प्रदूषण की समस्या और समाधान पर निबन्ध – Pollution Essay In Hindi
Environmental Pollution Essay In Hindi

पर्यावरण प्रदूषण (प्रदूषण) की समस्या के कारण प्रभाव और समाधान – Causes, Type, Effects And Solution of Pollution in Hindi
Pollution Essay in Hindi – प्रदुषण से हमारा तात्पर्य वातावरण की निर्माण क्रियाओं या उत्पाद वस्तुओं द्वारा न चाहते हुये अथवा अनजाने में प्रदूषित करने से है। कुछ निश्चित अर्थों में परिभाषित करके देखे तो, प्रदुषण वायु, जल या भूमि को प्रदूषित करता है और उनके लाभकारी गुणों में कटौती करता जाता है।
आजकल प्रदूषण इस संसार की सबसे विकट समस्याओं में से एक है । यह मानव के लिए एक गंभीर चुनौती बनकर उभरा है । इसने संपूर्ण संसार तथा मानव जीवन के अस्तित्व को खतरे में डाल दिया है । यद्यपि सभी प्रकार के प्रदूषणों का सारा कारण स्वयं मनुष्य है । मनुष्य ने अपने स्वार्थ के लिए समय – समय पर जीवनदायनी प्रकृति के साथ छेड़छाड़ की है । फलस्वरूप प्रकृति का संतुलन बिगड़ गया तथा प्रदूषण की समस्या उत्पन्न हो गई है ।
समाज के शैशवकाल में इस सृष्टि, भूमि जल वायु और समस्त प्राणी जगत के बीच एक सामंजस्य था, मानव जाति और प्रकृति के बीच एकात्मकता थी तथा मनुष्य अपनी आवश्यकताओं की पूर्ति प्रकृति से करता था लेकिन जैसे – जैसे मानव सभ्यता का विकास होता गया तो मनुष्य ने वातावरण को प्रदूषित करने में कोई कमी नहीं की और जब मशीनीकरण से औद्द्योगिक क्रांति हुई तो सारे समाज या जीवन के लिए प्रदूषण एक बड़ा खतरा बन गया ।
गौरतलब है कि 1960 के दशक के पहले पर्यावरण प्रदूषण की समस्या का महत्व न तो राष्ट्रीय स्तर और न ही अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर था किन्तु आज प्रदूषण की समस्या इतनी जटिल हो गई है कि मनुष्य भविष्य में अपने अस्तित्व के लिए चिंतित है । वर्तमान में एक भयानक रूप धारण कर चुका प्रदूषण एक गंभीर समस्या है ।
प्रदूषण की परिभाषा एवं अर्थ – Meaning and Definition of Pollution In Hindi
प्रदूषण मानवीय क्रियाओं से जल, वायु, एवं मृदा की भौतिक, रासायनिक एवं जैविक विशेषताओं में होने वाला वह अवान्छनीय परिर्वतन है जो मनुष्य, पौधों, अन्य जन्तुओं तथा उनके वातावरण आदि को न केवल हानि पहुँचाता है बल्कि उनके अस्तित्व को भी संकट में डाल देता है।
या
जो जीवधारी नैसर्गिक रूप से संतुलित पर्यावरण पर निर्भर करते है उनके सामंजस्य में तनिक भी फेरबदल अथवा अनचाहे परिवर्तन होने से जो परिणाम सामने आते हैं, उन्हें प्रदूषण कहते है ।
प्रदूषण तब होता है जब संतुलित वातावरण में एक अथवा अनेक हानिकारक घटकों को जोड़ा जाता है जो सभी जीवित जीव – जंतुओं के लिए घातक या जहरीली हैं ।
प्रदूषण शब्द लैटिन भाषा के शब्द प्रदूषण से प्राप्त किया गया है जिसका अर्थ गन्दा या अशुद्ध है, किन्तु कुछ अन्य स्थितियां और क्रियाएं भी इस अर्थ में समाहित हैं जिसमें जल और वायु की अशुद्धियों से तो हम परिचित है लेकिन वनों का अन्धाधुन्ध विनाश, भूमि क्षरण और जीव – जंतुओं का सर्वनाश आदि भी प्रदूषण की श्रेणी में आता है जिसका कारण यह है कि ये सब उस विशाल परिस्थिति के अंग हैं, जो स्व –सम्पोसित हैं और जिसमें अपने आप कोई असामन्जस्य पैदा नहीं होता है ।
दूसरे शब्दों में कहे तो प्रदूषण एक नई और नितांत आधुनिक समस्या या अभिशाप है, जो हमारे विज्ञान की देन है और जिसका अर्थ है उस पर्यावरण व वायुमंडल का दूषित या जहरीला हो जाना, जिसमें हम रहते और सांस लेते हैं । प्रदूषण वायु, जल एवं स्थल की भौतिक, रासायनिक और जैविक विशेषताओं में होने वाला एक अवांछनीय परिवर्तन है जो मनुष्य और उसके लिए लाभदायक दूसरे जंतुओं, पौधों, औद्योगिक संस्थानों तथा दूसरे कच्चे माल इत्यादि को किसी भी रूप में हानि पहुंचाता है ।
प्रदूषण के प्रकार – Kinds Of Pollution in Hindi
प्रदूषण का क्षेत्र अत्यंत व्यापक हो गया है । इसके विस्तार में निरंतर वृद्धि हो रही है । आज न केवल वायु प्रदूषण, जल प्रदूषण, ध्वनि प्रदूषण, मृदा प्रदूषण आदि ही प्रदूषण के अंतर्गत आते है बल्कि सामाजिक प्रदूषण, जैविक प्रदूषण आदि भी कई प्रकार से उभरे है । वर्तमान में विकसित और विकाशील सभी देशों में विभिन्न प्रकार के प्रदूषण विद्यमान हैं इनमें से कुछ इस प्रकार हैं –
प्रदूषण को सामान्यत: दो वर्गों में विभाजित किया जा सकता है –
- भौतिक प्रदूषण (Physical Pollution) या पर्यावरणीय प्रदूषण ।
- सामाजिक प्रदूषण |
भौतिक प्रदूषण (Physical Pollution) या पर्यावरणीय प्रदूषण
ये वे प्रदुषण है जो मानव के क्रिया – कलापों के कारण पर्यावरण के भौतिक संघटकों की गुणवत्ता में गिरावट के कारण होते है | ये चार प्रकार के होते है –
–> जल प्रदूषण
–> वायु प्रदूषण
–> ध्वनि प्रदूषण
–> मृदा प्रदूषण
सामाजिक प्रदूषण
सामाजिक प्रदूषण का उदद्भव भौतिक या सामाजिक कारणों से होता है और ये भी चार प्रकार के होते है –
–> जनसंख्या प्रस्फोट
–> सांस्कृतिक प्रदूषण
–> सामाजिक प्रदूषण जैसे सामाजिक एवं शैक्षणिक पिछड़ापन, अपराध, झगड़ा – फसाद, चोरी, डकैती आदि |
–> आर्थिक प्रदूषण जैसे गरीबी
मतलब यह कि आज संसार में जो कुछ भी सुन्दर है, स्वस्थ्य एवं आकर्षक है, ग्राह्य है, वह सब दूषित और असहाय होता जा रहा है । प्रदूषण के लगातार बढ़ने से बहुत सी समस्याएँ पैदा हो रही है जिन्हें अगर समय रहते रोका नहीं गया तो इसके अभिशाप से सारा सभ्य संसार अभिशप्त हो जायेगा लेकिन इस समस्या का समाधान तभी संभव होगा जब इसके होने के कारणों का पता हो ।
प्रदूषण के कारण – Cause And Solution of Pollution in India
हमारे पर्यावरण का इतना दूषित, विकृत और प्राण घातक हो जाने का इकलौता मुख्य कारण “प्रदूषण” है । अनेक सर्वेक्षणों से यह बात पता चली है कि प्रदूषण के कई स्रोत है जिसमें मशीनीकरण से औद्द्योगिकरण की क्रांति हुई जो प्रदूषण के लिए काफी हद तक जिम्मेदार है क्योंकि औद्द्योगिकरण के उपरांत प्रदूषण और भी खतरनाक स्तर तक बढ़ गया ।
जहाँ सभी जीव – जंतु पूर्णत: प्रकृति द्वारा निर्धारित होते है वही मानव प्रकृति में अत्यधिक परिवर्तन करने की क्षमता रखता है और इसका यही रवैया वातावरण को प्रदूषित करने का सबसे बड़ा कारण बना और इसी वजह से वातावरण में कार्बन-डाई ऑक्साइड (CO2), कार्बन- मोनो ऑक्साइड (CO) मीथेन (CH4) क्लोरो – फ्लोरो कार्बन (CFC) हाईड्रो – फ्लोरोकार्बन (HFC) आदि ग्रीन हाउस गैसों की मात्रा में अत्यधिक तीव्र वृद्दि हुई है ।

दरअसल, उद्द्योगों में प्रयुक्त कच्चा माल, रसायन और अवशिष्ट सब वायुमंडल में दूषण फैलाते है और जब विषाक्त रसायनिक अवशिष्ट सामग्री को नदियों या समुंद्र में डाल दिया जाता है, तो यह उनका जल भी दूषित कर देते है ।
इसी प्रकार से बड़े – बड़े कल – कारखाने, फैक्टरियां, उनकी बड़ी धुआं उगलती चिमनियां वायुमंडल में से प्राण – पोषक तत्वों को नष्ट कर विनाशक और जहरीले तत्व भरती जा रही है और तो और चारों ओर दौड़ने वाली गाड़ियाँ तथा पेट्रोलियम पदार्थों से चलने वाले वायुयान आदि अन्य वाहन जो धुआं और जहरीली गैस उगलते है इन सभी का भयानक परिणाम प्रदूषण के रूप में सामने आ रहा है ।
इनके अतिरिक्त भी प्रदूषण के अन्य कई कारण भी गिनाये जाते है जिसमें जनसंख्या की अबाध वृद्धि तथा उसके द्वारा धरती का चप्पा – चप्पा घेरा जाना, खेतों, वनों, पेड़ों का निरंतर कटान, हरित पट्टियों का बढ़ रहा अभाव भी प्रदूषण का बहुत बड़ा कारण है ।
इसी प्रकार कई प्रकार के शोर – शराबे तथा और भी कई प्रकार के तत्व हैं जिनके कारण प्रदूषण की समस्या भयानक से भयानक होती जा रही है ।
इस प्रदूषण ने सारी सभ्यता को आतंकित करके रखा है । आज जो अनेक प्रकार के नये – नये अभूतपूर्व रोग सामने आ रहे है, वे प्रदूषण का ही परिणाम है, यह चिकित्सा वैज्ञानिकों की स्पष्ट धारण है ।
भारत में प्रदूषण की समस्या पर जारी अध्ययन रिपोर्टों ने जो आंकड़े पेश किये है वह बेहद डरावने है । इसके मुताबिक भारत में प्रदूषण के कारण लाखों लोगों की मौत समय से पहले ही हो जाती है ।
विश्व प्रसिद्ध मेडिकल जर्नल ‘लांसेट’ में जलवायु परिवर्तन पर शोध के अलावा PM (पार्टिकुलेट मैटर) 2.5 के शरीर पर पड़ने वाले बुरे असर के अध्ययन की रिपोर्ट में बताया गया है कि भारत के ग्रामीण इलाकों में बीते कुछ सालों के दौरान 5 लाख 24 हजार 680 लोगों की मौत केवल वायु प्रदूषण के चलते समय से पूर्व हो गई ।
आज प्रदूषण की समस्या से न केवल भारत त्रस्त है बल्कि समस्त विश्व को दिन – प्रतिदिन विकट होती जा रही इस समस्या से जूझना पड़ रहा है । आसान भाषा में कहें तो प्रदूषण आज की दुनिया के लिए एक सबसे बड़ी समस्या है ।
वैज्ञानिकों का भी कथन है कि यदि तत्काल फैल रहे इस प्रदूषण के अजगर पर काबू न पाया गया, तो अगले कुछ दशकों में यह धरती मनुष्यों के तो क्या किसी भी प्राणी के रहने योग्य नहीं रह जायेगी और यहाँ तक कि बनस्पतियाँ भी दूषित – विकृति होकर अस्तित्व खो बैठेंगी ।
प्रदूषण की समस्या का समाधान
अब सवाल यह उठता है कि आखिर इस मारक रोग प्रदूषण से कैसे बचा जाए क्योंकि प्रदूषण की इस विकट समस्या पर शीघ्र ही काबू पाना परम आवशयक है । UNEP की एक रिपोर्ट के अनुसार विश्व में प्रतिदिन औसतन 50 प्रकार के जीवों का विनाश हो रहा है जो वास्तव में आनुवांशिकीय विनाश है । अत: हर एक को प्रदूषण की समस्या की ओर ध्यान देना चाहिए तथा इसका समाधान करना चाहिए |
प्रदूषण की समस्या को समाप्त करने के लिए सरकार द्वारा अनेक प्रयास किये गए हैं । इस समस्या को रोकने के लिए विश्व स्तर पर अनके नियम और कानून बने हैं । आइए पहले उनपर विचार करें –
–> प्रदूषण की समस्या से चिंतित वैज्ञानिक कुछ इस प्रकार के उपकरण बनाने में सफल हो गए है जिनका प्रयोग करने से प्रदूषण का खतरा एक सीमा तक दूर हो सकता है ।
–> दूसरी इस प्रकार की योजनाएं भी चल रही है कि कल – कारखानों से निकलने वाले दूषित जल – प्रवाह नदियों में न मिला भूगर्भ में डाले जाए ।
–> इसी प्रकार से कल – कारखानों से निकलने वाले मलबे को भी जलाने या अन्य उपायों से नष्ट कर डालने की योजना चल रही है ।
–> यह भी विचार है कि धुंआ उगलने वाले कल- कारखाने बस्तियों से दूर बंजरों में लगाए जाए तथा उनकी चिमनियाँ इतनी ऊँची हो कि धुंआ नीचे आने ही न पाये ।
–> प्राकृतिक संतुलन बनाये रखने के लिए ये वन – वृक्षों का कटान निषिद्ध कर नये वन – वृक्ष और हरित पट्टियाँ उगायी जायें ।
–> इसी प्रकार कुछ रासायनिक उपायों पर भी शोध चल रहा है लेकिन सभी का एक साथ प्रयोग ही कुछ बचाव कर सकता है ।
–> भारत सरकार ने पर्यावरण सुरक्षा कानून (1986 में) बनाया है उसे उचित ढंग से लागू किया जाए ।
–> पर्यावरण के प्रति जागरूकता हेतु प्रतिवर्ष 5 जून को पर्यावरण दिवस मनाया जाये ।
कुल मिलाकर व्यापक प्रदुषण की समस्या सम्पूर्ण विश्व के लिए चिंता का विषय है । इस संकट का समाधान किसी एक राष्ट्र या एक व्यक्ति के प्रयास से नहीं हो सकता बल्कि इसके लिए तो वैश्विक प्रयासों की सतत आवश्यकता है ।
यह तभी संभव है जब विकसित राष्ट्र, विकासशील राष्ट्र एवं निर्धन राष्ट्र मिलकर आपस में सहयोग प्रदान करें । विद्वानों का भी यही मानना है कि जिस औद्द्योगीकरण ने प्रदूषण की समस्याओं को जन्म दिया है वही इसका समाधान करेगा । लेकिन प्रदूषण की समस्या से निपटने के लिए आज जनता को भी जागरूक होने की आवश्यकता है तभी हम भयानक समस्या प्रदूषण से मुक्त हो सकते हैं । सिर्फ सरकार के प्रयास, नियम और कानून ‘ऊंट के मुह में जीरा’ के समान होंगे यदि देश का प्रत्येक नागरिक इस भयावह समस्या के प्रति जागरूक नहीं होगा ।
जागरूक होने के लिए पहली आवश्यकता इस बात की है कि हम अपने आस – पास की गंदगी को साफ करे । अपने घर का कूड़ा इधर – उधर न फेंके | कूड़ा ऐसी जगह पर फेंके जहाँ से सरकारी तौर पर उसके जल्द उठाये जाने की व्यवस्था हो । कूड़े – कचरे का सड़ना वायु प्रदूषण का कारण बनता है ।
पॉलिथिन का बढ़ता चलन, प्रदूषण का एक नया कारण है । पॉलिथिन में सामान बिक्री पर पाबन्दी लगानी चाहिए । पॉलिथिन अन्य प्रकार के कचरे के मुकाबले बहुत देर से जमीन में दबने के बाद गलती है । यह नाले – नालियों में एकत्र होकर पानी के बहाव को रोकती है । नदियों और समुद्र में जल में जल प्रदूषण की समस्या को जन्म देती है । जब तक इसके प्रयोग पर सरकारी तौर पर पाबन्दी लगे, हमें चाहिए कि पॉलिथिन प्रयोग कर इसे इधर – उधर फेंकने के बचाय, एकत्र करके या तो खुले वातावरण में जला दें या फिर कूड़े के साथ इसे इस तरह डाल दें कि इधर – उधर उड़ने न पाये । यू. एन. ओ. तथा विश्व स्वास्थ्य संगठनों को रेडियोधर्मी प्रयोग को सिमित करने के नियम बनाकर उन पर कड़ाई से पालन कराये जाने चाहिए ।
Pollution Essay – पर्यावरण प्रदूषण पर निबन्ध, आशा करती हूँ आपको पसंद आया होगा। पर्यावरण पर इस तरह के और भी लेख पढने के इच्छुक हैं तो नीचे दिये गये लिंक पर क्लिक करके आप प्राप्त कर सकते हैं।
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Hello Babita
Very nice and such a motivating essay on polution.
आज के समय मे प्रदूषण एक बहुत बढ़ी समस्या बन गयी है ,जिसके कारण सभी को इस प्रदुषण की समस्या का सामना करना पढ़ रहा है ,इस समस्या से बचाव बहुत ज़रूरी हो गया है। “शुक्रिया बबिता जी इस उत्तम पोस्ट के लिए ,,
बबिता जी nice article
बहुत ही बढ़िया पोस्ट। शेयर करने के लिए धन्यवाद बबिता जी
बबिता जी प्रदूषण एक बहुत बड़ी समस्या बन कर उभरा है | इस समय तो दिल्ली का हाल बेहाल है | ऐसे में जन जागरूकता फैलाना बहुत जरूरी है | प्रदूषण की समस्या पर लिखा गया आपका ये लेख इसी दिशा में एक सार्थक कदम है | शुक्रिया
प्रदुषण आज सबसे बड़ी समस्या है । धुएँ ने लोगो का जीना मुश्किल कर दिया है ।
Bhot Acha likha h aapne Babita ji… Keep it up
Babita ji aapne pollution ke bare me bahut achha article likha hai, Sach me pollution ek bahut Badi samasya ban gai hai,, thanks for this post
बबिता जी, प्रदूषण पर बहुत बढ़िया निबंध लिखा हैं आपने। बधाई।
प्रदूषण एक बहुत बड़ी समस्या बन कर हमारे सामने खड़ी है और हम चाह कर भी कुछ नही कर पा रहे उससे निपटने के लिए.. हमारी सरकार बहुत ही अच्छे कदम उठा रही है लेकिन बिना हमारे जागरूक हुए उसका सफल होना असंभव है। धन्यवाद बहुत ही अच्छी निबंध लिखा है आपने।
बबिता जी इस वक़्त अगर कोई problem लोगो को हो रही है तो वो है धुंध और धुए का मिश्रण जो की सुबह सुबह इतना घना हो रहा है की एक्सीडेंट की मुख्य वजह बनता जा रहा है. आपने बहुत बढ़िया तरीके से प्रदुषण पर लेख लिखा है. good job keep it up.