Morning Poem in Hindi
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सुबह पर कविता – Good Morning Poem in Hindi

सुबह पर कविता – Good Morning Poem in Hindi

Morning Poem in Hindi
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कविता : सूरज की किरणें आती हैं…

सूरज की किरणें आती हैं, सारी कलियाँ खिल जाती हैं।
अंधकार सब खो जाता है, सब जग सुन्दर हो जाता है।।

चिड़ियाँ गाती हैं मिलजुल कर, बहते हैं उनके मीठे स्वर।
ठंडी-ठंडी हवा सुहानी, चलती है जैसी मस्तानी।।

ये प्रातः की सुख बेला है, धरती का सुख अलबेला है।
नई ताज़गी नई कहानी, नया जोश पाते हैं प्राणी।।

खो देते हैं आलस सारा, और काम लगता है प्यारा।
सुबह भली लगती है उनको, मेहनत प्यारी लगती जिनको।।

मेहनत सबसे अच्छा गुण है, आलस बहुत बड़ा दुर्गुण है।
अगर सुबह भी अलसा जाए, तो क्या जग सुन्दर हो पाए।।

कविता: वो सुबह कभी तो आएगी

इन काली सदियों के सर से जब रात का आंचल ढलकेगा।
जब दुख के बादल पिघलेंगे जब सुख का सागर झलकेगा।।

जब अम्बर झूम के नाचेगा जब धरती नगमे गाएगी।
वो सुबह कभी तो आएगी।।

जिस सुबह की ख़ातिर जुग जुग से हम सब मर मर के जीते हैं।
जिस सुबह के अमृत की धुन में हम ज़हर के प्याले पीते हैं।।

इन भूखी प्यासी रूहों पर इक दिन तो करम फ़रमाएगी।
वो सुबह कभी तो आएगी।।

माना कि अभी तेरे मेरे अरमानों की क़ीमत कुछ भी नहीं।
मिट्टी का भी है कुछ मोल मगर इन्सानों की क़ीमत कुछ भी नहीं।।

इन्सानों की इज्जत जब झूठे सिक्कों में न तोली जाएगी।
वो सुबह कभी तो आएगी।।

दौलत के लिए जब औरत की इस्मत को ना बेचा जाएगा।
चाहत को ना कुचला जाएगा, इज्जत को न बेचा जाएगा।।

अपनी काली करतूतों पर जब ये दुनिया शर्माएगी।
वो सुबह कभी तो आएगी।।

बीतेंगे कभी तो दिन आख़िर ये भूख के और बेकारी के।
टूटेंगे कभी तो बुत आख़िर दौलत की इजारादारी के।।

जब एक अनोखी दुनिया की बुनियाद उठाई जाएगी।
वो सुबह कभी तो आएगी।।

मजबूर बुढ़ापा जब सूनी राहों की धूल न फांकेगा।
मासूम लड़कपन जब गंदी गलियों में भीख न मांगेगा।।

हक़ मांगने वालों को जिस दिन सूली न दिखाई जाएगी।
वो सुबह कभी तो आएगी।।

फ़आक़ों की चिताओ पर जिस दिन इन्सां न जलाए जाएंगे।
सीने के दहकते दोज़ख में अरमां न जलाए जाएंगे।।

ये नरक से भी गंदी दुनिया, जब स्वर्ग बनाई जाएगी।
वो सुबह कभी तो आएगी।।

जिस सुबह की ख़ातिर जुग जुग से हम सब मर मर के जीते हैं।
जिस सुबह के अमृत की धुन में हम ज़हर के प्याले पीते हैं।।

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वो सुबह न आए आज मगर, वो सुबह कभी तो आएगी।
वो सुबह कभी तो आएगी।।

– साहिर लुधियानवी

कविता: हर सुबह नयी सोच है लाती

हर सुबह नयी सोच है लाती
हर किरण नयी उम्मीद है जगाती
स्वपन पूर्ण करने का पैगाम है लाती
नया कर दिखाने का उत्साह है जगाती
हर सुबह……

कल को भूल जाने का उपदेश है लाती
आज में जीने का सन्देश है दे जाती
हर सुबह……

उजली किरण दृष्टिता मन को है गुदगुदाती
मुस्कराहट के पुष्प मन में खिला है जाती
हर सुबह……

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