आषाढ़ पूर्णिमा / गुरु पूर्णिमा पूजा, व्रत विधि व महत्व /Guru Purnima essay in hindi
गुरु पूर्णिमा पूजा, व्रत विधि व महत्व : आषाढ़ शुक्ल पूर्णिमा को गुरु पूर्णिमा भी कहते है | गुरु पूर्णिमा गुरुतत्व के प्रति श्रद्धा व समर्पण के सुदृढीकरण का महापर्व है |भारतीय संस्कृति में गुरु के पद की प्रतिष्ठा बनाएं रखने में इस पर्व की केन्द्रीय भूमिका रही है |
राष्ट्र को प्रकाशवान, ज्ञानवान और शक्तिवान बनाने के लिए गुरु पूर्णिमा के पर्व का विशेष महत्व है | गुरु के प्रति श्रद्धा, निष्ठां, समर्पण के जागरण और सुदृढ़ीकरण का शुभ मुहूर्त का पर्व हैं गुरु पूर्णिमा | प्राचीन काल से ही गुरुकुलों में विद्धायार्थी गण इस दिन श्रद्धाभाव से प्रेरित होकर अपने गुरु का पूजन करते थे और अपनी सामर्थ अनुसार दान दक्षिणा देते थे |आज भी इसका महत्व वही है | आज भी गुरु और शिष्य का सम्बन्ध विशुद्ध रूप से अध्यात्मिक है | जिसकी अपनी एक अलग ही विशिष्टता है |
सिख धर्म में गुरु पूर्णिमा का महत्व अधिक माना गया है क्योंकि सिख धर्म में दस गुरुओं का विशेष महत्व रहा है |गुरु पूर्णिमा का पर्व अपने गुरु के विशेष स्मरण, अर्चन, वंदन के लिए समर्पित है |शास्त्रों में गुरु के अर्थ के बारे में बताया गया है कि ‘गु’ का अर्थ होता है अंधकार अथवा अज्ञान और ‘रु’ का अर्थ होता है प्रकाश ( ज्ञान ) अर्थात गुरु व्यक्ति को अज्ञान रूपी अंधकार से ज्ञान रूपी प्रकाश की ओर ले जाता है | गुरु की भूमिका एक कुम्भकार की होती है और शिष्य कच्ची मिट्टी का एक ढेला होता है | जिसे गुरु जीवन लक्ष्य प्राप्ति की ओर प्रवृत्ति करता है | व्यापक अर्थों में अपने समाज के विभिन्न क्षेत्रों में मार्गदर्शन करने वाले को गुरु की प्रतिष्ठा दी गई है | चाहे वह अक्षर ज्ञान कराने वाला हो, किसी विशेष कला, संगीत, चित्रकला, नियुद्ध, मल्ल युद्ध आदि सिखाने वाला, व्यवसाय या जीविकोपार्जन में मार्गदर्शन करने वाला अर्थात जीवन में जिससे कुछ भी सीखते है उसको गुरु मानते है | इसलिए गुरु को साक्षात ईश्वर माना गया है |
गुरुर्ब्रह्मा, गुरुर्विष्णुः गुरुर्देवो महेश्वर: |
गुरु: साक्षात् परब्रह्म, तस्मै श्रीगुरुवे नाम: ||
गुरु पूर्णिमा क्यों मनाई जाती है ?
यह पर्व महर्षि वेद व्यास की स्मृति में मनाया जाता है | आषाढ़ पूर्णिमा के दिन ही महर्षि वेद व्यास जी का जन्म हुआ था | इस कारण इसे व्यास पूर्णिमा भी कहते है |व्यास एक श्रेष्ठ विद्द्वान के साथ – साथ महाभारत के रचयिता व सभी वेदों (ऋग्वेद, यजुर्वेद, सामवेद और अथर्ववेद) के संकलनकर्त्ता भी माने जाते हैं | इसलिए महर्षि व्यास जी को ‘गुरुणां गुरु:’ कहा गया है |गुरु के रूप में उन्होंने संसार को जो दिव्य ज्ञान दिया उससे शिष्य – साधक हजारों वर्षों से लाभान्वित होते रहे हैं |
गुरु पूर्णिमा कैसे मनाई जाती है ?
देश भर में गुरु पूर्णिमा का पर्व बड़ी श्रद्धा व धूमधाम से मनाया जाता है | इस दिन प्रात:काल से ही मंदिरों एवं अध्यात्मिक स्थलों पर सत्संग का आयोजन कर मंत्रोच्चारण व गुरु की महिमा का व्याख्यान किया जाता है | मंदिरों में पूरे दिन भजन – कीर्तन के द्वारा गुरु की महिमा का गान किया जाता है |
इस दिन घरों व विद्धायालयों में गुरु वेद व्यास जी की पूजा की जाती है |ऐसी मान्यता है कि प्रत्येक गुरु में व्यास जी का अंश होता है, इस कारण सभी लोग गुरु पूर्णिमा के दिन अपने गुरु की पूजा कर उनका आशीर्वाद प्राप्त करते है साथ ही इस दिन इष्टदेवों की भी पूजा करने का विधान है |
Guru Purnima essay in hindi : जानिए गुरु पूर्णिमा कब है ?
इस वर्ष हिन्दू पंचांग के अनुसार गुरु पूर्णिमा वर्ष 2017 में 9 जुलाई को मनाया जाएगा |
गुरु पूर्णिमा पूजा, व्रत विधि व महत्व

गुरु पूर्णिमा की पूजा कैसे करें ( गुरु पूर्णिमा की पूजा विधि)
गुरु पूर्णिमा के दिन पवित्रीकरण आदि षट्कर्म करने के पश्चात पूजा वेदी पर रखे गुरुदेव को पुष्प माला अर्पित कर निम्न श्लोक का उच्चारण करें :
नमोस्तुते व्यास सहस्त्रबुद्धे |
फुल्लारविंदायत पत्र नेत्र
येन त्वया भारत तैलपूर्ण: |
प्रज्वालितो ज्ञानमय: प्रदीप: ||
अर्थात खिले हुए कमल के समान नेत्रों वाले व्यास देव, तुम्हें नमस्कार है, क्योंकि तुमने भारत के ज्ञानमय तेल से भरे दीपक को प्रज्ज्वलित किया है |
“अज्ञान तिमिराधस्य ज्ञानांजन शलाकया |
चक्षुरुन्मीलितं येन तस्मै श्री गुरवे नम:”
अर्थात अज्ञान के अंधकार से भरे हुए व्यक्ति की आँखों को ज्ञान रूपी अंजन की शलाका से जिसने उन्मीलित किया है, उस गुरूजी के लिए नमस्कार |
इसके पश्चात अपने गुरु का चरण स्पर्श कर आशीर्वाद प्राप्त करते है | वस्त्र, फूल, फल, माला, धन आदि भेट स्वरुप दें |
गुरु पूर्णिमा का महत्व
गुरु पूर्णिमा गुरु की पूजा का दिन है | इस दिन जिसे हम श्रद्धापूर्वक अपना मार्गदर्शक या गुरु मानते है उनके चरणों में अपनी भेट अर्पित कर आगामी वर्ष के लिए शुभाशीर्वाद प्राप्त करते है | इस दिन ही महर्षि वेद व्यास जी ने हिन्दू धर्म ग्रन्थ के चरों वेदों की व्याख्या की थी | अत: गुरु पूर्णिमा के दिन व्यास द्वारा रचित वेदों व पुराणों का अध्ययन व मनन करने का विशेष महत्व है |भविष्य पुराण के अनुसार पूर्णिमा के दिन पवित्र नदी में स्नान कर दान – पुण्य करने से शुभ फल प्राप्त होता है | इस दिन पितरों का तर्पण करना भी बहुत शुभ माना जाता है |
हिन्दू संस्कृति में गुरु को भगवान के समान या उससे भी श्रेष्ठ माना गया हैं | गुरु की महत्ता के बारें में कहा गया हैं कि वह शिष्य के अंदर महानता उत्त्पन्न कर उसे नर से नारायण बना देता है | हिन्दू धर्म के समान ही सिख धर्म में भी गुरु को भगवान माना जाता है |
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गोस्वामी तुलसीदास जी ने भी रामचरित मानस का गान करने से पहले सदगुरु चरणों की महत्ता का चरित बखान करते हुए लिखा है :
बंदउँ गुरु पद कंज, कृपा सिंधु नर रूप हरि |
महामोह तम पुंज, जासु वचन रविकर निकर ||
कबीरदास जी ने भी अपने दोहें में गुरु की महत्ता बताते हुए लिखा है :
गुरु गोविंद दोउ खड़े, काके लांगू पांय |
बलिहारी गुरु अपने गोविंद दियो बताय ||
गुरु पूर्णिमा का महत्व सबके जीवन में होता है परन्तु इसकी पूर्णता का लाभ सच्चे शिष्य को ही मिलता है | राम, कृष्ण, शिवाजी, दयानन्द, विवेकानन्द जैसे महापुरुषों के विकास में गुरु का मत्वपूर्ण योगदान रहा है |
आषाढ़ शुक्ल पूर्णिमा या गुरु पूर्णिमा की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि यह पर्व गुरुओं के सम्मान का पर्व है और इस पर्व को पूरे भारत वर्ष में बहुत हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है | जीवन में गुरु की महत्ता को समर्पित इस दिन हम सब को गुरु द्वारा बताएं मार्ग पर चलना ही गुरु को सच्चा सम्मान दें सकते है |
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गुरु पूर्णिमा को बहुत बहुत शुभकामनाएं।
गुरु पूर्णिमा के महत्व और उससे जुणि सभी बातों को हमसे सेयर करने के लिए आपका बहुत बहुत धन्यवाद करती हूँ ,ऐसी ही जानकारी आप लोगों को देते रहीये , हमें आपके पोस्ट का हमेशा इन्तज़ार रहता है,
Thank you Rachana ji.
Bahut hi accha likha hai aapne.
Thank you Rohan ji.
Bhut acha likhti hai ap babita ji
धन्यवाद Ishita जी ।
गुरु पूर्णिमा का महत्व और पूजा विधि की आपने बड़ी ही सटीक जानकारी दी है . मुझे पढ़ कर अच्छा लगा
धन्यवाद Anoop जी ।
Babita गुरु का स्थान माता पिता से भी ऊपर होता है | गुरु की ही कृपा से गोविन्द के दर्शन का सौभाग्य मिलता है | गुरु पूर्णिमा के महत्त्व के बारे में बताने के लिए आभार |
आपको लेख पसंद आया उसके लिए बहुत बहुत धन्यवाद Kanchan जी ।
wao bohot achhe, bohot achhe information hai ye.
धन्यवाद Ankit जी ।
Thanks for Sharing Valuable Important Post.
धन्यवाद Niraj जी ।