आचार्य चाणक्य के अनमोल वचन एवं सुविचार – Quotes Suvichar & Thought of Acharya Chanakya on Inspiration & Success for Great Life in Hindi

आचार्य चाणक्य के उद्धरण और विचार – Quotes & Thought of Acharya Chanakya on The Best Way to Bring inspiration in Life
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“मूर्खो से वाद-विवाद नहीं करना चाहिए क्योंकि इससे केवल आप आपना ही समय नष्ट करेंगे।”
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“बीती बात का शोक नहीं करना चाहिए, भविष्य में जो होगा उसकी भी चिन्ता नहीं करनी चाहिए। बुद्धिमान लोग वर्तमान समय के अनुसार कार्यों में प्रवृत्त होते हैं।”
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“न बनाया गया, न पहले कभी देखा गया, न किसी ने सुना किसी स्वर्ण मृग के बारे में। फिर भी श्रीरामचन्द्र की इच्छा उसे पाने की हुई। विनाश के समय में मनुष्य की बुद्धि विपरीत हो जाती है।”
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“जो दूसरे की स्त्री को माता के समान, दूसरे के संपत्ति को मिट्टी के ढ़ेले के समान, समस्त प्राणियों को अपनी आत्मा के समान देखता हैं, वास्तव में तो वही देखता है।”
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“उपकार करने वाले के साथ उपकार, और हिंसा करने वाले के साथ हिंसा करनी चाहिए क्योंकि ऐसा व्यवहार करने पर दोष नहीं होता, कारण कि दुष्ट के साथ दुष्टता का व्यवहार ही उचित है।”
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“बिना देखे – विचारे व्यय करने वाला किसी का सहयोग न मिलने पर भी लड़ाई – झगड़ा करने वाला और सब वर्णों की स्त्रियों से संसर्ग को उतावला मनुष्य शीघ्र विनाश का प्राप्त होता है।”
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“सबसे बड़ा गुरु मन्त्र है : कभी भी अपने राज़ दूसरों को मत बताएं। ये आपको बर्बाद कर देगा।”
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“अगर सांप जहरीला ना भी हो तो उसे खुद को जहरीला दिखाना चाहिए ।”
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“इस बात को व्यक्त मत होने दीजिए कि आपने क्या करने का विचार किया है, बुद्धिमानी से इसे रहस्य बनाये रखिये और इस काम को करने के लिए दृढ़ रहिये ।”
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“सांप के फन, मक्खी के मुख और बिच्छु के डंक में जहर होता है; पर दुष्ट व्यक्ति तो इससे भरा होता है ।”
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“कोई व्यक्ति अपने कार्यों से महान होता है, अपने जन्म से नहीं ।”
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“शिक्षा सबसे अच्छी मित्र है । एक शिक्षित व्यक्ति हर जगह सम्मान पाता है । शिक्षा सौन्दर्य और यौवन को परास्त कर देती है ।”
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“व्यक्ति अकेले पैदा होता है और अकेले मर जाता है; और वो अपने अच्छे और बुरे कर्मों का फल खुद ही भुगतता है; और वह अकेले ही नर्क या स्वर्ग जाता है ।”
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“पहले पांच सालों में अपने बच्चे को बड़े प्यार से रखिए । अगले पांच साल उन्हें डांट – डपट के रखिए । जब वह सोलह साल का हो जाये तो उसके साथ एक मित्र की तरह व्यवहार करिए । आपके वयस्क बच्चे ही आपके सबसे अच्छे मित्र है ।”
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“हर मित्रता के पीछे कोई न कोई स्वार्थ होता है । ऐसी कोई मित्रता नहीं जिसमे स्वार्थ ना हो । यह कड़वा सच है ।”
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“किसी मूर्ख व्यक्ति के लिए किताबे उतनी ही उपयोगी है जितना कि एक अंधे व्यक्ति के लिए आईना ।”
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“फूलों की सुगंध केवल वायु की दिशा में फैलती है । लेकिन एक व्यक्ति की अच्छाई हर दिशा में फैलती है ।”
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“दुनिया की सबसे बड़ी शक्ति नौजवानी और औरत की सुन्दरता है ।”
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“जब तक आपका शरीर स्वस्थ्य और नियंत्रण में है और मृत्यु दूर है, अपनी आत्मा को बचाने की कोशिश कीजिए; जब मृत्यु सर पर आजायेगी तब आप क्या कर पाएंगे ?”
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“कोई काम शुरू करने से पहले, स्वयं से तीन प्रश्न कीजिए – मैं ये क्यों कर रहा हूँ, इसके परिणाम क्या हो सकते हैं और क्या मैं सफल हो सकूंगा। जब गहराई से सोचने पर इन प्रश्नों के संतोषजनक उत्तर मिल जाए, तभी आगे बढ़ें।”
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“जैसे ही भय आपके करीब आए, उस पर आक्रमण कर उसे नष्ट कर दीजिए ।”
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“सर्प, नृप , शेर , डंक मारने वाले ततैया छोटे बच्चे, दूसरों के कुत्ते, और एक मूर्ख:, इन सातों को नीद से नहीं उठाना चाहिए।”
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“हमें भूत के बारे में पछतावा नहीं करना चाहिए, ना ही भविष्य के बारे में चिंतित होना चाहिए ; विवेकवान व्यक्ति हमेशा वर्तमान में जीते हैं ।”
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“जिस प्रकार एक सूखे पेड़ को अगर आग लगा दी जाये तो वह पूरा जंगल जला देता है, उसी प्रकार एक पापी पुत्र पूरे परिवार को बर्बाद कर देता है।”
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“भगवान मूर्तियों में नहीं है । आपकी अनुभूति आपका ईश्वर है । आत्मा आपका मंदिर है ।”
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“जो धुव यानि सत्य वस्तु अथवा कार्य को छोड़ कर अधुव यानि असत्य वस्तु या कार्य को अपनाता है उसकी सत्य वस्तु भी नाश हो जाती है अर्थात नहीं मिलती है । इसलिए सत्य को ही अपनाना चाहिए क्योंकि असत्य तो स्वयं ही नाशवान है ।”
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“आतुर यानि बीमार होने पर, किसी बुरे कार्य में फँसने पर, अकाल पड़ने पर, बैरी द्वारा कष्ट में फँस जाने पर, राज्य दरबार में और श्मशान भूमि में जो अपने साथ रहता है या साथ देता है असल में वही भाई है, बन्धु है ।”
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“उपाय उपयोग करने से दरिद्रता दूर हो जाती है । जप / मंत्र करने से पापो का नाश होता है | मौन हो जाने से कलह या लड़ाई होते हुए भी शांत हो जाती है और जागते रहने से भय अवश्य ही दूर हो जाता है ।”
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“ऐसा मित्र जो आपके सामने तो मीठी – मीठी बात बनाता है और पीठ पीछे कार्य को बिगाड़ता है, वह कभी भी सच्चा मित्र नहीं बन सकता है ऐसा मित्र तो उस घड़े के समान है जिसमें जहर भरा है और मुखड़े पर थोड़ा दूध दिखाई पड़ता है ऐसे मित्र को त्यागना ही उचित है ।”
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“किसी भी मित्र पर यकायक विश्वास करना ठीक नहीं होता है क्योंकि मित्र भी यदि कभी क्रोधित हो जाता है तो वह सब गुप्त भेद को प्रकट कर देता है ।”
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“मन में बिचारे हुए काम को किसी के सामने प्रगट नहीं करना चाहिये क्योंकि बचन से जाहिर हुआ काम नष्ट हो जाता है । इसलिए मंत्र की भांति कार्य को गुप्त रखकर ही पूरा करना चाहिये ।”
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“आचार विचार से कुल का पता लगता है, भाषा बोली से देश का पता लगता है । आदर भाव से प्रीति जानी जाती है और शरीर के रूप से भोजन का पता लग ही जाता है ।”
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“सुन्दर रूप जवानी की दीपक, बड़े कुल में जन्म ये सब मनुष्य में होते हुए यदि विद्द्या से रहित है तो विदद्यहीन मनुष्य ढाक के फूल के सा समान ही है जो देखने में सुन्दर है किन्तु सुगन्ध से खाली है ।”
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“सज्जनों का साथ बड़ा उत्तम होता है क्योंकि ये अपनी संगति में आये हुए का इस प्रकार पालन – पोषण करते है जैसे मछली कछुआ और पक्षी अपने बच्चों का दर्शन, ध्यान और स्पर्श से पोषण करते है ।”
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“विद्या कामधेनु के समान होती है जो अकाल में भी फल देती है | जैसे कामधेनु से अकाल में भी दूध प्राप्त होता है और परदेश में माता के तरह रक्षा करती है । इसलिए विद्द्या गुप्त धन जैसा है | इसका संग्रह करना आवश्यक है ।”
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“मेघ के जल जैसा दूसरा जल उत्तम नहीं, आत्मबल जैसा कोई दूसरा बल नहीं । नेत्र तेज के समान दूसरा तेज नहीं और अन्न के समान दूसरी कोई वस्तु प्यारी इस संसार में नहीं है ।”
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“मनुष्य को अपनी औरत, अपने धन और समयानुसार अपने भोजन में सन्तोष करना चाहिए परन्तु विद्या पढ़ने, जप करने और दान देने में कभी सन्तोष करना ठीक नहीं ।”
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“अत्यन्त सीधा होना भी दुखदाई होता है । सीधे स्वभाव वाला व्यक्ति उसी तरह दुःख को भोगता है जैसे वन में सीधा वृक्ष शीघ्र ही काट लिया जाता है और टेड़े – मेडे के काटने में समय लगता है ।”
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“जल का गुण – अपच अवस्था में पीना औषधि है । भोजन पच जाने पर जल पीना बलदायक है । भोजन करते समय मध्य – मध्य में पीना अमृत के समान गुण वाला है किन्तु भोजन के बाद तुरन्त जल का एकदम पीना विषकारी है ।”
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“जिनमें स्वयं बुद्धि नहीं उसको शास्त्र की शिक्षा क्या लाभ पहुँचायेगी जैसे कि अंधे को दर्पण दिखाने से क्या लाभ ।”
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“सिंह और बड़े बड़े हाथियों से घिरे वन में, वृक्षों के नीचे रह कर, फलफूल खाकर जल पीकर घास पर सो रहना और छाल आदि चीथड़ों के वस्त्र से शरीर ढक लेना अच्छा है किन्तु धनहीन होकर बंधुओं के बीच रहना अच्छा नहीं ।”
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“एक – एक बूंद जल की गिरने से घड़ा भर जाता है । इसी तरह विद्द्या धन और धर्म भी धीरे – धीरे संचय करने से इकट्ठे होते है ।”
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सर्वश्रेष्ठ प्रेरणादायक अनमोल वचन
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chanakya ke quotes ka bahut hi achha collection kiya hai mujhe yah padhkar bahut hi achha laga
bahut badhiya.
very nice quotes mam
चाणक्य के बिचार को हमारे सामने प्रस्तुत करने के लिए अापका धन्यवाद चाणक्य के सभी वचन अनमोल है जिसे दोहे के माध्यम से बहुत ही अच्छे से समझाया गया है, धन्यवाद बबित जी
Thanks Sandeep ji.
Very nice collection Babita ji, aapne bahut achhe se in anmol wachan ko prastut kiya. Thanks for this post
Thanks Sabiha ji.
nice collection…and very well translation in hindi…chanakya ki baate aaj ke time me bhi utni hi prabhavshali hain jitni pehle thii ….nice post
Thanks Pushpendra ji and keep reading.
चाणक्य के दोहे और उनका अर्थ बहुत ही अनमोल है ।
Thanks Viram ji and keep reading.
बहुत सुन्दर बबिता जी
Thanks
चाणक्य के विचार जीवन पथ पर अग्रेसर होने हेतु बहुत ही उपयोगी है। सुंदर प्रस्तुति।
धन्यवाद ज्योंति जी ।
bahut achhi post kiya hai apne mam dohe ke arth sahit
Thanks and keep reading.
चाणक्य के महान विचारों को हमारे साथ साझा करने के लिए धन्यवाद बबीता जी…
चाणक्य के विचार आज भी बहुत प्रभावशाली हैं | ये विचार जीवन की हर परिस्तिथि में दिशा दिखाते हैं | एक अच्छी पोस्ट के लिए शुक्रिया