फहराना तिरंगे का अपमान माना जाता है। ध्वज को फहराते समय यह ध्यान रखना आवश्यक है कि इसका केसरिया रंग सदैव ऊपर रहे तथा यदि इसे अन्य ध्वजों के साथ फहराना हो तो इसे सदैव सबसे दाहिनी और स्थित होना चाहिए। ध्वज को कभी भी भूमि का स्पर्श नहीं होने देना चाहिए।
राष्ट्र ध्वज को राष्ट्रीय शोक की बेला में आधा झुका दिया जाता है। राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति तथा प्रधानमंत्री की मृत्यु होने पर सम्पूर्ण देश में, लोक सभा के अध्यक्ष तथा उच्चतम न्यायलय के मुख्य न्यायधीश की मृत्यु हो जाने पर दिल्ली में, केंद्रीय कैबीनेट मंत्री की मृत्यु होने पर नई दिल्ली तथा राज्यों की राजधानियों में, केन्द्रीय राजमंत्री तथा उपमंत्री की मृत्यु होने पर दिल्ली में, राज्यपाल व मुख्यमंत्री की मृत्यु होने पर सम्बंधित राज्य भर में तथा राज्य के कैबीनेट मंत्री की मृत्यु पर संबंधित राज्य की राजधानी में राष्ट्रध्वज आधा झुका दिया जाता है। इन पदधारकों की मृत्युपरांत अंतिम संस्कार स्थल पर, अंतिम संस्कार के संपन्न होने के दिन देश का राष्ट्र ध्वज को झुका दिया जाता है। यदि ये घटनाएँ गणतंत्र दिवस, स्वतंत्रता दिवस या महात्मा गाँधी जयंती के दिन ही घटित हो तो सिर्फ उसी भवन पर राष्ट्रध्वज आधा झुका रहेगा, जहाँ मृतक शरीर रखा गया हो तथा शेष भवनों पर राष्ट्र ध्वज पूर्णरूपेण फहराया जाएगा।
राजचिन्ह: भारत का राजकीय प्रतीक
महान सम्राट अशोक की विरासत ‘अशोक स्तंभ’ से भारत का ‘राजचिह्न’ के रूप में प्राप्त किया गया है। वाराणसी के पास सारनाथ में जहां भगवान बुद्ध ने सबसे पहले अपने ज्ञान के आलोक से संसार को आलोकित किया था, वही पर सम्राट अशोक ने शिलालेख के साथ इस महत्वपूर्ण चिन्ह की स्थापना की थी। यही से इसे लेकर राष्ट्रीय चिन्ह के रूप में प्रतिष्ठित किया गया। इस से जहाँ एक ओर भगवान बुद्ध एवं सम्राट अशोक की शिक्षाओं का सन्देश मिलता है, वही दूसरी ओर इस चिन्ह से हमारे असीम सांस्कृतिक ज्ञान – विज्ञान की झलक मिलती है।
अशोक स्तंभ का शीर्ष भाग वर्तमान में सारनाथ के संग्रहालय में सुरक्षित रखा गया है। मूल स्तंभ में उत्कीर्ण आकृति से भारत का राजचिन्ह हल्की भिन्नता दर्शाता है क्योंकि मूल आकृति के सिर्फ एक पक्ष को ही दर्शाता है। मूल आकृति में स्तंभ के शीर्ष पर चार सिंह एक दूसरे की ओर पीठ किये हुए खड़े है। इनके नीचे घंटे के आकार के पद्म के ऊपर एक चित्रवल्लरी में एक हाथी, दौड़ता हुआ एक घोड़ा, एक सांड और एक सिंह की उभरी हुई मूर्ति है, जिनके बीच – बीच में चक्र बने हुए है। एक ही पत्थर को काटकर बनाए गए इस स्तंभ के शीर्ष के सिंहों के ऊपर ‘धर्मचक्र’ उत्कीर्ण है।
26 जनवरी 1 9 50 में भारत सरकार ने अशोक स्तंभ के शीर्ष की जिस अनुकृति को स्वीकार किया, उसमें तीन सिंह दिखाई पड़ते है, जिनके नीचे की पट्टी में उभरी हुई नक्काशी में चक्र है , जिसके दाईं ओर एक सांड़ और बाईं ओर एक घोड़ा है। दाएँ और बाएं छोरों पर अन्य चक्रों के किनारे दृष्टि गत होते है। मूल आकृति में उत्कीर्ण आधार के ‘पद्म’ को राजचिन्ह में छोड़ दिया गया है। फलक के नीचे देवनागरी लिपि में ‘ सत्यमेव जयते ’ अंकित है, जो मुंडकोपनिषद से लिया गया है।
भारत के राज – चिन्ह का प्रयोग राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, भारत सरकार के विभिन्न मंत्रालयों तथा न्यायपालिका आदि से सम्बन्धित समस्त सूचनाओं, कार्यादेशों एवं गजेटों आदि पर किया जाता है।
राष्ट्रगान: जन – गण – मन – अधिनायक जय हे भारत का राष्ट्रीय गान
रवीन्द्रनाथ टैगोर द्वारा रचित ‘ जन – गण – मन’ को भारत के राष्ट्रगान के रूप में स्वीकार किया गया है। यद्यपि पुरे गीत में पांच पद है, परन्तु इसके सिर्फ प्रथम पद को, जिसमें 13 पंक्तियाँ है, को ही राष्ट्रगान के रूप में गाया जाता है। राष्ट्रगान की पंक्तियाँ इस प्रकार है –
जन – गण – मन – अधिनायक जय हे
भारत भाग्य विधाता
पंजाब – सिंधु – गुजरात – मराठा
द्राविड़ – उत्कल बंग
विन्ध्य – हिमाचल – यमुना – गंगा
उच्छल – जलधि – तरंग
तव शुभ नामे जागे,
तव शुभ आशिष मांगे,
गाहे तव जय – गाथा
जन – गण – मंगल दायक जय हे
भारत भाग्य विधाता
जय हे, जय हे, जय हे,
जय जय जय जय हे।
गुरुदेव ने इस गीत की रचना दिसम्बर 1911 में की थी तथा इसे सर्वप्रथम 27 दिसम्बर, 1911 को कलकत्ता में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस अधिवेशन में पहली बार अधिकारिक तौर पर गाया गया था। जनवरी 1912 में ‘तत्वबोधिनी’ नामक पत्रिका में ‘ भारत भाग्य विधाता ’ शीर्षक से सर्वप्रथम प्रकाशित हुआ था। 1919 में स्वयं गुरुदेव ने इस गीत का अंग्रेजी रूपांतरण ‘ द मॉर्निंग सॉंग ऑफ़ इंडिया ’ (The Morning Song of India) शीर्षक से किया। स्वतंत्रता प्राप्ति के पश्चात् भारत की संविधान सभा ने 24 जनवरी 1950 को भारत के राष्ट्रगान के रूप में अंगीकृत किया।
राष्ट्रगान के गायन का समय 52 सेकंड है, परन्तु कुछ अवसरों पर इसे संक्षिप्त रूप में भी गाया जाता है जिसमे इसकी सिर्फ प्रथम और अंतिम पंक्तियाँ ही गाई जाती है | संक्षिप्त रूप के गाने का समय 20 सेकंड है। राष्ट्रगान को गाते समय व्यक्ति को सावधान की मुद्रा में एकाग्रचित होकर रहना चाहिए।
राष्ट्रगीत: वंदे मातरम् भारत का राष्ट्रीय गीत
बंकिमचंद्र चट्टोपाध्याय द्वारा रचित ‘वन्दे मातरम्’ को भारत के राष्ट्रगीत के रूप में अपनाया गया है। स्वतंत्रता आन्दोलन के दौरान जनसामान्य में राष्ट्र प्रेम व आत्म बलिदान की प्रेरणा देने वाला यह गीत बंकिमचंद्र के प्रसिद्ध उपन्यास ‘ आनंदमठ ’ से लिया गया है। गीत की पंक्तियाँ इस प्रकार है –
वंदे मातरम्, वंदे मातरम्!
सुजलाम्, सुफलाम्, मलयज शीतलाम्,
शस्यश्यामलाम्, मातरम् !
वंदे मातरम् !
शुभ्रज्योत्सनाम् पुलकितयामिनीम्,
फुल्लकुसुमित द्रुमदल शोभिनीम्,
सुहासिनीम् सुमधुर भाषिणीम्,
सुखदाम् वरदाम्, मातरम् !
वंदे मातरम्, वंदे मातरम्॥
इस गीत की रचना सितम्बर – अक्टूबर 1874 में हुई थी। वास्तव में सम्पूर्ण गीत में पांच पद है, परन्तु इसका प्रथम पद ही राष्ट्रगीत के रूप में स्वीकार किया गया है। भारतीय राष्ट्रीय “कांग्रेस अधिवेशन 1896” का वह पहला राजनीतिक अवसर था, जब इसे गाया गया था। गीत के गाने की अवधि एक मिनट पांच सेकंड है। इसे सर्वप्रथम यदुनाथ भट्टाचार्य ने स्वरबद्ध किया था। वर्तमान में इसे प्रसिद्ध सितारवादक पन्ना लाल घोष द्वारा राग सारंग में स्वर बद्ध धुन में गाया जाता है।

राष्ट्रीय पशु: बाघ (पैंथर टाइग्रिस) भारत का राष्ट्र पशु
भारत के राष्ट्रीय पशु के रूप में बाघ (पैंथर टाइग्रिस) को मान्यता दी गई है। भारत में बाघ की रक्षा के लिए परियोजना ‘टाइगर’ की शुरुआत के साथ अप्रैल 1973 में बंगाल बाघ को भारत का राष्ट्रीय पशु घोषित किया गया था। दुनिया भर में बाघ की आठ प्रजातियां पाई जाती है उन में भारत में प्राप्त प्रजाति ‘रायल बंगाल टाइगर’ के नाम से जानी जाती है, जो देश के उत्तर पश्चिम भाग को छोड़ शेष भारत के जंगलों में पायी जाती है। रायल बंगाल टाइगर या बंगाल का बाघ अपने शरीर पर पीली तथा काली धारियों के कारण बेहद मोहक छवि प्रस्तुत करता है, परन्तु इसके साथ ही बाघ समस्त मांसभक्षियों में सबसे फुर्तीला और शक्तिशाली भी होता है। उसकी दहाड़ उसकी शक्ति का प्रतीक है।
राष्ट्रीय पशु की देश में निरंतर घटती जा रही संख्या से चिंतित होकर भारत सरकार ने उनके संरक्षण के लिए अप्रैल, 1973 में “बाघ परियोजना” नामक कार्यक्रम शुरू किया, जिसका बेहद उत्साहजनक परिणाम प्राप्त हुआ। 1972 में देश में बाघों की संख्या 1827 थी जो बढ़कर 1989 में 4334 हो गया है। विशेषज्ञों के मुताबिक, 1993 तक देश में बाघों की संख्या घटकर 3750 रह गई है वास्तव में बाघ परियोजना के तहत देश में 29,716 वर्ग किलोमीटर वन क्षेत्र में 23 बाघ अभयारण्य बनाये गए हैं, जिनमें बाघों की जिंदगी में आवश्यक सभी सुविधाएं उपलब्ध कराई गई हैं, जिसके परिणामस्वरूप उनकी संख्या निरंतर बढ़ती जा रही है।
‘हाथी’ भारत का राष्ट्रीय विरासत पशु
अक्टूबर, 2010 में केद्र सरकार ने हाथी को राष्ट्रीय विरासत पशु घोषित किया हैं। हाथियों को सुरक्षित माहौल देने के लिए इसे राष्ट्रीय विरासत पशु के रूप में घोषित करने के लिए वचनबद्ध “राष्ट्रीय वन्य जीव बोर्ड” की 13 अक्टूबर, 2010 की बैठक हुई, जिसकी अधिसूचना केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय द्वारा 22 अक्टूबर 2010 को जारी किया गया था। देश में कुल हाथियों की संख्या लगभग 25,000 है, जिसमें से लगभग 3500 हाथी चिड़ियाघर और मंदिरों में हैं। हाथियों की रक्षा के लिए अब एक राष्ट्रीय हाथी संरक्षण प्राधिकरण (National Elephant Conservation Authority – NECA) के गठन की दिशा में प्रयास किये जा रहे हैं। इसके लिए वन्य जीवन संरक्षण अधिनियम में संसोधन होगा।

राष्ट्रीय पक्षी: मयूर या मोर (पावो क्रिस्टेसस) भारत का राष्ट्रीय पक्षी
मयूर या मोर (पावो क्रिस्टेसस) को भारत के राष्ट्रीय पक्षी के रूप में मान्यता है। इंडियन पेफौल या ब्लू पेफौल, एक बड़ा और चमकदार रंगीन पक्षी, दक्षिण एशिया में पेफौल मूल निवासी की प्रजाति है, लेकिन दुनिया के कई अन्य हिस्सों में प्रस्थापित किया गया है। भारत में सिंधु नदी के दक्षिण और पूर्व में, जम्मू और कश्मीर, पूर्वी असम, मिजोरम के दक्षिण क्षेत्र और संपूर्ण प्रायद्वीपीय हिस्सों में मोर व्यापक रूप से पाया जाता है। मोर विशेषकर नर मोर, सभी पक्षियों में सबसे सुंदर होता है इसकी लम्बी और चमकती नीली गर्दन और वक्ष पर पंखकार कलगी और लम्बी पूंछ विशेष रूप से आकर्षित करता है। इसकी आँखों में एक सफ़ेद चिह्न होता है।
नर मोर से मादा मोरनी का आकर कुछ छोटा होता है तथा उसका रंग भूरा होता है। वास्तव में आकाश में मेघों के आच्छादन के साथ अपने रंग – बिरंगे पंख फैलाये मोर का नृत्य की मुद्रा में कूदना – फादना किसी का भी ध्यान आकर्षित कर लेता हैं। प्राचीन काल से ही भारत में मोर को भारतीय लोक जीवन, लोक कथाओं तथा साहित्य में विशिष्ट स्थान प्राप्त है। इसे धार्मिक दृष्टि से भी सम्माननीय समझा जाता है। भारत सरकार ने भी मयूर को एक संरक्षित प्राणी माना है और इसे भारतीय वन्य प्राणी (सुरक्षा) अधिनियम, 1972 के तहत पूर्ण सुरक्षा प्रदान की है।
भारत का राष्ट्रीय फूल
कमल जो आध्यात्मिकता, फल, धन, ज्ञान और रोशनी का प्रतीक है, भारत का राष्ट्रीय फूल है।
भारत का राष्ट्रीय पंचांग
काल गणना हेतु भारत में ग्रिगेरियन कैलेंडर के साथ – साथ संपूर्ण भारत में एक राष्ट्रीय पंचांग को भी अपनाया गया है, जो शक शंवत पर आधारित है। पंचांग के अनुसार एक वर्ष में 12 महीने तथा 365 दिन (सामान्य वर्षों में) होते हैं। इसमें वर्ष का आरंभ चैत्र प्रथमा तिथि को होता है, जो ग्रिगेरियन कैलेंडर के अनुसार 22 मार्च को तथा “लौंद” में 21 मार्च को पड़ता है।
भगत सिंह के प्रेरक अनमोल विचार
देश भक्ति सुविचार और अनमोल वचन
स्वतंत्रता दिवस के लिए अच्छा भाषण
आशा करती हूँ कि ये ‘National Symbols of India Essay in Hindi‘ छोटे और बड़े सभी लोगों के लिए उपयोगी सिद्ध होगी। गर आपको हमारा यह पोस्ट अच्छा लगा हो तो इसमें निरंतरता बनाये रखने में आप का सहयोग एवं उत्साहवर्धन अत्यंत आवश्यक है। अत: आशा है कि आप हमारे इस प्रयास में सहयोगी होंगे साथ ही अपनी प्रतिक्रियाओं और सुझाओं से हमें अवगत अवश्य करायेंगे ताकि आपके बहुमूल्य सुझाओं के आधार पर इस लेख को और अधिक सारगर्भित और उपयोगी बनाया जा सके।
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प्रणाम सर
भारत के राष्ट्रीय चिन्ह और उनका अर्थ से लेकर एक – एक बिंदु को क्रमवार , सारगर्भित लेख के साथ पाठकों के सम्मुख सफलता पूर्वक रखने के लिए आप बधाई के पात्र है .. संभवतः इस विषय को लेकर अगर किसी व्यक्ति के अंदर संशय होगा भी तो वह दूर हो गया होगा .. आशा ही नहीं वरन पूर्ण विश्वास है की आप भविष्य में भी इसी तरह नए जिज्ञासु पाठकों का नई – नई जानकारियों द्वारा मार्गदर्शन करेंगे .. एवं नए लेखकों का मार्गदर्शन भी ..
धन्यवाद ..
शुक्रिया प्रतीक जी.
National reptile is King Cobra. For More Information visit scoopskiller.com
बढ़िया एवं विस्तृत जानकारी।