वर्ष 1922 में अन्तर्राष्ट्रीय सहकारिता संघ के तत्कालीन अध्यक्ष श्री जी. जे. डी. सी. गोदर्थ ने सहकारिता की आवश्यकता को प्रत्येक क्षेत्र में महसूस करते हुए और सहकारी आंदोलन से जुड़े वैश्विक समस्याओं को हल करने के लिए यह प्रस्ताव रखा कि प्रत्येक देश में प्रचार – प्रसार अभियान चलाकर तथा कार्यक्रमों को आयोजित कर विश्व भर में सहकारिता आंदोलन के बारें में जानकारी प्रदान कर जागरूकता फैलाया जाए | उनका यह प्रस्ताव वर्ष 1922 में स्वीकार कर संयुक्त राष्ट्र संघ द्वारा यह निर्णय लिया गया कि प्रतिवर्ष जुलाई माह के पहले शनिवार को विश्व सहकारिता दिवस के रूप में मनाया जाएगा |
अंतर्राष्ट्रीय सहकारिता दिवस (International Day Of Cooperation)
संयुक्त राष्ट्र संघ के निर्णय के बाद वर्ष 1923 में जुलाई माह के पहले शनिवार को अन्तर्राष्ट्रीय सहकारिता संघ द्वारा पहला विश्व सहकारिता दिवस मनाया गया | इस अवसर पर अंतर्राष्ट्रीय एकता, समानता, आर्थिक दक्षता के साथ सहकारिता के निम्न उद्देश्य पर प्रमुखता से चर्चा हुई –
विश्व सहकारिता दिवस के उद्देश्य
- स्थानीय, राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर सहकारिता को पहचान दिलाना
- सहकारिता आंदोलन के विषय में जागरूकता फैलाना
- सहकारी आंदोलन को बढ़ावा देना
- संयुक्त राष्ट्र संघ एवं अंतर्राष्ट्रीय सहकारिता संघ तथा सभी अंतर्राष्ट्रीय सहकारिता आंदोलनों के लक्ष्यों को पूरा करने पर जोर देना
- अंतर्राष्ट्रीय सहकारिता आंदोलनों और सरकार सहित अन्य स्थानीय, राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय साझेदारी को मजबूत करना |
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यही कारण है कि सम्पूर्ण विश्व में सहकारिता आंदोलन को जोर शोर से चलाने के लिए प्रतिवर्ष अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर सहकारिता दिवस मनाया जाता है | प्रत्येक वर्ष की भॉति इस वर्ष भी जुलाई माह के पहले शनिवार को विश्व सहकारिता दिवस मनाया जाएगा | इस दिवस पर सहकारिता की भावना के अनुरूप व्यक्ति मिलजुल कर अपने आर्थिक हितों की पूर्ति हेतू परस्पर सहयोग एवं विश्वास की भावना से कार्य करते है और जिसका उद्देश्य लाभ कमाना न होकर अपने सदस्यों के हितों और आवश्यकता की पूर्ति करना होता है |
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पारस्परिक सहयोग द्वारा स्वयं की सहायता करना ही सहकारिता का आदर्श होता है | सहकारिता एक संगठित शक्ति है जिसका सूत्र “एक सबके लिए, सब एक के लिए” है | इसका प्रबंधन एवं संचालन लोकतांत्रिक ढंग से किया जाता है | संगठन के सदस्यों में किसी भी प्रकार का भेदभाव नहीं किया जाता है | निजी स्वार्थ, व्यक्तिवाद, परिवारवाद के स्थान पर सामूहिक कल्याण के लिए प्रयास किए जाते है | इसका सदस्य बनने के लिए किसी भी प्रकार का दबाव नहीं डाला जाता है बल्कि व्यक्ति स्वेच्छा से इसका सदस्य बनता है और स्वेच्छा से त्याग भी कर सकता है |
सहकारिता की उपादेयता ( Utility of International Day Of Cooperation)
इसमें कोई दो राय नहीं कि सहकारिता आन्दोलन व्यक्तियों को आत्मनिर्भर बनाने की दृष्टि से उपयोगी होने के साथ-साथ समाजवादी राष्ट्र के विकास में भी सहायक है | आज देश में ऐसे कई सहकारी संगठन कार्यरत है जिन्होंने समाज के कमजोर व्यक्तियों की आवश्यकताओं की पूर्ति कर उन्हें रोजगार के अवसर शुलभ कराएं है | सहकारिता के माध्यम से जहाँ उपभोक्ता को सस्ती एवं उत्तम किस्म की वस्तुएँ उपलब्ध होती है वही एकाधिकारात्मक प्रवृत्तियों पर भी रोक लगाई जाती है |
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अपनी उपादेयता के कारण ही वर्तमान में उपभोग, उत्पाद तथा वितरण सभी क्षेत्रों में इसका विकास हुआ है | सहकारिता की भावना दिन प्रतिदिन बहुआयामी रूप लेती जा रही है | आज सिर्फ शहरों में ही नहीं बल्कि गावों में भी लोग सहकारिता संगठन से जुड़ कर काम कर रहें है | इसकी उपादेयता को देखते हुए यह जरुरी है कि सिर्फ सहकारी आंदोलनों पर जोर न देकर सहकारी कार्यकर्ताओं को भी शक्ति सम्पन्न बनाया जाएं | संस्थाओं में प्रबन्धन की कुशलता का उन्नति किया जाना भी आवश्यक है ताकि इसका अधिक से अधिक लाभ उपेक्षित वर्ग तक पहुँचाया जा सके |
आज विश्व के अनेक देशों में सहकारी संगठन विद्यमान है और इन्हें अपने प्रयासों में खासी सफलता भी मिल रही है |
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Very impressive post. Bahaut accha likha hai.
Very very nice
बहुत अच्छा लिखा है ।
Thanks Babita ji bhut hi achha article likha hai aap ne. Super post
धन्यवाद संदीप जी ।
सहकारिता दिवस पर बहुत ही उपयोगी जानकारी दी है आपने, धन्यवाद |
धन्यवाद Gufran जी ।
आपने बहुत अच्छे मुद्दे पर पोस्ट शेयर की है| क्योंकि सम्पूर्ण मानव विकास के लिए हमें आपसी भागीदारी के महत्त्व को समझना और समझाना होगा तभी सम्पूर्ण मानव जाती का विकास एवं उत्थान संभव है|
धन्यवाद अविनाश जी ।
nice post likhte rahe
धन्यवाद Yashdeep जी ।
Hello
Very nice and informative article.
Thanks for sharing
धन्यवाद Rohan जी ।