राष्ट्रीय एकता पर निबंध – National Unity Essay in Hindi

National Integrity Unity in Hindi : “राष्ट्रीय एकता” वह शक्ति है जिसके बल पर कोई देश, समाज, सम्प्रदाय उन्नति करता है | एकता के बल पर ही अनेक राष्ट्रों का निर्माण होता है | एकता एक महान शक्ति है | और ‘राष्ट्र’ उस सूक्ष्म और व्यापक भावना का नाम है, जो किसी विशेष भूभाग पर बसे देश और उसके वासियों की अनेकता में एकता बनाए रखने में समर्थ हुआ करती है | ये दोनों मिलके वास्तव में राष्ट्रीय एकता कहलाती है |
इस राष्ट्रीय एकता को बनाये रखने के लिए उस देश में रहने वाले राष्ट्र – जन का जागरूक, समझदार, सहनशील और उदार ह्रदय आवश्यक है | प्रत्येक वर्ग को यह बात कभी भी नहीं भूलनी चाहिए कि देश रहेगा, राष्ट्र रहेगा तभी सबका अस्तित्व रह पाएगा | राष्ट्रीय एकता के लिए एकत्व या एकता की भावना पहली एवं अनिवार्य शर्त है |
राष्ट्रीय एकता की आवश्यकता व महत्व – Need and importance of national integration in Hindi
हमारा देश भारत सभी स्तरों पर विविधताओं वाला देश है | स्वयं प्रकृति ने ही इसे अनेक प्रकार की विविधतायें प्रदान कर रखी है | भारत देश की भूमि पर कहीं तो मीलों तक मैदान है और कहीं घने जंगल, कहीं हरी – भरी और बर्फानी पर्वतमालाएं है तो कहीं लंबे – चौड़े रेगिस्तान | कहीं पानी ही पानी है, हरियाली ही हरियाली तो कहीं रूखा – सूखा वातावरण ! प्रकृति की इस विविद्ता के कारण यहाँ अनेक भाषायें और बोलियाँ बोली, पढ़ी और लिखी जाती है |
खान – पान, रहन – सहन, वेश – भूषा में भी विविधता और अनेकता है | प्राय: राष्ट्रीय पर्व, उत्सव – त्योहार, व्रत – उपवास है तो समान, पर उन्हें मनाने के रंग ढंग में स्थानीयता अवश्य देखी जा सकती है |
कई और प्रकार के उत्सवों आदि का स्थानीय, धर्म पर जातिगत महत्त्व भी अवश्य है पर अन्य धर्मों या जातियों के लोग उन्हें मनाने पर एतराज न कर साथ मिलकर मनाने में सहयोग ही प्रदान करते है | इसी प्रकार अनेक और भिन्न नामों से पुकारे जाने पर भी हम सब अपने – आपको एक ही ईश्वर की संतान मानते है |
इस विविधता और अनेकता में व्यापक स्तर पर परिव्याप्त एकता का कारण क्या है ? वह कारण एकमात्र यही है कि कुल मिलकर हम अपने को भारत राष्ट्र का वासी और अपनी राष्ट्रीयता को भारतीय कहने – मानने में गर्व – गौरव का अनुभव करते है | यह गौरव की अनुभूति ही सदियों से हमारे अस्तित्व को बनाए हुए है |
इतिहास गवाह है कि जब कभी भी राष्ट्रीयता की यह भावना किन्हीं भी कारणों से खंडित हुई, तभी – तभी हमें विदेशी आक्रमणों और अनेक प्रकार के कष्टों को झेलना पड़ा | वर्षों तक की गुलामी भी भोगनी पड़ी | पर जब भी राष्ट्रीय एकत्व की भावना जाग्रत हुई, हम उन सभी आक्रमणों, कष्टों को झेलते हुए भी अपनी सभ्यता – संस्कृति और राष्ट्रीय आन को सुरक्षित बचा ले आए |
विश्व में आज रोम, मिश्र जैसी विशाल सभ्यताएं और संस्कृतियां इतिहास की वस्तु बन कर रह गयी है , आज उनका नाम ही बाकि रह गया है पर एक राष्ट्र के रूप में भारतीय सभ्यता – संस्कृति आज भी सारे विश्व के सामने अपना सीना तानकर खड़ी है क्योकि उसने अपनी भीतरी उर्जा, अपनी भावनात्मक एकता को कभी मरने नही दिया | दब जाने पर भी राख में चिंगारी के समान हमेशा उसे प्रज्वलित रखा है | समय और स्थिति की हवा से उसे फिर – फिर प्रज्वलित किया है |
आज हमारी राष्ट्रीयता के सामने वस्तुतः अस्तित्व का संकट मण्डरा रहा है | भीतरी और बहरी कई शक्तियां और अराजक तत्व हमारी एकता को खंडित कर राष्ट्रीयता को भी विभाजित कर देना चाहते है | ये लोग कई बार धर्म का नाम लेते है, कई बार जाति या वर्ग – विशेष का और कई बार प्रांतीयता की संकीर्ण भावनाओं को उभारने की चेष्टा करते है | ऐसे में हमें अनुशासन तथा आपसी सहयोग के वातावरण की अति आवश्यकता है |
रूप कोई भी हो, यदि हम भटक जाते है तो खंडित एक ही वस्तु के होने का खतरा रहता है | वह वस्तु है – हमारी पवित्र और महान राष्ट्रीयता, हमारी राष्ट्रीय मानवीयता और उससे प्राप्त ऊर्जस्विता |
अखंडता ही हमारी शक्ति है, हमारी आन और पहचान है | बस सरकार और जनता को एकजुट होकर प्रयास करना होगा | हमारी स्वतंत्रता राष्ट्रीय एकता पर ही आधारित है |
हर्ष की बात है देश में राष्ट्रीय एकता के लिए साल 2014 में सरदार पटेल की जयंती को राष्ट्रीय एकता दिवस के रूप में मनाने का ऐलान किया गया था | और तभी से केंद्र सरकार और सभी राज्यों की राज्य सरकारें 31 अक्टूबर को हर वर्ष वार्षिक स्मरणोत्सव के रूप में इस खास दिन को सेलिब्रेट कर रही हैं | राष्ट्रीय एकता दिवस को भारत सरकार द्वारा पेश किया गया था और भारतीय प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा इस खास दिन का उद्घाटन किया गया था। इसका उद्देश्य वल्लभभाई पटेल को श्रद्धांजलि देना है, जो भारत को एकजुट रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाये थे तथा देशवाशियों से यह निवेदन करना है कि वे अपने पूर्वजों के समान ही एकता के सूत्र में बंध जाए क्योंकि सही मायनों में व्यक्ति की उन्नति ही देश की उन्नति है |
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