स्वच्छता पर बच्चों के लिए दो छोटी हिंदी कहानी ( Two Short Story for Kids in Hindi on cleanliness)
स्वच्छता पर कहानी : महाबालेश्वर में रहने के दौरान गांधी जी रोजाना की तरह शाम को टहलने के लिए निकले | सहसा उनकी नजर एक 10 – 12 वर्ष के बालक पर पड़ी जो सड़क के किनारे हाथ जोड़ कर खड़ा था |
उसकी जाँघिया बहुत गंदी थी | उसके कंधे पर पर एक कपड़ा था वह भी मैला – कुचैला था | कुल मिला – जुलाकर उसे देख ऐसा प्रतीत हो रहा था कि उसने कई दिनों से स्नान तक नहीं किया है |
बापू उसके पास गए और उसके कंधे पर रखा कपडा लेने के लिए जैसे ही हाथ बढ़ाया वह पीछे हट गया और अपना कपड़ा देने से मना कर दिया |
बापू ने उसे समझाया कि यह तुम्हारा कपड़ा मैं कल वापस दे दूंगा और साथ में साथ में कुछ अच्छी चीजे खाने को भी दूंगा | तब जाकर उस बालक ने गांधी जी को अपना कपड़ा दे दिया इस लालच में कि उसे कुछ अच्छे पकवान खाने को मिलेंगे |
अगले दिन सुबह गाँधी जी ने प्यारेलाल से अपने साथ कुछ खादी कपड़ा, एक बट्टी साबुन खाने की कुछ चीजे ले चलने को कहा | लड़का दूसरे दिन भी वही सड़क के किनारे खड़ा था |

बापू उसके पास गए और उसको प्यार किया | उसे साफ़ कपडे पहनने को दिए, खाने की चीजे दी और कहा कि कल नहा करके यहाँ फिर आना | उस दिन के बाद वह बालक रोजाना नहा – धोकर साफ – सुधरा वस्त्र पहनकर वहां आने लगा |
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स्वच्छता पर कहानी से शिक्षा (Moral of Hindi Story on cleanliness)
साफ – सफाई सबके लिए जरुरी होता है क्योंकि एक स्वस्थ्य शरीर में ही स्वस्थ्य मष्तिक का निर्माण होता है | हाँ और एक बात नहा – धोकर साफ – सुधरे कपड़े पहनने वाले बालक सबको अच्छे लगते है इसलिए सभी बच्चों को अपने शरीर के साथ अपने आस – पास की स्वच्छता का भी ध्यान रखना चाहिए |
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स्वच्छता के महत्त्व पर कहानी
दीपक नाम का एक लड़का था | वह क्रिकेट में बहुत अच्छा खेलता था और स्कूल टीम का प्रमुख ख़िलाड़ी था । दीपक की मां को अपने बेटे पर बहुत गर्व था लेकिन वह केवल उसके एक गलत आदत के बारे में बहुत चिंतित रहती थी – वह थी उसके गंदे रहने की आदत | हालांकि कई बार याद दिलाने के बाद भी दीपक कभी दांतों को ब्रश करना तो कभी स्नान करना भूल जाता था | यहाँ तक कि साफ कपड़े पहनने पर भी ध्यान नहीं देता था। उसे जो कुछ भी पहले दिख जाता था वह उसे पहन लेता था भले ही उसने उसे पिछले दिन पहन कर क्रिकेट खेला था।
आज दीपक के लिए बहुत महत्वपूर्ण दिन था क्योंकि क्रिकेट टीम चयन समिति उसके स्कूल से राज्य स्तर के लिए चुनिंदा टीम का चयन करने आ रही थी। दीपक ने कल देर से अभ्यास किया था, इसलिए सुबह उठने में थोड़ा देर हो गई । जैसे ही दीपक सोकर उठा तुरन्त वह उन्ही कपड़ों में स्कूल पहुंच गया जिन कपड़ों में उसने पिछले दिन अभ्यास कर रहा था और सो गया था । उसने अपनी मां को भी कुछ नहीं बताया और स्कूल जाने के लिए घर से तुरंत निकल गया । उसकी मां पीछे से आवाज़ देती रही लेकिन उसने उनकी आवाज़ नहीं सुनी।
वह जैसे तैसे टीम को चुनने के लिए बनाई गई लाइन में शामिल होने के लिए समय पर पहुंच गया । जब दीपक की बारी आई तो दूसरों खिलाडियों की तरह उसने अपने परिचय देते हुए क्रिकेट के बारे में अपने अनुभव को बताया | दीपक के खेल शिक्षक ने चयन समिति के सामने उसकी प्रशंसा करना शुरू कर दिया । दीपक वास्तव में गर्व महसूस कर रहा था और उसे यकीन था कि वह चुना जाएगा। समिति चयनित चुने हुए छात्रों को दाईं ओर ले जा रही थी और दूसरों को बाईं ओर भेजा जा रहा था | चयन समिति ने दीपक को बाईं ओर भेजा तो वह चौंक गया | उसे उनके निर्णय पर विश्वास नहीं हो रहा था ।
समिति की ओर रुख करते हुए उन्होंने सवाल किया, ” सर, यह गलत है | मैं टीम का सबसे अच्छा खिलाडी हूं तो मुझे क्यों नहीं चुना गया !”
चयन समिति के सदस्यों में से एक ने शांतिपूर्वक जवाब दिया, ” जो व्यक्ति खेल के महत्व का सम्मान नहीं करते हुए उसके अनुसार पोशाक नहीं पहन सकता वह हमारी टीम का हिस्सा नहीं हो सकता है । क्रिकेट सज्जन व्यक्तियों का खेल है और एक सज्जन हमेशा स्वच्छ और सभ्य रहता है । “
उनकी बाते सुनकर दीपक भौचक्का रह गया और आज उसे स्वच्छता का महत्व अच्छी तरह समझ गया था ।
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Good stories
Swachhta par bahut prerak kahani h3.
Both stories are very good.