माँ के दूध (स्तनपान) के लाभ – Health Benefits Of Breastfeeding For Infants And Mother In Hindi

Breastfeeding Benefits In Hindi – माँ के दूध (स्तनपान) के लाभ एवं महत्व
विश्व स्तनपान सप्ताह (1-7 August 2018) : विश्व में 1 से 7 अगस्त तक “विश्व स्तनपान सप्ताह” मनाया जाता है। भारत में भी इसके लिए विभिन्न स्तर पर संबंधित विभागों द्वारा प्रचार – प्रसार और जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन किया जाता है। इस वर्ष की थीम – स्तनपान “जीवन की नींव” है लेकिन यहाँ ध्यान में रखने योग्य बात यह है कि अगर हमें मातृत्व मृत्यु दर और शिशु मृत्यु दर कम करना है तो ऐसे कार्यक्रम साल भर चलाने होंगे। स्तनपान शिशु और माँ दोनों के लिए जीवनदायनी है। इससे बच्चे का शारीरिक, मानसिक और भावनात्मक विकास तो होता ही है, साथ ही इससे माँ को भी ढेरों फायदे होते हैं। और इसलिए माँ अपने बच्चों को आदि काल से दूध पिलाती आ रही है।
जन्म के बाद, चार से पांच महीनों तक बच्चे के लिए माँ का दूध जरुरी होता है। यह माँ और बच्चे दोनों के स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद होता है। प्रसव के बाद, माँ के स्तनों से निकलने वाला पहला पीला गाढ़ा दूध नवजात शिशु के लिए सबसे अधिक लाभदायक होता है। माँ के पहले दूध को शिशु का पहला टीकाकरण भी कहते है। इस दूध में शिशु की रोगप्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने की अद्भुत ताकत होती है जिससे शिशु बीमारियों व संक्रमणों से आसानी से लड़ सकता है। माँ का दूध अमृत समान होता है।
लेकिन हमारे देश में आज भी स्तनपान को लेकर महिलाओं में अनेक गलत धारणाएं व्याप्त है और जिनके कारण माँ व बच्चे दोनों को स्तनपान के फायदों से वंचित होना पड़ जाता है। आकड़ों की माने तो, सैकड़ों बच्चे को अकारण स्वास्थ्य समस्याएँ केवल इस वजह से हो जाती है क्योंकि उन्हें माँ का दूध नहीं मिल पाता है। अगर सभी नवजात शिशु पहले 6 महीनें सिर्फ माँ का दूध पीये तो हर वर्ष करीब सैकड़ों बच्चों का जीवन बचाया जा सकता है। और लाखों अन्य बच्चों के स्वास्थ्य और विकास को बहुत हद तक सुधारा जा सकता है।
ये धारणा बदलने का समय आ गया है कि स्तनपान कराने पर माँ को नुकसान होता है। माँ का दूध ही शिशु के लिए सर्वोत्तम दूध होता है। माँ स्तनपान के महत्व के प्रति जब तक जागरूक नहीं होंगी तब तक शिशुओं को माँ के दूध का लाभ नहीं मिल पाएगा।
माताओं में स्तनपान के प्रति जागरूकता के मकसद से हर साल अगस्त माह के प्रथम सप्ताह को पूरे विश्व में स्तनपान सप्ताह के रूप में मनाया जाता है। जिसमें महिलाओं को स्तनपान के महत्व के बारे में बताया जाता है और शिशुओं को जन्म से छह माह तक केवल माँ का दूध पिलाने के लिए विशेष रूप से प्रोत्साहित किया जाता है।
अनेक अनुसन्धानों और शोधकार्यों से यह परिणाम भी प्राप्त हुआ है कि एक स्वस्थ्य और पुष्ट शरीर वाली माँ ही स्तनपान के माध्यम से अपने शिशु को पर्याप्त पोषण प्रदान कर सकती है क्योंकि एक नियम यह भी है कि छ: मास की आयु तक शिशु को सिर्फ माँ का दूध ही पिलाया जाए और छ: मास के उपरांत ऊपरी आहार देना शुरू किया जाए ताकि बढ़ते और विकसित होते बच्चे को पर्याप्त पोषण प्राप्त हो सके।
स्तनपान का महत्व (Importance Of Breastfeeding In Hindi)
–> माँ का दूध सदैव साफ – सुधरा होता है,
–> माँ का दूध शिशु को बीमारियों से बचाता है,
–> माँ का दूध शिशु की बौद्धिक क्षमता को बढ़ाता है,
–> माँ का दूध शिशु के लिए 24 घंटे उपलब्ध है एवं किसी प्रकार की तैयारी की जरुरत नहीं होती,
–> माँ का दूध शिशु के लिए प्रकृति का उपहार है जिसे खरीदने की आवश्यकता नहीं होती है,
–> माँ का दूध शिशु और माँ के बीच विशिष्ट संबंध बनाता है,
–> माँ का दूध दंपत्तियों को बच्चों के बीच अंतर रखने में मदद करता है,
–> माँ का दूध माँ को गर्भावस्था के दौरान बढ़े वजन को कम करने में मदद करता है।
स्तनपान व उससे होने वाले फायदे – स्तनपान व उससे होने वाले फायदों के बारें में जानकारी इस प्रकार हैं –
शिशु को “स्तनपान के लाभ” – (Benefits Of Breastfeeding For The Infants)
–> समस्त प्रकार के कुपोषण की रोकथाम करता है – बच्चे के लिए माँ का दूध एंटीबॉडीज का काम करता है। जन्म लेने के बाद छह माह तक बच्चे को पानी या अन्य पदार्थ नहीं देना चाहिए। सिर्फ माँ का दूध ही पर्याप्त होता है। ये बच्चे में निमोनिया, डायरिया जैसी तमाम बीमारियों के होने के खतरे को काफी हद तक कम कर देता है।
> शिशु जन्म के तुरन्त बाद से लेकर कुछ दिनों तक माँ के स्तनों से निकलने वाला पतला गाढ़ा दूध कोलेस्ट्रम (खिरसा) कहलाता है। यह पीले रंग का चिपचिपा दूध होता है। इस दूध को अकसर लोग अन्धविश्वास के चलते गंदा और खराब दूध कहकर नवजात बच्चे को इसे नहीं देते। जबकि डॉक्टरों का कहना है कि कोलेस्ट्रम बच्चे के लिए सबसे ज्यादा फायदेमंद होता है और इसमें संक्रमण से बचाने वाले तत्व होते है। यह विटामिन ए से भी भरपूर होता है एवं इसमें दस प्रतिशत से अधिक प्रोटीन होता है।
–> नवजात शिशु हेतु Food Security का सर्वोत्तम उपाय है – कोलेस्ट्रम में कम वसा व उपयुक्त कार्बोहाइड्रेट होते है। इस दूध को शिशु जन्म के 1 घंटे के भीतर ही माँ को अपने बच्चों को पिलाना चाहिए। इसे पिलाने से नवजात में पोषक तत्वों और संक्रमणों से बचाव वाले तत्वों के भण्डारण में मदद मिलती है।
–> सेहत के क्षेत्र में कार्यरत ‘वर्ल्ड ऑर्गेनाइजेशन, यूनिसेफ और अन्य दिग्गज संस्थाए’ भी कोलेस्ट्रम यानि खिरसा को बहुत सारी बीमारियों से बचाने में लाभदायक मानती है ।
–> कोलेस्ट्रम के फायदों को देखते हुए ही इस दूध को शिशु का पहला टीका कहा गया है।
–> कोलेस्ट्रम के अलावा माँ का सामान्य दूध भी नवजात शिशु के लिए किसी वरदान से कम नहीं है क्योंकि इसमें सफ़ेद रक्तकणिकाएँ, मिनरल्स, विटामिन और एमिनो एसिड जैसे पोषक तत्व व पर्याप्त पानी मौजूद होता है, जो बच्चे की रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाता है।
–> माँ का दूध सुपाच्य होता है जिसे शिशु आसानी से पचा लेता है,
–> अगर किसी वजह से माँ बीमार हो तो भी शिशु को स्तनपान कराते रहना चाहिए जब तक की डॉक्टर पिलाने से मना न करे। अगर माँ शिशु को स्तनपान कराने में सक्षम है तो माँ के दूध से शिशु को लाभ मिलता रहेगा।
–> छह माह बाद शिशु को हल्का आहार देना शुरू करे, लेकिन ब्रेस्टफीडिंग कम से कम एक से दो वर्ष तक जारी रखना चाहिए ।
–> माँ की त्वचा का संपर्क शिशु के तापमान को बनाये रखता है।
–> गरीबी के चक्र को तोड़ने में सहयोग करता है।
माँ को “स्तनपान से लाभ” – (Benefits Of Breastfeeding For The Mother)

स्तनपान सिर्फ बच्चे के लिए ही लाभदायक नहीं है, बल्कि माँ के लिए भी फायदेमंद होती है।
–> युनिवर्सिटी ऑफ ऑक्स्फ़र्ड के एक शोध के अनुसार दूध पिलाने वाली अधिकतर महिलाओं में दिल का दौरा और स्ट्रोक का जोखिम 10 गुना तक कम हो जाता है।
–> स्तनपान शिशु जन्म के बाद होने वाले खून की क्षति को कम करता है। प्रसव के दौरान प्रसुताओं की सबसे अधिक मौतें अधिक रक्तस्राव से होती है, जिसे चिकित्सकीय भाषा में “पोस्टमार्टम हैंम्रेज” कहते हैं। अगर प्रसव के तुरंत बाद माँ स्तनपान कराती है तो ऑक्सीटोसीन नामक हार्मोन रिलीज होता है, जिससे प्रसूता का यूट्रस सिकुड़ जाता है। इससे प्रसव के बाद अत्यधिक रक्तस्राव की आशंका बेहद कम हो जाती है।
–> गर्भाशय को उसके पूर्व आकार में आने में मदद करता है।
–> भविष्य में गर्भाशय कैंसर, स्तन कैंसर तथा अंडाशय के कैंसर होने के खतरे कम हो जाते है ।
–>प्राकृतिक रूप से दुबारा गर्भधारण टालने में मदद मिलती है। यदि माँ बच्चे को नियमित रूप से स्तनपान कराती रहती है तो छ: माह बाद तक गर्भधारण नहीं हो सकता। स्तनपान कराने से प्रसूता के शरीर से प्रोलैक्टिन हार्मोन रिलीज होता रहता है, जिससे स्वाभाविक तरीके से प्रसूता को छ: माह तक गर्भधारण नहीं होता।
–> स्तनपान कराने का एक बहुत बड़ा फायदा यह भी है कि गर्भावस्था के दौरान बढ़ा वजन जल्दी कम हो जाता है और प्रसव के बाद होने वाले मोटापे से बचाता है।
–> ब्रेस्टफीडिंग से माँ और बच्चे के बीच एक विशेष रिश्ता बनता है।
इसके अलावा शिशु को स्तनपान कराना परिवार के लिए भी फायदेमंद होता है –
–>स्तनपान कराने से जच्चा और बच्चा दोनों के चिकित्सकीय देखभाल पर खर्च कम होता है क्योंकि यह कम बीमार पड़ते है।
–>माँ का दूध आसानी से और बिना पैसे खर्च किए उपलब्ध होता है जबकि डब्बा बंद दूध खरीदना पड़ता है।
स्तनपान से संबंधित गलत धारणाएं और तथ्य

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Thanx for sharing this amazing knowledge ❤️
You’d outstanding guidelines here.
Bahut achi Babita ji jo apne mujhe itni achi jankari di
Nice Post Thank for sharing with us.
बेहद उपयोगी एवं काम की जानकारी। आभार।
स्तनपान सम्बंधी मिथ्या धारणाओं को दूर करने वाला एक उपयोगी लेख। आभार इसे पढवाने के लिए।
मैंने आज प्रथम बार आपके ब्लॉग पर विजिट किया| आप बहुत अच्छा लिखती है| अपने ज्ञान और अपने ब्लॉग को इसी तरह से share करते रहे
बहुत ही बेहतरीन पोस्ट। शुक्ररिया शेयर करने के लिए।
बबिता जी, यह आलेख अवश्य ही महिलाओं की स्तनपान संबंधी गलत धारनाएं दूर करके उन्हें स्तनपान कराने हेतु प्रेरित करेगा। बहुत ही जरुरी विषय पर सुंदर आलेख।
बबिता जी , स्तनपान माँ व् बच्चे दोनों के लिए फायदेमंद है |आजकल शहरी शिक्षित महिलाएं इससे दूर हो रही हैं | हालांकि जो महिलाएं अपने बच्चे को स्तनपान कराती हैं उनका गर्भाशय आसानी से वापस अपनी जगह आ जाता है | जिस कारण महिलाओं को बच्चों के जन्म के बाद पेट निकलने जैसी समस्याओं का बिलकुल भी सामना नहीं करना पड़ता | बहुत सही मुद्दे उठता हुआ एक जरूरी आलेख | धन्यवाद