देशभक्ति पर कविता – Desh Bhakti Poem In Hindi

Desh Bhakti Poem in Hindi (By Ramdayal Pandey)
हिन्द देश का प्यारा झंडा ऊँचा सदा रहेगा ।
“केसरिया बल भरने वाला, श्वेत रंग सच्चाई ।
हरा रंग है हरी हमारी धरती की अंगड़ाई।
और चक्र कहता है हमारा कदम कभी न रुकेगा।
हिन्द देश का प्यारा झंडा ऊँचा सदा रहेगा ||
शान हमारी ये झंडा है ये अरमान हमारा |
ये बल पौरुष है सदियों का, ये बलिदान हमारा |
जीवन – गीत बनेगा, ये अंधियारा दूर करेगा |
हिन्द देश का प्यारा झंडा ऊँचा सदा रहेगा ||
नहीं चाहते इस दुनिया को अपना दास बनाना |
नहीं चाहते हम औरों के मुँह की रोटी खा जाना |
सत्य, न्याय के लिए हमारा लहू सदा बहेगा |
हिन्द देश का प्यारा झंडा ऊँचा सदा रहेगा ||
आसमान में फहराए ये सागर में भी लहराए |
जहाँ-जहाँ ये झंडा जाए यह सन्देश सुनाए |
है आज़ाद हिन्द ये दुनिया को आज़ाद करेगा |
हिन्द देश का प्यारा झंडा ऊँचा सदा रहेगा ||
हम कितने सुख – सपने लेकर इसको फहराते हैं |
इस झंडे पर मर मिटने की कसम सभी खाते हैं |
हिन्द देश का यह झंडा अब घर-घर में लहराएगा |
हिन्द देश का प्यारा झंडा ऊँचा सदा रहेगा ||
देशभक्ति कविता – शीर्षक “आजादी के लिए संघर्ष”
डींग मारने वाले तो राह – राह मिल जाते है,
वीरो की अमर कहानी को, बस देशभक्त ही गाते है।
परतन्त्र देश का जन जीवन, पशु से भी बदतर होता है,
कीर बंद जो पिंजड़े में, क्या नींद चैन की सोता है।
मिलता न सम्मान कही, अपमान सदा ही पाते है,
वीरो की अमर कहानी को, बस देशभक्त ही गाते है।
मार सही जब कोड़ो की, तब जय जय माँ ही बोल पड़े,
एक साथ ललकार करे व एक साथ वे मिल खड़े।
हाथ बंधे हथकड़ियो से, फिर भी मुस्काते जाते है,
वीरो की अमर कहानी को, बस देशभक्त ही गाते है।
कौन था रोने वाला तब, अपनों में और बेगानों में,
चूम लिया फाँसी का फंदा, जेलों के तहखानों में।
वीरो की अमर कहानी को, बस देशभक्त ही गाते है।
अपना सबकुछ वार दिया, हर सम्भव जंग जिताने में,
बेताब दिखे आजादी को, न धन दौलत को पाने में।
ऐसे अमर शहीदों को हम सब मिल शीश झुकाते है,
वीरो की अमर कहानी को, बस देशभक्त ही गाते है।
देशभक्ति कविता – शीर्षक “देश प्रेम”
इस मातृभूमि में जन्म लिया, अन्न यहाँ का खाया है।
पानी पी इस जगती का, हमने प्यास बुझाया है।
जननी जन्मभूमि के कारण, अपना सर्वस्व लुटायेंगे।
अगर जरुरत पड़ी देश को, अपना लहू बहायेगें।
है कर्ज देश जाति का हम पर, हँस – हँस कर उसे चुकायेंगे।
आन मान व शान सहित, हम आगे कदम बढ़ायेंगे।
वैसे तो हम समदृष्टा है, ऊँच नीच का भाव नहीं।
धर्म जाति का भेद भुलाकर, रखते हैं समभाव सही।
यदि कोई दूषित रणनीति बना, हम पर अत्याचार करेगा,
नहीं सहेंगे कभी उसे, हर पल इसका ध्यान रहेगा।
हम वंशज हैं वीरों के, नतमस्तक होना क्या जाने।
हम सबक सिखाते दुश्मन को, हम पीछे हटना क्या जाने।
आजाद भगत बिस्मिल शेखर की, कुर्बानी कभी न भूलेंगे।
चलकर पद्चिन्हो पर इनके, दुश्मन को खूब छका देंगे।
सत्य अहिंसा के शस्त्रों से, बापू ने चमन बना डाला।
गोरो को भगाया चुटकी में, है उनकी ते रही कर डाला।
यदि कोई हाथ मिलायेगा, हम उनको गले लगा लेंगे।
प्रेम करेगा यदि हम से, हम अपना सिर भी कटा देंगे।
Short Desh Bhakti Geet in hindi (Bankim Chandra Chattopadhya)
वन्दे मातरम !
सुजलाम सुफलाम मलयज शीतलाम, ||
शस्य श्यामलाम, मातरम वन्दे मातरम !
शुभ्र ज्योत्स्ना पुलाकितायामिनिम,
फुल्ल-कुसुमित द्रुम-दल शोभिनीम,
सुहासिनीं, सुमधुरभाषिणीम,
सुखदां, वरदां, मातरम | वन्दे मातरम !
कोटि कोटि कलकल निनाद कराले
कोटि – कोटि कंठ – कल – कल निदान निदान कराले,
भुजैर धृत-खर करवाले
अबला केनो माँ ! एतो बोले,
बहुबल धारिनिम, नमामि तारिणीम,
रिपुदल वारिनिम मातरम वन्दे मातरम !
तुमि विद्या, तुमि धर्मं,
तुमि हृदि, तुमि मर्म,
त्वं हि प्राणः शरीरे!
बाहु ते तुमि माँ शक्ति,
हृदये तुमि माँ भक्ति,
तोमारयिप्रतिमा गडी मंदिरे मंदिरे ||
त्वं हि दुर्गा दशप्रहरण धरिनीम,
कमला, कमलदलविहारिनीम,
वाणी, विद्यादायिनी नमामि त्वाम,
नमामि कमलां, अमलाम, अतुलाम,
सुजलाम, सुफलाम, मातरम,
वन्दे मातरम !
श्यामलाम, सरलाम, सुष्मिताम, भूषिताम,
धरनिम, भरनिम, मातरम |
वन्दे मातरम !
वन्दे मातरम !
भारत माता की जय |
Small Desh Bhakti in hindi (Ravindra Nath Tagore in Hindi )
जनगणमन-अधिनायक जय हे
भारतभाग्यविधाता !
पंजाब सिन्ध गुजरात मराठा, द्राविड़ उत्कल, बंगा |
विन्ध्य, हिमाचल, यमुना, गंगा उच्छल जलधि – तरंगा |
तव शुभ नामे जागे,
तव शुभ आशिष मागे,
गाहे तव जय गाथा
जन गण मंगलदायक जय हे
भारत – भाग्य – विधाता !
जय हे, जय हे, जय हे,
जय जय जय जय हे ।।
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सभी कविताएं बहुत बढिया हैं। देशप्रेम की भावना से परिपूर्ण।