नैतिक शिक्षा व नैतिक मूल्य पर एक अच्छी हिंदी कहानी (Kid Story With Moral on Morality)

इमानदारी
एक धनी सेठ था | उस सेठ के पास सुख सुविधा के लिए ऐसी सभी वस्तुए थी जो ऐशोआराम से रहने के लिए उचित मानी जाती है | उसकी एक पुश्तैनी हवेली भी थी जो बहुत विशाल थी और जिसकी उसे साफ – सफाई करवानी थी
लेकिन वह पूरे घर की साफ – सफाई एक साथ नहीं करवाना चाहता था क्योंकि पूरे घर की एक साथ सफाई करवाने पर उसे सारा सामान इधर से उधर करना पड़ता जिससे बहुत समय ख़राब होता और सामान को संभालने में भी बहुत दिक्कते आती |
इसलिए उसकी इच्छा थी कि कोई ऐसा मजदूर मिल जाए जो एक दिन में केवल एक कमरा साफ करें | अत: इस कार्य के लिए उसने कई मजदूरों से बात की लेकिन सभी पूरे घर को एक साथ साफ करने के लिए कह रहे थे |
जब कहीं बात नहीं बनी तो सेठ ने अतुल नाम के एक बारह – तेरह साल के मजदूर लड़के को काम पर लगा दिया | अतुल रोज समय पर हवेली आता और एक कमरा साफ करके अपने घर चला जाता | इस प्रकार उसने घर के बाहरी कमरों को कुछ दिनों में साफ कर दिया |
इन कुछ दिनों में अतुल ने कभी भी किसी भी सदस्य को शिकायत का मौका नहीं दिया | इस वजह से घर के सभी सदस्य बहुत खुश थे और अतुल पर बहुत विश्वास करने लगे थे और अच्छे आचार व्यवहार के कारण घर में कही आने – जाने पर कोई रोक – टोक नहीं थी |
चूकी बाहर के कमरों की सफाई हो चुकी थी इसलिए अब वह घर के आन्तरिक कमरों की साफ सफाई करने लगा | एक दिन वह सेठ के शयनकक्ष की सफाई करने गया तो उस कमरे में रखी कीमती वस्तुओ को देखकर अतुल की आंखे खुली की खुली रह गई |
कमरे में एक से बढ़कर एक सुंदर वस्तु रखी हुई थी | जिसमे से कुछ तो सोने – चांदी से भी जड़ी हुई थी | अतुल ने अपने पूरे जीवन में इतनी सुंदर, इतनी कीमती और इतनी तरह की वस्तुये नहीं देखी थी | बेचारा उस चकाचौंध के आकर्षण से भौचक्का हो गया |
वह अपने आप को रोक नहीं पाया और कमरें में रखी चीजो को खूब पास से ध्यानपूर्वक उठा – उठाकर देखने लगा | उसको सभी चीजें बहुत अच्छी लग रही थी लेकिन एक सोने की घड़ी के प्रति उसका बाल मन आकर्षित होने लगा और यह आकर्षण कही न कही उसके नैतिक संस्कारों की जड़ों को हिला रहा था |
आख़िरकार वह लालच के जाल में फस ही गया और उस घड़ी को बार – बार उठा कर देखने लगा | कान से लगाकर घड़ी की मीठी आवाज भी सुनी और अनगिनत बार हाथ पर भी बांध कर देखी |

अपने हाथ पर घड़ी उसे बहुत खूबसूरत लग रही थी | अब तो उसका ध्यान उस घड़ी पर ही केंद्रित होकर रह गया और उसके मन से एक आवाज उठी – “यदि यह घड़ी मुझे मिल जाती” | लेकिन अतुल का बाल मन यह नहीं समझ पा रहा था कि बिना पूछे घड़ी को अपना बना लेना चोरी कहलाता है
उसी वक्त घर की मालकिन यह देखने के लिए आ गई कि आखिर अतुल क्या कर रहा है जो वह दोपहर के खाने के लिए न आया | मालकिन ने अतुल के हाथ में घड़ी देखी तो दरवाजे पर ही रुक गई |
बहुत देर तक घडी हाथ में लिए वह सोचता रहा क्या मैं इसे ले लूँ और ले तो लूँगा पर यह तो चोरी होगी | चोरी शब्द मन में आते ही उसका सारा शरीर कांप उठा | उसके लिए यह किसी संकट की घड़ी से कम नहीं लग रहा था |
ऐसे समय में उसे अपने माँ की दी हुई सीख याद आ गई कि
“ बेटा कभी किसी की चीज नहीं चुराना, चाहे तुम्हे भूखा ही क्यों न रहना पड़े क्योंकि चोरी करना महापाप होता है | भले ही कोई इन्सान तुम्हे चोरी करते देखे या न देखे पर ईश्वर अवश्य देख लेता है | वह चोरी करने पर बहुत बड़ी सजा देता है | यह याद रखना कि चोरी एक न एक दिन जरुर पकड़ी ही जाती है और तब सजा जरुर मिलती है |”
माँ की बाते याद आते ही अतुल को लगा कि ईश्वर उसे देख रहे है और उन्होंने उसके मन की चोरी वाली बात जान ली है | वह घबराकर रोने लगा और घड़ी को वही मेज पर रखकर यह कहता हुआ बाहर भागा – माँ मैं चोर नहीं हूँ, मैं कभी चोरी नहीं करूँगा, मुझे बचा लो माँ मुझे जेल नहीं जाना है |
मालकिन यह सब देख भावविह्वल हो गई और अतुल को पकड़ कर गले से लगा लिया और उसे चुप कराते हुए बोली “ बेटा तुमने कोई चोरी नहीं की | तुम्हे डरने की जरुरत नहीं है | तुम तो बहुत ईमानदार हो |”
मालकिन ने खुद घड़ी अपने हाथों से अतुल को देनी चाही लेकिन उसने लेने से मना कर दिया | यह देख मालकिन बहुत खुश हुई और मन ही मन सोचा कि जिस माँ ने अपने बेटे को नैतिकता की इतनी अच्छी शिक्षा दी है उस माँ से तो जरुर मिलना चाहिए और वह अतुल के साथ उसके घर गई |
मालकिन ने अतुल की माँ को सारी बताई और कहा “जिंदगी में हम कितने सही और कितने गलत है यह बात सिर्फ दो ही शक्स जानते है एक ‘ईश्वर’ और दूसरा आपकी ‘अंतरआत्मा’ | आपने अतुल को अपनी अंतरआत्मा’ की आवाज सुनना सीखा दिया है | आपने अपने बच्चें में बहुत अच्छे संस्कार के बीज बोए है |
गरीब होकर भी आप इतनी ईमानदार है और चाहती है कि बच्चा भी ईमानदार बनें | आप धन्य है और आपका प्रयत्न सफल हुआ क्योंकि आपका यह बच्चा बहुत ईमानदार है और सदा ही ईमानदार रहेगा | अब से आपके बच्चे की शिक्षा – दीक्षा का खर्चा मैं दूंगी,|
आप इसे खूब पढाइए | अतुल आपका नाम जरुर रौशन करेगा |” आगे चल कर यह बालक बंगाल का महापुरुष और देश का गौरव बना |
नैतिक मूल्य पर आधारित कहानी से शिक्षा (Moral of Hindi Story on Naitik Mulya Or Naitik Shiksha)
व्यक्ति की पहचान ज्ञान के साथ – साथ उसके आचार व्यवहार से भी होती है | अच्छे आचरण के बिना व्यक्ति अधूरा है | हर माता – पिता का कर्तव्य होता है कि वह अपने बच्चे में संस्कार रूपी बीज को फलने – फूलने के लिए उसे सही माहौल दें सही शिक्षा दें क्योंकि बच्चे देश के भविष्य होते है |
आपके के द्वारा दिया गया संस्कार उसे एक अच्छा नागरिक बनाएगा | इतिहास गवाह है कि जिन माता – पिता ने अपने बच्चों को अच्छे संस्कार दिए है उन्होंने अपने माता –पिता का नाम रोशन किया है |
अगर हर माँ – बाप सही वक्त पर सही संस्कार अपने बच्चों को दे तो वह संस्कार बच्चों के साथ जीवनपर्यंत रहता है | इसलिए बच्चों में बचपन से ही नैतिक मूल्यों के बीज बोने शुरू कर देने चाहिए है क्योंकि नैतिक मूल्य ही है जो हमें उचित – अनुचित, आचार व्यवहार का ज्ञान कराते है |
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Nice story..
सचमुच एक प्रेरक कहानी, ऐसी रचनाएं चरित्र को नई दिशा प्रदान करती हैं। आभार।
अच्छी कहानी … बचपन में ही संस्कार डाले जा सकते हैं और इनका फल जरूर मिलता है …
Thanks and keep reading.
बहुत अच्छी कहानी. माँ ही वो एक माध्यम है जो अपनी संतान को चाहे तो भगवान बना दे या चाहे तो शैतान.
Thanks
सुंदर प्रस्तुति। आपको एवं आपके पूरे परिवार को दीपावली की हार्दिक शुभकामनाएं।
Thanks Jyoti ji.
बहुत अच्छी सीख देती हुई प्रेरणादायक कहानी बबिता जी |
Thanks.
अच्छी सीख ,बहुत ही बढ़िया लेख शेयर करने के लिए अापका धन्यवाद,
Thanks Rachana ji.
बहुत अच्छी जानकारी शेयर की है आपने, आपका धन्यवाद।
Thanks and keep reading.
बहुत ही अच्छी सिख दी इस कहानी ने ऐसे ही कहानी शेयर करते रहिए। life me Moral knowledge hona jaruri hai.
Thanks and keep reading.