गुरुवार बृहस्पतेश्वर महादेव व्रत पूजा विधि एवं व्रत कथा का लाभ (Guruvar (Brihaspativar) vrat pooja vidhi in hindi)

Guruvar Vrat Pooja Vidhi : हिन्दू धर्म में गुरुवार व्रत भगवान बृहस्पतिदेव तथा जगत पालक श्री हरि विष्णु भगवान को समर्पित बहुत ही महत्वपूर्ण व्रत है। कई स्थानों पर इस दिन बृहस्पतिदेव स्वरुप पवित्र पेड़ केले की भी पूजा की जाती है।
पुराणों के अनुसार इच्छित फल विद्या, पुत्र धन – धान्य आदि की प्राप्ति के लिए गुरुवार व्रत किया जाता है। ऐसा माना जाता है कि गुरुवार का व्रत पूरे विधि – विधान के साथ करने से व्यक्ति की सारी मनोकामनाएं पूरी हो जाती है तथा यह हर स्त्री – पुरुष के लिए सामान्य रूप से फलदायी है।
अग्नि पुराण में कहा गया है कि किसी भी माह के शुक्ल पक्ष में अनुराधा नक्षत्र और गुरुवार के योग के दिन इस व्रत की शुरुआत करना चाहिए। गुरुवार का व्रत लगातार सात गुरुवार तक करने से व्रती का गुरु ग्रह से उत्पन्न होने वाला अनिष्ट नष्ट हो जाता है।
गुरुवार के व्रत की कथा एवं पूजा विधि
बृहस्पतिवार अथवा गुरुवार के व्रत में स्त्री – पुरुष को सूर्योदय से पूर्व उठकर घर की स्वच्छता की ओर ध्यान देना चाहिए खासकर पूजा स्थान की विशेष साफ सफाई करनी चाहिए। तत्पश्चात नित्य क्रिया से निवृत्ति होकर स्नान करने के बाद गुरुवार व्रत रखने का संकल्प लेना चाहिए तथा बृहस्पतिदेव महादेव आपकी इच्छओं को पूर्ण करेंगें ऐसे दृढ़ विश्वास के साथ बृहस्पतिवार की यथाविधि पूजा करनी चाहिए ।
–> बृहस्पति भगवान का व्रत पीले वस्त्र धारण करके ही करना चाहिए तथा पूजन में व्रत-धारी को केवल पीली वस्तुए जैसे – पीले फूल, पीला चंदन, पीला फल, पीली दाल आदि से पूजन करना चाहिए और इन्हीं वस्तुओं का दान भी करना चाहिए। इस दिन बाल नहीं कटवाने चाहिए।
–> बृहस्पतेश्वर महादेव पूजन के बाद प्रेमपूर्वक गुरुवार व्रत कथा सुननी चाहिए। इसके बाद केवल एक समय ही भोजन करना चाहिए।
–> गुरुवार का व्रत साधारणतया दिन के तीसरे पहर तक का होता है यानि शाम तक रखा जाता है।
–> बृहस्पतिवार व्रत में पीले चने की दाल से बनी चीजे ही खाने के रूप में इस्स्तेमाल करें परन्तु नमक ना खाएं।
गुरुवार / बृहस्पतिवार व्रत का लाभ (Benefits Of Guruvar (Brihaspativar) Vrat In Hindi)
गुरुवार का व्रत बड़ा ही फलदायी माना जाता है तथा इसे श्रद्धा पूर्वक करने पर व्यक्ति को सभी प्रकार के सुखों की प्राप्ति होती है और मन की इच्छायें पूरी होती है। इसके अलावा बृहस्पतिवार अथवा गुरुवार व्रत करने से परिवार में सदा सुख और शांति भी बनी रहती है। यह व्रत सभी पुरुष – स्त्री के लिए बेहद महत्वपूर्ण और प्रभावशाली माना जाता है। इसे रखने से गुरु ग्रह का दोष भी खत्म होता है लेकिन अगर कोई व्रत करने वाला जातक गुरुवार व्रत में बाल कटवाता है या दाढ़ी बनवाता है तो इसका शुभ फल उसे प्राप्त नहीं होता है।
गुरुवार (बृहस्पतिवार) व्रत पूजा विधि (Guruvar (Brihaspativar) Vrat Puja Vidhi In Hindi)

गुरुवार व्रत में केले के पेड़ का और विष्णु भगवान का पूजन करना चाहिए। कथा और पूजन के समय मन, कर्म, वचन से शुद्ध होकर जो इच्छा हो बृहस्पतिदेव से प्रार्थना करनी चाहिए और हाँ संध्या के समय दीपक जरुर जलाना चाहिए। सच्चे मन से बृहस्पतिवार व्रत करने से बृहस्पति देव सभी इच्छाओं को पूर्ण करते हैं और घरबार हमेशा धनधान्य से भरा रहता है।
अथ गुरुवार /बृहस्पतिवार व्रत कथा (Guruvar/Brihaspativar Vrat Katha In Hindi)
एक बहुत धनवान व्यक्ति था लेकिन उसकी पत्नी अत्यंत कृपण थी। उसे साधु – संतो को दान – पुण्य करना बिल्कुल पसंद नहीं था। एक बृहस्पतिवार के दिन एक साधु उसके द्वार पर भिक्षा के लिए पहुंचा। उस समय वह अपने घर का आंगन लीप रही थी।
“साधु महाराज ने उसे दरवाजे पर से आवाज लगाई “माई, भिक्षा दो।” लेकिन उसने कहा “देखते नहीं हाथ खाली नहीं है।” इतना सुनकर साधु वापस चला गया और दूसरे दिन फिर आया तथा बोला “माई, भिक्षा दे।”
पर वह स्त्री उस दिन अपने पुत्र को खाना खिला रही थी इसलिए उस दिन भी साधु को खाली हाथ लौटा दिया।
तीसरे दिन फिर उस साधु ने द्वार को खटखटाया। उस दिन भी उसने टाल देने का प्रयास किया। तब साधु ने स्वयं ही पूछा, “माई क्या तुझे किसी वक्त भी फुरसत नहीं रहती ? यदि प्रभु की कृपा से ऐसा हो जाए कि तुझे हमेशा फुरसत रहे, तब तो तुम मुझे दक्षिणा दे सकोगी ?”
स्त्री ने बिना बिलम्ब किए तत्काल उत्तर दिया, “ क्यों नहीं महाराज ! ऐसा हो जाए तो आपकी बड़ी कृपा होगी।”
साधु ने कहा, “तब तुम मेरा कहना करो। बृहस्पतिवार को सारे घर का कूड़ा – करकट गाय – भैसों की थान में लगा दिया करों और फिर सिर से स्नान करों तथा अपने परिवार के लोगों को कह दो कि वे गुरुवार को अवश्य बाल बनवाया करें।
जब तुम रसोई तैयार किया करों तब सिद्ध हुए सब पदार्थ चूल्हे के सामने न रखकर चूल्हे के पीछे रखा करो। संध्या समय कुछ देर के बाद दीपक जलाया करो।
ऐसा तुम चार बृहस्पतिवार तक करना, यदि प्रभु चाहेंगे तो तुम्हें फिर कोई काम करने के लिए नहीं रहेगा और तुम्हें काफी अवकाश मिलेगा लेकिन मुझे दक्षिणा जरुर दिया करना।”
उस महिला ने खुश होकर कहा, “महाराज ! आपके कथानुसार करने से मुझे अवकाश मिला तो अवश्य दक्षिणा दूंगी।”
उसका उत्तर सुनकर साधु लौट गया। स्त्री ने साधु के कथानुसार कार्य करना शुरू कर दिया। एक माह बाद ही उसका समस्त धन – सम्पत्ति चला गया और अब तो खाने के भी लाले पड़ गए।
एक दिन फिर वही साधू उसके द्वार पर पहुंचा और आवाज लगाई, “माई भिक्षा दे।”
उसका स्वर सुन स्त्री भीतर से दौड़ी दौड़ी बाहर आई तथा साधु के चरणों में गिरकर बोली “ महाराज ! आपने ऐसी विधि बताई कि खाने के भी लाले पड़ गए, अब मैं आपको भिक्षा कहाँ से दूँ ? ”
साधु महाराज सुनकर मुस्कुराएँ, बोले, “माई जब तेरे पास सबकुछ था, तब भी कुछ नहीं देती थी। अब तुझे अवकाश ही अवकाश है तब भी भिक्षा नहीं दे रही है। अब तुम्ही बताओं क्या चाहती हो ?”
तब उस स्त्री ने कहा “महाराज कोई ऐसा उपाय कीजिए कि मेरी पहली अवस्था लौट आए। आगे से आप जैसा कहेंगे मैं वैसा ही करुँगी।”
साधु बोले, “देख माई अपने घर वालों को समझा दे कि शुक्रवार या बुद्दवार को बाल कटवाया करे। तुम सूर्योदय से पहले ही बिस्तर छोड़ दिया करो। घर को खूब साफ – सुधरा रखों तथा साम के वक्त दीपक जलाया करों। रसोई तैयार करके चल्हे के सामने रखा करों | भूखे प्यासे को अन्न – जल दिया करों।” इतना विधि बताकर साधु वहाँ से चले गए।
उस दिन से वह स्त्री साधु की बताई विधि के अनुसार कार्य करने लगी और कुछ दिनों बाद दूबारा उसका घर धन – धान्य से भर गया।
आरती बृहस्पतिदेव इन हिंदी
जय बृहस्पति देवा जय बृहस्पति देवा, छिन छिन भोग लगाऊँ फल मेवा || ॐ||
तुम पूरण परमात्मा तुम अन्तर्यामी, जगत पिता जगदीश्वर तुम सबके स्वामी || ॐ||
चरणामृत निज निर्मल, सब पातक हर्ता, सकल मनोरथ दायक, कृपा करो भर्ता || ॐ||
तन, मन, धन अर्पण कर जो जन शरण पढ़े, प्रभु प्रकट तब होकर, आकर द्वारा खड़े || ॐ||
दीन दयाल दयानिधि भक्तन हितकारी, पाप दोष सब हर्ता, भव बंधन हारी || ॐ||
सकल मनोरथ दायक, सब संशय टारी, विषय विकार मिटाओ संतन सुखारी || ॐ||
जो कोई आरती तेरी प्रेम सहित गावे, जेष्ठानन्द बंदी गुरु को निश्चय फल पावे || ॐ||
सब बोलो विष्णु भगवान की जय ! बोलों भगवान बृहस्पति की जय || ॐ||
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Great post. Har baat aapne bahut achhe tarike se explain ki hai.
क्या बात है, कहानियों के साथ हिन्दू धर्मं की कथाओं को भी आपने अपनि वेबसाइट में स्थान दिया आपका दिल से धन्यवाद!
Good information provided. Keep it up mam.
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Kela guruwar ke din hi nahi khana he na Ji.. Baki din Kha sake na
Mamta ji , baki din aap kela kha sakti hai.
Hello ma’am
Kya ye vrat anuradha nakshtra s hi start krna zruri h, or kya is din baal b dho skte h kyoki kisi pandit n bola th k is vrat m nahana ni chahiye or keval mitha bhojan krte h m ye vrat first time kr ri hu plz guide me
Rajni ji, आप अनुराधा नक्षत्र से आरंभ करने का प्रयास करना चाहिए लेकिन इसके लिए इंतेजार करने की जरूरत नहीं है । आप कभी भी इस व्रत की शुरुवात कर सकती है और गुरूवार को बाल नहीं धोने चाहिए । गुरूवार के व्रत मे केला और नमक नहीं खाना चाहिए ।
गुरुवार व्रत से सम्बन्धित जानकारी शेयर करने के लिये आपका बहुत – बहुत धन्यवाद,
Thanks Sandeep ji.
Such a nice article Babita ji.
Keep up the good work
Thanks
बबिता जी बहुत से लोग गुरूवार का व्रत रखते हैं | पुराणों में इसे इच्छित फल् देने वाला बताया गया है | आपने पूरी व्रत व् पूजा विधि बताकर सबका काम आसान कर दिया | शुक्रिया इस पोस्ट को शेयर करने के लिए
Thanks.
बहुत अच्छी जानकारी शेयर की है आपने बबिता जी, गुरूवार का व्रत मेरी माता जी और फिर मेरी बडी बहने रखती थी और जैसा कि आपने विधि बतायी है पूजा की, वैसी ही वे भी पूजन करती थी। आपने अच्छा पोस्ट शेयर किया है, आपका धन्यवाद।
Thanks and keep reading.
सुंदर प्रस्तुति।
Thanks Jyoti ji.