संगति का असर – Best Hindi Moral Story

Sangati ka Asar in Hindi – दोस्तों! संगति के असर के किस्से आज भी कइयों को प्रेरणा देने का काम करते है। लिहाजा आज संगति के असर के प्रभाव के ऊपर यहाँ एक कहानी उपलब्ध करा रही हूँ, जिससे आपको कुछ न कुछ जरूर प्रेरणा मिलेगी।
हिंदी कहानी – संगति का प्रभाव (Hindi Story – Sangati ka Prabhav )
रामगढ़ गाँव में बच्चों को एक शिक्षक रहते थे जो बहुत स्नेहदिल और उच्च आदर्शवादी थे। वे स्कूल के बच्चो को बड़े प्रेम और लगन से पढ़ाते थे। उनका अपना बेटा महेश भी उसी स्कूल में पढ़ता था।
दरअसल महेश मास्टर जी इकलौता बेटा था जिस कारण मास्टर जी उसका बहुत ज्यादा ध्यान रखते थे और मजाक – मजाक में ही कहा करते थे कि वो तो उनकी आँखों का तारा है।
समय बीतता गया और देखते ही देखते महेश 12 वर्ष का हो गया। अब तक वह आठवीं कक्षा में पहुँच चूका था और तेज बुद्धि का धनी महेश बहुत समझदार बन गया चूका था। उसकी समझदारी को देख कर माता – पिता निश्चिंतत हो गए और उस पर ध्यान देना थोड़ा कम कर दिया।
महेश अब आजादी पाकर बहुत खुश था परन्तु ये आजादी उसे बुरी संगति की ओर खीच ले गया और जिसका असर बहुत जल्दी उसपर दिखने लगा। वह रात – रात भर बुरे लड़कों के साथ घूमने लगा, माता – पिता से बिना बात झगड़ने लगा, गालियाँ बकता रहता और तो और मांस, मदिरा, सिगरेट खाने – पीने लगा। इतना ही नहीं उसे माँ – बाप की शिक्षा भी अब बुरी लगने लगी थी।
एक दिन मास्टर जी महेश को अपने साथ बाजार ले गए वहाँ से वे एक टोकरी सेबों की खरीद कर घर लौटे। महेश की नजर उस टोकरी में रखे एक सेब पर पड़ी जो काफी गला हुआ था। महेश उसे निकाल कर बाहर फेकना चाहता था क्योंकि उससे बहुत गंदी दुर्गंध आ रही थी परन्तु मास्टर जी ने उसे ऐसा नही करने दिया।
दूसरे दिन सुबह मास्टर जी ने महेश से कहा “बेटा सेबों की टोकरी में से खाने के लिए कुछ सेब तो ले आओ।”
महेश ने कहा “जी पिता जी, मैं अभी ले लाता हूँ।”
यह कहकर महेश ने जैसे ही टोकरी खोली वह सन्न रह गया क्योंकि टोकरी में रखे सभी सेब सड़ चुके थे और उनसे भयंकर दुर्गन्ध आ रही ही।
मास्टर जी को तो इसका अंदेशा पहले से ही था इसलिए वे महेश के पास गए और उसे बताया कि देखों बेटा ! “कैसे एक सड़े सेब ने दूसरे अच्छे सेबों को भी सड़ा दिया।”
इसी प्रकार जब आप किसी श्रेष्ठ व्यक्ति की संगति में आते हो तो उसके शुभ विचार, उसके गुण और उसका स्वभाव आप में आ जाता है, आप और श्रेष्ठ बन जाते हो। लेकिन यदि यही आप किसी बुरे व्यक्ति की संगति में आ जाते हो तो आपके ये शुभ विचार, आप के यह गुण वो कब आप से छीन लेगा आपको ज्ञात भी नहीं होगा।
पिताजी की बातों को सुनकर महेश को अपनी भूल का अहसास हुआ। उसने बुरी संगत का त्याग किया और वह अच्छे लडको के संग रहकर एक अच्छा नागरिक बना।
Moral of Hindi Story Sangati ka Asar: अच्छी संगति व्यक्ति का मन व चित्त निर्मल करती है। हर व्यक्ति को सदैव अच्छी संगति करनी चाहिए। अच्छी संगति में इतनी शक्ति होती है कि वह दुष्ट को भी सज्जन बना सकती है। वहीं बुरी संगति से व्यक्ति गहरे अंधकूप में गिर जाता है।
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ऑक
The story was lucid yet good…
nice story
बहुत अच्छी प्रेरणादायक कहानी
बहुत ही शिक्षाप्रद कहानी है, वाकई में संगत का असर तो कहीं न कहीं हम सभी पर पड़ता है. इसिलिये तो कहते हैं: संगत से गुण उपजें, संगत से गुण जाएँ….धन्यवाद बबीता जी
bahut achchhi kahani.
jaesa apke friend h vese ap bn jaoge.