एकता में बल एक प्रेरक हिंदी कहानी (Ekta Me Bal Ek Short Hindi Story)

सम्मिलित प्रयास जरूरी
एक गांव में एक बढई रहता था। वह प्रतिदिन जंगल जाता और वहां से लकडिया काट कर लाता। उन लकड़ियों से तरह – तरह की वस्तुए बनाकर बाजार में बेचता। ये ही कार्य उसके जीवन का एकमात्र व्यापर था।
एक दिन जब वह जंगल से लौट रहा था, तो उसे मार्ग में एक नाली में शूकर का एक बच्चा छटपटाता हुआ दिखाई पड़ा। उसे देखकर बढई के मन में दया उत्पन्न हो उठी। वह छोटे शूकर के बच्चे को नाली से निकाल कर अपने घर ले आया। बढई ने उसका नाम तक्षक रखा तथा बड़े प्यार और दुलार से उसका पालन – पोषण करने लगा।
समय बीतता गया। तक्षक बढ़कर जवान एवं बहुत बलिष्ठ हो गया। उसके एक दात बाहर भी निकल आये थे। अब तक्षक हर समय बढई के साथ रहता और उसके काम में मदद करता। बढई भी उससे खूब प्यार करता लेकिन गांव के लोग मन ही मन जल रहे थे क्योंकि वो गंदी चीजे खाने वालों की जाति का था। इसलिए गांव वाले हर वक्त तक्षक को भगाने की जुगाड़ में लगे रहते थे।
चूकी बढई गांव वालों की हरकतों से परिचित था अत: वह तक्षक को सदा अपने पास ही रखता था। उसको डर था कि कही गांव वाले तक्षक को अकेला पाकर मार न डाले। बढई के मन में सदा तक्षक की कुशलता की चिंता समाई रहती थी।
एक दिन बढई ने सोचा, मैं कब तक तक्षक के जीवन की रक्षा करता रहूंगा। इसलिए उसने मन बना लिया कि वह उसे जंगल में छोड़ देगा ताकि वह स्वतंत्रतापूर्वक घूम – फिर सके तथा आनंदपूर्वक जीवन बीता सके।
दुसरे दिन बढई ने अपने हृदय को कडा करके उसे जंगल में छोड़ ही आया। इससे तक्षक बहुत दुखी हुआ लेकिन बढई के रुख को देखकर वह फिर लौटकर उसके घर नहीं आया और जंगल में ही रहकर इधर – उधर घूमने लगा।
तक्षक घुमते – घूमते एक ऐसे स्थान पर जा पहुंचा जहाँ पहले से ही सैंकड़ों शूकरों का एक दल मौजूद था। अपनी जाति के प्राणियों को देखकर वो अत्यधिक प्रसन्न हुआ। वह मन ही मन सोच रहा था कितना अच्छा होता अगर ये मुझे अपने साथ रख लेते। यही सोचकर तक्षक उनके पास गया और बोला “भाइयों, मैं भी आपका जाति भाई हूँ, लेकिन मैं बिलकुल अकेला हूँ। अगर आप हमें अपने दल में शामिल कर ले तो आपकी बड़ी कृपा होगी।”
पर शूकरों ने तक्षक को अपने दल में मिलाने से ये कहकर अस्वीकार कर दिया कि उसका वहाँ रहना ठीक नहीं होगा और अगर वह सुख – चैन से रहना चाहता है तो कही और जा कर रहे। पर तक्षक के बार – बार मिन्नते करने पर शूकरों का सरदार बोला कि यदि तुम यहाँ रुके तो तुम्हारे प्राण जा सकते है।
तक्षक आश्चर्यचकित होकर बोला “साफ़ – साफ़ बताईये भला मेरे यहाँ रहने से मेरी जान को क्या हानि हो सकती है ?”
तब शूकरों के सरदार ने बताया वो जो सामने पहाड़ी दिख रहा है उस पहाड़ी पर एक सिंह रहता है जो प्रतिदिन यहाँ आता है और हमारे बीच में से किसी न किसी को उठा कर भाग जाता है। अत: अच्छा है कि तुम यहां से कही और चले जाओ।
सरदार शूकर से तक्षक ने पूछा कि क्या वह अकेले आता है ?
सरदार ने कहा बेटा ! आता तो वो अकेला ही है पर वह बड़ा दुर्दांत और दुष्ट प्रवृत्ति का है। यह बात सुनकर तक्षक बोला, “ये बड़े दुःख की बात है कि कोई अकेला सिंह आता है और आप लोगों में से किसी एक को उठा ले जाता है जबकि आप इतने हो की चाहों तो मिलकर उसका मुकाबला कर सकते हो।”
“अब मैं यहां से कही नहीं जाउँगा बल्कि यही रहूँगा और उस सिंह का मुकाबला हम सभी मिलकर करेंगे।”
दूसरे दिन तक्षक ने सभी शूकरों को एकत्र किया तथा सिंह का सामना करने के लिए उत्साहित किया तो सभी शूकरों में सिंह का सामना करने का जोश आ गया। दूसरी तरफ सिंह भी आ धमका जिसे देखकर शूकरों में से एक शूकर गुर्राया।
शूकर को गुर्राता देखकर सिंह का क्रोध आसमान छूने लगा। वह जोर से दहाड़ मारकर उछला और तीव्र गति से तक्षक की और झपटा। बस फिर क्या था सभी शूकर एक जुट होकर पूरे बल से सिंह पर टूट पड़े और अपने नुकीले दांतो को धंसा – धंसा कर मार डाला।
इस प्रकार आपस की एकता और संगठन के बल पर उन शूकरों की विपत्ति का अंत हुआ जिससे खुश होकर सभी शूकर कंठ से कंठ मिलाकर तक्षक की जय बोलने लगे पर तक्षक ने उन्हें समझाया कि यह जीत हमारी एकता की शक्ति के कारण हुई है। अगर आप लोग संगठित होकर साथ न देते तो सिंह को हरा पाना मुश्किल था। इसलिए जय बोलना है तो हमारी एकता की, संगठन की बोले क्योंकि एकता में बहुत बड़ा बल होता है।
कहानी से सीख : एकता की महत्ता उसकी एकरसता, अखण्डता और शक्ति की भावनाओं में निहित होती है। जो कोई इसे अपने चरित्रगत विशेषताओं में सम्मिलित कर लेता है वो खुद ब खुद संगठन की प्रगति का भागिदार बन जाता है क्योंकि संगठन का दूसरा नाम ही शक्ति है। आज की ये कहानी यही बताती है कि कैसे संगठन और एकता के बल पर बड़े – बड़े शत्रु भी जीते जा सकते है।
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एकता में बहुत शक्ति , एक अच्छी प्रेरणादायक कहानी
एकता की शक्ति को दर्शाती बढ़िया कहानी।
आपने इस कहानी के माध्यम से बहुत ही अच्छी सिख दी है बबिता जी ,आपने सही कहा है कि एकता मे बहुत बढ़ी शक्ति होता है ,इस हिन्दी कहानी के लिए आपका बहुत – बहुत धन्यवाद,