बाल दिवस पर निबंध व भाषण
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बाल दिवस पर निबंध – Childrens Day Essay In Hindi

बाल दिवस कब और क्यों मनाया जाता है। Why Do We Celebrate Childrens Day In Hindi । Bal Diwas Kyu Manaya Jata Hai । Children’s Day Essay In Hindi

Children's Day Essay In Hindi - Speech
Children’s Day Essay In Hindi – Speech

Childrens Day Essay & Speech In Hindi – भारत के प्रथम प्रधानमंत्री तथा शांतिदूत बच्चों के चाचा नेहरू के नाम से प्रसिद्ध है।जवाहरलाल नेहरू के सम्मान में उनके जन्मदिन को बाल दिवस के रूप मनाया जाता है। नेहरू जयंती को बाल दिवस के रूप में मनाने की वास्तविक वजह उनका एक स्वतंत्रता सेनानी और राजनीतिज्ञ के रूप में अपनी भूमिका के अलावा बच्चों की शिक्षा पर बहुत ध्यान देना था।

नेहरू जी बच्चों से बहुत अधिक प्यार करते थे और उनके विकास में बहुत अधिक रूचि लेते थे। तभी तो वे प्रत्येक बच्चे में देश का भविष्य देखते थे और उन्हें उच्च शिक्षा प्राप्त करवाना चाहते थे । वे कहते थे कि –

“मैं हैरत में पड़ जाता हूँ जब देखता हूँ कि लोग किसी राष्ट्र का भविष्य जानने के लिए वहाँ के शहरों को देखते हैं, लेकिन जब मुझें हिंदुस्तान का भविष्य देखने की इच्छा होती है तो मैं केवल बच्चों की आँखों और उनके चेहरों को देखने की कोशिश करता हूँ क्योंकि वही मुझे आने वाले हिंदुस्तान की तस्वीर नजर आती है ।”

भारत के प्रधानमंत्री होने के बावजूद भी वे अपनी व्यस्त दिनचर्या से बच्चों के लिए कुछ समय जरुर निकाल लेते और उस समय वे बालको के साथ खेलते थे, उनके मन को बहलाते थे, गरीब असहाय बच्चों की मदद करते थे। इतना ही नहीं बच्चे भी चाचा – चाचा करके उनसे मिलने को उत्सुक रहते, और उन्हें ‘चाचा नेहरू’ कहकर पुकारते थे एवं इस तरह वे ‘चाचा नेहरू’ के नाम से विश्व – विख्यात हो गये और इसी वजह से पंडित नेहरू के मृत्यु के बाद उनके जन्म दिवस को बाल दिवस के रूप में मनाया जाने लगा।

हालांकि वैश्विक स्तर पर बाल दिवस 20 नवंबर को प्रतिवर्ष मनाया जाता है । संयुक्तराष्ट्र संघ ने 1954 में बाल अधिकारों हेतु इस प्रस्ताव को मंजूरी प्रदान की थी। लेकिन राष्ट्रीय स्तर पर बाल दिवस मनाने की शुरूआत 27 मई 1964 को पंडित जवाहर लाल नेहरु के निधन के बाद से हुई थी। लेकिन उनके जन्मदिन को बाल दिवस (Children Day) के तौर पर  मनाया जाना पूर्णत: नेहरू जी की ही देन हैं । वे कहते थे कि देश की असली निधि और वास्तविक समृद्धि तो देश के बच्चे हैं, ये वे कलीं हैं जो कल विकसित होकर अपने सौरभ से अपने मुल्क को तथा दूसरे मुल्कों को सौराभान्वित कर देंगे।

वास्तव में राष्ट्रीय और अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर मनाया जाने वाला यह दोनों ही दिन पूरी तरह बच्चों को समर्पित एक महत्वपूर्ण दिन होता है। देश का पूरा भविष्य बच्चों की उन्नति पर निर्भर है। बच्चों के उज्ज्वल भविष्य के विषय में विचार – विमर्श करना ही इस त्योहार की सबसे बड़ी विशेषता है ।

बाल दिवस बच्चों के जीवन में नई आशा और उमंग का संचार करता है। यह उन बच्चों के बारे में सोचने का अवसर प्रदान करता है जो किसी कारणवश प्राथमिक शिक्षा से वंचित रह जाते हैं। वे बच्चे जो बाल मजदूर, अनाथ, आतंक एवं भय के साए में जी रहे हैं, उनके लिए बाल दिवस का कोई खास महत्व नहीं रह जाता।

विकलांग, एड्स से पीड़ित तथा झुग्गी – झोपड़ियों में दीन – हीन दशा में जीने वाले बच्चों के लिए बाल दिवस की क्या सार्थकता रह जाती है ! बाल दिवस के अवसर पर इन बच्चों के बारे में भी आत्म-मन्थन किया जाना चाहिए।

बच्चे मन के सच्चे होते है। घर, परिवार या स्कूल, ये जहाँ भी रहते है अपनी मासूम आँखों, चंचल हरकतों और मनमोहक मुस्कान से सभी का दिल जीतते है। अब इसे भगवान् का आशीवार्द कहे या कुदरत का उपहार जो सम्भवतः सभी माता – पिता को बच्चे के रूप में मिलता है। 

बच्चे ईश्वर का दिया हुआ एक अनुपम वरदान होते है। देश का भविष्य होते हैं, पर यदि बच्चा असुरक्षित होगा, या वह बाल मजदूरी, बाल शोषण या अपराधिक प्रवृत्तियों में लिप्त होगा तो उसकी असफलता निश्चित है और उस देश का पतन भी निश्चित है।

बच्चा जब जन्म लेता है तो उस समय वह बड़ा मासूम होता हैं। देश का भविष्य इन्हीं बच्चों पर निर्भर होता हैं। इसलिए अभिभावकों, शिक्षकों और परिवार के अन्य सदस्यों से इनकी विशेष देख – रेख और सुरक्षा की आवश्यकता होती है क्योंकि जब ये बच्चे ही असुरक्षित रहंगे तो भला देश का भविष्य उज्ज्वल कैसे हो सकता है ? उनका आज, देश के आने वाले कल के लिए बेहद महत्वपूर्ण है। 

ऐसे राष्ट्रीय पर्व सचमुच हमें याद दिलाते है कि उन्हें परिमार्जित और परिष्कृति कर एक बेहतर इन्सान बनाना हमारा कर्तव्य है। बच्चे देश के कर्णधार होते है। उन्हें एक बेहतर इन्सान बनाना हर जन का कर्तव्य होता है, इसलिए बाल दिवस एक सुन्दर अवसर है की सभी लोग मिलकर इन गरीब, अनपढ़, असहाय बच्चों के लिए कुछ ऐसा करें जो उन्हें फलने-फूलने का एक अच्छा माहौल दें।

बाल दिवस का सम्बन्ध बच्चों से है। आप को खुद इस अवसर पर अपने बच्चों के सामने आदर्श प्रस्तुत करना चाहिए जिससे बच्चों को अपना चरित्र निर्माण करने की प्रेरणा मिले। यदि बचपन में ही उनमें देश भक्ति और चरित्र निर्माण की भावना पैदा हो जाएगी तो राष्ट्र का निर्माण स्वत: होता चला जायेगा। इस प्रकार बाल दिवस का आयोजन कर जहाँ बच्चों के चरित्र – निर्माण को बढ़ावा दिया जा सकता है, वहाँ समाज को भी बच्चों के प्रति दायित्व का पता चल सकता है।

हम सभी के लिए यह प्रसन्नता की बात है कि बदलते वक्त के साथ आज भी महान शख्सियत चाचा नेहरू की वजह से उनके जन्मदिन के रूप में बाल दिवस के अवसर पर हमें बच्चे के महत्व को समझने का मौका मिला । बच्चों का संपूर्ण विकास हम सब के सहयोग के बिना संभव नहीं हो सकता । बाल दिवस का महत्व स्वतंत्रता दिवस और गणतन्त्र दिवस से कम नहीं है यदि ऐसा कहा जाए तो यह अनुचित नहीं होगा।

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Babita Singh
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