क्या है धूमकेतु (What is Comet in Hindi)

प्राचीन काल में जिस धूमकेतु या पुच्छल तारे के निकलने को अशुभ सूचक माना जाता था और इसके लिकलने पर किसी बड़े व्यक्ति की मृत्यु, महामारी या किसी अन्य भंयकर उत्पात की आशंका की जाती है दरअसल वे धूमकेतु आंतरिक्ष में भ्रमणशील प्रकाशवान खगोलीय पिण्ड है जो सूर्य के चारों ओर दीर्घवृत्ताकार पथ पर घूमते रहते हैं | इसमें एक ठोस पिण्ड तथा उससे लगी लम्बी पूंछ होती है |
धूमकेतु के भाग
धूमकेतु के तीन भाग होते है –
- नाभि
- कोमा
- पूछ
नाभि धूमकेतु का केन्द्र होता है जो चट्टानी पदार्थों (Rocky Materials) का बना होता है | इसके चारों ओर मिथेन, अमोनिया, कार्बनडाई ऑक्साइड एवं जल वाष्पों से आच्छादित रहता है | इसका शीर्ष भाग तरीय पदार्थों का बना हुआ होता है जो कोमा (Coma) कहलाता है | नाभि तथा कोमा से निकलने वाली गैस एक पूंछ का आकार ले लेती है |
ये धूमकेतु ज्यों ज्यों सूर्य के पास आता हैं, कोमा के आकर एवं ज्योति बढती जाती है | उपसौर के समय इसका चमकीला नाभिक (Bright Nucleus) दिखाई पड़ता है जो कि कोमा के मध्य में स्थित होता है | कोमा तथा नाभिक दोनों सम्मिलित रूप से पुच्छलतारे का शीर्ष (Head of The Comet) कहलाता है |
धूमकेतु की पूंछ इसकी तीव्रगति के कारण होती है, जोकि गति की विपरीत दिशा में कोमा के तारिय पदार्थों के लाखों मील की दूरी तक फैलने के कारण बनती है |
धूमकेतु आकाश में सहस्त्रों की संख्या में है परन्तु अन्य ग्रहों की तरह नित्य दिखाई नहीं देते | चमकदार धूमकेतु आकाश में कभी – कभी ही दिखाई देता है | इनमें कुछ प्राय: निकलते रहते है | अन्य ग्रहों के समान ये भी सूर्य के चारों ओर चक्कर लगाते है | ये कभी – कभी सूर्य के निकट चले जाते है और कभी दूर हो जाते है |
कुछ धूमकेतु छोटे और कुछ बड़े होते है | ये बहुत हल्के होते है | इनमें से बड़े से बड़े धूमकेतु से पृथ्वी करोड़ों गुनी भारी है | पृथ्वी के एक घन इंच में जितना पदार्थ होता है, उतना धूमकेतु की पूंछ के एक घन मील में होता है | इसका सिरा भी ठोस नहीं होता | यह छोटी – छोटी गोलियों और धूल के कणों का बना होता है | इनकी पूंछ दस करोड़ मील लम्बी होती है |
धूमकेतुओं का नामकरण उनके खोज कर्ताओं के नाम पर पड़ा है | हेली धूमकेतु प्रत्येक 76 वर्ष पश्चात पृथ्वी पर दृष्टि गत होता है | अगली बार यह 2061 में पृथ्वी पर दिखाई पड़ेगा |

शूमेकरलेवी – 9 – 16 तथा 22 जुलाई, 1994 को यह धूमकेतु बृहस्पति के दक्षिण ध्रुव से 21 खण्डों में विभक्त हो गया था | सौरमंडल से दूर स्थित वाह्य अन्तरिक्ष में बादलों सा दिखाई देने वाला धूमकेतु एक पुंज है जिसे ऊंट बादल कहते है | इसकी खोज 1950 में यानउर्ह द्वारा की गई थी |
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