Buddha Purnima in hindi : वैशाख महीने की पूर्णिमा को बुद्ध पूर्णिमा या बुद्ध जयंती के नाम से जाना जाता है | बुद्ध पूर्णिमा बौद्ध धर्मावलम्बियों के लिए सबसे बड़ा त्यौहार है | यह पर्व महात्मा बुद्ध के जन्मदिवस के रूप में मनाया जाता है | इस दिन श्रद्धालु महात्मा बुद्ध की शिक्षाओं, उनके कार्यों व उनके व्यक्तित्व को याद कर उनके प्रति अपनी श्रद्धा प्रकट करते है और उनके द्वारा बताये गये रास्ते पर चलने का संकल्प लेते है |
हिन्दू धर्मावलम्बियों का मानना है कि महात्मा बुद्ध विष्णु भगवान के नौवे अवतार है | अत: इस दिन को हिन्दुओं में पवित्र दिन माना जाता है और इसलिए इस दिन विष्णु भगवान की पूजा – अर्चना की जाती है |
Hindi Essay : वैशाख पूर्णिमा महत्व, व्रत विधि व पूजा विधि
बुद्ध जयंती या बुद्ध पूर्णिमा कब है ?
2017 में बुद्ध पूर्णिमा 10 मई को है |
बुद्ध पूर्णिमा का महत्व
बौद्ध पूर्णिमा का बौद्ध धर्मावलम्बियों के लिए विशेष महत्व है, क्योंकि इस दिन महात्मा बुद्ध का जन्म हुआ था, इसी दिन उन्हें ज्ञान की प्राप्ति हुई थी और इसी दिन ही उनको निर्वाण की प्राप्ति हुई थी |
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वैशाख महीने में आने वाली पूर्णिमा को सूर्य अपनी उच्च राशि मेष में होता है और चन्द्रमा भी अपनी उच्च राशि तुला में होता है | अत: ऐसे शुभ मुहूर्त में पवित्र जल से स्नान करने से कई जन्मों के पापों का नाश हो जाता है |
बुद्ध पूर्णिमा के दिन पूजा – पाठ करने और दान देने का भी विशेष महत्व है | इस दिन सत्तू, मिष्ठान, जलपात्र, भोजन और वस्त्र दान करने और पितरों का तर्पण करने से पुण्य की प्राप्ति होती है |
बुद्ध पूर्णिमा पूजा की व्रत विधि ( बुद्ध जयंती )

वैशाख पूर्णिमा या बुद्ध जयंती के दिन प्रात: पवित्र नदी में स्नान करना चाहिए | यदि पवित्र नदी में स्नान करना संभव न हो तो शुद्ध जल में गंगाजल मिला कर स्नान करें | प्रात: स्नान के बाद पूरे दिन का व्रत रखने का संकल्प लें |
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पूरे विधि – विधान से भगवान विष्णु की पूजा करें | प्रसाद के रूप में चूरमें का भोग लगाएं | पूजा सम्पन्न होने के बाद सभी को प्रसाद ग्रहण करने के लिए दें और अपने सामर्थ्य अनुसार गरीबों को दान दें |
रात के समय फूल, धूप, गुण, दीप, अन्न आदि से पूरी विधि – विधान से चन्द्रमा की पूजा करें | चन्द्रमा की पूजा करते समय इस विशेष मंत्र का उच्चारण करें :
वसंतबान्धव विभो शितांशो स्वस्ति न: कुरु |
गगनार्णवमाणिक्य चन्द्र दाक्षायणिपते |
बुद्ध पूर्णिमा पूजा कैसे करे
- पूर्णिमा के दिन सबसे पहले भगवान विष्णु की प्रीतिमा के सामने घी से भरा हुआ पात्र, तिल और शक्कर स्थापित करें |
- पूजा वाले दीपक में तिल का तेल डालकर जलाना चाहिए | पूर्णिमा के दिन पूजा के वक्त तिल के तेल का दिया जलाना अत्यन्त शुभ माना जाता है |
- अपने पितरों की तृप्त के लिए व उनका आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए आप पवित्र नदी में स्नान करके हाथ में तिल रखकर तर्पण करें |
- बौद्ध धर्म के धर्मग्रंथों का निरंतर पाठ करें |
- बोधिवृक्ष की शाखाओं को हार व रंगीन पताकाओं से सजाकर उसकी पूजा करें | उसकी जड़ों में दूध व सुगंधित पानी डाले और बोधिवृक्ष के आस – पास दीपक जलाएं |
- इस दिन पंक्षियों को पिजड़े से मुक्त कर आकाश में छोड़ा जाता है |
- पूर्णिमा के दिन दान में गरीबों को वस्त्र, भोजन दें | ऐसा करने से गोदान के सामान फल प्राप्त होता है | पूर्णिमा के दिन तिल व शहद को दान करने से व्यक्ति पापों से मुक्त होता है |
- इस दिन मांस – मदिरा का सेवन करना वर्जित है क्योंकि गौतम बुद्ध पशु बध के सख्त विरोधी थे |
बुद्ध पूर्णिमा की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि पूरा राष्ट्र महात्मा बुद्ध को भगवान मानता है और इस दिन लोग भगवान बुद्ध को अपनी श्रद्धांजलि देते है और उनके द्वारा दी गई शिक्षाओं को आत्मसात करते है |
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Buddha kisi ke avtar nhi hai … Wo anishvariye the unko pooja se koi lene dena nahi tha
very nice
i like this story.
nice story about gautam bhudha