चिकनगुनिया के कारण लक्षण और उपचार (Chikungunya Causes Symptoms Treatment in Hindi)
चिकनगुनिया के लक्षण, कारण व निदान : चिकनगुनिया एक भयंकर पीड़ादायक संक्रामक रोग है जो कि aedes aegypti मच्छर के काटने से होता है | इसे पीले बुखार का मच्छर भी कहते है | सामान्यत: यह मच्छर दिन में ही काटते है |
यह बीमारी सीधे एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में नहीं फैलता है बल्कि किसी बीमार व्यक्ति को aedes aegypti मच्छर के काटने बाद फिर किसी स्वस्थ्य व्यक्ति को काटने से फैलता है | आमतौर पर चिकनगुनिया के लक्षण तेज वायरल बुखार से शुरू होकर बेहद पीड़ादायक जोड़ों के दर्द तक पहुंच जाता है | बुखार तो 3 से 5 दिन में ठीक हो जाता है लेकिन जोड़ों में होने वाला दर्द महीनों तक रहता है |
चिकनगुनिया एक अफ्रीकन शब्द है जिसका अर्थ होता है “वो जो झुका दे” | यह नाम भी इसका इसलिए पड़ा क्योंकि चिकनगुनिया बीमारी से ग्रसित व्यक्ति जोड़ों में भयंकर पीड़ा की वजह से झुक कर चलने लगता है | सबसे पहले इसकी शुरुआत 1952 में अफ्रीका में तंजानिया और मोजाम्बिक के आस – पास हुई थी और आज के समय में यह दुनिया भर के कई देशों में फैल चूका है |
इसके खतरों को देखते हुए आज मैं इस पोस्ट में आपको चिकनगुनिया के लक्षण, कारण व निदान की जानकारी दूंगी ताकि समय रहते इसके भयंकर दुष्परिणामों से बचा जा सके |
चिकनगुनिया के लक्षण क्या है ? (Symptoms of Chikungunya)

मच्छर काटने के 2 – 7 दिनों के बाद चिकनगुनिया के लक्षण दिखाई देने लगते है जिनमें से कुछ प्रमुख लक्षण इस प्रकार से है –
- 103 डिग्री तक तेज बुखार
- शरीर में दर्द
- जोड़ों में असहनीय दर्द (Joint pain)
- मांसपेशियों में असहनीय दर्द (muscle pain)
- सूजन व अकड़न
- सिर दर्द
- उल्टी व जी मिचलाना
- भूख कम लगना
- अत्यधिक कमजोरी
- त्वचा का खुश्क पड़ना
- आंखो में दर्द होना
- हाथों एवं पैरो में चकत्ते पड़ना
- कुछ लोगों के नाक और मसूडो से खून भी निकलने लगता है
आमतौर पर चिकनगुनिया बुखार के लक्षण 5 से 7 दिनों तक रहता है | लेकिन जोड़ों में होने वाले दर्द को ठीक होने में महीने भर तक का समय लग सकता है | कुछ लोगों को यह रोग ज्यादा प्रभावित करता है जैसे बच्चे, बूढ़े और डायबिटीज, हाई ब्लड प्रेशर दिल की बीमारी वाले व्यक्तियों को |
चिकनगुनिया में निर्धारित टेस्ट / Chikungunya Diagnosis कैसे किया जाता है ?
चिकनगुनिया का निदान करने के लिए 4 तरह के टेस्ट किए जाते है :
Polymerase Chain Reaction (RT-PCR) test :
चिकनगुनिया बीमारी की शुरुआत के एक सप्ताह के भीतर ही यह टेस्ट कराना ठीक रहता है क्योंकि एक हफ्ते बाद इसके द्वारा वायरस के डीएनए को पहचानना मुश्किल हो जाता है | इस टेस्ट से चिकनगुनिया होने की पक्की जानकारी मिलती है लेकिन यह टेस्ट बहुत कम लैब्स में ही हो पाता है |
Enzyme-Linked Immunosorbent Assays (ELISA) Test :
यह एक रक्त जांच है जिसमें infection से जुड़े antibodies का पता लगाया जाता है | Chikungunya के antibodies मिलने से यह Diagnosis हो जाता है कि व्यक्ति को चिकनगुनिया है |
Complete Blood Count (CBC) Test :
इस रक्त परिक्षण को white blood cells और platelet count में कमी आने पर किया जाता है | इस टेस्ट से यह सुनिश्चित हो जाता है कि व्यक्ति को डेंगू है या चिकनगुनिया | क्योंकि जब चिकनगुनिया के वायरस शरीर में प्रवेश करते है तो व्यक्ति के ब्लड में बदलाव आने लगता है | इसलिए प्राम्भिक जांच में इस टेस्ट का प्रयोग किया जाता है |
Virus Isolation (वायरस को अलग करना) :
इस टेस्ट को भी चिकनगुनिया बुखार होने के एक हफ्ते के अन्दर किया जाना ठीक रहता है | चिकनगुनिया की जांच के लिए परिणाम की गुणवत्ता की दृष्टि से यह सबसे अच्छी विधि है | लेकिन यह विधि ज्यादा लोकप्रिय नही है क्योकि यह जांच time taking है और साथ ही भारत में basic infrastructure की कमी भी इसकी एक बहुत बड़ी वजह है | Sample लाने की व्यवस्था, sample लेने का समय , स्टोर करने की विधि और सही तापमान पर रखने जैसी समस्या इस जांच को प्रभावित करती है |
उपर्युक्त चिकनगुनिया की जाँच कराने से पहले डॉक्टर की सलाह अवश्य लें |
चिकनगुनिया से बचाव
चिकनगुनिया से बचाव के लिए अभी तक कोई वैक्सीन नहीं बना है पर कुछ सावधानियों को अपनाकर इस भयंकर बीमारी को फैलने से रोका जा सकता है |
- घर के आस-पास बारिश का पानी एकत्रित न होने दें |
- छत, छज्जों आदि जगहों पर भी पानी जमा न होने दे |
- घर के दरवाजे व खिडकियां सुबह – शाम बंद रखे ताकि मच्छर घर में न घुसने पाए |
- दीवारों, दरवाजों और खिडकियों की दरारों को भर दें |
- गमले, फव्वारों या छत पर रखें किसी खाली पात्र में पानी जमा न होने दें | कूलर का पानी रोज बदलते रहें |
- स्विमिंग पुलों का पानी साफ – सुधरा व फ्लो में रखें |
- मच्छर से बचाने वाली क्रीम, स्प्रे, कॉइल्स या मच्छरदानी का नियमित इस्तेमाल करें |
- चिकनगुनिया का मच्छर अधिकतर दिन के वक्त कटता है, इसलिए अच्छा हो कि आप दिन के समय नमी वाली जगहों पर न जाये और फुल आस्तीन यानि पुरे शरीर को ढकने वाले कपड़ें पहने |
दोस्तों बारिश के मौसम में वातावरण में नमी अत्यधिक बढ़ जाती है जो कि डेंगू और चिकगुनिया के मच्छर के लार्वा को पनपने के लिए अनुकूल स्थितियां पैदा कर देती है | इसलिए इन्हें रोकने के लिए पहले से ही उपर्युक्त सावधानियाँ बेहद जरुरी है ताकि डेंगू और चिकनगुनिया जैसी भयंकर बीमारी को फैलने से रोका जा सके |
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Very informative post Babita ji,, thanks for share this post
चिकनगुनिया पर आपकी ये पोस्ट काफी अच्छी लगी बबिता जी इस वक़्त सर्दी का मौषम अचानक बदल रहा है ऐसे में हमें सर्दी से बचने के लिए किस तरह की सावधानी रखनी चाहिए और उपाय अपनाने चाहिए पर अगर लिखा जाए तो रीडर को help मिलेगी.