अच्छे स्पर्श और बुरे स्पर्श के बीच अंतर पहचानने की शिक्षा की आवश्यकता व महत्व (Teach Kids About Good Touch Bad Touch Hindi Language)

Good Touch Bad Touch in Hindi : दोस्तों ! आजकल का जो माहौल है उसमें बच्चों को केवल यौन शिक्षा देना ही काफी नहीं है बल्कि उन्हें Good Touch and Bad Touch के बारे में बताना भी एक जरुरी विषय बन गया है क्योंकि प्राचीर काल में जिस भारत भूमि पर हर देवता एक बार जन्म लेने के लिए तरसते थे उसी भूमि पर आज देवता तो क्या दैत्य भी आना नहीं पसंद करते।
वर्तमान परिस्थियों में यहाँ सर्वत्र असुरक्षा अनुभव हो रही है। रक्षक ही भक्षक बन बैठे है। मानवता पशुता में ढ़लती जा रही है। आये दिन बच्चों का सेक्सुअल मोलेस्टेशन, चाइल्ड सेक्सुअल एब्यूज यौन शोषण, हत्या और बलात्कार जैसे जघन्य अपराध की घटनाएँ हो रही है। हर जगह काम पिपासुओं की बुरी नजर बच्चों की मासूमियत को तार – तार करने के लिए घूम रही है।
ऐसे में अब माता – पिता का कर्तव्य केवल अपने बच्चों को अच्छी शिक्षा और अच्छे संस्कार देने तक नहीं रह गए है बल्कि बच्चों को यौन शिक्षा के साथ – साथ उन्हें गुड टच बैड टच के बारे में aware करने की आवश्यकता है ताकि वह अपनी सुरक्षा को लेकर सावधान हो सके क्योंकि बच्चों को यह नहीं मालूम होता है कि उन्हें किस तरह से छुआ जा रहा है और यह वह कारण है जो बच्चों के यौन शोषण के लिए सबसे ज्यादा जिम्मेदार होते है।
वर्तमान में जो माहौल है उसमें बच्चों को गुड और बैड टच में अंतर समझना बहुत जरुरी हो गया है। आपके द्वारा अपने बच्चों को दी गई अच्छे और बुरे स्पर्श की जानकारी उनको सुरक्षित रखने में मदद करेगा। अगर इसकी शुरुआत बचपन से ही कर दी जाएँ तो और भी बेहतर होगा।
बच्चों को इस तरह से दें गुड टच बैड टच की शिक्षा (Teaching Children About Good Touch Bad Touch Hindi)

बच्चों के मामलों में अकसर यह देखा जाता है कि ज्यादातर विकृति मानसिकता वाले व्यक्ति बच्चे के करीब आने के लिए स्नेह को उपकरण के रूप में इस्तेमाल करते हैं। स्नेह के बहाने ये लोग बच्चों को बुरा स्पर्श करते है लेकिन छोटे बच्चे उनकी बुरे-स्पर्श को पहचानने में असमर्थ होते है।
इसलिए बच्चों को यह बताने की जरूरत है कि हमेशा ढके रहने वाले अंगों को किसी के द्वारा छुआ नहीं जा सकता, भले ही वह ‘स्नेही’ स्पर्श ही क्यों न हो। जब बच्चे 3 – 4 साल के हो जाए तो उन्हें समझा सकते है कि उनके शरीर पर केवल उनका ही अधिकार है। अगर किसी के द्वारा उनके शरीर को छूना अच्छा न लगे तो उसका कड़ा विरोध करें और ऐसी बाते आपको आकर जरुर बताएं।
उन्हें शरीर के विभिन्न अंगों के बीच का अंतर बताएं। जैसे कि जो शारीरिक पार्ट्स आपके हमेशा कपड़ों से ढके रहते है उन पार्ट्स को माता-पिता को छोड़कर और कोई नहीं छु सकता है। इस बात को स्विमिंग कॉस्टयूम के द्वारा भी समझा सकते है। जैसे कि बच्चें से कहे कि शरीर का जो भाग स्विमिंग कॉस्टयूम से ढका होता है वह उन पार्ट्स को किसी को भी छूने न दें।
Good touch aur bad touch के लिए चित्र और वीडियों का भी इस्तेमाल कर सकते है। यह भी हो सकता कि बच्चा शारीरिक संरचना को समझने में असमर्थ हो। तब अच्छे छूने और बुरे छूने वाले शब्दों का प्रयोग करके समझा सकते हैं।
खराब या बुरे स्पर्श पर प्रतिक्रिया करना सिखाए। उन्हें बुरे स्पर्श पर जोर देकर ना कहना सिखाएं। उन्हें यह बताएं कि “नहीं” कहना उनके लिए ठीक है। अगर इनकार करने के बाद भी दुर्व्यवहार किया जा रहा है तो उससे बचने के लिए और मदद के लिए चिल्लाए।
आप बताएं कि उनके चिल्लाने से आसपास के लोग मदद करने के लिए जरुर आ जाएंगे। उन्हें खतरे की तीव्रता के बारे में एहसास कराएं कि ऐसी घटनाओं के होने पर क्या हो सकता है।
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चाइल्ड सेक्सुअल एब्यूज और गुड टच और बैड टच से बच्चों को अलर्ट करने के लिए इन बातों का भी ख्याल रखे
- ढाई – तीन साल के होते – होते बच्चे स्कूल जाने लगते है। इन बच्चों को कुछ याद करा पाना थोडा मुश्किल जरुर है पर नामुकिन नहीं। अत: बच्चे को उसको अपना नाम, माता – पिता का नाम, घर का पता और एक या दो फोन नंबर जरुर याद करा देना चाहिए।
- छोटे बच्चे बड़ी ही आसानी से किसी पर भी विश्वास कर लेते है। इसलिए उन्हें बताना आवश्यक है कि जिन्हें वह नहीं जानते – पहचानते उनके साथ कही भी ना जाएँ और न ही उनकी कोई दी हुई चीजे ले।
- अकसर जब बच्चे लंच नहीं खाते है तो पैरेंट्स फिक्रमंद होते है और रोज पूंछते भी है कि आज लंच खाया कि नहीं। लेकिन अब उनसे यह भी पूंछना जरुरी हो गया है कि बस ड्रावर ने तुम्हें कुछ कहा तो नहीं। जब टॉयलेट जाती हो तो वहाँ तुम्हारें साथ कौन होता है। स्कूल में कोई परेशान तो नहीं करता या स्कूल में कोई परेशानी हो तो मुझे जरुर बताना।
- उनमें आत्मविश्वास जगाए। उन्हें बताएं कि अगर आप सही हो तो किसी से डरने की जरुरत नहीं है। अगर आप से कोई बोलता है कि यह हमारे बीच का सीक्रेट है यह बात अपने मम्मी पापा को नहीं बताना तो बेटा ऐसी बात हमें जरुर बताना क्योंकि मम्मा पापा आपसे बहुत प्यार करते है और इसलिए आप हमसे हर सीक्रेट शेयर कर सकते हो।
- बच्चों को बताए की यदि कोई अनजान उनसे कहे कि आपके मम्मी – पापा आपको बुला रहे है तो भी उसके साथ नहीं जाना। उनसे खुलकर बात करे। उसके मन को पढने की कोशिश करें क्योंकि बच्चों के साथ जब भी कुछ गलत होता है तो उनके व्यहार में परिवर्तन देखने को मिलता है।
- बच्चे में हो रहे किसी भी सामान्य या जटिल बदलाव को गंभीरता से ले।
- अगर बच्चे की पढने – लिखने, खेलने – बोलने आदि सामान्य आदतों में किसी प्रकार का परिवर्तन दिखाई पड़ें तो उससे धैर्य के साथ बात करें। उससे जानने की कोशिश करे कि घर या बाहर उसे कोई परेशानी तो नहीं है।
- बच्चों के साथ ऐसा व्यवहार रखे कि वह आप से हर बात शेयर करें। अगर उसने कुछ गलत भी हो जाए तो वह भी बता दे।
- बच्चे को KG से ही गुड स्पर्श और बैड स्पर्श के बारे में aware करें। क्योंकि बच्चो को गोद में लेना उन्हें चूमना आम सी बात है लेकिन कुछ विकृत्त मानसिकता वाले बच्चों की मासूमियत से खिलवाड़ करने से बाज नहीं आते है। ऐसे लोगों पर नजर रखे और बच्चों को भी समझाएं कि उन्हें अगर किसी की गोद में जाना अच्छा नहीं लगता तो साफ़ – साफ़ मना कर दें।
- बच्चे को यह भरोसा दिलाएं कि जब भी उन्हें किसी का छूना गन्दा लगे तो वह सबसे पहले आपको बताएं। आप उसको बिलकुल भी नहीं डाटेंगे।
बच्चों को यौन शिक्षा देना एक संवेदनशील विषय है। जितना मुश्किल पेरेंट्स को बच्चो से इस विषय में बात करना है उतना ही मुश्किल बच्चों को इन बातों को समझने में भी है। इसलिए ये बाते बच्चों को धैर्य और आराम से समझाएं। समाज में हो रहें बच्चों के साथ यौन अपराध को देखते हुए उन्हें सुरक्षित आज और कल देने के लिए यह बहुत आवश्यक विषय बन गया है।
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usfull tips nice post
बहुत अच्छी जानकारी है । मै अपनी पोती को इन बातो की जानकारी जरूर दूँँगी ।
nice