हिंदी बाल कविता ‘उगता सूरज’ (Hindi Poem on Sun)

सुबह सुबह जब सूरज ऊपर नीले आसमान में चमकता है तो नीचे पृथ्वी पर लोगों में मानों एक नयी उर्जा का संचार हो गया हो और जब शाम को यही सूरज अपनी लालिमा बिखेरते हुए हमें टाटा – टाटा बाय – बाय कहता है तब भी उसकी एक झलक पाने के लिए हम लालायित रहते है | सूरज अपने हर रूप में हमारे जीवन का आधार है |
सूरज के गुणों को बताती एक कविता आपके लिए प्रस्तुत है –
सूरज पर कविता “मैं उगता सूरज हूं” – Hindi Poem on (Sooraj) Sun ‘Main Ugata Sooraj Hun”
मैं उगता सूरज हूँ
और तुम डूबते सूरज
मैं नित्य नई उमंग और जोश के साथ आता हूं,
तुम थके हारे चेहरे पर झलकती
परेशानी के साथ,
हम दोनों एक दूसरे के पूरक हैं हमारा
उगना तुम्हारा डूबना,
दोनों को काम उस नियंता के द्वारा
ही मिला है,
दोनों का महत्व है, भले ही कार्य
अलग – अलग हैं,
मेरी सोच और उत्साह से प्रभावित
सभी हैं,
क्योंकि मैं युवा हूं, मुझमे कुछ करने
की क्षमता है,
शत्रुओं की ललकार का प्रत्युत्तर मैं दे
सकता हूं,
नए – नए अविष्कारों से देश में समृद्ध
ला सकता हूं,
पर तुम्हारे अनुभव मानो मेरे ऊपर
साया हैं,
मैंने अंगुली पकड़कर चलना सीखा है
तुम्ही से,
मेरा अस्तित्व भी तुमसे है मैं खुद
कुछ नहीं,
डूबते हुए तुमको आते है देखने सब
लोग,
अपनी लालिमा को फैलाने लगते हो
बहुत प्यारे,
बिना कुछ कहे सुने सीख बहुत दे जाते,
ऐसे दिव्य रूप को शत शत नमन करे |
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