जीवन में खेल कूद का महत्व और लाभ (Importance (Value) of Sports (Games) in Our Life in Hindi)
Importance Of Sports in Hindi : दोस्तों! खेलना-कूदना किसको नहीं पसंद होता है। कोई इसे खेल कर के खुश होता है तो कोई मात्र दूसरों को खेलता हुआ देखकर ही खुश हो जाता है। अब आप क्रिकेट खेल को ही देख लीजिए, इसके प्रति लोगों की दीवानगी इतनी बढ़–चढ़ कर है कि लोग इसको देखने और रेडियों व टी. वी. पर इसकी कमेंट्री सुनने के लिए कितने व्याकुल रहते है।
आपके सामने ये तो मात्र एक उदाहरण था। जबकि खेल से तो हमारा नाता बचपन से ही होता है। बचपन में जब कोई बच्चा खेलता कूदता है तब तो उसे इन खेलों का मूल्य अथवा महत्व भी नहीं पता होता, फिर भी वह खेलों के माध्यम से नई – नई बाते सीखता और विकसित होता है।
खेलों का तो हमारे स्वास्थ्य से भी गहरा नाता है। तभी तो इसे प्राचीन काल से जिन्दगी जीने का आधार माना जाता रहा है। स्वास्थ्य से जुडी एक पुरानी कहावत है कि “स्वस्थ शरीर में ही स्वस्थ मन का निवास होता है”। यदि शरीर स्वस्थ नहीं है तो, मन भी स्वस्थ नहीं हो सकता। जब मन रोगी होगा तो नाना प्रकार की व्याधायें जीवन भर संत्रस्त करती रहेंगी। अत: मन को स्वस्थ रखने हेतु शरीर का स्वस्थ होना जरुरी है और शरीर को स्वस्थ रखने हेतु खेल से बढ़कर अन्य कोई साधन लाभकरी नहीं हो सकता है।
पर खेल के महत्व और इनसे होने वाले लाभों को हम अकसर नजरअंदाज कर देते है। बहुत से लोगों को लगता है कि खेल-कूद में समय नष्ट होता है और स्वास्थ्य के लिए व्यायाम कर लिया जाए, यही काफी है। यही कारण है कि अधिकांश लोग खेलों को केवल शौक, शगुल, मनोरंजन और हॉबी के रूप में खेलते हैं। बहुत से स्कूलों, कॉलेजों में भी यह केवल एक एक्टिविटी भर होता है।
माता – पिता भी बच्चों को स्पोर्ट्स में भाग लेने के लिए प्रोत्साहित नहीं करते है, और केवल पढाई पर ही ज्यादा ध्यान देने को कहते है। पर यह ठीक नहीं। खेल-कूद से स्वास्थ्य बनता है, साथ-साथ मनुष्य कुछ ऐसे गुण सीखता है, जिनका जीवन में विशेष महत्व होता है और जो व्यायाम से नहीं प्राप्त हो सकते।
हालाँकि अब खेलों के प्रति लोगो की मान्यता बदली है। अब यह सिर्फ मनोरंजन का साधन नहीं रहा बल्कि अब खेल हमारे जीवन का एक अहम् हिस्सा बनता जा रहा है। खेलों का स्वास्थवर्धक होने के कारण अब हर माता – पिता अपने बच्चों को स्पोर्ट्स में भाग लेने के लिए प्रोत्साहित करने लगे है। खेलों को विद्यार्थी जीवन में सबसे ज्यादा बहुमूल्य एवं अनिवार्य माना जाने लगा है। और इसीलिए खेल को अब शिक्षा का अंग मानकर शिक्षा के बराबर महत्व दिया जाने लगा है।

खेल कूद के लाभ और महत्व (Benefits & Importance Of Sports in life)
स्वास्थ्य लाभ – खेल में भाग लेने से सबसे पहला लाभ स्वास्थ्य ही है। क्योंकि खेल का मैदान वह स्थान है जो स्वास्थ्य पर एक स्थायी छाप छोड़ता है। यह शरीर का एक ऐसा ढ़ाचा तैयार करता है जो चुस्त फुर्तीला और बलिष्ठ होता है।
निरोगी काया – खेल शरीर को स्वस्थ और स्फूर्तिमय बनाये रखता है। खेल – कूद के दौरान शरीर के लगभग सभी अंगों का व्यायाम हो जाता है, शरीर की मांसपेशिया सुदृढ़ बनती है और काया निरोगी रहती है। “पहला सुख निरोगी काया” सत्य ही है कि निरोग शरीर जीवन का सर्वश्रेष्ठ सुख है। जब शरीर स्वस्थ्य होगा तो मनुष्य अपने उत्तरदायित्वों का निर्वहन और जीवन के सुखों का आनन्द उठा सकता है। लेकिन आजीवन स्वास्थ्य सुखों का लाभ पाने के लिए शारीरिक क्षमताओं का विकास होना जरुरी होता है जो खेल के मैदान में सरलता से विकसित हो जाता है।
समर्पण की भावना – खेल का जीवन में समर्पण की भावना विकसित करने में मूल्यवान भूमिका होती है। खेल के मैदान में खिलाड़ी निष्पक्षता, न्याय और हार – जीत दोनों को समान रूप से ग्रहण करता है। अपने प्रतिद्वंदी के प्रति सहज भाव रखता है। वह जानता है कि खेल में कभी जीत होती है, तो कभी हार होती है। वह अपने प्रतिद्वंदी के बढ़िया खेल की खुलकर सराहना करता है, उसकी जीत पर मुक्त कंठ से बधाई देता है और द्वेष की भावना को पास तक नहीं भटकने देता। उसके जीवन में ये सब गुण खेलों से ही तो आते है।
अनुशासन – कहा जाता है कि जीवन में सफलता हासिल करनी हो तो अनुशासन रूपी कुंजी साथ में जरुर होनी चाहिए और जो की खेल के मैदान में सबसे तेजी से फलता – फूलता है। अनुशासन जीवन के हर क्षेत्र में प्रगति का मार्ग प्रशस्त करता है। राष्ट्रीय और सामाजिक जीवन में अनुशासन के महत्व का पाठ खेलों के मैदान में सरलता से सीखा जा सकता है।
सद्गुणों का विकास – खेलों के द्वारा जीवन में पारस्परिक सम्मान के सद्गुण का विकास होता है। खेलों के खिलाडियों से ये अपेक्षा की जाती है कि वे एक – दूसरे खिलाडियों का सम्मान करे। सम्मान पाने का उपाय भी यही है कि दूसरों का सम्मान करो। खेलों में जब खिलाडी अपने साथी खिलाडी को सम्मान नहीं देते है तो उन्हें आदर्श खिलाड़ी नहीं कहा जाता। इसलिए प्रत्येक श्रेष्ठ खिलाड़ी अपने साथी खिलाड़ियों का सम्मान करता है जिससे उनमें पारस्परिक सम्मान के गुणों का विकास होता है।
‘टीम स्प्रिट’ – खेलों से ‘टीम स्प्रिट’ का विकास होता है। ‘टीम स्प्रिट’ का मतलब हर उस खिलाड़ी से है जो अपने पृथक – पृथक व्यक्तित्व को टीम के व्यक्तित्व में विलीन कर दे। इसमें टीम का हर खिलाड़ी सम्पूर्ण टीम के लिए खेलता है केवल अपने लिए नहीं।

यह ‘टीम स्प्रिट’ की भावना जो वह खेलों के द्वारा अपने अंदर विकसित करता है तो यही उसके व्यावहारिक जीवन की समस्याओं का समाधान करने में अत्यधिक लाभदायक सिद्ध होता है।
जीवन में खेलों का अन्य महत्व जैसे, घमंड न करना, हारने में साहस न छोड़ना, दूसरों से चोट लग जाए तो उसे सहन कर लेना, विशेष ध्येय के लिए नियमपूर्वक कार्य करना आदि। लक्ष्य के प्रति समर्पण, लगातार लक्ष्य की ओर बढ़ते रहने की शक्ति, स्वाभिमान, परिस्थितियों से जूझना, संयम, पारस्परिक सम्मान और कर्तव्यनिष्ठा आदि। ये ही वे श्रेष्ठ गुण है जो जीवन भर काम आता है। इन गुणों की सहायता से जीवन की चुनौतियों का सामना करके सफलता प्राप्त करना सरल हो जाता है। अकसर लोग सफलता न पाने पर साहस छोड़ बैठते हैं और दोबारा प्रयास नहीं करते। परंतु खिलाड़ी ऐसा नहीं करता। हार के बाद भी वह प्रयास करता है कि हारी बाजी जीत लेता है
वास्तव में हर किसी के जीवन में खेलों का मैदान एक ऐसा प्रशिक्षण स्थल होता है जहाँ वह उत्तम गुणों को सीखता और उनका अभ्यास करता है। खेलों का महत्व का क्षेत्र अत्यंत व्यापक है तथा जीवन में इसकी महिमा अपरम्पार है। इन्हीं तथ्यों को ध्यान में रखते हुए बहुसंख्यक शिक्षा संस्थाओं में खेल – कूद अब एक अनिवार्य विषय बन गया है।
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बहुत अच्छा लिखा है ।
Super
Hello Babita ji
Aapnr bohot hi superb article likha hai khelo ke mahatv ke bareme.
आज के जमाने में जहा लोगो ने सिर्फ मोबाइल को ही अपना दुनिया बना लिया है जिससे स्वास्थ्य का स्तर अब धीरे धीरे कम होता जा रहा है ऐसे खेलो के प्रति रुझान से ही शरीर को स्वस्थ्य बनाया जा सकता है ऐसे में बबिता जी आपका इस पोस्ट के माध्यम यह प्रयास काफी सराहनीय है ……….ऐसे ही लिखते रहिये