बेटी की सुरक्षा पर दो दिल को छू लेने वाली कविता

बेटी पर प्रेरक कविता (Save Girl Child in Hindi)
मैं आज आप सबको स-नम्र करती हूँ आह्वान
अब तो जागो, अब तो जागो
बचाओ नन्हीं बेटियों की जान।
बेटी से ही रीत है,
बेटी ही है प्रीत।
बेटी से बनता समाज का मान,
अब तो हमको देना ही होगा
उन्हें यथायोग्य सम्मान |
उनकी शिक्षा और सुरक्षा के प्रति
निभाना होगा हमें नैतिक फर्ज,
तभी तो “भारत माँ” के लिए चुका पाएंगे,
हम अपना फर्ज |
– अंतरा अजय खेर
(2)
एक कली खिलने दो,
एक सदी महकने दो,
चीर धरती का सीना,
एक अंकुर बदलाव का,
रूढ़ियों के धरातल पर,
पनपने दो,
एक फलदार वृक्ष को
वंश की कटार से,
जड़ – विहीन न होने दो,
एक नव – जागृति की
किरन
कुरीतियों के पार,
बिखरने दो,
एक कायरता का कलुष,
अंतस की चट्टान से,
पिघलने दो,
ममता की कोख को,
उत्सव के पंडाल तले,
ढोल – ताशे से सुरताल,
में
उन्मुक्त अवरण
करने दो,
मिटाकर लोलुपता का
अँधेरा,
ज्ञान के प्रकाश से
एक रावण दहेज का,
घर – घर में जलने दो,
एक तख्ती सम्मान की,
एक कोना अधिकार का,
एक फैसला समानता का,
एक चौखट अपनत्व की,
मन के द्वार रंगोली रंगने दो,
एक कली खिलने दो,
एक सदी महकने दो |
– अमिता सिंह
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Nice
Y Bhutan hi achi Kavita h mujha bhut pasand aayi
Very nice poems……
बहुत ही सुन्दर प्रस्तुति धनयवाद बबिता जी,
Nice poem aap ne bahut poem share ki hai.